बुधवार, 30 जून 2010
at 4:28 pm | 0 comments |
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक (हैदराबाद, 12 से 14 जून 2010) द्वारा पारित प्रस्ताव - श्रीलंका के तमिल लोगों की समस्याओं पर
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राष्ट्रीय परिषद श्रीलंका की तमिल समस्या, जिसका तमिलनाडु की राजनीति पर सीधा प्रभाव पड़ता है, से निपटने में भारत सरकार की घोषणाओं तथा कार्रवाईयों में असंगति और निर्मम रवैये पर निराशा प्रकट करती है। इसलिए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राष्ट्रीय परिषद भारत सरकार से अनुरोध करती है कि श्रीलंका के तमिल शरणार्थियों की दयनीय स्थिति पर विचार करे जो 1990 से ही लगातार तमिलनाडु आते रहे हैं और तमिलनाडु के शिविरों में जिनकी संख्या करीब चार लाख तक पहुंच गयी है तथा जिनकी देखभाल केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा की जा रही है।
चूंकि वे न तो श्रीलंका वापस जाने की स्थिति में हैं और न ही उन्हें भारतीय नागरिक माना जा रहा है, इसलिए वे एक कैप्टिव की जिंदगी जी रहे हैं, जिसका शीघ्र समाधान होना जरूरी है।
तमिलनाडु में रहने वाले शरणार्थियों को यह विकल्प देना चाहिए कि या तो वे श्रीलंका वापस चले जाएं या उन्हें भारत की नागरिकता दी जाए।
यद्यपि श्रीलंका सरकार ने घोषणा की है कि आतंकवाद के खिलाफ उनकी लड़ाई 17 मई 2009 को सफलतापूर्वक खत्म हो गयी, पर विस्थापित तमिल लोगों को, जिनकी संख्या साढ़े चार लाख है, एक साल से भी अधिक समय से विभिन्न शिविरों में कैप्टिव बनाकर रखा जा रहा है। यह मानवाधिकार उल्लंघन का स्पष्ट मामला है। इसलिए भारत सरकार की श्रीलंका सरकार से कहना चाहिए कि वह शिविरों को समाप्त करे तथा तमिल नागरिकों को अपनी पसंद की जगहों में वापस जाने देना चाहिए।
श्रीलंका सरकार ने अपने देश में लगभग सभी पिं्रट एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया को बन्द कर दिया है। इसलिए लोगों को कुछ पता नहीं चल रहा है कि श्रीलंका में क्या हो रहा है यहां तक कि दूरदर्शन को भी श्रीलंका में काम करने की इजाजत नहीं हैं। श्रीलंका सरकार की इस घोर अलोकतांत्रिक कार्रवाई की निन्दा की जानी चाहिए तथा इन प्रतिबंधों को हटाने के लिए कदम उठाये जाने चाहिए ताकि वहां की वास्तविक स्थिति के बारे में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रिपोर्ट प्राप्त की जा सकें।
भारत सरकार मानवीय आधार पर उदारतापूर्वक सभी प्रकार की सहायता दे रही है। हम भारत सरकार से अपील करते हैं कि वह एक भारतीय एजेंसी का गठन करें जो पुनर्वास कार्यक्रमों पर नजर रखेगी और उसमें हिस्सा लेगी तथा एक समय सीमा में स्थायी राजनीतिक समाधान के लिए काम करेगी।
चूंकि वे न तो श्रीलंका वापस जाने की स्थिति में हैं और न ही उन्हें भारतीय नागरिक माना जा रहा है, इसलिए वे एक कैप्टिव की जिंदगी जी रहे हैं, जिसका शीघ्र समाधान होना जरूरी है।
तमिलनाडु में रहने वाले शरणार्थियों को यह विकल्प देना चाहिए कि या तो वे श्रीलंका वापस चले जाएं या उन्हें भारत की नागरिकता दी जाए।
यद्यपि श्रीलंका सरकार ने घोषणा की है कि आतंकवाद के खिलाफ उनकी लड़ाई 17 मई 2009 को सफलतापूर्वक खत्म हो गयी, पर विस्थापित तमिल लोगों को, जिनकी संख्या साढ़े चार लाख है, एक साल से भी अधिक समय से विभिन्न शिविरों में कैप्टिव बनाकर रखा जा रहा है। यह मानवाधिकार उल्लंघन का स्पष्ट मामला है। इसलिए भारत सरकार की श्रीलंका सरकार से कहना चाहिए कि वह शिविरों को समाप्त करे तथा तमिल नागरिकों को अपनी पसंद की जगहों में वापस जाने देना चाहिए।
श्रीलंका सरकार ने अपने देश में लगभग सभी पिं्रट एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया को बन्द कर दिया है। इसलिए लोगों को कुछ पता नहीं चल रहा है कि श्रीलंका में क्या हो रहा है यहां तक कि दूरदर्शन को भी श्रीलंका में काम करने की इजाजत नहीं हैं। श्रीलंका सरकार की इस घोर अलोकतांत्रिक कार्रवाई की निन्दा की जानी चाहिए तथा इन प्रतिबंधों को हटाने के लिए कदम उठाये जाने चाहिए ताकि वहां की वास्तविक स्थिति के बारे में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रिपोर्ट प्राप्त की जा सकें।
भारत सरकार मानवीय आधार पर उदारतापूर्वक सभी प्रकार की सहायता दे रही है। हम भारत सरकार से अपील करते हैं कि वह एक भारतीय एजेंसी का गठन करें जो पुनर्वास कार्यक्रमों पर नजर रखेगी और उसमें हिस्सा लेगी तथा एक समय सीमा में स्थायी राजनीतिक समाधान के लिए काम करेगी।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
मेरी ब्लॉग सूची
-
CUT IN PETROL-DIESEL PRICES TOO LATE, TOO LITTLE: CPI - *The National Secretariat of the Communist Party of India condemns the negligibly small cut in the price of petrol and diesel:* The National Secretariat of...1 वर्ष पहले
-
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का चुनाव घोषणा पत्र - विधान सभा चुनाव 2017 - *भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का चुनाव घोषणा पत्र* *- विधान सभा चुनाव 2017* देश के सबसे बड़े राज्य - उत्तर प्रदेश में राज्य सरकार के गठन के लिए 17वीं विधान सभा क...2 वर्ष पहले
-
No to NEP, Employment for All By C. Adhikesavan - *NEW DELHI:* The students and youth March to Parliament on November 22 has broken the myth of some of the critiques that the Left Parties and their mass or...3 वर्ष पहले

लोकप्रिय पोस्ट
-
लखनऊ- उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की पीसीएस(प्री) परीक्षा का परचा लीक होने, और उससे संबंधित मांगों पर आन्दोलन कर रहे अभ्यर्थियों को इलाहाबाद...
-
हाल ही में लखनऊ की दो घटनायें काबिले गौर हैं- प्रथम- अपनी लखनऊ यात्रा के दौरान श्री मोदी जब हजरतगंज से गुजर रहे थे तो हैदराबाद के दलित छात्...
-
प्रकाशनार्थ उन्नाव के उद्वेलित किसानों से वार्ता करे सरकार अपने ही लोगों से लाठी- गोली से निपटना अनुचित और निंदनीय लखनऊ- 18 नवंबर 2...
-
लखनऊ-१९ जून २०१५. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत् नियामक आयोग द्वारा प्रदेश में एक साथ विद्युत् ...
-
लखनऊ- 1 अक्तूबर, 2015- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव मंडल ने भारतीय जनता पार्टी और आर.एस.एस. पर आरोप लगाया है कि वे अ...
-
लखनऊ 16 मई। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने राज्य सचिव मंडल ने एक महीने में तीसरी बार पेट्रोल और डीजल के दामों में हुई बेतहाशा वृद्धि को आम ...
-
CPI General Secretary Com. Survaram Sudhakar Reddy's open letter to Mr Narendra Modi, Prime MinisterNew Delhi 29 th May 2015 To, Shri Narendra Modi Hon’ble Prime Minister Government of India ...
-
मौसम की मार से बर्वाद किसानों की केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा की जा रही अनदेखी निंदनीय भाकपा ने किसानों के समर्थन में आन्दोलन चलाने का ...
-
फुकुषिमा के परमाणु विध्वंस से ये साफ हो गया है कि चाहे परमाणु संयंत्रों की सुरक्षा का कितना भी दावा किया जाए, वो पूरी तरह सुरक्षित नहीं कहे...
-
लखनऊ 16 मार्च। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राज्य कौंसिल की दो दिवसीय बैठक आज यहां सम्पन्न हुई। बैठक की अध्यक्षता सेवानिवृत्त अपर जिलाधिक...

0 comments:
एक टिप्पणी भेजें