भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का प्रकाशन पार्टी जीवन पाक्षिक वार्षिक मूल्य : 70 रुपये; त्रैवार्षिक : 200 रुपये; आजीवन 1200 रुपये पार्टी के सभी सदस्यों, शुभचिंतको से अनुरोध है कि पार्टी जीवन का सदस्य अवश्य बने संपादक: डॉक्टर गिरीश; कार्यकारी संपादक: प्रदीप तिवारी

About The Author

Communist Party of India, U.P. State Council

Get The Latest News

Sign up to receive latest news

फ़ॉलोअर

गुरुवार, 2 जुलाई 2020

विचारधीन मामले में संपत्तियाँ जब्त करने का आदेश रद्द हो: भाकपा




लखनऊ- आपराधिक मामलों में आपराधिक अभियोग चले, बिना अभियोग साबित हुये संपत्तियां जब्त करने की कारगुजारियाँ बन्द हों, लोगों के रोजगार पर डाका डालने के तालिबानी फरमान रद्द हों, इस चेतावनी के साथ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मण्डल ने सीएए विरोधी आंदोलन में विभिन्न धाराओं में निरुद्ध लखनऊ के धर्मवीर सिंह एवं माहेनूर चौधरी की संपत्ति जब्त कर बेदखल करने की कार्यवाही की कड़े शब्दों में निन्दा की।
यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा ने आरोप लगाया की प्रदेश की भाजपा सरकार विपक्ष और आम लोगों को इस हद तक भयभीत कर देना चाहती है कि आगे वे सरकार के गलत से गलत कामों पर चुप बैठे रहें। इसी उद्देश्य से प्रदेश में कई नेताओं की गिरफ्तारियाँ की जारही हैं, कई से जुर्माना बसूलने की अवैध कार्यवाहियाँ की जारही हैं तो बिना जुर्म साबित हुये ही लोगों की संपत्तियां जब्त की जारही हैं। धर्मवीर सिंह एवं माहेनूर की संपत्तियों की जब्ती के आदेश भी इसी उदेश्य से की गयी कारगुजारी हैं।
हम सभी को अच्छी से याद है कि 1857 की क्रान्ति को दबा देने के बाद 140 वर्षों तक अँग्रेजी हुकूमत ने यह सब निरंतर जारी रखा था। आखिर उनका जो हश्र हुआ वो सबके सामने है।
भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय तक ने यह साफ तौर पर कहा है कि सामुदायिक हिंसा के मामले में बसूली की कार्यवाही माननीय उच्च न्यायालय अथवा जिला न्यायालय के द्वारा ही की जा सकती है। अतएव इस विषय में अपर जिलाधिकारी, लखनऊ का निर्णय सीधे सीधे सर्वोच्च न्यायालय की अवहेलना है। आशा की जानी चाहिए कि माननीय उच्च न्यायालय इसका स्वतः संज्ञान अवश्य लेगा। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि वसूली की यह कार्यवाही 19 दिसंबर के बाद इसी उद्देश्य से लागू किए गए एक अध्यादेश के तहत की जा रही है जो पूर्णतया अवैध है।
भाकपा ने कहा कि एक ओर सरकार बार बार कोरोना महामारी और सीमाओं के संकट का हवाला दे कर सबकी एकता की बात करती है, वहीं दूसरी ओर जनता की आवाज को कुचलने के एजेंडे पर निरन्तर आगे बड़ रही है। यह लोकतन्त्र और उसकी सम्रद्ध परंपराओं का हनन है, जिसे जन समुदाय बहुत देर तक सहन नहीं कर पायेगा। भाकपा ने इन तुगलकी आदेशों को तत्काल वापस लेने की मांग की।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश


0 comments:

एक टिप्पणी भेजें

Share |

लोकप्रिय पोस्ट

कुल पेज दृश्य