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गुरुवार, 17 नवंबर 2011

भारतीय खेत मजदूर यूनियन का राष्ट्रीय सम्मेलन सम्पन्न

कुरूक्षेत्र 16 अक्टूबर। भारतीय खेत मजदूर यूनियन के 12वें राष्ट्रीय अधिवेशन को आज सम्बोधित करते हुए भाकपा महासचिव का. ए. बी. बर्धन ने प्रतिनिधियों को आगाह किया कि बिना संगठन के कोई भी आंदोलन सफल नही होता। जब तक खेत मजदूरों का मजबूत संगठन नहीं होगा और लोगों को उसमें एक ताकत नजर नही आयेगी तब तक उनकी बातों को कोई नही सुनेगा। उन्होने पूरे देश से आये प्रतिनिधियों का आह्वान किया कि अपने-अपने क्षेत्रों में जाकर यूनियन को मजबूत करने के लिये गांव-गांव में कमेटियों का गठन करें और खेत मजदूरों में वर्गीय चेतना पैदा करते हुए निचले स्तर पर आंदोलन को संगठित करें। उन्होंने आह्वान किया कि यूनियन की सदस्यता को बढ़ा कर दो गुना किया जाये।
देश में किसानों-मजदूरों के हालात लगातार खराब होते जाने के तथ्य का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य सरकारें किसानों की बेशकीमती जमीनों का अधिग्रहण करके बड़े-बड़े सरमायेदारों को सेज़ आदि के नाम पर दे रही हैं, जिसके चलते किसानों को भी खेत मजदूरों की कतारो में शामिल होना पड़ रहा है। उन्होने कहा कि देश में खेत मजदूरों के पास रहने के लिए आवास की जगह नही है, मनरेगा में आकंठ भ्रष्टाचार है, खेत मजदूरों के लिए कोई कानून नही है, इन सब मांगों को लेकर खेत मजदूरों को अपनी आवाज बुलन्द करते हुए व्यापक तथा अनवरत संघर्ष चलाना होगा।
संप्रग सरकार को घपलों-घोटालों की सरकार बताते हुए उन्होंने कहा कि उसके कई मंत्री आज जेल में हैं लेकिन प्रधानमंत्री बड़ी बेशर्मी से विकास का राग अलापे जा रहे है और स्वंय को भष्ट्राचार के मामले में पाक-साफ बताते हुए नही थकते। संप्रग-1 सरकार के दौरान जहां महंगाई पर काफी हद तक नियंत्रण रहा तो वामपंथ के कमजोर होने के कारण संप्रग-2 सरकार ने महंगाई के सारे रिकार्ड तोड़ दिये। उन्होंने कहा कि विपक्षी दल भाजपा के मुख्यमंत्री तक जेल में बंद है और कई अन्य नेता जेल की हवा खा रहे है। कंाग्रेस-भाजपा की आर्थिक नीतियों को एक बताते हुए उन्होंने कहा कि भूमंडलीकरण-उदारीकरण-निजीकरण की आर्थिक  नीतियों पर अमल के चलते आज कारर्पोरेट घराने और बड़े पूंजीपति लोगों की मेहनत को लूट कर बेहिसाब सम्पति के मालिक बन बैठे हैं। उन्होंने आगाह किया कि भ्रष्टाचार रोकने के लिये केवल कानून बनाने से काम नहीं चलेगा बल्कि सरकार की नव उदारवादी नीतियों को पलटना पड़ेगा। सम्मेलन को भाकपा की ओर से शुभकामनायें देते हुए का. बर्धन ने खेत मजदूरों के आन्दोलन को पार्टी की ओर से पूर्ण रुप से मदद करने का आश्वासन भी दिया।
उनके कुरुक्षेत्र पहुंचने पर सैंकड़ो लाल झंडे लगी मोटर साईकलों पर सवार नौजवानों ने जी.टी. रोड़ पीपली पर कामरेड बर्धन का गगनभेदी नारों से अभिनन्द किया गया और ढ़ोल-नगाड़ो तथा नारों के साथ जलूस की शक्ल में उन्हें सम्मेलन स्थल (भान सिंह भौरा नगर) लाये जहां प्रतिनिधियों ने खड़े होकर उनका अभिनन्दन किया। का. अजय चक्रवर्ती, का. नागेन्द्र नाथ ओझा सहित बीकेएमयू के नेतागण उन्हें मंच पर लाए।
बीकेएमयू के राष्ट्रीय सम्मेलन के पूर्व कामरेड अनन्त राम मैदान (थीम पार्क) में यूनियन के प्रदेष अध्यक्ष जिले सिंह पाल की अध्यक्षता में आयोजित अधिकार रैली का संचालन यूनियन के राज्य महासचिव दरियाव सिंह कश्यप ने किया। सभा में हरियाणा के विभिन्न जिलों के अलावा पंजाब के पटियाला से हजारों की संख्या में खेत मजदूरों ने भाग लिया।
भाकपा की राष्ट्रीय परिषद की सचिव का. अमरजीत कौर ने विशाल सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि मंहगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार ने जीवन को नरक बना दिया है। आज मजदूरों खासकर खेत मजदूरों के लिए न आवास की जगह है न दवाई और शिक्षा का कोई प्रबन्ध है। दूसरी ओर धनकुबेरों के धन का कोई अंदाजा नहीं लगा सकता, एक-एक धनपति के पास 26-26 मंजिले मकान हैं, उनकी दैनिक आमदनी लाखों करोड़ो में है। भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे अपने तमाम मंत्रियों के बीच खड़े मनमोहन सिंह स्वयं को बार-बार पाक साफ कहते नहीं थकते। उन्होंने राष्ट्रीय व अर्न्तराष्ट्रीय घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि पूंजीवाद के रहते दुनिया से आतंकवाद, भ्रष्टाचार और गरीबी नहीं मिट सकती। इसलिए मजदूरों, किसानों, कर्मचारियों को मिलकर पूंजीवाद व्यवस्था को ही समाप्त करके समाजवादी व्यवस्था कायम करनी होगी।
भाखेमयू के राष्ट्रीय महासचिव नागेन्द्र नाथ ओझा ने सभा को सम्बोधित करते हुए खेत मजदूरों के लिए चलाई जा रही तमाम योजनाओं के भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाने का जिक्र करते हुए कहा कि मनरेगा से कुछ आस थी लेकिन इस पर भी ईमानदारी से अमल नहीं हुआ और अन्य कानूनों की तरह यह भी दम तोड़ रहा है। उन्होंने कहा कि भाखेमयू का कुरूक्षेत्र में हो रहा 12वां सम्मेलन खेत मजदूरों के आन्दोलन में मील का पत्थर सबित होगा।
सभा को यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद अजय चक्रवर्ती, पंजाब खेत मजदूर सभा के महासचिव गुलजार सिंह गोरिया, भाकपा राज्य सचिव रघुबीर सिंह चौधरी, भाकपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व विधायक डा. हरनाम सिंह, यूनियन की जनरल कौसिंल के सदस्य प्रेम सिंह आदि नेताओं ने सम्बोधित किया।
16 अक्टूबर को कामरेड भान सिंह भौरा नगर (पंजाबी धर्मशाला) में भाखेमयू का 12वां राष्ट्रीय महाधिवेषन पंजाब में आतंकवाद के दौर में आतंकवादियों से लड़ने वाले खेत मजदूर यूनियन के प्रसिद्ध नेता स्वर्ण ंिसंह नागो के द्वारा झण्डा फहराने के साथ विधिवत रूप से शुरू हुआ। सम्मेलन में देश भर से लगभग 600 प्रतिनिधि के साथ ही फ्रांस की ट्रेड यूनियन - ‘सीजीटी’ के राष्ट्रीय सचिव क्रस्टियन एल्यूम एवं ‘इन्टरनेशल ऑफ वर्करस इन एग्रीकल्चर’ के सचिव जूलियन हक भी शामिल हुए। दोनों विदेशों बिरादराना मेहमानों ने सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए खेत मजदूरों के आन्दोलन की सफलता की आकांक्षा व्यक्त की। सम्मेलन की अध्यक्षता अजय चक्रवर्ती, के. इस्माईल, जी. मल्लेष, एन. जतीश्वर, विश्वनाथ षास्त्री, दरियाव सिंह कश्यप, के. रत्नाकुमारी, गुलजार सिंह गौरिया के अध्यक्ष मण्डल ने की।
भाखेमयू के महासचिव नगेन्द्र नाथ ओझा ने रिपोर्ट का मसविदा पेश किया है। सम्मेलन के आरम्भ में भाखेमयू के राष्ट्रीय सचिव वी. एस. निर्मल ने आलोच्य अवधि में दिवंगत हुए सथियों के प्रति श्रद्धांजलि प्रस्ताव प्रस्तुत किया जिस पर सम्मेलन में शामिल प्रतिनिधियों ने दिवंगत साथियो को खड़े होकर मौन श्रृद्धांजलि दी।
सम्मेलन ने मनरेगा में भ्रष्टाचार दूर करने, 200 दिन काम देने और 200 रुपये प्रतिदिन की मजदूरी की दर रखने की मांग की। उदारीकरण, भूमंडलीकरण और निजीकरण की नीतियों को मंहगाई का जिम्मेदार बताते हुए सम्मेलन ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली को मजबूत कर उसे सार्वभौमिक बनाने की मांग की। भूमिहीनों को बीपीएल में शामिल कर 1 रुपये की दर से पर्याप्त मात्रा में खाद्यान्न मुहैया कराने तथा भोजन और पोषण के अधिकार को बुनियादी अधिकार घोषित करने की मांग की गयी। एक अन्य प्रस्ताव में दलितों व महिलाओं पर बढ़ रहे अत्याचारों पर गम्भीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा गया कि अनूसूचित जनजातियों के उत्थान के लिए संवैधानिक बचाव किया जाये और साथ ही अत्याचार निरोधक कानून 1989 और अनूसूचित जाति और अनूसूचित जनजाति आयोग, मानवाधिकार आयोग अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण आदि संस्थानों के कार्यों की समीक्षा के साथ-साथ अत्याचार निरोधक कानून पर सख्ती से अमल कर अपराधियों की सजा में वृद्धि करने की मांग की गयी। सम्मलेन में केन्द्र और राज्य सरकारों से मांग कि गई कि 55 वर्ष की उम्र से सभी खेत मजदूरों के लिए पेंशन कानून बनाकर 2000 रुपये मासिक पेंशन दी जाये।
महासचिव द्वारा पेश कार्यवाही रिपोर्ट पर धीरेन दास गुप्ता, रामकृष्ण पांडा, के. ई. हनीफा, मनोहर टकसाल, ए. राममूर्ति, जी मल्लेश विधायक, जे. विल्सन एमएलसी, देवी दीन यादव, संजीव राजपूत, ओपेन्द्र चौरसिया, विश्वनाथ शास्त्री, फूल चंद यादव, गुलजार सिंह गोरिया, स्वर्ण सिंह नागोके, दरियाव सिंह कश्यप, जिले सिंह आदि ने सकरात्मक विचार रखे और खेत मजदूरों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने के लिए मजबूत संगठन बनाने पर जोर दिया। चर्चा के बाद महासचिव के उत्तर देने के बाद रिपोर्ट को सर्वसम्मति से पारित किया गया। सम्मेलन ने ए. रामामूर्ति द्वारा पेश क्रेंडिशियल कमेटी की रिपोर्ट तथा वी. एस. निर्मल द्वारा पेश आय-व्यय की रिपोर्ट भी पारित की। अखिल भारतीय खेत मजदूर यूनियन के राष्ट्रीय सचिव सुनीत चोपड़ा ने सम्मेलन की सफलता की कामना की। महाधिवेशन को सम्बोधित करते हुए एटक की सचिव अमरजीत कौर ने कहा कि कांग्रेस-भाजपा आर्थिक नीतियों का गन्दा खेल चला रही हैं, जिससे देश भर में महंगाई और भ्रष्टाचार बढ़ रहा है। 8 नवम्बर को ट्रेड यूनियनों द्वारा जेल भरो-रास्ता रोका-रेल रोको अन्दोलन चलाया जायेगा। सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव अतुल कुमार अंजान ने केन्द्र और राज्य की कांग्रेस सरकार पर बरसते हुए कहा कि सरकार जनता पर कोढ़ की तरह चिपकी हुई है जिसे हटाने के लिए आंदोलन तेज करना होगा। भारतीय महिला फेडरेशन (एनएफआईडब्लू) की राष्ट्रीय महासचिव एनी राजा, अखिल भारतीय नौजवान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कामरेड कश्मीर सिंह गदईया, आल इंडिया स्टूडेन्ट्स फेडरेशन के केन्द्रीय वित सचिव एवं हरियाणा संयोजक रोशन लाल सुचान, हरियाणा बैंक इम्पलाइज फेडरेशन के महासचिव एन. पी. मुजंाल आदि नेताओं ने अपने-अपने संगठनों की ओर से सम्मेलन में शामिल प्रतिनिधियों का अभिनंदन करते हुए सम्मेलन की सफलता की कामना की।
सम्मेलन ने 131 सदस्यों की जनरल कौसिंल का चुनाव किया गया और 35 सदस्यों की केन्द्रीय कार्यकारिणी निर्वाचित करने के साथ-साथ के. ई. इस्माईल को अध्यक्ष, जी. मल्लेश, विश्वनाथ शास्त्री, सिद्दी वैंक्टश्वरलू, धीरेन दासगुप्ता एवं आर. मुथरसन को उपाध्यक्ष, नागेन्द्र नाथ ओझा को महासचिव, विजेन्द्र सिंह निर्मल, गुलजार सिंह गोरिया, जे. विल्सन, जानकी पासवान व सुरेन्द्र राम को सचिव एवं दरियाव सिंह कश्यप को कोषाध्यक्ष चुना गया।

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