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बुधवार, 6 अप्रैल 2016

उत्तर प्रदेश में एआईएसएफ ने फूंका आंदोलन का बिगुल

लखनऊ- आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (A.I.S.F.) के तत्वावधान में जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार एवं एआईएसएफ के नेताओं को जान से मारने की धमकियों, देश भर में छात्रों खासकर कमजोर वर्ग के छात्रों के उत्पीडन के खिलाफ एवं छात्रों और शिक्षा से जुडे सवालों को लेकर आज समूचे उत्तर प्रदेश में धरने और प्रदर्शनों के आयोजन किये गये तथा महामहिम राष्ट्रपति एवं राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन जिला प्रशासन के अधिकारियों को सौंपे गये. पूरे प्रदेश में लगभग एक ही विषयवस्तु वाले ज्ञापन सौंपे गये. इन ज्ञापनों में कहा गया है कि जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार और छात्र संगठन- एआईएसएफ जो कि देश भर में छात्रों के ऊपर होरहे अत्याचारों और शिक्षा प्रणाली तथा शिक्षण संस्थाओं पर सरकार की ओर से हो रहे हमलों के विरोध में समूचे देश में चल रहे छात्र आंदोलनों की आशा की किरण साबित होरहे हैं, फासीवादी, सांप्रदायिक और जनतंत्र विरोधी ताकतों की आंखों की किरकिरी बन गये हैं. उत्तर प्रदेश में ऐसे ही तत्वों द्वारा कन्हैया कुमार तथा एआईएसएफ के दूसरे नेताओं को तमाम तरह की धमकियां दी जारही हैं. मेरठ के किसी अमित जानी नामक शख्स जिसने 2012 में लखनऊ में पूर्व मुख्यमंत्री सुश्री मायावती की प्रतिमायें तोडी थीं और उससे पहले श्री राहुल गांधी की सभा में व्यवधान उत्पन्न किया था, पहले अपने फेसबुक एकाउंट पर पोस्ट डाल कर धमकी दी थी कि यदि कन्हैया कुमार और उमर खालिद ने 31 मार्च तक जेएनयू परिसर को नहीं छोडा तो वह और उसका संगठन जेएनयू में घुस कर दोनों को गोली से उडा देंगे. उसने फेसबुक पर दोबारा धमकी दी है कि उसके लोग मय हथियारों के जेएनयू में पहुंच गये हैं, और वे कभी भी दोनों की हत्या कर देंगे. कुछ तत्वों ने एआईएसएफ के केंद्रीय पदाधिकारियों और कन्हैया कुमार को ट्विटर पर धमकी दी है कि यदि उन्होने उत्तर प्रदेश में प्रवेश किया तो उनका गला रेत दिया जायेगा. इससे पूर्व बदायूं के एक कुलदीप वार्ष्णेय नामक व्यक्ति ने खुले तौर पर धमकी दी थी कि कन्हैया की जीभ काटने वाले को पांच लाख रु. दिये जायेंगे. 18 फरवरी को एआईएसएफ व अन्य वामपंथी छात्र संगठनों के लोग जब बनारस हिन्दू विश्व विद्यालय के समीप कन्हैया कुमार की बिना शर्त रिहाई की मांग और कन्हैया कुमार व पत्रकारों पर पटियाला हाउस कोर्ट में भाजपा विधायक और उसके समर्थक वकीलों द्वारा किये गये शर्मनाक हमले के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे तो विद्यार्थी परिषद से जुडे लोगों ने आपत्तिजनक नारे लगाते हुये उन पर हमला बोल दिया. स्थानीय पुलिस ने हमलावरों को निकल जाने में मदद की और एआईएसएफ तथा अन्य वाम छात्र संगठनों के कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया. अब अलीगढ में कन्हैया कुमार के आगमन की चर्चा मात्र से बौखलाये विद्यार्थी परिषद के लोगों ने मीडिया के माध्यम से भडकावे और उकसाबेपूर्ण बयानबाजियां की हैं और वे खुले तौर पर कन्हैया कुमार और एआईएसएफ के नेताओं को देश द्रोही अथवा राष्ट्रद्रोही बतला रहे हैं जो कानूनन जुर्म है. विद्यार्थी परिषद को भय है कि कन्हैया कुमार और एआईएसएफ नेताओं के दौरों से छात्र समुदाय में उनके अधिकारों और समस्याओं के प्रति चेतना जाग्रत होगी और सरकारों की छात्र विरोधी एवं शिक्षा विरोधी कारगुजारियों का पर्दाफाश होगा. पूरे उत्तर प्रदेश में भाजपा समर्थक संगठन विद्यार्थी परिषद ने छात्र विरोधी अभियान छेड रखा है. वे अपनी दादागीरी से छात्रों के हित में संघर्ष करने वालों को प्रताडित कर रहे हैं तो राज्य सरकार उनकी अराजक कार्यवाहियों को रोकने से कतरा रही है. इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ की अध्यक्ष कु. ऋचा सिंह को इसलिये हठाने की कोशिश की जा रही है कि उन्होंने कुख्यात सांप्रदायिक भाजपा सांसद आदियनाथ को इलाहाबाद विश्व विद्यालय में प्रवेश नहीं करने दिया था. वाराणसी में भी कई विपक्षी छात्रों को विद्यार्थी परिषद के दबाव में उनकी संस्थाओं से निष्कासित कर दिया गया है. जगह जगह ग्रामीण पृष्ठभूमि से आये, दलितों, पिछडों, अल्पसंख्यकों, अन्य कमजोरों और पढाई- लिखाई से मतलब रखने वाले छात्रों को निशाना बनाया जारहा है. अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय और कई अन्य जगह रोहित वेमुला की जबरिया आत्महत्या का विरोध करने वाले छात्रों को डराया- धमकाया गया है. अब्दुल कलाम टैक्निकल यूनिवर्सिटी (AKTU) के छात्रों की बाजिव मांगों को पूरा करने के स्थान पर उन पर दमन चक्र चलाया जा रहा है. विद्यालयों और विश्वविद्यालय परिसरों में विद्यार्थी परिषद द्वारा छात्रों को धमका कर सदस्य बनाया जारहा है और उन्हें आरएसएस की शाखाओं में भाग लेने को बाध्य किया जारहा है. विद्यार्थी परिषद कभी भी छात्र हित की राजनीति नहीं करता अपितु वह छात्रों के बीच आर.एस.एस. की कुत्सित विचारधारा के आधार पर घृणित कार्यवाहियों को अंजाम देने का औजार मात्र है. ज्ञापन में कश्मीर के श्री नगर में एनआईटी छात्रों पर भाजपा/ पीडीपी गठबंधन की सरकार द्वारा किये गये लाठीचार्ज जिसमें कई छात्र बुरी तरह घायल हुये हैं, की कडे शब्दों में निंदा की गयी है. ये छात्र अपनी बुनियादी समस्याओं के समाधान की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे लेकिन मीडिया के कतिपय हिस्सों में इसे सांप्रदायिक घटना करार दिया जारहा है. सच तो यह है कि केंद्र और उसके प्रभाव वाली राज्य सरकारें छात्रों की समस्याओं का निदान करने से मुहं चुरा रही हैं और एक के बाद एक कैम्पस छात्र आंदोलन का गवाह बनता जा रहा है. खेद की बात है कि इन संगीन मामलों में न तो केंद्र सरकार ने कोई कदम उठाया है और न ही उत्तर प्रदेश की राज्य सरकार ने. शिक्षा के बजट में भारी कटौती की जा रही है. अकेले विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यू.जी.सी.) के बजट में ही 55 प्रतिशत की कटौती कर दी गयी है और इसे रु. 10,000 करोड से घटा कर लगभग रु. 45,00 करोड के आस पास पहुंचा दिया गया है. निजी संस्थाओं में तो भारी फीस देनी ही थी अब आई. आई. टी. जैसी सरकारी संस्थाओं की फीस को बढा कर समूचे कोर्स के लिये रु. 24 लाख कर दिया गया है. केंद्र सरकार पाठ्यक्रमों में सांप्रादायिक, तथ्यों से कोसों दूर और पाखंड्पूर्ण सामग्री को ठूंस रही है. उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा सभी को समान शिक्षा दिये जाने का आदेश पारित करने के बावजूद राज्य सरकार ने इस दिशा में अभी तक कोई पहलकदमी नहीं की है. शिक्षा हर स्तर पर साधारण और निम्न वर्ग के छात्रों की पहुंच से तो बाहर जा ही रही है, मध्यम वर्ग भी इस महंगी शिक्षा के बोझ तले कराह उठा है. मध्यकाल की तर्ज पर लाई जा रही यह शिक्षा पध्दति भविष्य में अल्पज्ञता, समाज के प्रति उदासीनता और मानव संसाधन की भारी समस्या उत्पन्न करेगी और छात्रों की आवाज दबाने की कोशिश छात्र असंतोष को और अधिक बढायेगी ज्ञापन में कहा गया है. अतएव आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन दोनों महामहिमों से मांग करता है कि जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष एवं एआईएसएफ के अन्य नेताओं को जान से मारने की धमकी देने वालों और उनका चरित्र हनन करने वालों के विरुध्द अभियोग पंजीकृत कर कडी से कडी कार्यवाही की जाये. शिक्षण संस्थाओं में कमजोर तबकों के छात्रों का उत्पीडन रोकने को रोहित वेमुला एक्ट बनाया जाये ताकि किसी भी होनहार छात्र की जान और सम्मान को आंच ना आये. अब्दुल कलाम टैक्नीकल यूनिवर्सिटी के छात्रों की न्याय संगत मांगों को पूरा किया जाये और उनका उत्पीडन बंद किया जाये. उत्तर प्रदेश में छात्रों के उत्पीडन की कार्यवाहियों को रोका जाये. उत्पीडन करने वालों के विरुध्द कडी से कडी कार्यवाही की जाये. विद्यालय और विश्व विद्यालय परिसरों में विद्यार्थी परिषद जैसे विद्यार्थी विरोधी संगठन की अवांच्छित कार्यवाहियों पर रोक लगायी जाये. छात्रों के बुनियादी अधिकारों की रक्षा के लिये छात्रसंघों के चुनाव कराये जायें, और चुनाव प्रणाली में इस तरह के सुधार किये जायें कि असामाजिक और अवांच्छित तत्व चुन कर न जायें.विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता और छात्रों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा की जाये. शिक्षा का हर स्तर पर बजट बढाया जाये. शिक्षा व्यवस्था को पूरी तरह सरकारी बनाया जाये. शिक्षा की फीस बढाने और उसे अन्य तरह से महंगा बनाने को रोका जाये. शिक्षा के पाठ्यक्रमों में प्रतिगामी बदलाव करना रोका जाये. शिक्षा उच्च उदात्त विचारों, वैज्ञानिक सोच के विकास, सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्ष व जनवादी मूल्यों की वाहक बने, असहिष्णुता और विभाजन का औजार नहीं. उच्च न्यायालय इलाहाबाद के निर्णय को अमलीजामा पहनाने को उत्तर प्रदेश में अगले सत्र से सभी को निशुल्क शिक्षा, समान शिक्षा एवं अनिवार्य शिक्षा की व्यवस्था की जाये. उत्तर प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों, माध्यमिक विद्यालयों, जूनियर और बेसिक स्कूलों में शिक्षकों के रिक्त पडे सभी पदों पर योग्यतम शिक्षकों की नियुक्ति की जाये. समाचार बुलेटिन जारी किये जाने तक प्रदेश के तमाम जिलों से सफल धरना प्रदर्शन की खबर राज्य मुख्यालय को प्राप्त हुयी है. उरई(जालौन) से प्राप्त खबर के अनुसार यहां सैकडों छात्र- छात्राओं ने स्थानीय बस अड्डे के समीप मजदूर भवन से कलक्ट्रेट तक जुलूस निकाला. छात्र नारे लगा रहे थे- कितने कन्हैया पकडोगे, हर घर से कन्हैया निकलेगा, वेमूला के हत्यारों को फांसी दो, मोदी- अखिलेश होश में आओ, छात्रशक्ति की आवाज सुनो आदि. प्रदर्शन का नेत्रत्व पूर्णिमा चौरसिया संयोजक एवं नवीन प्रजापति ने किया. कलेक्ट्रेट परिसर में हुयी सभा को नौजवान सभा के प्रदेश अध्यक्ष विनय पाठक, एआईएसएफ के पूर्व नेता कैलाश पाठक एवं सुधीर अवस्थी आदि ने संबोधित किया. ज्ञापन नगर मजिस्ट्रेट को सौंपा गया. अलीगढ से प्राप्त समाचार के अनुसार पान दरीबा कार्यालय से छात्रों का एक जुलूस नगर संयोजक अनीस कुमार के नेत्रत्व में महंगी शिक्षा दोहरी शिक्षा नहीं चलेगी, छात्रों को देशद्रोही बताना बंद करो, छात्रों में जाति धर्म के नाम पर फूट डालना बंद करो, आदि नारे लगाता हुआ कलक्ट्रेट पहुंच. वहीं अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय यूनिट की संयोजक कु. दूना मारिया भार्गवी के नेत्रत्व में कुछ छात्र विश्व विद्यालयों की स्वयत्तता पर हमले बन्द करो, छात्रों की छात्रवृत्ति बहाल रखो, शिक्षा का बजट बढाओ घटाओ नही आदि नारे लगाते हुये वहां पहुंचे. वहाँ एक सभा का आयोजन किया गया जिसे एसएफ के पूर्व नेता सुहेब शेरवानी, शमीम अख्तर, रामबाबू तथा इकबाल मंद ने संबोधित किया. ज्ञापन भी दिया गया. प्रदर्शन में विनीत कुमार, यशपाल सिंह, प्रवेश कुमार, हर्ष पालीवाल, यतेंद्र बघेल, गौरव सक्सेना, बबलू सक्सेना, अजय कुमार भारत गुप्ता, कु. ससीम्न, इरफान, अनस, ज़िम्नीश, अकरम हुसैन एवं अंसारी आदि ने भी भाग लिया. बदायूं में जिलाध्यक्ष विक्रम सिंह एवं सचिव कामेश के नेत्रत्व में जिला कार्यालय से एक जुलूस निकाला गया जो शहर के मुख्य भागों से होता हुआ जिला मुख्यालय पहुंच कर सभा में तब्दील होगया. वे नारे लगा रहे थे कि एआईएसएफ नेताओं को धमकियां देना बंद करो, धमकियां देने वालों को जेल भेजो, छात्रों पर लगाये फर्जी मुकदमे वापस लो आदि. प्रदर्शन में सर्वेश कुमार, अवनीश शर्मा, सतीश कश्यप एवं शुभम की अहम भूमिका रही. पूर्व नेता रघुराज सिंह आदि ने संबोधित किया. आज़मगढ में अध्यक्ष दलीप कुमार मौर्य और सचिव मुजम्मिल आज़मी के नेत्रत्व में एडीएम प्रशासन को ज्ञापन सौंपा गया. मुहम्मद साजिद, रंजीत मौर्य, मुहम्मद हामिद, सूरज मिश्रा, रामनरेश यादव, आमिर अली आदि छात्र तथा पूर्व छात्र नेता जितेंद्रहरि पान्डे आदि मौजूद थे. बांदा में कार्यकर्ताओं ने जिला कार्यालय से संयोजक कु. पूनम रहकवार के नेत्रत्व में जुलूस निकाला और सिटी मजिस्ट्रेट को ज्ञापन सौंपा. वे नारे लगा रहे थे कि सभी को समान शिक्षा दो, बुंदेलखंड को अकालग्रस्त घोषित करो, रोजगार दो और भुखमरी से बचाओ आदि. सभा को पंकज यादव हफीज खान और रामजी यादव आदि ने संबोधित किया. लखनऊ में भी शिवानी मौर्य, प्रवीन त्रिवेदी, अमित कुशवाहा और श्यामबाबू मौर्य के नेत्रत्व में एडीएम को ज्ञापन सौंपा गया. इस अवसर अशोक सेठ एवं बाल गोविंद आदि ने छात्रों का सहयोग किया. कानपुर में एआईएसएफ के अध्यक्ष अक्षय इमेनुअल सिंह और सचिव मयंक चक्रवर्ती के नेत्रत्व में नगर मजिस्ट्रेट को ज्ञापन सौंपा गया. हाथरस में बलवीर सिंह अध्यक्ष, चांद खां सचिव के नेत्रत्व में जितेंद्र कुमार, दिनेश कुमार, राज आदि कार्यकर्ताओं ने अपर जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा. इस अवसर पर चरनसिंह बघेल, सत्यपाल रावल एवं द्रुगपाल सिंह आदि भी मौजूद रहे. फैजाबाद में राज्य अध्यक्ष ओंकारनाथ पांडे एवं संयोजक अतुल सिंह, आशीष कुमार पान्डे, राजकुमार के नेत्रत्व में नगर मजिस्ट्रेट को ज्ञापन सौंपा गया. इस अवसर पर अशोक तिवारी एवं पवित्र साहनी आदि भी मौजूद रहे. जौनपुर में अध्यक्ष धीरेंद्र कुमार पटेल, सचिव अरविन्द कुमार पटेल, राजकुमार सिंह, दिनेश कुमार पाल संदीप कुमार आदि ने नगर मजिस्ट्रेट को ज्ञापन सौंपा. इस अवसर पर सुभाष पटेल, सुबाश गौतम, मुनीम पटेल और जयलाल सरोज भी मौजूद रहे. मथुरा में उत्कर्ष चतुर्वेदी सचिव एवं अतुल कुमार के नेत्रत्व में उप जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया. सोनभद्र में संयोजक रवि प्रकाश शर्मा के नेत्रत्व में एडीएम को ज्ञापन सौंपा गया. अन्य मांगों के अतिरिक्त वहां कैमूर विश्वविद्यालय खोलने तथा रेनुकूट तथा राबर्ट्सगंज से ओबरा पी.जी. कालेज तक बस चलवाने की मांग छात्र हित में की गयी. इस अवसर पर विवेक तिवारी, राजेश चौधरी, आलोक गौतम, अरुण कुमार, करमवीर, राहुल विश्वकर्मा, सुगम पाठक, रजनीश कुमार, रोशन खां एवं राहुल शर्मा आदि भी उपस्थित रहे. अभी अभी गौंडा, बरेली, मेरठ, चित्रकूट एवं आगरा से भी ज्ञापन दिये जाने की खबरें मिली हैं. प्रेषक- कार्यालय सचिव एआईएसएफ, उत्तर प्रदेश

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