भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का प्रकाशन पार्टी जीवन पाक्षिक वार्षिक मूल्य : 70 रुपये; त्रैवार्षिक : 200 रुपये; आजीवन 1200 रुपये पार्टी के सभी सदस्यों, शुभचिंतको से अनुरोध है कि पार्टी जीवन का सदस्य अवश्य बने संपादक: डॉक्टर गिरीश; कार्यकारी संपादक: प्रदीप तिवारी

About The Author

Communist Party of India, U.P. State Council

Get The Latest News

Sign up to receive latest news

फ़ॉलोअर

शुक्रवार, 25 जून 2010

नये मनुष्य, नये समाज के निर्माण की कार्यशाला: क्यूबा-5

साम्राज्यवाद का दुःस्वप्नः क्यूबा और फिदेल
आइजनहावर, कैनेडी, निक्सन, जिमी कार्टर, जानसन, फोर्ड, रीगन, बड़े बुश औरछोटे बुश, बिल क्लिंटन और अब ओबामा-भूलचूक लेनी-देनी भी मान ली जाए तोअमेरिका के 10 राष्ट्रपतियों की अनिद्रा की एक वजह लगातार एक ही मुल्कबना रहा - क्यूबा।1991 में जब सोवियत संघ बिखरा और यूरोप की समाजवादी व्यवस्थाएँ भी एक केबाद एक ढहती चली गईं तो यह सिर्फ पूँजीवादियों को ही नहीं वामपंथियों कोभी लगने लगा था कि अब क्यूबा नहीं बचेगा। फिर जब फिदेल कास्त्रो कीबीमारी और फिर मौत की अफवाह फैलाई गई तब भी यही लगा था कि फिदेल के मरनेके बाद कौन होगा जो इतनी समझदारी और कूटनीति से काम लेते हुए क्यूबा कोअमेरिकी आॅक्टोपस से बचाये रख सके।लेकिन क्यूबा बना रहा। न केवल बना रहा बल्कि अपने चुने हुए रास्ते परमजबूत कदमों के साथ आगे बढ़ता रहा।फिदेल कास्त्रो को मारने और क्यूबा की आजादी खत्म करने की कितनी कोशिशेंअमेरिका की तरफ से हुई हैं, इसकी गिनती लगाते-लगाते ही गिनती बढ़ जाती है।सन 2006 में यू0के0 में चैनल 4 ने एक डाॅक्युमेंट्री प्रसारित की थीजिसका शीर्षक था-कास्त्रो को मारने के 638 रास्ते (638 वेज टु किलकास्त्रो)। फिल्म में फिदेल कास्त्रो को मारने के अमेरिकी प्रयासों का एकलेखा-जोखा प्रस्तुत किया गया था जिसमें सी.आई.ए. की मदद से फिदेल कोसिगार में बम लगाकर उड़ाने से लेकर जहर का इंजेक्शन देने तक के सारेकायराना हथकंडे अपनाए गए थे। तकरीबन 40 बरस तक फिदेल कास्त्रो के सुरक्षाप्रभारी और क्यूबा की गुप्तचर संस्था के प्रमुख रहे फेबियन एस्कालांतेबताते हैं कि ’लाल शैतान’ को खत्म करने के लिए अमेरिका, सी0आई0ए0 औरक्यूबा के भगोड़े व गद्दारों ने हर मुमकिन कोशिश की। फिल्म के निर्देशकडाॅलन कैन्नेल और निर्माता पीटर मूर ने अमेरिका में ऐशो-आराम की जिंदगीबिता रहे ऐसे बहुत से लोगों से मुलाकात की, जिन पर फिदेल की हत्या कीकोशिशों का इल्जाम है। उनमें से एक सी0आई0ए0 का रिटायर्ड अधिकारी फेलिक्सरोड्रिगुएज भी था जो 1961 में क्यूबा पर अमेरिकी हमले के वक्त क्यूबा केविरोधियों का प्रशिक्षक था और जो 1967 में चे ग्वेवारा के कत्ल के वक्तबोलीविया में भी मौजूद था। यहाँ तक कि अमेरिकी जासूसी एजेंसियों कीनाकामियों से परेशान होकर अमेरिकी हुक्मरानों ने फिदेल को मारने के लिएमाफिया की भी मदद ली थी।कुछ बरसों पहले 80 पार कर चुके फिदेल कास्त्रो भाषण देते हुए हवाना मेंचक्कर खाकर गिर गए थे। उनकी पैर की हड्डी भी इससे टूट गई थी। बस, फिरक्या था। अमेरिकी अफवाह तंत्र पूरी तरह सक्रिय होकर फिदेल की मृत्यु कीअफवाहें फैलाने लगा। लेकिन फिदेल ने फिर दुनिया के सामने आकर सब अफवाहोंको ध्वस्त कर दिया। जब फिदेल के डाॅक्टर से किसी पत्रकार ने पूछा कि क्याउनकी जिंदगी का यह आखिरी वक्त है तो डाॅक्टर ने कहा कि फिदेल 140 बरस कीउम्र तक स्वस्थ रह सकते हैं।लेकिन फिदेल ने क्यूबा की जिम्मेदारियों को सँभालने में सक्षम लोगों कीपहचान कर रखी थी। सन् 2004 से ही धीरे-धीरे फिदेल ने अपनी सार्वजनिकउपस्थिति को कम करना शुरू कर दिया था। फिर 2006 में फिदेल ने अपनीजिम्मेदारियाँ अस्थायी तौर पर राउल कास्त्रो को सौंपीं। चूँकि राउलकास्त्रो फिदेल के छोटे भाई भी हैं इसलिए सारी दुनिया में पूँजीवादीमीडिया को फिर दुष्प्रचार का एक बहाना मिला कि कम्युनिस्ट भी परिवारवादसे बाहर नहीं निकल पाए हैं। लेकिन ये बात कम लोग जानते हैं कि राउलकास्त्रो फिदेल के भाई होने की वजह से नहीं बल्कि अपनी अन्य योग्यताओं कीवजह से क्यूबा के इंकलाब के मजबूत पहरेदार चुने गए हैं। सिएरा मास्त्राके पहाड़ों पर 1956 में जिस सशस्त्र अभियान में चे और फिदेल अपने 80 अन्यसाथियों के साथ ग्रान्मा जहाज में मैक्सिको से क्यूबा आए थे, राउल उसअभियान का बेहद महत्त्वपूर्ण हिस्सा थे। बटिस्टा की फौजों से चंद महीनोंके भीतर हुई सैकड़ों मुठभेड़ों में फिदेल, चे, राउल और उनके 10 अन्यसाथियों को छोड़ बाकी सभी मारे गए थे। यह भी कम लोग जानते हैं कि फिदेल केकम्युनिस्ट बनने से भी पहले से राउल कम्युनिस्ट बन चुके थे। न सिर्फ जंगके मैदान में एक फौज के प्रमुख की तरह बल्कि सामाजिक-आर्थिक और राजनैतिकचुनौतियों का भी राउल कास्त्रो ने मुकाबला किया है। मंदी के संकटपूर्ण ौरमें खेती की उत्पादकता बढ़ाने के लिए आज क्यूबा के जिस शहरी खेती केप्रयोग की दुनिया भर में प्रशंसा होती है, वह दरअसल राउल कास्त्रो की हीकल्पनाशीलता का नतीजा है।बेशक पूरी दुनिया में फिदेल एक जीवित किंवदंती हैं इसलिए क्यूबा से बाहरकी दुनिया में हर क्यूबाई उपलब्धि चे और फिदेल के खाते में ही जाती है।लेकिन इसका मतलब यह भी है कि फिदेल ने अपना इतना विस्तार कर लिया है किवहाँ अनेक अनुभवी व नये लोग तैयार हैं। राउल कास्त्रो सिर्फ फिदेल के भाईहोने का नाम ही नहीं, बल्कि इंकलाब की जिम्मेदारी सँभालने के लिए तैयारलोगों में से एक नाम है।
इंकलाब का बढ़ता दायरा
आज सोवियत संघ को विघटित हुए करीब दो दशक पूरे हो रहे हैं। ऐसी कोई बड़ीताकत दुनिया में नहीं है जो अमेरिका को क्यूबा पर हमला करने से रोक सके।क्यूबा से कई गुना बड़े देश इराक और अफगानिस्तान को अमेरिका ने सारीदुनिया के विरोध के बावजूद ध्वस्त कर दिया। चीन में कहने के लिएकम्युनिस्ट शासन है लेकिन बाकी दुनिया के कम्युनिस्ट ही उसे कम्युनिज्मके रास्ते से भटका हुआ कहते हैं। उत्तरी कोरिया ने अपनी सुरक्षा के लिएपरमाणु शक्ति संपन्न बनने का रास्ता अपनाया है। फिर अब अमेरिका को कौन सीताकत क्यूबा को नेस्तनाबूद करने से रोकती है? वह ताकत क्यूबा कीक्रान्तिकारी जनता की ताकत है जिसे पूरी दुनिया की मेहनतकश और इंसाफ पसंदजनता अपना हिस्सा समझती है और अपनी ताकत का एक अंश सौंपती है।पिछले बीस बरसों से वे लगातार चुनौतियों से जूझ रहे हैं अनेक मोर्चों परबिजली की कमी की समस्याएँ, रोजगार में कमी, उत्पादन और व्यापार में कमीऔर बाहरी दुनिया के दबाव अपनी जगह बदस्तूर कायम हैं ही, फिर भी, इतने कमसंसाधनों और इतनी ज्यादा मुसीबतों के बावजूद क्यूबा ने शिक्षा,स्वास्थ्य, सुरक्षा और जन पक्षधर जरूरी चीजों को अपने नागरिकों के लिएअनुपलब्ध नहीं होने दिया। अप्रैल 2010 में क्यूबा के लाखों युवाओं कोसंबोधित करते हुए राउल कास्त्रो ने कहा कि ’इतनी मुश्किलों में से उबरनेकी ताकत सिर्फ सामूहिक प्रयासों और मनुष्यता को बचाने की प्रतिबद्धता सेही आती है, और वह ताकत समाजवाद की ताकत है।’ ये सच है कि कई मायनों मेंक्यूबा की जनता आज सबसे मुश्किल दौर से गुजर रही है। लेकिन वे जानते हैंकि इसका सामना करने और हालातों को अपने पक्ष में मोड़ लेने के अलावा दूसराकोई विकल्प नहीं है। सर्वग्रासी पूँजीवाद अपने जबड़े फैलाए क्यूबा केइंकलाब को निगलने के लिए 50 वर्षों से ताक में है। चे ने 1961 में लिखाथा कि गलतियाँ तो होती हैं लेकिन ऐसी गलतियाँ न हों जो त्रासदी बन जाएँ।क्यूबाई जनता जानती है कि समाजवाद के बाहर जाने की गलती त्रासदियाँलाएगी।आज सिर्फ क्यूबा में ही नहीं, सारी दुनिया में हर उस शख्स के भीतर कीआवाज फिदेल और क्यूबा के लोगों और क्यूबा की आजादी के साथ है जिसके भीतरअन्याय के खिलाफ जरा भी बेचैनी है। आज चे, फिदेल और क्यूबा सिर्फ एक देशतक महदूद नाम नहीं हैं बल्कि वे पूरी दुनिया के और खासतौर पर पूरे दक्षिणअमेरिका के साम्राज्यवाद विरोधी आंदोलन के प्रतीक हैं। अमेरिका जानता हैकि फिदेल और क्यूबा पर किसी भी तरह का हमला अमेरिका के खिलाफ एक ऐसेविश्वव्यापी जबर्दस्त आंदोलन की वजह बन सकता है जिसकी लहरों से टकराकरसाम्राज्यवाद-पूँजीवाद की नाव तिनके की तरह डूब जाएगी।क्यूबा की प्रेरणा, जोश और फिदेल की अनुभवी सलाहों के मार्गदर्शन में आजलैटिन अमेरिका के अनेक देशों में अमेरिकी साम्राज्यवाद और सरमायादारी केखिलाफ आंदोलन मजबूत हुए हैं और वेनेजुएला और बोलीविया में तो परेशानहालजनता ने इन शक्तियों को सत्ता भी सौंपी है। अपनी ताकत को बूँद-बूँदसहेजते हुए पूरी सतर्कता के साथ ये आगे बढ़ रहे हैं। क्यूबा ने उनकी ताकतको बढ़ाया है और वेनेजुएला के राष्ट्रपति चावेज और बोलीवियाई राष्ट्रपतिइवो मोरालेस के उभरने से क्यूबा को भी बल मिला है। अमेरिकी चक्रव्यूह सेअन्य देशों को भी निजात दिलाने के लिए वेनेजुएला की पहल पर लैटिन अमेरिकीदेशों को एकजुट करके ’बोलीवेरियन आल्टरनेटिव फाॅर दि अमेरिकाज’ (एएलबीए)और बैंक आॅफ द साउथ के दो क्षेत्रीय प्रयास किए हैं जिनसे निश्चित हीपूँजीवाद के बनाए भीषण मंदी के दलदल में फँसे देशों को कुछ सहारा भीमिलेगा और साथ ही समाजवादी विकल्प में उनका विश्वास बढ़ेगा। अब तक इनप्रयासों में हाॅण्डुरास, निकारागुआ, डाॅमिनिका, इक्वेडोर, एवं कुछ अन्यदेश जुड़ चुके हैं। यह देश मिलकर अमेरिका की दादागीरी को कड़ी व निर्णायकचुनौती दे सकते हैं। नये दौर में ऐसी ही रणनीतियाँ तलाशनी होंगी।
-विनीत तिवारीमोबाइल : 09893192740
(क्रमश:)

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें

Share |

लोकप्रिय पोस्ट

कुल पेज दृश्य