फ़ॉलोअर
मंगलवार, 27 फ़रवरी 2018
at 6:19 pm | 0 comments |
भाकपा नेता और पूर्व सांसद का. प्रबोध पंडा के निधन पर उत्तर प्रदेश भाकपा ने शोक जताया
लखनऊ- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव मंडल ने पार्टी की
राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य, पार्टी की पश्चिमी बंगाल राज्य काउंसिल के सचिव,
अखिल भारतीय किसान सभा के अध्यक्ष और पूर्व सांसद कामरेड प्रबोध पंडा के निधन पर
गहरा शोक व्यक्त किया है और उन्हें क्रांतिकारी श्रध्दांजलि अर्पित की है.
72 वर्षीय मगर कल तक पूरी
तरह सक्रिय का. पंडा का निधन आज (27 फरबरी ) को अलख सुबह कलकत्ता स्थित भाकपा
राज्य कार्यालय- “भूपेश भवन” स्थिति उनके आवासीय कक्ष में एक गहरे ह्रदय आघात के
चलते होगया.
पश्चिम बंगाल के पूर्व
मेदिनीपुर जनपद में 7 फरबरी 1946 में एक किसान परिवार में जन्मे प्रबोध पंडा कम
उम्र में ही छात्र आन्दोलन के माध्यम से सार्वजनिक जीवन में आगये थे. बाद में
किसान आंदोलनों में हिस्सा लेते हुए वे गत शताब्दी के छटवें दशक में वे भाकपा में
शामिल हुये और वर्षों तक पार्टी की मिदनापुर जिला काउंसिल के सचिव रहे.
कामरेड प्रबोध पंडा पहली
बार कामरेड गीता मुखर्जी के निधन से रिक्त सीट पर 2001 में हुए उपचुनाव में 13 वीं
लोकसभा के सदस्य चुने गये. 2004 और 2009 में हुए 14वीं और 15वीं लोकसभा के लिए वे
लगातार चुने गये थे. अपने समूचे संसदीय कार्यकाल में वे गरीबों, किसानों और
मजदूरों की मुखर आवाज बने और विभाजनकारी तथा सांप्रदायिक शक्तियों के विरुध्द तीखे
संघर्ष करते रहे. संसद की जल सरंक्षण और प्रबंधन समिति के संयोजक के रूप में
उन्होंने इसकी नीति निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की.
प्रबोध पंडा लंबे समय से
भाकपा की राष्ट्रीय परिषद के सदस्य रहे. 2014 में वे भाकपा की पश्चिम बंगाल राज्य
काउंसिल के सचिव चुने गये. इसके बाद वे पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य
चुने गये. हाल ही में दिसंबर 2017 में हुये पश्चिम बंगाल राज्य इकाई के सम्मेलन
में अगले तीन वर्षों के लिये पुनः सचिव चुने गये थे.
वे लगभग एक दशक से अखिल
भारतीय किसान सभा के अध्यक्ष थे.
भाकपा उत्तर प्रदेश के सचिव
डा. गिरीश ने कहाकि उनके इस आकस्मिक निधन से गरीबों, दलितों, शोषितों, अल्पसंख्यकों,
किसानों और मजदूरों के आन्दोलन को गहरा धक्का पहुंचा है. पश्चिम बंगाल ही नहीं देश
भर के कम्युनिस्ट और वामपंथी आन्दोलन को गहरी क्षति हुयी है. ऐसे समय में जब भाकपा
अप्रेल माह में अपना राष्ट्रीय महाधिवेशन आयोजित कर लुटेरी कारपोरेट व्यवस्था और
उभरते फासीवाद के खिलाफ संघर्ष की नीति निर्धारण में जुटी है, कामरेड प्रबोध पंडा के
अमूल्य सुझावों से हम वंचित होगये हैं.
भाकपा उतर प्रदेश उनके
प्रति आदरसूचक श्रध्दांजलि अर्पित करती है. उनके परिवार जिसमें उनकी पत्नी और
पुत्र शामिल हैं के गम में पूरी तरह शरीक होते हुये, इस अपार कष्ट को सहने में
सक्षम होने की कामना करती है. भाकपा उत्तर प्रदेश अपने पश्चिम बंगाल के साथियों के
साथ इस विषम स्थिति में खड़े होने और कामरेड प्रबोध पंडा के शोषणरहित समाज का
निर्माण करने के संघर्ष को आगे बढाने का संकल्प लेती है.
बुधवार, 7 फ़रवरी 2018
at 12:38 pm | 0 comments |
गरीबों को गरीब तथा अमीरों को अमीर बनाने वाला है आम बजट
“ऐसा कोई सगा नहीं, जिसको
हमने ठगा नहीं.” सैकड़ों सालों से कानपुर के प्रसिध्द ‘ठग्गू के लड्डू’ बेचने वाले
का यही नारा है. अपने केन्द्रीय वित्तमंत्री जी ने भी बजट बनाते हुए ठग्गू के लड्डू
बेचने वाले के इसी नारे पर अमल किया है.
यूं तो आज़ादी के बाद से
पूंजीवादी और अब कारपोरेटी सरकारों द्वारा पेश किये जाते रहे हर बजट को सरकारें
लोक लुभावन होने का दावा करती रही हैं लेकिन आज़ादी के 70 साल बाद भी जनता की हालत
में कोई उल्लेखनीय सुधार नहीं हुआ है. देश के तीस करोड़ से अधिक लोग आज भी गरीबी की
सीमा के नीचे हैं तो 12 करोड़ जिनमें अधिकतर बच्चे हैं, कुपोषण के शिकार हैं. बजट
दर बजट आते रहे और गरीबी अमीरी के बीच खाई निरंतर चौड़ी होती रही. गत साढ़े तीन
सालों में यह खाई और भी चौड़ी होती गयी और देश के कई धनवान व्यापारिक घराने दुनिया
के धनाढ्यों की सूची में आगये हैं. देश की दौलत केवल 1 से 10 प्रतिशत तक लोगों के
हाथों में सिमटती जारही है जबकि गरीबों की संख्या लगातार बढ़ती जारही है. केंद्र
सरकार का यह बजट इस खाई को और अधिक चौड़ा
करेगा. यही वजह है कि उद्योग जगत ने इसकी तारीफ़ की है और व्यापारी, लघु उद्यमी,
मध्य वर्ग, किसान, मजदूर, महिलायें, विद्यार्थी और नौजवान आदि सभी इससे निराश हुए
हैं.
सबसे ज्यादा धोखाधडी किसानों
के साथ हुयी है जिनसे गत लोकसभा चुनावों के समय उनकी आमदनी दोगुना करने का झांसा
दिया गया था. बाद में सरकार अपने इस वायदे से मुकर गयी और सर्वोच्च न्यायालय में
लिखित रूप से कहाकि किसानों की आमदनी को डेढ़ गुना नहीं किया जासकता. अब अचानक बजट
भाषण में उनकी आमद डेढ़ गुना बढाने का दावा किया गया है. बिना यह बताये कि किसानों
की जरूरत वाली चीजों के दाम कितने घटाए जायेंगे और सभी फसलों का समर्थन मूल्य कितना
बढाया जाएगा. फसलों की मौजूदा कीमत में लगभग पचास फीसद बढ़ोत्तरी की दरकार है और
पिछले साढ़े तीन साल के अनुभव बताते हैं कि समर्थन मूल्यों में मामूली वृध्दि ही
होगी. फसल बीमा योजना के आंकड़े बताते हैं कि उसके जरिये निजी क्षेत्र की कंपनियों
ने अरबों रुपये प्रीमियम के रूप में किसानों की जेब से निकलवा लिए और फसल हानि की
भरपाई के नाम पर उन्हें प्याज के टुकड़े ही मिले.
मध्यवर्ग और अच्छी तनख्वाह पाने
वाले जिनका बड़ा हिस्सा भाजपा और उसकी सरकार का पिट्ठू बना हुआ है, को उम्मीद थी कि
उन्हें आयकर आदि में रियायतें मिलेंगी. लेकिन उन्हें इस बजट से भारी निराशा हुयी
है. सरकार की ठग प्रवृत्ति का इससे बढ़ा उदहरण क्या मिलेगा कि पेट्रोल डीजल पर दो
फीसद उत्पाद कर घटाया तो उतना ही उस पर सेस लगा दिया. अंबानी का पेट्रोल महँगा बिक
सके इसलिये विश्व बाज़ार में कच्चा तेल सस्ता होने के बावजूद उसे उपभोक्ताओं के लिए
महंगा बनाया हुआ है. नोटबंदी और जीएसटी से लुटा पिटा लघु उद्यमी और व्यापारी राहत
की आस लगाए बैठा था मगर उसे भी निराशा ही हाथ लगी है. महिलाओं की मौजूदा स्थिति
में बदलाव शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य और सुरक्षा के जरिये ही आसकता है, पर बजट इस
पर मौन है.
मजदूर वर्ग इस सरकार की
प्राथमिकता में कभी नहीं रहा और इस बजट में भी उसकी घनघोर उपेक्षा की गयी है. यहाँ
तक कि ग्रामीण रोजगार देने वाली मनरेगा को भी अपेक्षित बजट आबंटन नहीं मिला.
शिक्षा का बजट 4 फीसद भी नहीं किया गया. सरकार शिक्षा ऋण पर जोर देती रही है. पर
बिना रोजगार की गारंटी किये यह ऋण उन्हें पकोड़ा बेचने को ही बाध्य करेगा और यही
सरकार की मंशा भी है. रोजगार देने वाली योजनाओं की नामौजूदगी और चार साल में कीगयी
उपेक्षा से नौजवानों में भारी निराशा है. वे आवेदनों की लहीम सहीम फीस, साक्षात्कारों
के बाद भी नियुक्तियां न होने और भर्ती की आयुसीमा घटने से भी नाखुश हैं. उज्ज्वला
योजना ने इस सरकार को वोट दिलाये हैं अतएव उसे जारी रखा गया है. लेकिन बहुचर्चित
स्वास्थ्य बीमा योजना का धन बीमा कंपनियां हडप जायेंगी और इसका भी हश्र फसल बीमा
योजना जैसा होगा.
राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति,
राज्यपालों और सांसदों के वेतनों में अप्रत्याशित वृध्दि गरीबों और आम जनता के जले
पर नमक छिडकने वाली है.
आज़ादी के बाद यह पहला बजट
है जिसमें एक भी नई रेल चलाने या उनके फेरे बढाने की कोई घोषणा नहीं हुयी. बुलट
ट्रेन के सपने दिखाने वाली सरकार को आम आदमी की सुगम यात्रा की कोई फ़िक्र नहीं है.
जहां तक हाथरस का सवाल है यहाँ
के लोगों को आशा थी कि उन्होंने भाजपा को सांसद, विधायक और नगरपालिका का चेयरमेन
दिया है, इसका उसे पुरूस्कार मिलेगा. लेकिन हाथरसवासियों को न तो कोई नयी ट्रेन
मिली न बहुप्रतीक्षित ओवरब्रिज. न कोई उद्योग मिला न शिक्षण संस्थान. हाथरस के लोग
अपने को ठगा महसूस कर रहे हैं.
इस सरकार का पिछला बजट भी
इसी तर्ज पर था. इसने भी गरीबी अमीरी की खाई को चौड़ा किया है. ओक्सफेम की रिपोट के
अनुसार 2017 में अर्जित कुल संपत्ति का 73 प्रतिशत भाग मात्र एक प्रतिशत लोगों के
हाथों में चला गया जबकि शेष 99 प्रतिशत लोगों को इसका केवल 27 प्रतिशत हिस्सा ही
मिला. इन 1 प्रतिशत लोगों की संपत्तियां बढ़ कर 20. 9 लाख करोड़ होगयी हैं. इस
सर्वेक्षण के अनुसार देश की कुल संपत्ति का 58 फीसद भाग एक फीसद लोगों के पास है
जबकि विश्व स्तर पर यह अनुपात कम है और 1
फीसद लोगों के पास 50 फीसद संपत्ति है. जाहिर है भारत में गरीबी और अमीरी की खाई
दुनिया में सबसे अधिक है और इसी विषमता पर पर्दा डालने को भाजपा और संघ परिवार
कृत्रिम मुद्दे उठा कर हिन्दू मुस्लिम विभाजन पैदा कर रहे हैं.
डा. गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
मेरी ब्लॉग सूची
-
CPI Condemns Attack on Kanhaiya Kumar - *The National Secretariat of the Communist Party of India issued the following statement to the Press:* The National Secretariat of Communist Party of I...6 वर्ष पहले
-
No to NEP, Employment for All By C. Adhikesavan - *NEW DELHI:* The students and youth March to Parliament on November 22 has broken the myth of some of the critiques that the Left Parties and their mass or...8 वर्ष पहले
-
रेल किराये में बढोत्तरी आम जनता पर हमला.: भाकपा - लखनऊ- 8 सितंबर, 2016 – भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने रेल मंत्रालय द्वारा कुछ ट्रेनों के किराये को बुकिंग के आधार पर बढाते चले जाने के कदम ...8 वर्ष पहले
Side Feed
Hindi Font Converter
Are you searching for a tool to convert Kruti Font to Mangal Unicode?
Go to the link :
https://sites.google.com/site/technicalhindi/home/converters
Go to the link :
https://sites.google.com/site/technicalhindi/home/converters
लोकप्रिय पोस्ट
-
New Delhi : Communist Party of India(CPI) on August 20,2013 squarely blamed the Prime Minister and the F...
-
COMMUNIST PARTY OF INDIA Central Office Ajoy Bhavan, 15, Com. Indrajit Gupta Marg, New Delhi-110002 Telephone: 23232801, 23235058, Fax:...
-
The following is the text of the political resolution for the 22 nd Party Congress, adopted by the national council of the CPI at its sess...
-
NFIW ON PROPOSED FOOD SECURITY BILL The National Federation of Indian Women (NFIW) oppose the proposed Food Security. The Bill guarantees ...
-
The national green tribunal (NGT) on Sunday banned mining or removal of sand from river beds across the country without an environ...
-
Tomarrow's Pioneer is reporting : @While asserting that adequate safeguards would be put in place to prevent a recurrence, the governmen...
-
The three days session of the National Council of the Communist Party of India (CPI) concluded here on September 7, 2012. BKMU lead...
-
India Bloom News Service published the following news today : Left parties – Communist Party of India (CPI), Communist Party of India-Marxis...
-
This 11th International Meeting of the Communist and Workers' Parties, held in New Delhi, 20-22 November 2009 to discuss on “The interna...
-
Ludhiana Tribune today published the following news : Our Correspondent Ludhiana, June 25The Communist Party of India (CPI) has condemned th...