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गुरुवार, 16 अप्रैल 2020

CPI CONDEMNED ATTACK ON DOCTORS


प्रकाशनार्थ-

भाकपा ने कोरोना योध्दाओं पर हमले की कड़े शब्दों में निन्दा की
विषम परिस्थितियों में भी सांप्रदायिक खेल खतरनाक: भाकपा

लखनऊ- 16 अप्रेल 2020, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव मण्डल ने मुरादाबाद में चिकित्सकों की टीम पर हुये हमले की निन्दा की है। भाकपा ने एटा जनपद में कोरोना के प्रति जागरूक करने गयी आशा कर्मी की दबंगों द्वारा पिटाई की भी निन्दा की है। साथ ही सत्ता प्रतिष्ठान, उसके स्तंभों और मीडिया के कतिपय हिस्सों द्वारा कोरोना के  इस त्रासद काल में भी निरंतर सांप्रदायिक विष- वमन की भी कठोर शब्दों में निन्दा की है।
एक प्रेस बयान में भाकपा राज्य सचिव मण्डल ने कहा कि कोरोना से जान जोखिम में डाल कर जूझ रहे चिकित्सकों और कर्मियों पर हमला सर्वथा निंदनीय है। इससे कोरोना के विरूध्द लड़ाई कमजोर होती है। और यदि हमला मुस्लिमों द्वारा किया जाता है तो सांप्रदायिक शक्तियों को इस भयावह समय में भी सांप्रदायिकता का खेल खेलने का मौका मिल जाता है। हमला कोई मुट्ठी भर समूह करता है और वे पूरे मुस्लिम समाज पर टूट पड़ते हैं। अपनी इस घ्रणित मुहिम में वे समस्त सेक्युलर ताकतों को भी लपेट लेते हैं।
भाकपा ने एटा की कोतवाली देहात के गांव भदों में दबंग तत्वों द्वारा आशाकर्मी संतोषी देवी की जमकर पिटाई कर दी। उनका आई कार्ड और अभिलेख भी दबंगों ने छीन लिये। आशाकर्मी वहां कोरोना के प्रति जागरूकता पैदा करने गयी थी। पर एक महिला कोरोना योध्दा पर हमले की यह घटना बड़ी खबर इसलिये नहीं बन सकी कि हमलाबर मुस्लिम नहीं थे। मुख्यमंत्री द्वारा उन पर एनएसए लगाने की घोषणा तो दूर अभी तक सामान्य कार्यवाही की भी खबर नहीं है। यह सत्ता प्रतिष्ठान के दोहरे चरित्र का सीधा खेल है।
भाकपा ने आरोप लगाया कि जब सारा देश जब कोरोना से जूझ रहा है और बड़ी संख्या में गरीब- गुरबे भूखे प्यासे रह कर नारकीय जीवन जी रहे हैं, वहीं सत्ता प्रतिष्ठान, उसके अंध समर्थक और मीडिया के विषाक्त हिस्से आज भी सांप्रदयिक खेल खेल रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन और सर्वोच्च न्यायालय की हिदायतों के बावजूद कोरोना को लेकर समुदाय विशेष को लगातार निशाना बनाया जारहा है। नेतागण तो सांप्रदायिकता के बल पर सत्तासीन हुये हैं और वे आगे भी इसी हथियार को सत्ता प्राप्ति का कारगर साधन समझ रहे हैं। पर उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी भी उन्हीं की भाषा बोल रहे हैं। संक्रमित जमातियों की  संख्या हर रोज बतायी जाती है, अन्य लोग कौन हैं कहां संक्रमित हुये नहीं बताया जाता। प्रशासनिक अधिकारियों को अपनी तटस्थता बनाए रखनी चाहिये।
नाम पूछ कर लोगों को पीटा जाना, सब्जी- फल विक्रेताओं को धर्म के आधार पर प्रताड़ित किया जाना और बांद्रा की घटना को भी जबर्दस्ती मुस्लिम समाज के ऊपर थोपने की घटनायें उतनी ही निंदनीय हैं जितनी मुरादाबाद में चिकित्सकों पर हमले। ये हमले हमारे मानसिक स्वास्थ्य जो स्वस्थ लोकतन्त्र का स्तंभ है, के लिये बेहद घातक हैं।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा,   उत्तर प्रदेश

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