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गुरुवार, 1 अप्रैल 2010

विद्युत वितरण के निजीकरण का विरोध

लखनऊ 31 मार्च। आगरा में विद्युत वितरण के कार्य को बहुराष्ट्रीय कम्पनी ‘टोरेन्ट’ को सौंपे जाने की भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने तीव्र निन्दा करते हुए रोष जाहिर किया है। भाकपा ने पूर्व विद्युत बोर्ड की बेशकीमती परिसम्पत्तियों को औने-पौने दाम पर सरमायेदारों को सौंपने के लिए 20 साल पूर्व शुरू की गयी निजीकरण की प्रक्रिया की ओर एक बड़ा खतरनाक कदम बताया है।
यहां जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में भाकपा ने बिजली बोर्ड के निजीकरण की प्रक्रिया को जनविरोधी बताते हुए कहा है कि 16 साल पहले ग्रेटर नोएडा में इसी तरह का किया गया प्रयोग असफल रहा था और करोड़ों रूपये का चूना बिजली बोर्ड को लगा था। प्रदेश सरकार ने इससे कोई सबक नहीं लिया है।
भाकपा ने इस पूरी प्रक्रिया में भ्रष्टाचार व्याप्त होने की ओर इशारा करते हुए कहा है कि पावर कारपोरेशन ने औसत बिजली विक्रय मूल्य आगरा में 4.00 रूपये प्रति यूनिट तथा कानपुर में 4.25 रूपये प्रति यूनिट होने के तथ्य को टेन्डर फार्म में गलत तरीके से घटा कर क्रमशः 2.62 रूपये तथा 3.55 रूपये प्रति यूनिट लिखा गया जबकि टोरेन्ट कम्पनी से हुए समझौते के अनुसार यह कम्पनी केवल 1.54 रूपये तथा 2.00 रूपये प्रति यूनिट ही पावर कारपोरेशन को अदा करेगी। भाकपा ने कहा है कि इस गड़बड़ घोटाले से हजारों करोड़ रूपये का नुकसान पावर कारपोरेशन को होगा वहीं दूसरी ओर बिजली उपभोक्ताओं को अपनी जेबों को भी ढीला करना होगा।
भाकपा ने बिजली कर्मचारियों से कार्य बहिष्कार के बजाय सीधी कार्यवाही का अनुरोध करते हुए कहा है कि निजीकरण के खिलाफ यह लड़ाई केवल बिजली कर्मचारियों के भरोसे नहीं छोड़ी जा सकती है। भाकपा ने जनता के व्यापक तबकों से इसका सड़कों पर विरोध करने का आह्वान किया है।


(शमशेर बहादुर सिंह)
कार्यालय सचिव

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