भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का प्रकाशन पार्टी जीवन पाक्षिक वार्षिक मूल्य : 70 रुपये; त्रैवार्षिक : 200 रुपये; आजीवन 1200 रुपये पार्टी के सभी सदस्यों, शुभचिंतको से अनुरोध है कि पार्टी जीवन का सदस्य अवश्य बने संपादक: डॉक्टर गिरीश; कार्यकारी संपादक: प्रदीप तिवारी

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Communist Party of India, U.P. State Council

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शुक्रवार, 18 दिसंबर 2020

Press Note of Left Parties of UP


 

किसानों की अमूल्य शहादत को क्रांतिकारी नमन पेश करेंगे वामदल

 

20 दिसंबर को गाँव गाँव शहादत दिवस मनाने के एआईकेएससीसी के आह्वान का किया समर्थन

 

लखनऊ- 18 दिसंबर 2020, उत्तर प्रदेश के वामपंथी दलों ने देश और दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन का नेत्रत्व कर रही सर्वोच्च कमांड एआईकेएससीसी द्वारा 20 दिसंबर को देश भर में शहीद दिवस आयोजित करने की अपील को समर्थन प्रदान किया है। वामदलों ने अपनी समस्त कतारों से अनुरोध किया है कि वे किसानहित, जनहित एवं देशहित में अपने प्राण न्यौछावर करने वाले किसानों की शहादत को गाँव- गाँव पुरजोर नमन करें।

ज्ञातव्य हो कि भीषण शीतलहरी में दिल्ली में संकल्पबध्द डेरा जमाये बैठे लाखों किसानों में से अब तक 38 किसान शहीद हो चुके हैं। बावजूद इसके निष्ठुर, धूर्त और षडयंत्रकारी सरकार किसानों की मांगों पर संजीदगी से विचार करने के बजाय उसमें फूट डालने, किसानों को लांच्छित करने और उनके आंदोलन का जबरिया जिम्मा विपक्षी दलों पर डालने की साज़िशों में जुटी है। वह अपने देश के किसानों से शत्रु देश के नागरिकों जैसा वर्ताव कर रही है।

कभी उन्हें खालिस्तानी, नक्सलवादी और देशद्रोही बताया जाता है तो अब यूपी के मुख्यमंत्री ने इसे मंदिर निर्माण के खिलाफ ताकतों द्वारा समर्थित आंदोलन बता कर सांप्रदायिक कार्ड खेलने की कुचेष्टा की है। आंदोलन के पहले ही दिन से भाजपा, संघ परिवार और उसका गोबवेल्सी प्रचारतंत्र आंदोलन में जातीय, धार्मिक और क्षेत्रीय तत्व ढूँढने की असफल कोशिश में लगा है।

किसान आंदोलन को कुचलने के लिए वाचिक एवं भौतिक हिंसा का सहारा लेने वाला सत्तापक्ष अहिंसक और गांधीवादी तरीकों से किए जा रहे आंदोलन को हिंसक साबित करके उसे जबरिया समाप्त कराने के षडयंत्र रच रहा है। जबकि माननीय उच्चतम न्यायालय ने आंदोलन को वैध, संविधान सम्मत और तर्कसम्मत करार दिया है।

अंबानी अदानी जैसे कार्पोरेट्स को लाभ पहुंचाने और किसानों को कंगाल बनाने की गरज से बनाये गये तीनों काले क़ानूनों को रद्द कराने और विद्युत बिल 2020 को रद्द करने की मांगों को लेकर चल रहे इस आंदोलन के प्रति भाजपा और संघ परिवार का रवैया बेहद आपत्तिजनक है। वे क़ानूनों को जायज ठहराने को स्वयं तो 7,0000 रैलियाँ कर रहे हैं और किसानों और उनके समर्थन में विपक्ष की संवैधानिक कार्यवाहियों को बाधित कर रहे हैं।

उत्तर प्रदेश में किसानों का चीनी मिलों पर भारी धन बकाया पड़ा है। कर्ज में डूबे किसानों का सरकारी तंत्र उत्पीड़न कर रहा है और वे आत्महत्याएं कर रहे हैं। कल ही हाथरस जनपद में कर्ज में डूबे एक किसान ने उत्पीड़न से आजिज़ आकर आत्महत्या कर ली। उनकी धान आदि फसलों की कीमत समर्थन मूल्य से आधी मिल पारही है। आवारा पशुओं से किसान की फसलें तवाह हो रही हैं। उन्हें सम्मान निधि की राशि मिल नहीं पा रही। महंगे डीजल, खाद, क्रषी उपकरणों और कीटनाशकों ने लागतमूल्य बढ़ा दिया है। किसानों पर आश्रित खेत मजदूर और उन दोनों की युवा सन्तानें बेरोजगारी का दंश झेल रही हैं। और यूपी सरकार जबरिया उनकी आवाज दबा रही है। किसानों को आंदोलन करने पर गिरफ्तार किया जा रहा है, धमकाया जा रहा है और उन्हें दिल्ली कूच से रोका जा रहा है।

वामदलों के नेताओं- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा॰ गिरीश, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा॰ हीरालाल यादव, भाकपा माले के राज्य सचिव सुधाकर यादव एवं आल इंडिया फारबर्ड ब्लाक के संयोजक अभिनव कुशवाहा ने कहा कि वामदल शुरू से ही किसानों के हर जायज संघर्ष में उनके कंधे से कंधा मिला कर चलते रहे हैं और 20 दिसंबर के उनके आह्वान का पुरजोर समर्थन करेंगे।

 

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश

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सोमवार, 14 दिसंबर 2020

सफल रहीं आज की किसान कार्यवाहियाँ

 

अहिंसक आंदोलन के खिलाफ हिंसा पर उतारू है उत्तर प्रदेश सरकार

 

भाकपा ने सभी आंदोलनकारियों को सफल और शांतिपूर्ण कार्यवाहियों के लिये बधाई दी

 

सरकारी दमन की निंदा की, गिरफ्तार साथियों की तत्काल रिहाई की मांग की

लखनऊ- 14 दिसंबर 2020, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव मंडल ने तमाम दमन और सरकारी आतंक के बीच तीन काले क़ानूनों और विद्युत बिल 2020 वापसी के लिये किसानों और विपक्ष द्वारा की गयी व्यापक कार्यवाही के लिये उत्तर प्रदेश और देश के किसानों का क्रांतिकारी अभिनंदन किया है। भाकपा ने वामपंथी दलों सहित तमाम विपक्षी दलों को भी किसानों के समर्थन में व्यापक रूप से सड़कों पर उतरने के लिये बधाई दी है।

एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने आरोप लगाया कि आज के आंदोलन को कुचलने के लिये सरकार ने बेहद दमनकारी रवैया अपनाया हुआ था। रात से ही भाकपा, किसान सभा, नौजवान सभा, स्टूडेंट्स फेडरेशन एवं अन्य वामपंथी दलों/ संगठनों  के नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करना शुरू कर दिया था।

कई को हाउज़ अरेस्ट कर लिया गया, अनेकों को उस समय हिरासत में ले लिया गया जब वे आंदोलन में भाग लेने को गंतव्य की ओर जा रहे थे तो अन्य कई को प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार कर लिया। हिरासत में न इन्हें खाना- पीना दिया गया न ही ठंड से बचाने के इंतजामात किए गये। योगी सरकार आंदोलन के प्रति भयावह क्रूरता पर उतर आयी है। भाकपा इस दमनचक्र की निंदा करती है और सभी गिरफ्तार लोगों की तत्काल रिहाई की मांग करती है।

भाकपा ने सवाल उठाये हैं कि जब आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण है और लोकतान्त्रिक मर्यादाओं के भीतर हो रहा है तो भाजपा सरकार उसे क्यों कुचलने पर आमादा है? क्यों किसानों वामदलों को दमन का निशाना बनाया जा रहा है? क्या अहिंसक आंदोलन पर ये हिंसा नहीं है? क्या यह हक की लड़ाई के खिलाफ यूध्द नहीं है? क्या यह आलोकतांत्रिक और अन्यायपरक नहीं है? क्या सबसे बड़ी अदालत को इस अन्याय का नोटिस नहीं लेना चाहिए?

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा , उत्तर प्रदेश

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मंगलवार, 8 दिसंबर 2020

Left came on roads in UP

 

किसानों के भारतबंद के समर्थन में उत्तर प्रदेश के वामपंथी दलों की अभूतपूर्व कार्यवाहियाँ

 

रास्ते जाम किए, पुतले जलाये, प्रदर्शनों से रहीं सड़कें लाल

गिरफ्तार नेताओं और कार्यकर्ताओं की तत्काल रिहाई की मांग उठाई

वाम नेताओं ने सभी आंदोलनकारियों को लाल सलाम पेश किया

 

लखनऊ- 8 दिसंबर 2020, योगी सरकार के भारी आतंक और दमन के बावजूद किसानों के भारत बंद के समर्थन में उत्तर प्रदेश में वामपंथी दलों एवं जनसंगठनों ने अभूतपूर्व एकजुटता का इजहार किया। यद्यपि गत रात से ही अनेक जिलों में वामपंथी दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं की ताबड़तोड़ गिरफ्तारियाँ शुरू कर दी थीं, फिर भी वामपंथी दलों ने हर जिले में संयुक्त रूप से अनेक जुझारू कार्यवाहियों को अंजाम दिया।

प्रदेश में हजारों की संख्या में कार्यकर्ताओं ने रास्ते जाम किये, मोदी, योगी और कार्पोरेट्स के पुतले जलाये, जुलूस निकाले, धरने दिये और किसानों नौजवानों की मांगों से संबंधित ज्ञापन दिये। इन कार्यवाहियों में चारों वामपंथी दलों- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी- मार्क्सवादी, भाकपा, माले- लिबरेशन एवं फारबर्ड ब्लाक तो थे ही, संबंधित किसान सभाएं, ट्रेड यूनियनें, नौजवान और छात्र फेडरेशनें, महिला संगठन, इप्टा जलेस जसम आदि सान्स्क्रतिक संगठन, खेत मजदूर यूनियनें आदि भी सड़कों पर उतरे।

ट्रांसपोर्टर्स, अधिवक्ता, बिजली कर्मी आशा, आंगनबाड़ी, आदि भी कार्यवाहियों में शामिल हुये। मंडियाँ और अनेक जगह बाजार भी बन्द रहे। आज समूचा उत्तर प्रदेश लाल नजर आ रहा था। कई विपक्षी दलों के नेता/ कार्यकर्ताओं ने भी सड़कों पर उतर कर किसानों के प्रति समर्थन का इजहार किया। वामपंथी दलों ने किसानों के समर्थन में उतरने वाले सभी को क्रांतिकारी अभिनंदन पेश किया है। संघर्षों में उपजी वाम एकता और जनवादी एकता को आगे भी बनाये रखने पर ज़ोर दिया।

वामदलों ने कहाकि यह किसानों का भारत बन्द था, व्यापारियों का नहीं। बाजार बन्द होने न होने से इसका मूल्यांकन नहीं किया जाना चाहिए। खुदरा व्यापार में कार्पोरेट्स के आधिपत्य के विरोध में यदि व्यापारी भी विरोध में शामिल रहते तो उचित ही रहता। जो बन्द से अनभिज्ञ रहे वह उनकी बड़ी चूक है।

भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश, माकपा राज्य सचिव डा॰ हीरालाल यादव, भाकपा माले सचिव का॰ सुधाकर यादव एवं फारबर्ड ब्लाक के संयोजक अभिनव कुशवाहा ने सभी आंदोलनकारियों की बिना शर्त तत्काल रिहाई की मांग की है।

जारी द्वारा-

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश    

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शनिवार, 5 दिसंबर 2020

उत्तर प्रदेश- किसान संगठनों के 8 दिसंबर के भारत बंद को उत्तर प्रदेश के वामपंथी दलों ने समर्थन प्रदान किया

लखनऊ- 5 दिसंबर 2020, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी      (मार्क्सवादी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, माले- लिबरेशन एवं आल इंडिया फारबर्ड ब्लाक की उत्तर प्रदेश राज्य इकाइयों ने किसान संगठनों के 8 सितंबर के भारत बन्द को समर्थन दिया है।

यहां जारी एक संयुक्त बयान में वामपंथी दलों ने कहा है कि वे नये क्रषी क़ानूनों के विरूध्द देश भर के किसान संगठनों द्वारा चलाये जा रहे व्यापक एवं जुझारू आंदोलन के प्रति पूर्ण एकजुटता व्यक्त करते हैं और उनके द्वारा 8 दिसंबर को भारत बन्द कराने के आह्वान का समर्थन करते हैं।

वामपंथी दलों ने भारत की खेती को बचाने और देश की खाद्य सुरक्षा के लिए किए जा रहे अन्नदाताओं के संघर्ष के विरूध्द भाजपा/ आरएसएस द्वारा चलाये जा रहे झूठे और घ्रणित प्रचार अभियान की कड़े से कड़े शब्दों में निन्दा की।

वामपंथी दल तीनों नये क्रषी क़ानूनों और विद्युत संशोधन बिल 2020 को समाप्त करने की किसानों मांगों का शुरू से ही समर्थन कर रहे हैं और उनके सहयोगी संगठन इसके लिए निरंतर आवाज उठा रहे हैं। वामपंथी दल अन्य राजनैतिक दलों और शक्तियों से अपील करते हैं कि वे किसानों की मांगों के समर्थन में आगे आयें।

भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश, माकपा राज्य सचिव डा॰ हीरालाल यादव, भाकपा, माले लिबरेशन के राज्य सचिव का॰ सुधाकर यादवएवं फारबर्ड ब्लाक के राज्य संयोजक अभिनव कुशवाहा ने अपनी जिला इकाइयों से अनुरोध किया कि वे संयुक्त रूप से भारत बन्द के समर्थन में हर संभव प्रयास करें। अन्य लोकतान्त्रिक दलों, संगठनों और शक्तियों को भी साथ में लायें।

जारी द्वारा

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश

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शुक्रवार, 4 दिसंबर 2020

Youth and students in support of farmers in UP


आंदोलनकारी किसानों के समर्थन में उत्तर प्रदेश के छात्र- नौजवान सड़कों पर

AISF एवं AIYF के कार्यकर्ताओं ने जिलों में किये धरने, प्रदर्शन और पुतले दहन

लखनऊ- 4 दिसंबर 2020, आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन ( AISF ) एवं अखिल भारतीय नौजवान सभा ( AIYF ) की उत्तर प्रदेश राज्य इकाइयों के आह्वान पर आज दिल्ली और देश भर में संघर्षरत/ आंदोलनकारी किसानों के समर्थन में सैकड़ों की संख्या में छात्रों और नौजवानों ने आज  सड़कों पर उतर कर किसानों के साथ एकजुटता का इजहार किया तथा किसानों, छात्रों और नौजवानों की ज्वलंत मांगों को स्थानीय प्रशासन के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति तक पहुंचाया।

एआईएसएफ़ एवं एआईवाईएफ़ के जाबांज कार्यकर्ताओं ने आज समूचे उत्तर प्रदेश के जिला अथवा तहसील मुख्यालयों पर जुझारू तेवरों के साथ धरने दिये, प्रदर्शन किये एवं कई जगह मगरूर, हठी, किसान, मजदूर, छात्र- नौजवान विरोधी और अंबानी अदानी जैसे कार्पोरेटों की दलाल सरकार के पुतले भी फूंके।

ज्ञापनों के माध्यम से छात्र नौजवानों ने मांग की कि किसान विरोधी तीनों कानून वापस लिए जायें और इसके लिये संसद का विशेष सत्र बुलाया जाये। उन्होने नूनतम समर्थन मूल्य दिलाने की गारंटी करने वाला कानून बनाने की मांग की। बिजली अधिनियम 2020 वापस लिया जाने और श्रम क़ानूनों में किये गए मजदूर विरोधी बदलावों को रद्दी की टोकरी में डालने की मांग पर बल दिया।

उन्होने मांग की कि गरीब विरोधी, जनविरोधी और धनवानपरस्त नई शिक्षा नीति 2020 तत्काल वापस ली जाये, भगतसिंह रोजगार गारंटी एक्ट बनाया जाये और सबको समान शिक्षा, रोजगार और मुफ्त स्वास्थ्य सेवायें  उपलब्ध करायी जायें।

अपने 5 सूत्रीय माँगपत्र में छात्र युवाओं ने आंदोलनकारी किसानों, मजदूरों, छात्रों एवं नौजवानों के ऊपर हो रहे अत्याचारों को तत्काल रोके जाने की मांग की। चेतावनी दी कि सरकार शीघ्र नहीं सुधरी तो छात्र- नौजवान और भी बड़ी कार्यवाहियों के लिये बाध्य होंगे।

एआईएसएफ़ एवं एआईवाईएफ़ के राज्य कार्यालयों को समाचार प्रेषित किये जाने तक कई दर्जन जनपदों से कार्यक्रमों के सफलतापूर्वक संपन्न होने की खबरें मिल चुकी हैं। उनमें से प्रमुख हैं- मथुरा, हाथरस, गाजियाबाद, शामली, बदायूं, बरेली, शाहजहाँपुर, कानपुर देहात, चित्रकूट, झांसी, ललितपुर, खागा ( फ़तेहपुर ), बाराबंकी, फैजाबाद- बीकापुर, मछलीशहर-जौनपुर, सुल्तानपुर, मऊ, बहराइच, कुशीनगर, निचलौल ( महाराजगंज ), प्रतापगढ़, गोंडा, बुलंदशहर, बांदा, मौदहा- हमीरपुर आदि।

AISF एवं AIYF के प्रांतीय पदाधिकारियों ने आज किसानों के समर्थन में सड़कों पर उतरने वाले छात्र- नौजवानों को क्रांतिकारी बधाई दी और अपेक्षा की कि वे अपनी जंगजू कार्यवाहियाँ लगातार जारी रखेंगे।


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