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मंगलवार, 22 सितंबर 2020

उत्तर प्रदेश के वामपंथी दलों का आह्वान-

 

 

भारतीय संसद को विनष्ट करने के प्रयास के विरूध्द मजबूती से प्रतिरोध दर्ज कराओ!

क्रषि क़ानूनों के खिलाफ किसान संगठनों के 25 सितंबर के प्रतिरोध को संपूर्ण समर्थन प्रदान करो!!

 

लखनऊ- 22 सितंबर 2020, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी, भाकपा, माले- लिबरेशन एवं आल इंडिया फारबर्ड ब्लाक के राज्य नेत्रत्व की एक आन लाइन बैठक आज संपन्न हुयी।

बैठक में विचार विमर्श के उपरान्त पारित प्रस्ताव में कहा गया कि भाजपा सरकार द्वारा क़ानूनों को रौंद कर देश की खेती को गिरवी रखने के लिये सभी संसदीय प्रक्रियाओं और कायदे क़ानूनों को हवा में उड़ाने की कारगुजारियों की वामपंथी दल कड़े शब्दों में निन्दा करते हैं। संसदीय लोकतन्त्र के इस विनष्टीकरण से फासीवाद के पूर्वाभास का सहज अनुमान लगाया जा सकता है।

राज्य सभा में मत विभाजन और मतदान की मांग करने वाले विपक्ष के सांसदों को निलंबित कर यदि भाजपा सोचती है कि वह विपक्ष का मुंह बंद कर देगी, तो वह दिन में सपने देख रही है। देश की जनता ने अनेक संघर्षों से लोकतन्त्र को परवान चढ़ाया है और वे भाजपा की इस शातिराना कोशिश को बर्दाश्त नहीं करेगी। वामपंथी पार्टियां भी भारतीय संसद, भारत के संविधान और हमारे धर्मनिरपेक्ष लोकतान्त्रिक गणतन्त्र की रक्षा के संकल्प को दोहराती हैं। वामपंथी दल आम लोगों का आह्वान करते हैं कि वे हमारे संवैधानिक गणराज्य पर हो रहे संगीन हमलों के विरूध्द विरोध प्रकट करने को आगे आयें।

क्रषि कानूनों के संबंध में वाम दलों ने कहा कि सरकार द्वारा थोपे गये ये कानून देश की खेती और हमारे किसानों को बरवाद कर देंगे। सारे क्रषि क्षेत्र को क्रषि- विपणक कारपोरेट्स को हस्तांतरित करने से न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली पूरी तरह खत्म हो जायेगी, सार्वजनिक वितरण प्रणाली संपूर्णतः विनष्ट हो जायेगी, बेशर्म काला बाजारियों और विशालकाय कारपोरेट्स को खाद्यान्नों और खाद्य पदार्थों की जमाखोरी की खुली छूट मिल जायेगी, जिससे वे खाद्य पदार्थों की क्रत्रिम किल्लत पैदा कर सकेंगे और कीमतों को मनमाने तरीके से बढ़ा सकेंगे। ये कानून भारत की खाद्य सुरक्षा को गंभीर खतरे में डाल देंगे। निश्चय ही यह विश्व व्यापार संगठनों के आदेशों और उरुग्वे वार्ताओं की प्रतिपूर्ति का संघी संस्करण है।

वामपंथी दलों ने कहा कि समय से पहले एमएसपी घोषित करने की सरकार की कवायद किसानों में उपजे आक्रोश को ठंडा करने की कोशिश और उन्हें भ्रम में डालने वाली है। अपने कुक्रत्यों से किसानों और युवाओं के बीच पूरी तरह बेनकाव मोदी सरकार अब विपक्ष पर उन्हें भड़काने का आरोप लगा रही है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार आंदोलित किसानों और नौजवानों पर जिस बहशियाना ढंग से हमलावर है वामदल उसकी कड़े शब्दों में निन्दा करते हैं।

वामपंथी पार्टियां उत्तर प्रदेश भर की अपनी समस्त इकाइयों से अपील करती हैं कि इन क़ानूनों को वापस लेने के लिये 'अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वयन समिति' द्वारा 25 सितंबर को प्रतिरोध के आह्वान के प्रति पूर्ण समर्थन और एकजुटता प्रदर्शित करें।

वामपंथी पार्टियां अपनी सभी जिला इकाइयों का आह्वान करती हैं कि अन्य राजनैतिक दलों से विचार विमर्श कर केन्द्र सरकार को इन क़ानूनों को वापस लेने को बाध्य करने को प्रतिरोध प्रदर्शन हेतु कार्यक्रमों का निर्धारण करें और किसानों का पूरी तरह साथ दें।

आभाषी बैठक में भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश, माकपा राज्य सचिव डा॰ हीरालाल यादव, भाकपा- माले के राज्य सचिव का॰ सुधाकर यादव एवं आ॰ इ॰ फारबर्ड ब्लाक के राज्य संयोजक अनुभव कुशवाहा ने भाग लिया।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश

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