भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का प्रकाशन पार्टी जीवन पाक्षिक वार्षिक मूल्य : 70 रुपये; त्रैवार्षिक : 200 रुपये; आजीवन 1200 रुपये पार्टी के सभी सदस्यों, शुभचिंतको से अनुरोध है कि पार्टी जीवन का सदस्य अवश्य बने संपादक: डॉक्टर गिरीश; कार्यकारी संपादक: प्रदीप तिवारी

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सोमवार, 28 जुलाई 2014

अलीगढ़ में हुये दलितों के सामूहिक हत्याकाण्ड पर भाकपा ने जारी की जांच रिपोर्ट

लखनऊ 28, जुलाई – भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के एक प्रतिनिधि मंडल ने राज्य सचिव डा. गिरीश के नेत्रत्व में अलीगढ़ जनपद के लोधा थानान्तर्गत वीरमपुर गांव का दौरा किया जहां गत दिनों दलितों की जमीनों पर कब्जा करने की कोशिश में जुटे दबंगों ने तीन दलितों की दिन दहाड़े हत्या कर दी थी और एक अन्य को गंभीर रूप से घायल कर दिया था. प्रतिनिधिमंडल में पार्टी के जिला सचिव सुहेव शेरवानी, सहसचिव रामबाबू गुप्ता, पूर्व सचिव एहतेशाम बेग, आर.के. महेश्वरी, रनवीर सिंह अरुण कुमार सोलंकी राजकिशोर एवं हरिश्चंद्र लोधी शामिल थे. दौरे के बाद यहाँ जारी एक रिपोर्ट में डा. गिरीश ने कहा कि गांव के जाटव जाति के परिवार को आबंटन में मिली जमीन पर कब्ज़ा करने की नीयत से दबंग सवर्ण परिवार उन्हें वर्षों से प्रताड़ित कर रहा था. इस बीच सरकारें बदलती रहीं मगर पुलिस-प्रशासन पीड़ित पक्ष को ही प्रताड़ित करता रहा. घटना वाले दिन जब ये दलित घर पर आकर दोपहर का खाना खारहे थे लगभग आठ-दस दबंग लोग गंडासे, फरसे तथा दूसरे हथियारों से लैस होकर उनके घर पर चढ़ आये और उनको घसीटते- पीटते खेतों पर लेगए. एक दलित महिला और दो पुरुषों की मौके पर ही मौत होगयी जबकि चौथे घायल का अलीगढ विश्वविद्यालय के मेडिकल कालेज में इलाज चल रहा है. मृतकों में से एक कैलाश की पत्नी ने बताया कि वह दौड़ कर पूरे गांव से मदद की गुहार लगाती रही मगर कोई भी मदद के लिए आगे नहीं आया. गांव की एक बुजुर्ग महिला ने उसे मोबाइल फोन उपलब्ध कराया जिससे उसने 100 नम्बर डायल कर पुलिस को इत्तला दी लेकिन तब तक कातिल खूनी खेल खेल चुके थे. यहां तक कि शवों को जमीन में दबा देने के उद्देश्य से गड्ढे तक खोद चुके थे. घर की बुजुर्ग महिला ने बताया कि जमीन विवाद को सुलझाने को लेकर उसने तहसील से थाने तक बार बार गुहार लगाई मगर हर स्तर पर उसीके परिवार को यातना दी गयी और दबंगों को हर तरह से मदद पहुंचाई गयी. आज भी दबंगों की ओर से लगातार धमकियां मिल रही हैं. अभी तक दो आरोपियों के अलाबा कोई कातिल पकड़ा नहीं गया है. वे गांव के एक सिरे पर स्थिति झोंपड़ों में अपने को बेहद असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. उनकी पीड़ा यह है कि कुछ दिनों बाद जब गांव से पुलिस पिकेट हठ जायेगी तो परिवार की सुरक्षा का क्या होगा? भाकपा ने आरोप लगाया कि अखिलेश यादव के मुख्यमंत्रित्व काल में शासन प्रशासन दबंगों, अपराधियों और सांप्रदायिक तत्वों के हाथ की कठपुतली बन कर रह गया है और यह तत्व दलितों, महिलाओं, अल्पसंख्यकों एवं अन्य कमजोरों पर बेखौफ होकर हमलाबर होरहे हैं. असहाय और निरीह जनता इस जंगलराज की यातना झेलने को अभिशप्त है. भाकपा ने निर्णय लिया कि जिला पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल शीघ्र ही अलीगढ़ के जिलाधिकारी से मिल कर पीड़ितों को न्याय दिलाने की मांग करेगा. भाकपा की मांग है कि घटना के सभी दोषियों को तत्काल गिरफ्तार किया जाये, उनके ऊपर रासुका लगाई जाये, पीड़ित परिवार को नियमानुसार मुआबजा दिया जाये, उन्हें अलीगढ़ अथवा खुर्जा की कांशीराम कालोनी में आवास दिया जाये, घायल का पूरा इलाज कराया जाये, मृतक कैलाश के डेढ़ वर्षीय पुत्र की शिक्षा का जिम्मा राज्य सरकार ले तथा गांव के दलितों के आवासों का निर्माण कराया जाये और उन्हें सुरक्षा प्रदान की जाये. भाकपा ने चेतावनी दी है कि यदि उपर्युक्त के संबंध में जिला प्रशासन ने समुचित कदम नहीं उठाये तो जनपद स्तर पर आन्दोलन तो किया ही जायेगा राज्य स्तर पर भी मामले को उठाया जायेगा. डा. गिरीश

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