भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का प्रकाशन पार्टी जीवन पाक्षिक वार्षिक मूल्य : 70 रुपये; त्रैवार्षिक : 200 रुपये; आजीवन 1200 रुपये पार्टी के सभी सदस्यों, शुभचिंतको से अनुरोध है कि पार्टी जीवन का सदस्य अवश्य बने संपादक: डॉक्टर गिरीश; कार्यकारी संपादक: प्रदीप तिवारी

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शुक्रवार, 10 जुलाई 2020

CPI on Kanpur encountar


विकास दुबे की हत्या और मकान का ढहाया जाना आकाओं को बचाने की साजिश
विकास दुबे प्रकरण सिस्टम में व्याप्त सड़ांध का प्रतीक
भाकपा ने पूरे प्रकरण की न्यायिक जांच की मांग की
सिस्टम में सुधार जनवादी आंदोलनों से ही संभव
लखनऊ- 10 जुलाई 2020, विकास दुबे और उसके साथियों का फर्जी एंकाउंटर करके पुलिस ने अपने तमाम पापों को तो ढाँप ही लिया उसकी हत्या कर और उसका मकान ढहा कर उन सारे सबूतों को मिटा दिया जिससे उसके पूर्व और वर्तमान के आश्रयदाता सांसत में फंस सकते थे। अतएव यह निंदनीय तो है ही, चिंतनीय भी है।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की स्पष्ट राय है कि विकास दुबे प्रकरण से सिस्टम में व्याप्त होचुकी सड़ांध सामने आचुकी है। आपरेशन क्लीन उसी सड़ांध का एक गैर कानूनी रुप है। न्यायिक प्रक्रिया की पूर्ण असफलता के इस दौर में शासक वर्ग अपनी छवि बचाने की कोशिश में तथा अपने निहित राजनैतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिये ऐसे मनमाने कदम उठा रहे हैं जिनसे विधि का शासन पूरी तरह नष्ट होने की ओर है। यह हमारे लोकतन्त्र और लोकतान्त्रिक ढांचे के लिये बेहद खतरनाक है।
उम्मीद कम है पर अब भी सिस्टम में सुधार की कोशिश की जानी चाहिये। पहली जिम्मेदारी सर्वोच्च अदालत और अदालतों की है कि वे जन मानस का विश्वास अर्जित करें। सर्वोच्च अदालत को उसके समक्ष दायर याचिका को गंभीरता से लेते हुये विकास दुबे प्रकरण की न्यायिक जांच करानी चाहिये। योगी सरकार द्वारा आपरेशन क्लीन के नाम पर मनमाने ढंग से की जा रहीं हत्याओं पर रोक लगा कर फास्ट ट्रेक कोर्ट से वादों के निस्तारण के आदेश दिये जाने चाहिए। विधि के शासन की रक्षा के लिये यह बेहद जरूरी है।
भाकपा का स्पष्ट द्रष्टिकोण है कि कार्यपालिका के हर हिस्से- सरकार, पुलिस और प्रशासन पर से जनता का पूरा विश्वास उठ चुका है। व्यवस्था में आमूल चूल परिवर्तन से ही विश्वास बहाली संभव है। और व्यवस्था में परिवर्तन जनता के जनवादी आंदोलनों से संभव है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी समाज की स्वस्थ और जनवादी शक्तियों को एकजुट कर ऐसे आंदोलन को खड़ा करने का प्रयास करेगी और समाज हितैषी ताकतों से सहयोग की उम्मीद करेगी।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश

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प्रशिक्षु डाक्टरों को मिला भाकपा का साथ


प्रशिशु डाक्टरों को दिया जा रहा है दिहाड़ी मजदूरों से कम मानदेय

भाकपा उत्तर प्रदेश ने की अन्य राज्यों के समकक्ष करने की मांग

लखनऊ- 10 जुलाई 2020, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने उत्तर प्रदेश के मेडिकल कालेजों में प्रशिक्षु ( Interns ) डाक्टरों का मानदेय बढ़ाने की मांग का मजबूती के साथ समर्थन करते हुये मानदेय तत्काल बढ़ाने की मांग राज्य सरकार से की है।
यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा उत्तर प्रदेश के सचिव डा॰ गिरीश ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया की एमबीबीएस पास किये इन प्रशिक्षु डाक्टरों को दिहाड़ी मजदूरों से भी कम मानदेय दिया जा रहा है। उन्हें 12- 12 घंटे ड्यूटी करने के एवज में मात्र रुपये 7500/- प्रति माह यानी कि 250 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से मानदेय दिया जारहा है।
जबकि अन्य कई राज्यों में यह मानदेय रूपये 20 हजार प्रति माह या इससे ऊपर हैं। केंद्र सरकार ने भी अपने मेडिकल कालेजेज़ में यह मानदेय बढ़ा कर रु॰ 23,500 प्रति माह कर दिया है। अपने इस शोषण से व्यथित उत्तर प्रदेश के कई मेडिकल कालेजों के प्रशिक्षु डाक्टरों ने मजबूरन हड़ताल की राह पकड़ी है, हालांकि कई जगह वे कोविड- 19 की ड्यूटी को द्रढ़तापूर्वक अंजाम दे रहे हैं।
यह दौर जितना नाजुक है प्रशिक्षु डाक्टरों की मांग भी उतनी ही बाजिव है। अतएव भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी राज्य सरकार से मांग करती है कि वह प्रशिक्षु डाक्टरों का मानदेय कम से कम अन्य राज्यों के समकक्ष बढ़ाने की फौरन और फौरन घोषणा करे।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश

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