भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का प्रकाशन पार्टी जीवन पाक्षिक वार्षिक मूल्य : 70 रुपये; त्रैवार्षिक : 200 रुपये; आजीवन 1200 रुपये पार्टी के सभी सदस्यों, शुभचिंतको से अनुरोध है कि पार्टी जीवन का सदस्य अवश्य बने संपादक: डॉक्टर गिरीश; कार्यकारी संपादक: प्रदीप तिवारी

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Communist Party of India, U.P. State Council

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रविवार, 30 जुलाई 2017

CPI State counsil

किसानों, नौजवानों और आम जनता के सवालों पर आंदोलन करेगी भाकपा

लखनऊ- 30 जुलाई 2017, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राज्य काउंसिल ने कहाकि राज्य सरकार की नीतियों के परिणामस्वरुप प्रदेश में नीलगायों और छुट्टा पशुओं ने किसानों की फसलों की तबाही मचा दी है और नगरीय क्षेत्रों में आवारा पशु लोगों पर हमले बोल रहे हैं और अनेक लोगों की जानें तक लेचुके हैं. भाकपा मांग करती है कि सरकार नील गायों को नियंत्रित करने को फौरन ठोस कदम उठाये और आवारा पशुओं के लिये सरकार नियंत्रित बाड़े (कांजी हाउस) बनवाये और फालतू घूम रहे गोवंश को गोशालाओं में रखने का इंतजाम करे. पार्टी ने कहाकि यदि इस समस्या का तत्काल निदान नहीं किया तो किसान तबाह होकर रह जायेंगे. भाकपा इस मुद्दे पर जन अभियान छेड़ेगी.
यहाँ दो दिन तक चली भाकपा की राज्य काउन्सिल की बैठक में 24, 25 एवं 26 जुलाई को हुये प्रदेशव्यापी आंदोलन जिसके तहत उत्तर प्रदेश में तहसीलों और जिला केंद्रो पर तीन दिनों तक धरने- प्रदर्शन किये गये और कुल मिला कर 25,000 लोग सडकों पर उतरे; की व्यापक समीक्षा की गयी और इसे सफल बनाने के लिये जिला काउंसिलों और पार्टी कार्यकर्ताओं को बधाई दी गयी.
बैठक को संबोधित करते हुये भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहाकि मोदी और योगी सरकार की नीतियों ने किसानों, मजदूरों, दलितों, महिलाओं अल्पसंख्यकों, छात्रों- नौजवानों पर मुसीबतों का बढा पहाड़ लाद दिया है और वे कराह उठे हैं. महंगाई की मार से आम जनता बदहाल है. अपराध और अत्याचारों ने प्रदेश के जनजीवन को अस्त- व्यस्त कर दिया है. अतएव जनता के उन तमाम सवालों जिन पर 24 से 26 जुलाई का आंदोलन हुआ को शामिल करते हुये आंदोलन को और नीचे तक ले जाया जायेगा और ब्लाक स्तरों पर धरने प्रदर्शन और गांव, कस्बों और शहरों में सभायें लगातार की जायेंगी. इन आंदोलनों को सफल और व्यापक बनाने को मंडलीय और क्षेत्रीय बैठकें भी की जायेंगी. लखनऊ मंडल की बैठक 5 अगस्त, इलाहाबाद मंडल की 6 अगस्त और वाराणसी मंडल की 12 अग्स्त को होगीं तथा अन्य की तिथि भी शीघ्र निर्धारित की जायेगी.
सह सचिव का. अरविंदराज स्वरुप ने सांगठनिक सवालों पर रिपोर्ट रखी तथा सहसचिव का. इम्तियाज़ अहमद ने प्रदेश के बिगडते हालातों पर चर्चा की. बैठक की अध्यक्षता का. हामिद अली एड्वोकेट ने की तथा 31 साथियों ने चर्चा में भाग लिया.
बैठक में  भाजपा द्वारा लोकतंत्र, भारत के धर्मनिरपेक्ष ताने बाने और कमजोरों पर बोले जारहे हमलों के खिलाफ तथा उसके द्वारा सता की भूख में तमाम मर्यादायें तोड‌ कर विपक्षी दलों को छिन्न भिन्न करने के प्रयासों के खिलाफ तमाम धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक एवं वामपंथी ताकतों के मंच के निर्माण की आवश्यकता महसूस की गयी और इसके लिये पहल का निश्चय किया गया. भाकपा इसके लिये शीघ्र ही प्रदेश के वामपंथी दलों से चर्चा करेगी.
बैठक में एक प्रस्ताव पारित कर शिक्षा मित्रों को समकक्ष वेतन वाले अन्य पदों पर समायोजित करने की मांग की गयी. केंद्र और राज्य सरकार की वायदा खिलाफी और उनके कतिपय कदमों यथा- नोटबंदी, मीटबंदी, खननबंदी, नियुक्ति प्रक्रियाओं पर रोक आदि से प्रदेश के नौजवान और श्रमिक बडे पैमाने पर बेकारी की मार झेल रहे हैं और उनके सामने बड़ी विपत्ति खड़ी होगयी है. भाकपा ने इन सभी बेरोजगारों के प्रति हमदर्दी जताते हुये उनकी मांगों और आंदोलन के प्रति एकजुटता व्यक्त की है. साथ ही आंगनबाड़ियों, आशा बहुओं और मध्यान्ह भोजन रसोइयों के मानदेय बढा कर न्यूनतम वेतनमान दिये जाने की मांग की है. पर्ल इंडिया के ठगे गये एजेंटों और जमाकर्ताओं का धन वापस कराने की मांग केंद्र सरकार से की है.
भाकपा ने निकाय चुनाव शीघ्र से शीघ्र कराने की मांग की तथा बड़े पैमाने पर चुनावों में उतरने का निश्चय किया है.
भाकपा राज्य काउंसिल ने आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन एवं अखिल भारतीय नौजवान सभा द्वारा रोजगार, शिक्षा और लोक्तंत्र की रक्षा जैसे देश को मथ रहे सवालों पर कन्याकुमारी से हुसैनीवाला (पंजाब ) तक निकाले जारहे “बचाओ भारत बदलो भारत लोंग मार्च का समर्थन करते हुये सितंबर के प्रथम सप्ताह में इसके उत्तर प्रदेश भ्रमण कार्यक्रम को सफल बनाने की जरूरत पर बल दिया.

डा. गिरीश

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बुधवार, 26 जुलाई 2017

Three days agitation of CPI in U.P. is very successful

भाकपा के तीन दिवसीय आंदोलन में हजारों किसान कामगारों ने भागीदारी की


लखनऊ-  भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राष्ट्रीय परिषद के आह्वान पर किसानों की निरंतर जर्जर होरही आर्थिक स्थिति और उनके द्वारा की जारही आत्महत्यायें, अभूतपूर्व बेरोजगारी की मार झेल रहे मजदूरों और युवाओं की समस्याओं, केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जनता से किये गये वायदों से पूरी तरह किनाराकशी, उत्तर प्रदेश में जघन्य अपराधों से जूझ रही जनता की वेदना को उजागर करने और प्रदेश में दलितों, महिलाओं, अल्पसंख्यकों और कमजोर तबकों के साथ लगातार होरही उत्पीडन की वारदातों पर अविलंब लगाम लगाये जाने आदि ज्वलंत सवालों पर भाकपा ने समूचे उत्तर प्रदेश  में 24 से 26 जुलाई तक तीन दिवसीय आंदोलन चलाया.
भाकपा की राज्य सचिव मंडल द्वारा की गयी आंदोलन की समीक्षा के अनुसार भारी वर्षा और धान की रोपाई के बावजूद प्रदेश के 64 जिलों में 25 हजार से भी अधिक कार्यकर्ता और जनता इन तीन दिनों में सड़कों पर उतरे. कई जिलों में तीन दिनों तक लगातार जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन कर धरने दिये गये तो कई जिलों में जिला मुख्यालय पर दिन रात सत्याग्रह जारी रहा. अधिकतर जिलों में पूरे तीन दिन कार्यक्रम चला तो कई छोटे जिलों ने दो या एक दिन कार्यक्रम चलाया. जिन जिलों ने तीन दिनों तक अभियान चलाया उनमें दो दिन तहसील केंद्रों पर तो एक दिन जिला केंद्र पर प्रदर्शन किये. सभी जगह महामहिम राष्ट्रपति और राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन स्थानीय अधिकारियों को सौंपे गये. कई स्थानों पर प्रदर्शनकारियों से प्रशासन की झडपें भी हुयीं.
भाकपा राज्य सचिव मंडल ने इस बात पर अफसोस जताया कि उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के सत्ता संभालने के बाद यह सबसे अधिक जन भागीदारी वाला आंदोलन है लेकिन टीवी चैनल्स ने इसकी पूरी तरह उपेक्षा की तो अखबारों ने केवल स्थानीय स्तर पर ही कुछ कबरेज किया. पूंजीवादी दलों के नेताओं को जुकाम होने को बड़ी खबर बताने वाले मीडिया ने देश और प्रदेश की बहुसंख्यक जनता की समस्याओं पर केंद्रित इस आंदोलन पर ब्लैक आउट रखा. भाकपा इसे जनता की समस्याओं पर पर्दा डाले रखने की मीडिया की कवायद के रूप में देख रही है.
राजधानी लखनऊ में आज भाकपा के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने पार्टी कार्यालय कैसरबाग से जुलूस निकाला और जी. पी. ओ. स्थित गांधी प्रतिमा के समक्ष सभा की. इससे पूर्व 24 जुलाई को मोहनलालगंज और 25 जुलाई को बख्शी का तालाब तहसील पर प्रदर्शन किये.
भाकपा मुख्यालय को प्राप्त सूचना के अनुसार जनपद जालौन के उरई स्थित मुख्यालय पर विशाल प्रदर्शन किया गया और तहसील केंद्रों पर धरने दिये गये. भाकपा का यह जुलूस उरई में गत कई वर्षों में किसी भी राजनैतिक दल द्वारा किये गये प्रदर्शनों से बढ़ा था. अनुमति के नाम पर प्रशासन ने बाधा उत्पन्न करने की कोशिश की. महिलाओं युवाओं और छात्रों की भागीदारी उल्लेखनीय थी. जनपद गोंडा के जिला मुख्यालय पर तीन दिन तक लगातार चले धरने में हजार से अधिक किसान- कामगारों की भागीदारी रही. गाज़ीपुर के जिला मुख्यालय पर का. सरयू पांडे पार्क में तीन दिन/ रात चले धरने को स्थानीय समाचारपत्रों ने सतत सत्याग्रह की संज्ञा दी. यहाँ भी प्रशासन ने अनुमति के नाम पर धरने को हठाने की असफल कोशिश की. जौनपुर में तीन दिन तक तहसीलों और जिला केंद्र पर हुये प्रदर्शनों में सैकड़ों की तादाद में लोगों ने हुंकार भरी. भदोही में भी तीनों दिन तहसील और जिला केंद्रों पर सैकड़ों की तादाद में किसान, कामगार, दस्तकार जुटे और सरकार की अकर्मण्यता पर हमला बोला. बलिया में जिला मुख्यालय के अतिरिक्त कई तहसीलों पर धरने और सभायें हुयीं. गोरखपुर के टाउनहाल ग्राउंड में धरना एवं सभा का आयोजन किया गया.
कानपुर महानगर में जिला मुख्यालय और तहसील केंद्र पर जुझारु प्रदर्शन हुआ तो अलीगढ़ के जिला मुख्यालय पर धरना दिया गया. मथुरा में भी जिला मुख्यालय और तहसील केंद्र पर प्रदर्शन किये गये. जिला मुख्यालय पर ज्ञापन लेने जब कोई सक्षम अधिकारी नहीं आया तो जिलाधिकारी कार्यालय पर घेरा डाल दिया गया. बाद में अपर जिलाधिकारी ने पहुंच कर ज्ञापन लिया. हाथरस में तीन तहसीलों पर धरने हुये तो हापुड़ के जिला मुख्यालय पर पहली बार भाकपा का धरना हुआ. मेरठ में जिला मुख्यालय और तहसील मवाना पर प्रदर्शन हुये. बुलंदशहर की स्याना और अनूपशहर तहसीलों पर धरने/ प्रदर्शन किये गये. औरैया के जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया गया. शामली जिला मुख्यालय पर बहुत अर्से बाद शानदार प्रदर्शन हुआ. बिजनौर में कई तहसील मुख्यालयों पर तो मुरादाबाद और अमरोहा में जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन किये गये. मुज़फ्फरनगर के जिला मुख्यालय पर भी प्रदर्शन किया गया. हरदोई के जिला मुख्यालय और तहसील केंद्र पर प्रदर्शन हुये.
इलाहाबाद जनपद मुख्यालय पर शानदार प्रदर्शन के अलाबा एक तहसील केंद्र पर धरना हुआ. श्रावस्ती के जिला मुख्यालय इकौना में पहली बार सैकड़ों की तादाद में किसानों मजदूरों ने सरकार की जमीन हड़पने की कारगुजारी के खिलाफ ललकारा. फतेहपुर जनपद के खागा में शानदार प्रदर्शन हुआ. बहराइच और बलरामपुर में भी प्रदर्शन किये गये. मैनपुरी के जिला मुख्यालय और तहसील घिरोर पर धरने हुये. देवरिया में भी जिला मुख्यालय के अतिरिक्त रामपुर कारखाना तहसील पर धरना हुआ. बाराबंकी में जेल भरो किया गया तो शहजहांपुर में जिला मुख्यालय पर धरना दिया गया. प्रशासन से भाकपा कार्यकर्ताओं की झड़्प भी हुयी. वाराणसी की पिंड्रा तहसील पर धरना दिया गया. झांसी में जिलाधिकारी कार्यालय पर शानदार प्रदर्शन हुआ जिसमें छात्र महिलायें व पल्लेदार अच्छी संख्या में शामिल थे. बदायूं में जिलाधिकारी कार्यालय के समक्ष जोरदार प्रदर्शन हुआ जिसमें आंगनबाढी कार्यकर्त्रियां भी शामिल रहीं. आज के कार्यक्रमों की रिपोर्ट समाचार लिखे जाने तक लगातार प्राप्त होरही हैं.
आंदोलनकारियों ने केंद्र और राज्य सरकार द्वारा किये गये वायदों की याद दिलाते हुये किसानों की आमद डेढ़ गुना बढाने और उनके समस्त कर्जे माफ करने की मांग की. खेती की बढ़्ती लागत को नीचे लाने और कृषि उपयोगी जिंसों को करमुक्त किये जाने सहित स्वामीनाथन आयोग की सभी सिफारिशें अविलंब लागू करने की मांग की. कृषि उत्पादों की लगातार गिर रही कीमतों को स्थिरता प्रदान करने को सरकार द्वारा एक लाख करोड़ रुपये का फंड स्थापित करने और 60 वर्ष के सभी किसानों खेत मजदूरों और दस्तकारों को रु. 10,000 प्रति माह पेंशन देने की मांग भी की. मोदी सरकार द्वारा लाये गये भूमि अधिग्रहण अध्यादेश 2014 को तत्काल वापस लिये जाने व पट्टाधारकों को  जमीन व मकानरहितों को मकान देने की मांग की.
ज्ञापनों में भाजपा के चुनावी वायदे की याद दिलाते हुये युवाओं को रोजगार दिलाने और नोटबंदी, मीटबंदी, खामी भरी खनननीति और भर्तियों के रद्द करने से उत्तर प्रदेश में युवाओं और मजदूरों को झेलनी पड़ रही  बेकारी की मार से बचाने की मांग की. सहारनपुर, संभल की घटनाओं की न्यायिक जांच कराने और वहां दलितों के खिलाफ की जारही एकतरफा कार्यवाही को रोके जाने की मांग की. दलितों अल्पसंख्यकों महिलाओं छात्रों युवाओं पर होरहे बेतहाशा अत्याचारों को फौरन रोके जाने और हत्या लूट व भ्रष्टाचार  पर कारगर रोक लगाने की मांग की. राज्य सरकार की पशुनीति के चलते ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में आवारा पशुओं की आयी बाढ़ से किसानों की फसलों और इंसानों की जिंदगी पर आये संकट से निजात दिलाने की मांग भी की गयी है.
इसके अलाबा बढ़्ती महंगाई पर रोक लगाने तथा जनता की रोजमर्रा की जरुरियातों- दवाओं आदि को जीएसटी के दायरे से मुक्त कराने की मांग की.
भाकपा राज्य सचिव मंडल ने ऐसे समय में जबकि मोदी और योगी सरकार का चाबुक आम जनता पर निर्ममता से चल रहा है और प्रदेश की नामी गिरामी पार्टियां खामोश बैठी हैं, भाकपा कार्यकर्ता और समर्थकों को जनता के हक की आवाज शानदार तरीके से बुलंद करने के लिये उन्हें क्रांतिकारी बधाई दी है.
डा. गिरीश
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शनिवार, 22 जुलाई 2017

Agitation of CPI

किसान- कामगारों की समस्याओं और उत्तर प्रदेश में कमजोर तबकों के उत्पीड़न के खिलाफ भाकपा का प्रदेशव्यापी आंदोलन 24 से 26 जुलाई तक


लखनऊ-  किसानों- कामगारों की ज्वलंत समस्याओं के समाधान और उत्तर प्रदेश में व्याप्त अराजकता के खिलाफ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी 24, 25 और 26 जुलाई को समस्त जिलों में प्रदर्शन आयोजित करेगी. भाकपा की राष्ट्रीय परिषद के निर्देश और राज्य कार्यकारिणी के आह्वान पर होने जारहे प्रदर्शनों के उपरांत महामहिम राष्ट्रपति एवं राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन जिले के अधिकारियों को सौंपे जायेंगे.
भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश के अनुसार यह आंदोलन स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू किये जाने, खेती की बढती लागत को नीचे लाने, क्रषि उपादानों को जीएसटी के बाहर रखे जाने, क्रषि उत्पादों की बढती कीमतों को स्थिर करने हेतु सरकार द्वारा एक लाख करोड़ का कीमत नियंत्रण कोष स्थापित किये जाने, सभी बैंकों एजेंसियों से लिया गया कर्ज माफ किये जाने, सभी किसानों, खेत मजदूरों और दस्तकारों को रु. 10 हजार प्रति माह पेंशन दिये जाने, भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को तत्काल वापस किये जाने, भूमि सुधार अमल में लाने, सहारनपुर की घटनाओं की न्यायिक जांच कराने व वहाँ कमजोर वर्ग के खिलाफ होरही एकतरफा कार्यवाहियों को रोके जाने, दलितों, महिलाओं, अल्पसंख्यकों, छात्रों- युवाओं, अन्य कमजोर तबकों और व्यापारियों पर होरहे अत्याचारों पर रोक लगाने तथा दंगाराज- गुंडाराज समाप्त कर कानून का राज स्थापित करो आदि प्रमुख मांगों को लेकर किया जारहा है.
डा. गिरीश ने कहा कि मोदी और योगी की सरकारें जन सरोकारों से मुहं चुरा रही हैं. वे समाज को गाय, गंगा और मंदिर जैसे  सवालों पर बांट कर राज करने की नीति पर चल रही हैं. अपनी असफलताओं पर पर्दा डालने को वे धार्मिक उन्माद और युध्दोन्माद पैदा कर रही हैं. इससे जनता तबाह होरही है और नेता अफसर माफिया फल फूल रहे हैं. बेरोजगारी ने नौजवानों की कमर तोड़ कर रख दी है. जनता को अब तत्काल राहत प्रदान किया जाना जरुरी है. भाकपा द्वारा यह आंदोलन इसी उद्देश्य को लेकर किया जारहा है. उन्होने शोषित- पीड़ित जनता से अपील की कि अपने हकों के लिये इस आंदोलन में भागीदारी करें.

डा. गिरीश 

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मंगलवार, 11 जुलाई 2017

CPI on General budget of U.P.

बजट नहीं यह सरकार की दिशाहीनता का गजट है: भाकपा

लखनऊ- 11 जुलाई 2017, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने उत्तर प्रदेश सरकार के पहले आम बजट को प्रदेश सरकार की दिशाहीनता का गजट करार दिया है. यह गत चुनावों में भाजपा के घोषणपत्र की तर्ज पर जुमलों का दस्तावेज है. विकास के स्थान पर इसमें धार्मिक आस्थाओं के दोहन पर जोर है. सरकार इसे सभी को समर्पित बजट बता रही है, पर यह न किसी को समर्पित है न किसी का उत्थान करने वाला है.
कुल मिला कर यह एक परंपरागत बजट है. पिछली सरकारों की तर्ज पर इसमें आय के परंपरागत  स्रोतों से उपलब्ध धनराशि को कुछ घटाबढी करके विभिन्न मदों के लिये आबंटित कर दिया गया है. कुछ नयी मदें जोड‌‌ दी गयी हैं. उपलब्ध धनराशि के आंकड़े मुद्रास्फीति और केंद्र की परियोजनाओं की धनराशि के जोड़ देने के कारण अधिक दिखाई दे रहे हैं, कोई नई आय कहीं से नहीं होरही है. गरीब, किसान, मजदूर, छात्र, नौजवान, महिला, दलित अल्पसंख्यकों की मौजूदा स्थितियों पर इससे कोई फर्क पढने वाला नहीं है. रोटी, कपड़ा, मकान, इलाज और पढाई के हालात यथावत बने रहेंगे.
बजट भाषण का बड़ा भाग राज्य सरकार की विफलताओं पर पर्दा डालने और मुख्यमंत्री की प्रशंसा करने को समर्पित था. फर्जी आंकड़ों के बोझ तले दबे वित्तमंत्री जी पहले लड़खड़ा कर बैठ गये और दो तीन बार पानी पीने के बाद भी उनके बजट पढने में असमर्थ रहने पर दूसरे मंत्री ने शेष बजट पेश किया. सत्तर सालों में यह पहला अवसर है जब उत्तर प्रदेश की विधानसभा में एक बजट दो मंत्रियों द्वारा प्रस्तुत किया गया.
एक ध्यान देने वाली बात यह भी है कि उत्तर प्रदेश जिसमें श्री मंगल पांडे, रानी लक्ष्मीबाई, बेगम हज़रत महल, चंद्रशेखर आज़ाद, अशफाक उल्लाह खान और आचार्य नरेंद्र देव जैसे आज़ादी की लडाई के हजारों योध्दा उत्पन्न हुये उन सबकी यह सरकार उपेक्षा कर रही है और अपनी योजनाओं का नामकरण श्यामाप्रसाद मुखर्जी और दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर कर रही है जो आज़ादी की लडाई से कोसों दूर थे. देश के ऊपर अपने महत्वहीन नेताओं को लादने की भाजपा की यह कोशिश उसे महंगी पड़ेगी.

डा. गिरीश, राज्य सचिव


भाकपा, उत्तर प्रदेश

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सोमवार, 10 जुलाई 2017

CPI on illicit liquor

जहरीली शराब कांड पर भाकपा ने क्षोभ व्यक्त किया

मृतकों के परिवारों को रु. 10 लाख और घायलों को 1 लाख मुआबजा देने की मांग की


लखनऊ- 10 जुलाई 20017, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने जनपद आज़मगढ़ में जहरीली शराब पीने से हुयी दर्दनाक मौतों पर गहरा क्षोभ व्यक्त किया है. पार्टी ने इस कांड के लिये जिम्मेदार अधिकारियों और पुलिसजनों के खिलाफ कडी कार्यवाही की मांग की है. मृतक परिवारों को रु. 10 लाख प्रति मौत और अस्पतालों में इलाज करा रहे लोगों के मुफ्त इलाज और तीमारदारी के लिये रु. 1 लाख तत्काल दिये जाने की मांग की है.
यहाँ जारी एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा है कि यह बेहद चिंता और खेद का विषय है कि आज भी उत्तर प्रदेश में जहरीली शराब का उत्पादन और बिक्री धड़ल्ले से होरही है. जनपद आज़मगढ़ में गत तीन दिनों में इस शराब के सेवन से दो दर्जन से अधिक गरीब लोगों की जान चली गयी और अभी भी दर्जन भर से ज्यादा लोग अलग अलग अस्पतालों में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं. यह कांड गत वर्ष जनपद एटा में हुये जहरीली शराब कांड से भी अधिक भयानक है. भाजपा जब विपक्ष में थी तो ऐसी घटनाओं पर भारी शोर- शराबा करती थी, पर आज जब उसके शासन में यह सब होरहा है वह चुप्पी साधे बैठी है.
डा. गिरीश ने कहाकि इस कांड से उत्तर प्रदेश सरकार के सुशासन के दाबों की कलई खुल गयी है. कथित हिंदू संस्कृति का चोगा पहने इस सरकार ने सत्ता संभालते ही शराबबंदी का विरोध करने वाली महिलाओं और पुरुषों पर लाठियां भांजी और अब शराब को जीएसटी के बाहर रख कर साबित कर दिया कि राजस्व बटोरने के लिये वह किसी भी हद तक जा सकती है. 'योगीराज' में गरीबों की जान लेने वाले जहर का बिकना वास्तव में चिंता का विषय है. मुख्यमंत्री को इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेनी चाहिये और प्रत्येक पीढित परिवार में जाकर उनसे माफी मांगनी चाहिये. इसके लिये जिम्मेदार अफसरों और पुलिस कर्मियों को तत्काल दंडित करने की जरूरत है.

डा. गिरीश

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सोमवार, 3 जुलाई 2017

CPI

गोहत्या के नाम पर होरही हत्याओं पर घडियाली आंसू बहाना बंद कर

कडी कार्यवाही करे मोदी सरकार: भाकपा


आगरा- 2जुलाई 2017, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के आगरा और अलीगढ मंडलों के अग्रणी कार्यकर्ताओं और नेताओं की एक संयुक्त बैठक यहाँ आगरा के वरिष्ठ नेता का. रमेश मिश्रा की अध्यक्षता में संपन्न हुयी. यह बैठक पार्टी की राष्ट्रीय परिषद और उत्तर प्रदेश राज्य कार्यकारिणी की बैठक के निर्णयों से पार्टी कमेटियों को अवगत कराने और फैसलों को अमल में लाने के उद्देश्य से आयोजित की गयी थी.
बैठक को संबोधित करते हुये भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि मोदी सरकार के इस तीन साल के कार्यकाल में काम कम बातें ज्यादा हुयीं हैं. यही वजह है कि आज देश का किसान, कामगार और आम आदमी कठिनाइयों के कठिन दौर से गुजर रहा है. जी.एस.टी. इस सरकार का आम लोगों पर नया प्रहार है. संसद ने जिस भावना से इस बिल को पारित किया था मोदी सरकार ने उसे उस रुप में लागू नहीं किया. अंबानी अदानी विजय माल्या जैसे एकाधिकारवादी उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने को पेट्रोलियम पदार्थों और शराब को जीएसटी से बाहर रखा गया है. यह हरकत जनता पर भार बढाने वाली है.
इतना ही नहीं इसके लागू होते ही रेल किराया, खान-पान, रोजमर्रा की जरूरत की वस्तुयें, कपडे, इलाज और यहाँ तक कि कृषि उपादान महंगे होगये हैं और लक्जरी कारें और अन्य लक्जरी आयटम सस्ते होगये हैं. इसकी जटिल प्रक्रियाओं के मकडजाल में छोटा व्यापारी तो फंस कर रह जायेगा.
डा. गिरीश ने कहा कि देश भर में गौरक्षा के नाम पर लोगों के कत्लेआम की वारदातें लगातार बढती जारही हैं. राज्य सरकारों को स्पष्ट संदेश कि "या तो हत्याओं को रोको नहीं तो परिणाम भुगतने को तैयार रहो" देने के बजाय प्रधानमंत्री जी इन हत्याओं पर घडियाली आंसू बहा रहे हैं और भाजपा अध्यक्ष पिछली सरकारों के आकडे गिना रहे हैं. यह दोनों का निंदनीय और उपहासास्पद आचरण है. जो संगठन इस हिंसा के लिये वातावरण तैयार कर रहे हैं उन पर भी कार्यवाही की जानी चाहिये.
उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था को गत 70 सालों में बदतरीन बताते हुये भाकपा राज्य सचिव ने राज्य सरकार पर लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचलने का आरोप लगाया. समस्याओं के निराकरण में पूरी तरह असफल योगी सरकार ध्यान बंटाने को विभाजनकारी क्रिया कलापों को बढावा दे रही है और जनता के हित में आवाज उठाने वालों को पुलिस प्रशासन के बल पर कुचल रही है. भाकपा और वामपंथ चौकस है और इनके कारनामों के विरुध्द निरंतर आवाज उठा रहा है.
राज्य कार्यकारिणी के सदस्य गफ्फार अब्बास एड्वोकेट ने कहा कि अभी हमने उत्तर प्रदेश में 12 जून को दमन विरोधी दिवस सफलता पूर्वक आयोजित किया था और अब किसानों, मजदूरों और हर तरह के उत्पीडितों के हक की आवाज बुलंद करने को 24 से 26 जुलाई तक लगातार आंदोलन चलाया जायेगा. राज्य कार्यकारिणी के सदस्य सुहेव शेरवानी ने कहा कि हमें आंदोलन के साथ साथ संगठन के विस्तार और उसको मजबूत करने की दिशा में ठोस प्रयास करने चाहिये.
बैठक को हाथरस के जिला सचिव चरनसिंह बघेल, अलीगढ के एहतेशाम बेग, मथुरा के पप्पू सिंह और अशफाक, राज्य काउंसिल सदस्य तेजसिंह वर्मा, आगरा के जिला सचिव ताराचंद, महावीर प्रसाद द्विवेदी, ओमप्रकाश पूर्व प्रधान, रमेश चंद्र कटारा, पूरन सिंह, मोहनसिंह जादूगर, जगदीश चंद्र शर्मा, सुधीर कुलश्रेष्ठ आदि ने संबोधित किया. संचालन का. गफ्फार अब्बास ने किया.
अध्यक्षीय भाषण में रमेश मिश्रा ने कहा कि आज़ादी के आंदोलन में और आज़ादी के बाद भारत के नव निर्माण में भाकपा ने गौरवशाली भूमिका निभाई है. हमने किसानों कामगारों और आम जनता के हितों की रक्षा के लिये बडे संघर्ष चलाये हैं. भाकपा सांप्रदायिकता, जातीय भेदभाव और भ्रष्टाचार के विरुध्द संघर्ष में सभी से आगे रही है. उन्होने देश के युवाओं से कहा कि वे अपने उज्ज्वल भविष्य को साकार करने को भाकपा के साथ जुडें.


डा. गिरीश
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