भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का प्रकाशन पार्टी जीवन पाक्षिक वार्षिक मूल्य : 70 रुपये; त्रैवार्षिक : 200 रुपये; आजीवन 1200 रुपये पार्टी के सभी सदस्यों, शुभचिंतको से अनुरोध है कि पार्टी जीवन का सदस्य अवश्य बने संपादक: डॉक्टर गिरीश; कार्यकारी संपादक: प्रदीप तिवारी

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बुधवार, 2 फ़रवरी 2011

बुनकरों एवं आम जनता की समस्याओं पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी एवं बुनकर फेडरेशन द्वारा लखनऊ में रैली एवं धरना

लखनऊ 2 फरवरी। बुनकरों की ज्वलन्त समस्याओं, महंगाई एवं भ्रष्टाचार के खिलाफ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के कैसरबाग स्थित राज्य कार्यालय से पूरे प्रदेश से आये हजारों बुनकरों तथा पार्टी कार्यकर्ताओं ने गगनभेदी नारे लगाते हुए जुलूस निकाला जो बारादरी, जयशंकर प्रसाद सभागार, परिवर्तन चौक, छतर मंजिल, स्वास्थ्य भवन, आईटीआरसी, शहीद स्मारक, मेडिकल कालेज, ईमामबाड़ा होते हुए चौक स्थित ज्योतिर्बाफूले पार्क पहुंच कर महाधरने में बदल गया।

  
धरने पर बैठे प्रदर्शनकारियों को सम्बोधित करते हुए भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि केन्द्रीय स्तर पर एक के बाद एक हो रहे घोटालों, पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में बार-बार इजाफा करने, जमाखोरी-कालाबाजारी पर अंकुश न लगाने तथा वायदा कारोबार को प्रश्रय देने के कारण दिन दूनी रात चौगुनी गति से बढ़ती महंगाई ने आम आदमी का जीना मुश्किल कर रखा है तो दूसरी ओर उत्तर प्रदेश की मायावती सरकार सरकारी एवं सहकारी चीनी मिलों तथा सार्वजनिक क्षेत्र की कीमती परिसम्पत्तियों को सरमायेदारों को औने-पौने दामों पर बेचने में मशगूल हैं। खाद्यान्न घोटाला अभी भी जारी है, बुनकरों, नरेगा मजदूरों, बीड़ी मजदूरों, खेत मजदूरों तथा अन्य असंगठित मजदूरों को उनके जायज हकों से वंचित किया जा रहा है। किसान आत्महत्या कर रहे हैं। पूरे प्रदेश की जनता त्राहि-त्राहि कर रही है। विरोध प्रदर्शन करने वालों से लाठी-गोली से निपटा जाता है।

 

 प्रदर्शनकारियों को सम्बोधित करते हुए भाकपा राज्य सचिव ने कहा कि प्रदेश में अराजकता का खुला नाच हो रहा है। दलितों, महिलाओं खासकर अबोध बालिकाओं से बलात्कार हो रहे हैं। कई की बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई। राजधानी तक में महिलायें एवं आम नागरिक सुरक्षित नहीं हैं। अराजकता और अत्याचार का खेल शासक दल बसपा के विधायकों-मंत्रियों की छत्र-छाया में चल रहा है। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं और बुनकर फेडरेशन के सदस्यों का आह्वान किया कि वे धरने से लौट कर 3 फरवरी से 9 फरवरी तक अन्य वामपंथी पार्टियों तथा लोकदल एवं जनता दल सेक्यूलर के साथ मिलकर महंगाई के खिलाफ जगह-जगह पर व्यापक विरोध प्रदर्शनों को आयोजित करें तथा जन-लामबंदी कर 9 फरवरी को जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन करें।

 

 भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश ने जोर देकर कहा कि अपने कारनामों से कांग्रेस, भाजपा, बसपा एवं सपा आदि सारी की सारी पूंजीवादी पार्टियां दागदार साबित हो रही हैं, अतएव देश एवं प्रदेश की राजनीति को वामपंथी मोड़ देने की जरूरत है। भाकपा कार्यकर्ता इसके लिए आन्दोलन और संघर्ष की झड़ी लगा दें।

 

 प्रदर्शनकारियों को सम्बोधित करते हुए भाकपा के राष्ट्रीय सचिव अतुल कुमार अनजान ने कहा कि देश में और उत्तर प्रदेश में महाभ्रष्ट सरकारें काम कर रही हैं। प्रधानमंत्री संसद में कुछ कहते हैं और संसद के बाहर कुछ और। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश और उत्तर प्रदेश बुनकर फेडरेशन ने जिस लड़ाई की शुरूआत की है, वह इसके लिए बधाई की पात्र हैं। इन संघर्षों को आगे भी जारी रखना होगा।

 

 प्रदर्शनकारियों को सम्बोधित करते हुए बुनकर फेडरेशन के महामंत्री तथा भाकपा के राज्य सचिव मंडल के सदस्य इम्तियाज अहमद, पूर्व विधायक ने कहा कि देश में बनने वाले 100 मीटर में से 60 मीटर कपड़ा बुनने वाले बुनकर आज भुखमरी की कगार पर हैं। उनकी रोजी-रोटी छीन ली गयी है। लागत भी न निकल पाने के कारण बुनकरों के परिवार अपने रिहायशी क्षेत्रों से पलायन करने को मजबूर हैं और अपने परम्परागत कुशल कारीगरी के काम को छोड़कर अकुशल कार्यों को करने पर मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि पहले यू.पी. हैण्डलूम कारपोरेशन के माध्यम से बुनकरों के हितों की रक्षा राज्य सरकार करती थी परन्तु मुलायम सिंह की सरकार के समय से इन परियोजनाओं को चलाना बन्द कर दिया गया और मायावती ने तो अपने शासन काल में यू.पी. हैण्डलूम कारपोरेशन की तमाम परिसम्पत्तियों को बेच दिया तथा कर्मचारियों की छंटनी कर दी। उन्होंने मांग की कि राम सहाय आयोग की संस्तुतियों को शीघ्र लागू किया जाये, बुनकरों को सभी तरह के धागों को कम कीमत पर सीधे मुहैया कराया जाये, बुनकरों को 4 प्रतिशत ब्याज पर कर्ज मुहैया कराया जाये, बुनकरों द्वारा तैयार माल की खपत के लिए उस पर अनुदान दिया जाये, उत्तर प्रदेश हैण्डलूम कारपोरेशन को विशेष पैकेज देकर बुनकरों के हितों की तमाम परियोजनायें चालू कराई जायें।

 

 प्रदर्शनकारियों को सम्बोधित करने वाले अन्य प्रमुख वक्ता थे - भाकपा की राज्य मंत्रिपरिषद के सदस्य अशोक मिश्र एवं विश्वनाथ शास्त्री, भाकपा की राष्ट्रीय परिषद के सदस्य अरविन्द राज स्वरूप, महिला फेडरेशन की प्रदेश महामंत्री आशा मिश्रा, खेत मजदूर यूनियन के प्रांतीय अध्यक्ष सुरेन्द्र राम, किसान सभा के महामंत्री राम प्रताप त्रिपाठी, नौजवान सभा के प्रदेश संयोजक नीरज यादव आदि।

 

 प्रदर्शनकारियों की ओर से सिटी मजिस्ट्रेट को राष्ट्रपति एवं राज्यपाल को सम्बोधित ज्ञापन भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश तथा बुनकर फेडरेशन के इम्तियाज अहमद एवं एहतेशाम मिर्जा ने दिये। ज्ञापन में मांग की गयी है कि:

 

 बुनकरों की स्थिति को सुधारने हेतु प्राथमिकता के आधार पर सभी तरह के धागों - सूती, रेशमी एवं सिंथेटिक तथा अन्य की बढ़ती कीमतोें पर रोक लगाई जाए।
  • सरकारी डिपो खोल कर सूत की आपूर्ति सीधे बुनकरों को की जाए।
  • बुनकरों को बैंकों एवं अन्य संस्थाओं से 4 प्रतिशत ब्याज और आसान शर्तों पर कर्ज दिलाया जाये।
  • उत्तर प्रदेश हैण्डलूम कार्पोरेशन को विशेष आर्थिक पैकेज देकर बुनकरों के हितों की तमाम परियोजनायें चालू की जायें।
  • पावर लूमों को कम से कम 20 घंटे बिजली आपूर्ति की जाये; ऐसी व्यवस्था की जाए कि उन पर कम से कम बिजली भाड़ा पड़े। बुनकरों के बिजली के पिछले सभी बकायों को माफ किया जाये।
  • बुनकरों द्वारा तैयार माल की खपत के लिये उस पर अनुदान दिया जाये।
  • बुनकरों को बीपीएल राशन कार्ड जारी किया जाए, उनके परिवारों को निःशुल्क स्वास्थ्य सेवायें, शिक्षा एवं आवास तथा वृद्धावस्था पेंशन आदि उपलब्ध कराया जाएं।
  • बुनकरों के कल्याणार्थ राम सहाय आयोग की संस्तुतियों को लागू किया जाए।
  • निरन्तर बढ़ती महंगाई पर रोक लगाने के लिए प्रभावी कार्यवाही की जाए।
  • घोटालों और भ्रष्टाचार पर रोक लगाई जाये और उसमें लिप्त व्यक्तियों को सजा दिलवाई जाए। उनके विरूद्ध मुकदमा चलाने के लिए विशेष अदालतों का गठन किया जाए ताकि न्याय प्रक्रिया में विलम्ब न हो।
  • नरेगा मजदूरों, बीड़ी मजदूरों, खेत मजदूरों, असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के हकों की सुरक्षा की जाए।
  • उत्तर प्रदेश में सार्वजनिक क्षेत्र की बर्बादी को रोका जाए। उदाहरण के तौर पर प्रदेश में चीनी मिलों को औने-पौने दामों पर बेच दिया गया है, इसी तरह से विद्युत एवं अन्य बहुत से सार्वजनिक प्रतिष्ठानों के साथ भी ऐसा ही किया जा रहा है।
  • सुनिश्चित किया जाए कि जनता को दिये जाने वाले खाद्यान्न में किसी प्रकार की चोर-बाजारी अथवा घोटाला न हो।
  • किसानों की उपजाऊ जमीन को छीन कर पूंजीपतियों को सौंपने की सारी कार्यवाही रोकी जाये तथा किसानों की समस्याओं को प्रभावी ढंग से हल किया जाये।
  • प्रदेश में निरन्तर बिगड़ती एवं चिन्ताजनक कानून व्यवस्था पर प्रभावी कार्यवाही की जाये। दलितों, महिलाओं और विशेषकर दलित महिलाओं पर अत्याचार, दुराचार एवं बलात्कारों की बाढ़ सी आ गयी है। आम नागरिकों में असुरक्षा की भावना पैदा हो गई है। इन अपराधों में शासक पार्टी के प्रतिनिधियों के शामिल होने से जनता असहाय स्थिति में है। प्रभावी कदम उठाकर इस सबको तत्काल रोका जाए।
  • राज्य सरकार द्वारा नगर निकायों के अध्यक्षों के चुनावों को अप्रत्यक्ष रूप से और उन्हें गैर दलीय आधार पर कराने के फैसले जनतांत्रिक व्यवस्था को तो नुकसान पहुंचायेगी ही अपितु इस प्रक्रिया से भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा मिलेगा। इस संभावित प्रक्रिया को निरस्त किया जाये। नगर निकायों के चुनाव दलीय आधार पर ही कराये जायें।
  • चुनाव सुधारों पर समाज में व्यापक चर्चा हो। वोटरों में जागरूकता-अभियान चले तथा अपराधियों को चुनाव प्रक्रिया से ही वंचित कर दिया जाए। जो राजनैतिक दल अपराधियों को प्रत्याशी बनायें, उन पार्टियों की मान्यता रद्द कर दी जाए और उन्हें चुनाव लड़ाने से वंचित कर दिया जाए। चुनाव आयोग की स्वतंत्र प्रशासनिक मशीनरी एवं सुरक्षा बल गठित हों तथा चुनाव खर्च सरकार वहन करे।

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