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बुधवार, 30 जून 2010

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक (हैदराबाद, 12 से 14 जून 2010) द्वारा पारित प्रस्ताव - भूमि सुधार के सम्बंध में

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राष्ट्रीय परिषद गंभीर चिंता के साथ इस तथ्य को नोट करती है कि सरकार की नवउदारवादी नीतियों ने कांग्रेस और भाजपा शासित राज्यों में भूमि सुधार की प्रक्रिया को ठप्प कर दिया है।यह नीति उद्योगीकरण और विशेष आर्थिक क्षेत्रों के निर्णय आदि के नाम पर उनकी मूल्यवान कृषि भूमि के अधिग्रहण के जरिये किसानों और गांवों के आम लोगों पर नये हमलों का पथ प्रशस्त करती है।उद्योगों को स्थापित करने के नाम पर और खदानों के लिए आदिवासियों को उनकी जमीन और घरों से खदेड़ा जा रहा है। सुपर-मुनाफों के लिए अपने जमीन छीनों अभियान में खदान माफिया जमीन को बर्बाद करते हैं और गरीब आदिवासियों को उनके घरों से बाहर खदेड़ देते हैं, उन्हें रोजी-रोटी से वंचित कर देते हैं। इस पृष्ठभूमि में, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राष्ट्रीय परिषद अपनी तमाम यूनिटों का आह्वान करती है कि वे भूमि सुधारों के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान में उतर पड़ें।भूमि सुधार आंदोलन में सीलिंग से बची फालतू जमीन और सरकारी जमीनों को भूमिहीन लोगों को देने और गरीबों के लिए एक व्यापक आवास योजना की मांग की जानी चाहिए।भूमि सुधार आंदोलन ब्रिटिश लोगों द्वारा बनाये गयी पुराने पड़े 1894 के भूमि अधिग्रहण कानून को निरस्त करने की मांग भी करेगा।इसके स्थान पर संसद एक ऐसा कानून बनाये जो खाद्य सुरक्षा के लिए उपजाऊ जमीन का बचाव करे और सार्वजनिक हित के नाम पर अंधाधुंध तरीके से जमीन के अधिग्रहण को बंद करें।यदि कृषि जमीन का अधिग्रहण किया जाये तो प्रभावित किसानों को उसका वाजिब मुआवजा मिलना चाहिए। और उनका पूरी तरह पुनर्वास किया जाना चाहिए।भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राष्ट्रीय परिषद समूची पार्टी का आह्वान करती है कि वह भूमि सुधारों के लिए और जमीन के जबरन अधिग्रहण के विरूद्ध आन्दोलन में उतर पड़ें।

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