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मंगलवार, 26 अप्रैल 2011

हरियाणा - जनता के हर तबके में व्यापक असंतोष


पिछले दिनों में हरियाणा में जाटो को पिछड़ा वर्ग में शामिल करने की मांग को लेकर व्यापक आंदोलन चलाया गया। राज्य में जींद, नरवाना, उकलाना, पानीपत आदि कई जगहों पर रेलवे ट्रैक पर जाट जाति के लोगांे-बच्चो, बूढ़ो, महिलाओं, युवको ने लगभग 18 दिन तक कब्जा करके रखा। रेलवे लाईन पर शामियाना लगाकर रात दिन धरना लगाया गया। परिणाम स्वरुप राज्य में रेलवे मार्ग बाकायदा अवरुद्ध हो गया। हाईकोर्ट द्वारा आंदोलनकारियों से रेलवे ट्रैक खाली करवाने के आदेश के बाद राज्य में एक पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया गया। सरकार के इस कदम से उत्साहित होकर राज्य में ब्राहमण, त्यागी, रोड, राजपूत, पंजाबी आदि जातियों ने भी छिट-फुट बैठकों का सिलसिला शुरु कर दिया है और आरक्षण को लेकर यें जातियां भी आंदोलन की दिशा में बढ़ने की तैयारी में हैं। दूसरी और पिछड़ी जातियों में 27 प्रतिशत आरक्षण बचाने की मुहिम शुरु हो गई है, पिछड़ा वर्ग के लोग भी किसी अन्य जाति को पिछड़ा वर्ग में शामिल नही करने की मांग को लेकर आंदोलन चलाने की चर्चा करने लगे हैं। इसके अलावा राज्य में मिर्चपुर कांड भी सुर्खियों मे रहा जहां पिछले वर्ष उच्च जाति की भीड़ ने बदले की भावना से दलित बस्ती में आग लगा दी थी जिसमें ताराचंद बाल्मिकी व उसकी विकलांग युवा लड़की की जलने से मौत हो गई थी और बाल्मिकी जाति के 50 के करीब घर जल गये थे। मिर्चपुर कांड की सुनवाई के लिये यह मुकदमा दिल्ली (रोहिणी) की अदालत में स्थानांतरित कर देने के विरोध में उच्च जाति के लोगो ने व्यापक आंदोलन चलाया जबकि अधिकतर पीड़ित दलित अभी भी हिसार के तवंर फार्म में शरण लिये हुए है और दलितों की पैरवी कर रहे एक वकील को भी पैरवी छोडने की धमकी दी जा रही है।

पिछले एक साल से राज्य के फतेहाबाद जिले में गोरखपुर गांव के पास परमाणु बिजली संयत्र लगाने के विरोध में किसान फतेहाबाद जिला मुख्यालय पर धरना लगा रहे है । गत दिनों जापान में आये भंयकर भूंकप एवं सुनामी से फुकुशिमा परमाणु संयत्र के नष्ट होने और उसके बाद फैलने वाले विकिरण से हुए नुकसान से इस आंदोलन को बल मिला है। फतेहाबाद में आंदोलनकारी किसानों के हौंसले बुलंद है। इसके साथ ही सिरसा, फरीदाबाद, सोनीपत आदि जिलों में भी उपजाऊ कृषि भूमि के अधिग्रहण के विरोध में किसान आंदोलन चला रहे है।

राज्य में कर्मचारी संगठन भी अपनी मांगों के लिये लगातार आवाज उठाते आ रहे है, वर्ष के शुरु में हरियाणा कर्मचारी महासंघ के प्रांतीय प्रधान एवं महासचिव क्रमशः रमेश शर्मा एवं बीरसिंह ने अपनी मांगों को लेकर जींद में आमरण अनशन शुरु किया था। परिणाम स्वरुप सरकार को मांगांे पर सहानुभूति पूर्वक विचार करने का आश्वासन देना पड़ा, लेकिन सरकार इन मांगों पर अमल करने बजाएं जनसेवा के विभागों में पब्लिक प्राईवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) लागू कर रही है, रोडवेज में नई बसें शामिल करने के बजाए निजी बसों के लिए परमिट देने का राग अलाप रही है । स्कूली शिक्षा को बेहतर बनाने की दिशा में ठोस कदम नही उठाया जा रहा, अध्यापकों की भर्ती नही की जा रही। दूसरे विभागों में खाली पड़े पदो की भर्ती पर एक तरह से अघोषित प्रतिबंध लगाया हुआ है।

बीपीएल परिवारों एवं आर्थिक रुप से पिछड़े वर्ग के गरीब लोगों को रिहायशी प्लाट देने की योजना 2008 से अभी तक पूरी नही हो सकी है। अभी तक 10 प्रतिशत जरुरतमंद लोगों को भी प्लाट नही दिये जा सके हैं। इस सवाल पर ग्रामीण गरीबों में चर्चा होनी शुरु हो गई है कि क्या उन्हें 100-100 वर्ग गज के प्लाट मिल सकेंगें? देर सबेर इस सवाल पर भी लोगो को लामबंद होना होगा। इसके अलावा राज्य के बहुत सारे गांव में शामलात जमीन पर बसे दलित, पिछड़े परिवारो को उजाड़ने का काम भी पिछले अरसे में तेज हुआ है जहां उच्च जातियों के दबंग लोगों के साथ-साथ सरंपच भी स्वयं जेसीबी से बने बनाये घरों को उजाड़ रहे हैं, कई जगहो पर खेत मजदूर यूनियन के कार्यकर्ताओं, कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं के हस्तक्षेप के चलते और लगातार आंदोलन के कारण बेघर लोगो को पुनः बसाया जा सका है लेकिन कई जगहों पर संघर्ष जारी है। ग्रामीण गरीबों की अन्य योजनाओं में भ्रष्टाचार व्यापक रुप धारण कर चुका है चाहे इन्दिरा आवास योजना हो या कन्यादान योजना हो सभी जगह सुविधा शुल्क के बिना फाईल आगे नही बढ़ती। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून के तहत ग्रामिणो को सभी जगह काम की बात तो दूर सभी जरुरत मंदो का पंजीकरण तक नही हुआ है, जहां जाब कार्ड के बाद काम मिला है उन्हें महीनांे तक काम के पैसे नही मिलते।

राज्य में औद्योगिक श्रमिको में भी बैचेनी बढ़ रही है, महंगाई एवं मंदी का बहाना बना कर प्रबंधक श्रमिकांे की छंटनी कर रहे हैं । दूसरी तरफ श्रमिकों पर काम का बोझ भी बढ़ा दिया गया है। श्रम कानूनों पर पालना नही हो रही, बहुमत में श्रमिकांे के नाम हाजरी रजिस्टर में नही लिखे जाते, राज्य में यूनियनों के पंजीकरण भी नही हो रहे।

किसानों ने बहुत मेहनत करके गेहूं का उत्पादन किया है लेकिन मंडियों में गेहूं की बेकद्री चिन्ता का विषय बना हुआ है। गेहूं का समय पर उठान ना होने के कारण किसानों को कई-कई दिन मंडियों में रहना पड़ रहा है। बेमौसमी बारिश के कारण किसानों का काफी नुकसान हुआ है यह नुकसान गेहंू के साथ-साथ सब्जियों की फसल में भी हुआ है जिसकी भरपाई करना भी सरकार के पाले में है हालांकि राज्य सरकार ने स्पेशल गिरदावरी कराने का आदेश दे दिया है लेकिन गिरदावरी ठीक हो यह सवाल मुख्य है। किसानों को गेहूँ की बुआई के समय बीज एवं डी.ए.पी. खाद के संकट का मुकाबला करना पड़ा था। अब नरमा (कपास) का बीज नदारद है। आलम यह है कि नरमे बीज का जहंा 825 रुपये प्रति पैकेट है उसे 1000 रुपये प्रति पैकेट तक बेचा जा रहा है और 1000 रुपये पैकेट वाला बीज 1500 रुपये तक बेचा जा रहा है। इसके बावजूद किसानों को बीज मिल नही रहा है। गत दिवस टोहाना मे तो थाने में पुलिस की देख रेख में किसानो को नरमा का बीज लाईन में लग कर लेना पड़ा हांलांकि बहुत सारे किसान बीज से वंचित रह गये हैं। किसानों को नहरी पानी एंव बिजली आपूर्ति की समस्या से जूझना पड़ रहा है।

हरियाणा में कानून व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। राज्य में एक परिवार के 7-7 सदस्यो के कत्ल हो रहे हैं। दो-दो विधवा महिलाओं को लोगो के सामने जमानत पर आया एक बलात्कारी डंडो से पीटकर मार रहा है। रेवाडी में एक युवक के अपहरण के बाद हत्या हो गई, पानीपत के एक बच्चे का दो वर्ष से सुराग नही लग रहा। चौरी, डकैती, अपहरण, महिलाओं के साथ छेड़-छाड़, यौन शोषण लगातार बढ़ रहा है। राज्य में अलग से हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की मांग को लेकर भी आंदोलन चल रहा है, इस आंदोलन को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने भी समर्थन दिया है। लेकिन चिन्ता की बात है कि 18 अप्रैल को हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की युवा विंग के प्रदेशाध्यक्ष कवलजीत सिंह अजराना ने कुरुक्षेत्र में एक पत्रकार सम्मेलन में जरनैल सिंह भिंडरावाला को शहीद का दर्जा देते हुए कहा कि आज सिख पंथ को अनेकों भिंडरावालों की आवश्यकता है। इस ब्यान से लगता है कि राज्य में पुनः हिन्दु-सिख रिश्तो में खटास पैदा न हो जाए। ऐसे हालात में राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी इन सवालो को नही उठा रही दूसरी पार्टी के मुखिया खेतो में जाकर गेहूं काट रहे है। कहने का तात्पर्य है कि वे समझते है कि जनता के आक्रोश का लाभ अन्ततः उन्हे ही मिलेगा जबकि पूर्व में इनके शासन के दौरान भी राज्य की जनता को इनसे किसी प्रकार की राहत नही मिली थी। इसलिये जनता के हर तबके में पनत रहे आक्रोश को हमे समझना होगा तथा अन्य वाम जनवादी ताकतो को साथ लेकर व्यापक अभियान चलाना होगा। किसान सभा, खेत मजदूर यूनियन, नोजवान सभा, एटक सहित तमाम संगठनो को सक्रिय होकर इन समस्याओं पर वर्गीय आधार पर जनता को लामबंद करने के लिए समय रहते ठोस कदम उठाने चाहिए।

- दरियाव सिंह कश्यप

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