भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का प्रकाशन पार्टी जीवन पाक्षिक वार्षिक मूल्य : 70 रुपये; त्रैवार्षिक : 200 रुपये; आजीवन 1200 रुपये पार्टी के सभी सदस्यों, शुभचिंतको से अनुरोध है कि पार्टी जीवन का सदस्य अवश्य बने संपादक: डॉक्टर गिरीश; कार्यकारी संपादक: प्रदीप तिवारी

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शुक्रवार, 9 जुलाई 2010

घर में ठंडे चूल्हे पर अगर खाली पतीली है

घर में ठंडे चूल्हे पर अगर खाली पतीली है।
बताओ कैसे लिख दूँ धूप फाल्गुन की नशीली है।।

भटकती है हमारे गाँव में गूँगी भिखारन-सी।
सुबह से फरवरी बीमार पत्नी से भी पीली है।।

बग़ावत के कमल खिलते हैं दिल की सूखी दरिया में।
मैं जब भी देखता हूँ आँख बच्चों की पनीली है।।

सुलगते जिस्म की गर्मी का फिर एहसास वो कैसे।
मोहब्बत की कहानी अब जली माचिस की तीली है।।

- अदम गोंडवी
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दादरी परियोजना से प्रभावित किसानों की समस्याओं के सम्बंध में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा. गिरीश का राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री को लिखा पत्र

8 जुलाई २०१०
सेवा में,
महामहिम राज्यपाल महोदय
उत्तर प्रदेश
राजभवन
लखनऊ
विषय: रिलायंस पावर लि. दादरी परियोजना से प्रभावित किसानों की समस्याओं के सम्बंध में
महामहिम जी,
जैसाकि आपके संज्ञान में है, प्रदेश सरकार ने रिलायंस पावर प्रोजेक्ट के निर्माण के लिए जनपद गौतमबुद्ध नगर की तहसील दादरी के अंतर्गत ग्राम बझेड़ाखुर्द आदि में किसानों की 2562 एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर अनिल अम्बानी को हस्तांतरित किया था।
इसके विरूद्ध भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, किसान मंच एवं महाराणा संग्राम सिंह किसान कल्याण समिति तथा कई अन्य पार्टियों ने देशव्यापी आन्दोलन चलाया था और किसानों की उपजाऊ जमीनें अधिग्रहण न किये जाने की मांग उठाई थी।
बाद में माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने फैसला दिया कि यह अधिग्रहण उचित तरीके से नहीं हुआ था और किसानों को उनकी जमीनें आपत्ति दर्ज करा कर और प्राप्त मुआवजे की राशि वापस लेकर लौटा दी जायें। इस फैसले का व्यापक स्वागत हुआ था।
लेकिन सारे किसान निर्धारित अवधि के भीतर मुआवजा वापस नहीं कर पाये तथा आपत्ति भी दर्ज नहीं करा पाये हैं। आन्दोलन के दौरान तमाम किसानों पर मुकदमें भी दर्ज किये गये थे जो आज भी किसानों के उत्पीड़न की कहानी कह रहे हैं। अब माननीय उच्च न्यायालय द्वारा किसानों के पक्ष को उचित ठहराने के बाद इन मुकदमों के जारी रहने का कोई औचित्य समझ में नहीं आता है।
महामहिम जी,
इसी 25 जून को उन सभी किसानों ने गौतमबुद्ध नगर के धौलाना कस्बे में एक जनसभा आयोजित की थी जिसमें भाकपा महासचिव ए.बी.बर्धन और मैं स्वयं शामिल हुये थे। जनसभा में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास कर प्रभावित किसानों की समस्याओं को आप तक पहुंचाने का अनुरोध हम लोगों से किया गया था। तदनुसार हम आपके पास निम्न मांगें अंकित कर भेज रहे हैं।
1 रिलायंस पावर प्रोजेक्ट के लिए अधिगृहीत जमीन के मुआवजे की राशि को लौटाने और आपत्तियां दर्ज कराने की अवधि बढ़ाकर 31 अक्टूबर 2010 तक कर दी जाये क्योंकि कई किसान आपत्ति दर्ज नहीं करा सके हैं तथा मुआवजे की राशि इसलिए नहीं लौटा सके क्योंकि उन पर धन नहीं है और उसके लिए उन्हें अपनी सम्पत्तियां बेचकर रकम का इंतजाम करना पड़ रहा है।
2 उपर्युक्त आन्दोलन के दौरान किसानों पर लगाये गये मुकदमों को फौरन वापस लिया जाये।
3 मुआवजे की राशि खसरा अनुसार जमा कराई जाये।
4 अधिगृहीत भूमि के बीच से गुजरने वाले रजवाहे को जोकि कैंसिल कर दिया गया था, पुनः चालू कराया जाये ताकि वहां खेती की जमीन पर सिंचाई की जा सके।
अतएव आपसे अनुरोध है कि उपर्युक्त के सम्बंध में उत्तर प्रदेश सरकार को तत्काल आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दें।
सधन्यवाद।
भ व दी य
(डा. गिरीश)
राज्य सचिव
प्रतिलिपि आवश्यक कार्यवाही हेतु।
1 - माननीय मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार, लखनऊ2 - आयुक्त, मेरठ मंडल, मेरठ

(डा. गिरीश)
राज्य सचिव
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