भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का प्रकाशन पार्टी जीवन पाक्षिक वार्षिक मूल्य : 70 रुपये; त्रैवार्षिक : 200 रुपये; आजीवन 1200 रुपये पार्टी के सभी सदस्यों, शुभचिंतको से अनुरोध है कि पार्टी जीवन का सदस्य अवश्य बने संपादक: डॉक्टर गिरीश; कार्यकारी संपादक: प्रदीप तिवारी

About The Author

Communist Party of India, U.P. State Council

Get The Latest News

Sign up to receive latest news

फ़ॉलोअर

शुक्रवार, 25 जून 2010

नये मनुष्य, नये समाज के निर्माण की कार्यशाला: क्यूबा-3

हम कम्युनिस्ट नहीं हैं: फिदेल (1959)
1 जनवरी 1959 को क्यूबा में बटिस्टा के शोषण को हमेशा के लिए समाप्त करनेके बाद अप्रैल, 1959 में फिदेल एसोसिएशन आॅफ न्यूजपेपर एडिटर्स केआमंत्रण पर अमेरिका गये जहाँ उन्होंने एक रेडियो इंटरव्यू में कहा कि’मैं जानता हूँ कि दुनिया सोचती है कि हम कम्युनिस्ट हैं पर मैंनेबिल्कुल साफ तौर पर यह कहा है कि हम कम्युनिस्ट नहीं हैं।’ उसी प्रवास केदौरान फिदेल की साढ़े तीन घंटे की मुलाकात अमेरिकी उप राष्ट्रपति निक्सनके साथ भी हुई जिसके अंत में निक्सन का निष्कर्ष यह था कि ’या तोकम्युनिज्म के बारे में फिदेल की समझ अविश्वसनीय रूप से बचकानी है या फिरवे ऐसा कम्युनिस्ट अनुशासन की वजह से प्रकट कर रहे हैं।’ लेकिन फिदेल नेमई में क्यूबा में अपने भाषण में फिर दोहरायाः ’न तो हमारी क्रान्तिपूँजीवादी है, न ये कम्युनिस्ट है, हमारा मकसद इंसानियत को रूढ़ियों से,बेड़ियों से मुक्त कराना और बगैर किसी को आतंकित किए या जबर्दस्ती किए,अर्थव्यवस्था को मुक्त कराना है।’बहरहाल न कैनेडी के ये उच्च विचार क्यूबा के बारे में कायम रह सके और नफिदेल को ही इतिहास ने अपने इस बयान पर कायम रहने दिया। जनवरी 1959 सेअक्टूबर आते-आते जिस दिशा में क्यूबा की क्रान्तिकारी सरकार बढ़ रही थी,उससे उनका रास्ता समाजवाद की मंजिल की ओर जाता दिखने लगा था। मई में भूमिकी मालिकी पर अंकुश लगाने वाला कानून लागू कर दिया गया था, समुंदर केकिनारों पर निजी स्वामित्व पहले ही छीन लिया गया था। अक्टूबर में चे कोक्यूबा के उद्योग एवं कृषि सुधार संबंधी विभाग का प्रमुख बना दिया गया थाऔर नवंबर में चे को क्यूबा के राष्ट्रीय बैंक के डाइरेक्टर की जिम्मेदारीभी दे दी गई थी। बटिस्टा सरकार के दौरान क्यूबा के रिश्ते बाकी दुनिया केतरक्की पसंद मुल्को के साथ कटे हुए थे, वे भी 1960 में बहाल कर लिए गए।सोवियत संघ और चीन के साथ करार किए गए तेल, बिजली और शक्कर का साराअमेरिकी व्यवसाय जो बटिस्टा के जमाने से क्यूबा में फल-फूल रहा था, सरकारने अपने कब्जे में लेकर राष्ट्रीयकृत कर दिया। जुएखाने बंद कर दिए गए।पूरा क्यूबाई समाज मानो कायाकल्प के एक नये दौर में था।यह कायाकल्प अमेरिकी हुक्मरानों और अमेरिकी कंपनियों के सीनों पर साँप कीतरह दौड़ा रहा था। आखिर 1960 की ही अगस्त में आइजनहाॅवर ने क्यूबा पर सख्तआर्थिक प्रतिबंध लगा दिए। क्यूबा को भी इसका अंदाजा तो था ही इसलिए उसनेमुश्किल वक्त के लिए दोस्तों की पहचान करके रखी थी। रूस और चीन ने क्यूबाके साथ व्यापारिक समझौते किए और एक-दूसरे को पँूजीवाद की जद से बाहर रखनेमें मदद की।उधर अमेरिका में आइजनहाॅवर के बाद कैनेडी नये राष्ट्रपति बने थेजिन्होंने पहले आइजनहाॅवर की नीतियों की आलोचना और क्यूबाई क्रान्ति कीप्रशंसा की थी। उनके पदभार ग्रहण करने के तीन महीनों के भीतर ही क्रान्तिको खत्म करने का सीआईए प्रायोजित हमला किया गया जिसे बे आॅफ पिग्स केआक्रमण के नाम से जाना जाता है। चे, फिदेल और क्यूबाई क्रान्ति की प्रहरीजनता की वजह से ये हमला नाकाम रहा। सारी दुनिया में अमेरिका की इस नाकामषड्यंत्र की पोल खुलने से, बदनामी हुई। तब कैनेडी ने बयान जारी किया कियह हमला सरकार की जानकारी के बगैर और क्यूबा के ही अमेरिका में रह रहेअसंतुष्ट नागरिकों का किया हुआ है, जिसकी हम पर कोई जिम्मेदारी नहीं है।
कम्युनिस्ट कहलाना हमारे लिए गौरव की बात हैः फिदेल (1965)
उधर, दूसरी तरफ फिदेल को भी 1961 में बे आॅफ पिग्स के हमले के बाद यह समझमें आने लगा था कि अमेरिका क्यूबा को शांति से नहीं रहने देगा। पहले जोफिदेल अपने आपको कम्युनिज्म से दूर और तटस्थ बता रहे थे, दो साल बाद एकमई 1961 को फिदेल ने अपनी जनता को संबोधित करते हुए कहा कि ’हमारी शासनव्यवस्था समाजवादी शासन व्यवस्था है और मिस्टर कैनेडी को कोई हक नहीं किवे हमें बताएँ कि हमें कौन सी व्यवस्था अपनानी चाहिए, हम सोचते हैं किखुद अमेरिका के लोग भी किसी दिन अपनी इस पूँजीवादी व्यवस्था से थकजाएँगे।’1961 की दिसंबर को उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा कि ’मैं हमेशामाक्र्सवादी-लेनिनवादी रहा हूँ और हमेशा रहूँगा।’तब तक भी फिदेल और चे वक्त की नब्ज को पहचान रहे थे। चे ने इस दौरानसोवियत संघ, चीन, उत्तरी कोरिया, चेकोस्लावाकिया और अन्य देशों कीयात्राएँ कीं। चे को अमेरिका की ओर से इतनी जल्द शांति की उम्मीद नहीं थीइसलिए क्यूबा की क्रान्ति को बचाये रखने के लिए उसे बाहर से समर्थनदिलाना बहुत जरूरी था। क्यूबा तक आने वाली जरूरी सामग्रियों के जहाजरास्ते में ही उड़ा दिए जाते थे और क्यूबा पर अमेरिका के हवाई हमले कभीतेल संयंत्र उड़ा देते थे तो कभी क्यूबा के सैनिक ठिकानों पर बमबारी करतेथे। बेहद हंगामाखेज रहे कुछ ही महीनों में इन्हीं परिस्थितियों के भीतरअक्टूबर 1962 में सोवियत संघ द्वारा आत्मरक्षा के लिए दी गई एक परमाणुमिसाइल का खुलासा होने से अमेरिका ने क्यूबा पर अपनी फौजें तैनात कर दीं।उस वक्त बनीं परिस्थितियों ने विश्व को नाभिकीय युद्ध के मुहाने पर लाखड़ा किया था। आखिरकार सोवियत संघ व अमेरिका के बीच यह समझौता हुआ कि अगरअमेरिका कभी क्यूबा पर हमला न करने का वादा करे तो सोवियत संघ क्यूबा सेअपनी मिसाइलें हटा लेगा।अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रम और परिस्थितियों के भीतर अपना कार्यभार तय करतेहुए अंततः 3 अक्टूबर 1965 को फिदेल ने साफ तौर पर पार्टी का नया नामकरणकरते हुए उसे क्यूबन कम्युनिस्ट पार्टी का नया नाम दिया और कहा किकम्युनिस्ट कहलाना हमारे लिए फ़ख्ऱ और गौरव की बात है।
-विनीत तिवारीमोबाइल : 09893192740
(क्रमश:)

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें

Share |

लोकप्रिय पोस्ट

कुल पेज दृश्य