भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का प्रकाशन पार्टी जीवन पाक्षिक वार्षिक मूल्य : 70 रुपये; त्रैवार्षिक : 200 रुपये; आजीवन 1200 रुपये पार्टी के सभी सदस्यों, शुभचिंतको से अनुरोध है कि पार्टी जीवन का सदस्य अवश्य बने संपादक: डॉक्टर गिरीश; कार्यकारी संपादक: प्रदीप तिवारी

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सोमवार, 10 अप्रैल 2017

Press Communique of CPI, U.P.

भाजपा की फासीवादी नीतियों के खिलाफ एकजुट हों धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक एवं वामपंथी ताकतें : भाकपा लखनऊ- 10 अप्रेल 2017, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की उत्तर प्रदेश राज्य काउंसिल ने प्रदेश में होने वाले नगर निकाय चुनावों में बढ़े पैमाने पर उतरने का फैसला किया है. नगर निकायों के माध्यम से जनता की सेवा को प्रतिबध्द भाकपा इन चुनावों में वामपंथी दलों के साथ मिल कर उतरेगी. उपर्युक्त सहित अन्य कई निर्णय यहां संपन्न भाकपा की दो दिवसीय बैठक में लिये गये हैं. बैठक में भाकपा के राष्ट्रीय सचिव कामरेड डी. राजा, सांसद दोनों दिन उपस्थित रहे. बैठक की अध्यक्षता का. गफ्फार अब्बास एडवोकेट ( मथुरा ) ने की. बैठक में लिये गये अन्य प्रमुख फैसलों के बारे में जानकारी देते हुये भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने बताया कि पूरे प्रदेश में भारत रत्न डा. भीमराव अंबेडकर का जन्म दिवस 14 से 21 अप्रेल तक मनाया जायेगा. इस अवसर पर जाति की विडम्बना को मिटाने, दलितों और कमजोरों के उत्पीडन को समाप्त करने और उनके सामाजिक आर्थिक तथा शैक्षिक उत्थान के रास्ते तलाशने हेतु विचार गोष्ठियां, मीटिंगें तथा अन्य कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे. राज्य काउंसिल बैठक में उत्तर प्रदेश की मौजूदा राजनैतिक स्थिति पर भी गहनता से चर्चा हुयी. राज्य काउंसिल हाल ही में सत्तारुढ सरकार के क्रिया कलापों और उसके मूल्यांकन के लिये कुछ और दिन इंतजार करना चाहती है. लेकिन प्रदेश सरकार के इस अल्प कार्यकाल में कई समस्यायें खड़ी होगयी हैं जिन पर किसी को भी चिंतित होना स्वाभाविक है. इस अवधि में जघन्य अपराध बढे हैं, अपराधी तत्वों के हौसले बरकरार हैं और वह आमजनता ही नहीं पुलिस बलों पर भी हमलाबर हैं. हाल में ही तीन पुलिस कांस्टेबिलों की दुखद हत्या गंभीर मामला है. लूट कत्ल और अन्य अपराध भी बेखौफ तरीके से जारी हैं. लगता है योगीजी का ‘सुपर एक्टिविस्म’ मीडिया में सुर्खियां बटोरने तक सीमित है. भाकपा राज्य काउंसिल ने गरीब आबादियों में शराब के ठेके खोले जाने का विरोध कर रही महिलाओं के उत्पीड़्न, उन पर लाठियां बरसाने और उन पर मुकदमे दर्ज कर आतंकित किये जाने के कदम को अनुचित मानते हुये उसकी आलोचना की है. सरकार के इस कदम से लगता है कि पूर्व की सरकारों की तरह यह सरकार भी शराब माफियाओं के हितों के पोषण में लगी है और और जनता के अच्छे उद्देश्यों के लिये किये जा रहे स्वत:स्फूर्त आंदोलनों को लाठी डंडे के बल पर दबाना चाहती है. मीटबंदी के बारे में भाकपा की राय है कि इसे राजनैतिक उद्देश्यों अर्थात गोरक्षा के नाम पर अल्पसंख्यकों और दलितों पर आक्रमण करने और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के उद्देश्य से लागू किया गया है. इसी तरह एंटी रोमियो अभियान के नाम पर आधुनिक दृष्टिकोण रखने वाले युवक युवतियों को उट्पीड़न का शिकार बनाया गया है. किसान कर्जा माफी पर भाकपा ने कहा कि यह एक और धोखा साबित हुआ है और किसानों में भारी निराशा है. हताशा में किसानों की आत्महत्याओं का दौर फिर शुरू हो गया है और बुंदेलखंड में हाल ही में कई किसानों ने आत्महत्या की है. भाकपा चाहती है कि किसानों के समस्त कर्जों को माफ किया जाये जैसाकि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने अपने चुनाव अभियान में किसानों को भरोसा दिया था. इस कर्जमाफी के लाभ के दायरे में बटायीदार किसानों को भी लाया जाना चाहिये जिन्होने बड़े सूद पर सूदखोरों से कर्जा लिया है. क्षेत्रीय खेत मजदूरों को भी सहायता प्रदान करने का रास्ता निकाला जाना चाहिये. भाकपा राज्य काउंसिल ने अपनी इस मांग को दोहराया है कि नेशनल हाईवेज और स्टेट हाईवेज टोल- टैक्स मुक्त हों. भाकपा का तर्क है कि वाहन खरीद के समय, वाहन रजिस्ट्रेशन कराने के समय उपभोक्ताओं से भारी टैक्स बसूला जाता है और पेट्रोल डीजल पर सड़्क निर्माण के नाम पर विशिष्ट टैक्स ( सेस ) बसूला जाता है तो फिर एक अन्य टैक्स बसूलने का कोई औचित्य नहीं. सिवाय इसके कि यह जनता की बलपूर्वक की जारही सरकारी लूट है. भाकपा ने गत सरकार द्वारा निजी नलकूपों के शुल्क में की गयी लगभग चार गुना वृध्दि को किसानों की जर्जर आर्थिक हालत को और खराब करने वाला बताया और इस संबंधित आदेश को तत्काल रद्द करने की मांग की. भाकपा ने रोड्वेज कर्मचारियों, शिक्षकों और शिक्षणेतर कर्मचारियों पर छह माह तक हड़्ताल न करने की पाबंदी को तानाशाहीपूर्ण कदम बताते हुये इसे तत्काल वापस लेने की मांग की. भाकपा राज्य काउंसिल ने पांच राज्यों के चुनाव परिणामों की भी समीक्षा की. उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के बारे में राज्य काउंसिल ने कहा कि भाजपा ने अपने सांप्रदायिक एजेंडे को धार देकर, खुल कर जातीय कार्ड खेलते हुये कल्पना से परे धन बहा कर और मीडिया की एकतरफा पक्षधरता के बल पर इन चुनावों को जीता है. चुनाव आयोग ने मतदान को सात चरणों में फैला कर और अन्य कई कदमों से भाजपा को जीतने में अप्रत्यक्ष रूप से मदद की है. यह लोकप्रिय जनादेश नहीं अपितु, छल बल, घृणित सांप्रदायिक और जातीय विभाजन तथा धन बल से हासिल किया गया बहुमत है जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने जबर्दस्त भूमिका निभायी है. पंजाब में सत्तारूढ़ भाजपा गठबंधन पूरी तरह समाप्त हो गया, गोआ में भी उसे करारी हार मिली और मणिपुर में भी बहुमत हासिल करने से भजपा पीछे छूट गयी. मगर गोआ और मणिपुर में भाजपा ने सारी मर्यादाओं को ताक पर रख कर राज्यपालों की मदद से और विधायकों को खरीद कर अपनी सरकार बनाई है. यह मोदी लहर नहीं थी जैसे कि दाबे किये जारहे हैं. अब अपने विभाजनकारी एजेंडे को धार देने को भाजपा ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में घनघोर कट्टर चेहरों को कमान सौंपी है. बैठक को संबोधित करते हुये कामरेड डी. राजा ने कहा कि देश, संविधान और जनता को भाजपा और संघ परिवार की फासीवादी नीतियों से भारी खतरा है. इसके मुकाबले के लिये धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक और वामपंथी शक्तियों को एक मंच पर लाने की जरूरत है. भाकपा इसके लिये प्रयासरत है और वामपंथी दलों समेत अन्य लोकतांत्रिक दलों से वार्ता जारी है. उन्हें भरोसा है कि ऐसी सभी शक्तियां मौके की नजाकत को पहचानेंगीं और देश हित में योजना बना कर मुद्दों के आधार पर एकजुट होकर काम करेंगी. उन्होने स्पष्ट किया कि इसे चुनावी गठबंधन नहीं समझना चाहिये. डा. गिरीश

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