भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का प्रकाशन पार्टी जीवन पाक्षिक वार्षिक मूल्य : 70 रुपये; त्रैवार्षिक : 200 रुपये; आजीवन 1200 रुपये पार्टी के सभी सदस्यों, शुभचिंतको से अनुरोध है कि पार्टी जीवन का सदस्य अवश्य बने संपादक: डॉक्टर गिरीश; कार्यकारी संपादक: प्रदीप तिवारी

About The Author

Communist Party of India, U.P. State Council

Get The Latest News

Sign up to receive latest news

फ़ॉलोअर

शुक्रवार, 14 मार्च 2014

भाकपा ने बनाई चुनावी अभियान चलाने की रणनीति.

लखनऊ- १४, मार्च २०१२- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की उत्तर प्रदेश राज्य काउन्सिल की दो दिवसीय बैठक आज यहाँ सम्पन्न होगयी. बैठक में भाकपा द्वारा लड़ी जारही ८ लोक सभा सीटों पर चुनाव की तैय्यारियों पर चर्चा की गई, इस हेतु जनता से चुनाव फंड एकत्रित करने का निर्णय लिया गया तथा इन सीटों पर शीघ्र से शीघ्र कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित करने का निर्णय लिया गया. साथ ही वामदलों के साथ अधिक से अधिक सहमति बनाने को सघन प्रयास करने का निर्णय भी लिया गया. बैठक में देश और प्रदेश के मौजूदा हालात पर चर्चा करते हुये पार्टी के राज्य सचिव डॉ. गिरीश ने कहा कि देश इस समय अभूतपूर्व राजनैतिक एवं आर्थिक संकटों से जूझ रहा है. केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा अपनायी जा रही नीतियों से आम जनता बेहद कठिनाइयों का सामना के रही है. जनता कमरतोड़ महंगाई, शासन- प्रशासन में दीमक की तरह घुस चुके भ्रष्टाचार, निरंतर बढ़ रही महंगाई, महंगे इलाज और महंगी पढ़ाई की मार से जूझ रही है. सत्ता में बैठे पूंजीवादी दलों से जनता आजिज आगयी है और वह उसका विकल्प चाहती है. जनता के गहरे आक्रोश को भांपते हुये ये पार्टियाँ उसको गुमराह करने को हर तरह के हथकंडे अपना रही हैं. कांग्रेस अपनी उपलब्धियों का झूठा ढिंढोरा पीट रही है. भाजपा फिर से अपने चिर परिचित सांप्रदायिक औजारों को पैना कर रही है. उसने मुजफ्फर नगर और उसके अगल-बगल के जिलों को साम्प्रदायिकता की प्रयोगशाला बनाया और सैकड़ों लोगों की हत्याएं वहां कराई गयीं. वे नारा देरहे हैं- उत्तर प्रदेश गुजरात बनेगा. वे गुजरात के विकास के फर्जी आंकड़े प्रस्तुत कर रहे हैं. डॉ. गिरीश ने कहा कि उत्तर प्रदेश में पिछले दो सालों में प्रदेश का राजनैतिक ढांचा पूरी तरह चरमरा गया और आम आदमी का जीवन दूभर होगया. यहाँ तक कि राज्य सरकार सांप्रदायिक वारदातों को रोकने के बजाय वोट की राजनीति करते नजर आयी. सूबे का मुख्य विपखी दल बसपा है जो कभी भी जनता के सवालों पर आवाज नहीं उठाता. वे वोट के लिए केवल और केवल जातीय समीकरण साधने में लगे रहते हैं. प्रदेश की जनता अपने जीवन से जुड़े कठिन सवालों का हल चाहती है लेकिन ये सारे दल मुद्दों से दूर भाग रहे हैं. उन्हाने कहाकि वह केवल वामपंथ है जो जनता के ज्वलंत सवालों महंगाई भ्रष्टाचार बेरोजगारी महंगी शिखा महंगे इलाज और किसान कामगारों की जिन्दगी में रोशनी लाने वाले सवालों पर निरंतर आवाज उठा रहा है और सांप्रदायिक और विभाजनकारी अन्य ताकतों को कड़ी चुनौती देता रहा है. हम इन्ही सवालों को लेकर चुनाव अभियान चलाएंगे.हम जनता से अपील करेंगे कि वह मुद्दों पर आधारित राजनीति को बल प्रदान करे और वामपंथी दलों को आगे बढ़ाये. उन्होंने भाकपा कार्यकर्ताओं और नेताओं से अपील की कि वे भाकपा प्रत्याशियों की सफलता के लिए पूरी ताकत से जुट जायें. बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि भाकपा को अपना चुनावी अभियान जनता के सहयोग से चलाना है माफिया दलाल और शोषकों के धन से नहीं. इसके लिए जनता के बीच जाकर चुनाव फंड एकत्रित करने का निर्णय भी लिया गया. बैठक में बुन्देलखण्ड पश्चिमी उत्तर प्रदेश मध्य उत्तर प्रदेश एवं पूर्वांचल में ओलों एवं वारिश से फसलों के हुये भारी नुकसान पर गहरी चिंता व्यक्त की गयी. एक प्रस्ताव पास कर राज्य सरकार और केंद्र सरकार से मांग की गयी कि वह फसलों की हानि की शत-प्रतिशत भरपाई तत्काल करे. निर्वाचन आयोग से भी मांग की गयी कि वह केंद्र और राज्य सरकार को किसानों को तत्काल आर्थिक पैकेज उपलब्ध कराने का निर्देश जारी करे. बैठक की अध्यक्षता अशोक मिश्र ने की. बैठक को पूर्व विधायक इम्तियाज़ अहमद, एटक के प्रांतीय अध्यक्ष एवं सचिव अर्विन्दराज स्वरूप व सदरुद्दीन राना, महिला फेडरेशन की महासचिव आशा मिश्रा आदि ने भी सम्बोधित किया. डॉ. गिरीश, राज्य सचिव

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें

Share |

लोकप्रिय पोस्ट

कुल पेज दृश्य