भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का प्रकाशन पार्टी जीवन पाक्षिक वार्षिक मूल्य : 70 रुपये; त्रैवार्षिक : 200 रुपये; आजीवन 1200 रुपये पार्टी के सभी सदस्यों, शुभचिंतको से अनुरोध है कि पार्टी जीवन का सदस्य अवश्य बने संपादक: डॉक्टर गिरीश; कार्यकारी संपादक: प्रदीप तिवारी

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Communist Party of India, U.P. State Council

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सोमवार, 29 जून 2020

Left Agitation against Petroliam Price hike in UP



पेट्रोल, डीजल की कीमतों में निरंतर और असहनीय उछाल के विरूध्द-

उत्तर प्रदेश भर में वामपंथी दलों के व्यापक और जुझारू प्रदर्शन

लखनऊ- 29 जून 2020, उत्तर प्रदेश के वामपंथी दलों ने आज अपने को अनलाक करते हुये सड़कों पर संघर्ष का बिगुल बजा दिया। केन्द्रीय नेत्रत्व के आह्वान पर आज चारों वामदलों- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी- मार्क्सवादी, भाकपा, माले- लिबरेशन एवं आल इंडिया फारबर्ड ब्लाक ने मोदी सरकार द्वारा 23 दिनों से लगातार बढ़ाये जारहे पेट्रोल डीजल के मूल्यों और कमरतोड़ महंगाई के खिलाफ जिलों जिलों में संघर्ष का शंखनाद   कर चेतावनी दे दी कि यदि उसने जनता को लूट कर तवाह करने वाले अपने कदमों को पीछे न खींचा तो आगे उसे और व्यापक संघर्षों का सामना करना पड़ेगा। उनके इस संघर्ष को किसानों, खेतिहर मजदूरों, युवाओं, छात्रों और महिला संगठनों का भी साथ मिला।
वामपंथी दल और उनके सहयोगी संगठन लाक डाउन के काल में भी निरंतर संघर्षरत थे और मर्यादाओं का पालन करते हुये कोई दर्जन भर कार्यक्रमों का आयोजन किया था। पर जुल्म जब बड़ता है तो पाबंदियाँ टूट जाती हैं, पानी जब जोर मारता है तो बंधे तक ढह जाते हैं की कहावत को चरितार्थ करते हुये हजारों वाम कार्यकर्ताओं ने आज प्रतिरोध का बिगुल फूंक दिया।
टीवी चेनलों ने भले ही इस बड़ी कार्यवाही से आंखें मूँद ली थीं, लेकिन सोशल मीडिया आक्रोशपूर्ण नारों के प्रदर्शन की गूंज से पटा पड़ा था। वामदलों के इस दाबे को कोई भी सोशल मीडिया पर जाकर चैक कर सकता है। कई जिलों में कई कई जगह कार्यक्रम हुये तो कई जगह पुलिस ने पाबंदियां थोपने का पुश्तैनी काम किया। लेकिन दमन का यह दुष्चक्र वामपंथी कार्यकर्ताओं के कदम रोक न सका।
सोशल मीडिया के माध्यम से शाम 5 बजे तक जिन जिलों की कार्यवाहियों को जाना गया उनकी फहरिश्त लंबी है। लखनऊ, अयोध्या, वाराणसी, कानपुर शहर, मथुरा, मेरठ, गोरखपुर, आगरा, कानपुर देहात, जालौन, इलाहाबाद, झांसी, चित्रकूट, सुल्तानपुर, सोनभद्र, अलीगढ़, गाजियबाद, कुशीनगर, गाजीपुर, महाराजगंज, बुलंदशहर, मुरादाबाद, शामली, औरैया, कासगंज, बांदा, इटावा, मैनपुरी, फ़तेहपुर ( खागा ), जौनपुर, चंदौली, मिर्जापुर, बहराइच, बलरामपुर, फरुखाबाद, रायबरेली, आजमगढ़ ( लालगंज ), बलिया, भदोही, बाराबंकी, हाथरस, गोंडा, देवरिया, मऊ, बस्ती, अंबेडकर नगर, हमीरपुर, आदि जगहों पर कार्यक्रमों की सूचना सायं 5 बजे तक मिल चुकी थी।
इस संबंध में राष्ट्रपति महोदय एवं राज्यपाल उत्तर प्रदेश को संबोधित ज्ञापन जिला प्रशासन को सौंपे गए।
ज्ञापनों में कहा गया है कि गत तीन सप्ताह से अधिक होगये, पेट्रोल और डीजल के दामों में लगातार व्रद्धि होरही है। इस व्रद्धि से पेट्रोल और डीजल दोनों की कीमतें रुपये 80 प्रति लीटर के पार होगयी हैं। यह भी उस समय होरहा है जबकि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में अभूतपूर्व गिरावट आयी। इस गिरावट का लाभ आम जनता को मिल पाता उससे पहले ही केन्द्र सरकार ने पेट्रोल डीजल पर उत्पाद कर और राज्य सरकारों ने वैट बढ़ा दिया। रही सही कसर प्रतिदिन पेट्रोल डीजल की कीमतें बढ़ा कर तेल कंपनियों ने पूरी कर दी। रसोई गैस की कीमतें भी काफी बढ़ चुकी हैं। यह भारत ही है जहां पेट्रोल, डीजल पर विश्व में सर्वाधिक लगभग 69 प्रतिशत टैक्स लिया जारहा है।
73 साल में यह भी पहली बार हुआ है कि डीजल की कीमतें पेट्रोल से अधिक होगयी है। निश्चय ही यह बेहद संकटपूर्ण स्थिति है। इससे खेती, उद्योग, ट्रांसपोर्ट और नागरिक आवागमन सभी महंगे होगये हैं। परिणामस्वरूप महंगाई ने छलांग भरना शुरू कर दी। यह सब उस समय और अधिक तकलीफ बढ़ाने वाला है जब कोरोना संकट और लाक डाउन से भयंकर पैमाने पर बेरोजगारी फैली है और आम नागरिकों की जेब खाली है। बदतर हालत में पहुंच चुकी अर्थव्यवस्था के सामने और अधिक संकट खड़ा होगया है। इस सबसे वेपरवाह सरकार जनता को लूटने में जुटी है।
पेट्रोलियम पदार्थों की बढ़ी कीमतों की मार से किसानों, मजदूरों, व्यापारियों, ट्रांसपोर्टरों और आम जनता को राहत दिलाने के लिये वामपंथी दल लगातार आवाज उठा रहे हैं, लेकिन मगरूर सरकारों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। अतएव वामपंथी दलों ने देश भर में पुनः अभियान छेड़ा है। अवाम की कुछ अन्य समस्याओं को भी उठाया गया है-
पेट्रोल और डीजल की कीमतों में पर्याप्त कमी तत्काल की जाये। रसोई गैस की कीमतें भी कम की जायें। पेट्रोल एवं डीजल पर हाल ही के सप्ताहों में बढ़ाये गये उत्पाद कर और वैट को तत्काल वापस लिया जाये। पेट्रोल, डीजल एवं रसोई गैस की पूर्व की मूल्य नियंत्रण प्रणाली लागू की जाये। महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार पर कारगर रोक लगायी जाये।
आयकर के दायरे से बाहर समस्त परिवारों के खाते में हर माह रुपये- 7500 अगले 6 माह तक निरंतर डाले जायें। हर जरूरतमन्द परिवार को प्रति व्यक्ति 10 किलोग्राम के हिसाब से अनाज अगले 6 माह तक निरंतर मुहैया कराया जाये।
उत्तर प्रदेश में चरमरा चुकी कानून व्यवस्था की हालत को नियंत्रण में किया जाये। महिलाओं, दलितों और अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न रोका जाये। कोविड अस्पतालों और एकांत केन्द्रों की दयनीय व्यवस्थाओं में सुधार लाया जाये। अधिकाधिक जांच करा कर लोगों का मानवीय संजीदगी से मुफ्त इलाज कराया जाये। मनरेगा का आकार बढ़ाया जाये और भ्रष्टाचार से बचाया जाये।
साथ ही इस मांग को भी जोरदारी से उठाया गया कि जनता के हित में आवाज उठाने वाले विपक्षी दलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का राजनैतिक उत्पीड़न बंद किया जाये। अन्य गतिविधियों की तरह विपक्ष की राजनैतिक गतिविधियों को अनलाक किया जाये।
भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश, माकपा राज्य सचिव डा॰ हीरालाल यादव, भाकपा- माले, लिबरेशन के सचिव का॰ सुधाकर यादव एवं फारबर्ड ब्लाक के संयोजक अभिनव कुशवाहा ने प्रदेश के सभी वामपंथी नेताओं, कार्यकर्ताओं, सहयोगी संगठनों, शुभचिंतकों एवं आम जनता को इस सफल जन कार्यवाही के लिये क्रांतिकारी बधाई प्रेषित की है और उम्मीद की है कि आने वाले दिनों में वे जनता के ज्वलंत सवालों पर और भी सघन कार्यवाहियों के लिये तत्पर रहेंगे।
जारी द्वारा-
डा॰ गिरीश


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मंगलवार, 23 जून 2020

Press Note of Left Parties, UP


उत्तर प्रदेश के वामपंथी दलों का प्रेस बयान-
वामपंथी दलों ने उत्तर प्रदेश में विपक्षी दलों की राजनैतिक गतिविधियों पर से रोक हटाने की मांग की
लोकतन्त्र में ऐसा पहली बार हुआ है जब सत्तापक्ष सड़कों पर है और विपक्ष को ताले में बन्द किया हुआ है
सारे कायदे- कानून ताक पर रख शासक दल धड़ल्ले से चला रहा है अपनी कारगुजारियाँ
वामदलों ने गलवान घाटी में शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की, उन्हें लाल सलाम पेश किया
लखनऊ- 23 जून 2020, उत्तर प्रदेश के वामपंथी दलों- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी- मार्क्सवादी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, एमएल- लिबरेशन एवं आल इंडिया फारबर्ड ब्लाक के प्रादेशिक पदाधिकारियों ने आज आन लाइन बैठक की। वाम नेताओं ने सर्वप्रथम गलवान घाटी में चीन के साथ मुठभेड़ में शहीद हुये भारतीय सेना के अफसरों और सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की, उन्हें रेड सेल्यूट पेश किया और शोक संतप्त उनके परिवारों के प्रति गहरी सहानुभूति प्रकट की।
तदुपरान्त वामपंथी दलों ने निम्न बयान जारी किया-
उत्तर प्रदेश के वामपंथी दलों ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश की सरकार और शासक दल- भाजपा नफरत, दहशत और दमन की राजनीति कर रहे हैं। कोरोना काल, लाक डाउन और अब अनलाक- 1 में सरकार और शासक दल अपने एजेंडों और गतिविधियों को खुले आम अंजाम दे रहे हैं, वहीं उन्होने लाक डाउन और कोविड- 19 के बहाने विपक्ष को क्वारंटाइन में डाल दिया है और आम जनता पर निर्दयता पूर्वक हमले जारी रखा है। अब सीमाओं पर संकट के नाम पर वह अपने एजेंडे को धड़ल्ले से लागू कर रहे हैं। वामदलों ने विपक्ष पर लादी गयी अलोकतांत्रिक पाबंदियों को तत्काल हटाने की मांग की है।
एक प्रेस बयान में वामदलों ने कहा कि सत्ता और उसके बल पर अर्जित धन के बल पर भाजपाई वर्चुअल रैलियां कर रहे हैं और प्रसारण सुनने के लिये भाजपा कार्यालयों, भाजपा नेताओं के आवासों और अनेक स्थलों पर लगाये गए एलईडी टीवी के सामने बड़ी संख्या में लोग इकट्ठे होरहे हैं। सामाजिक दूरी की सरेआम धज्जियां बिखेरी जारही हैं। सरकार की कथित उपलब्धियों के प्रचार- प्रसार के लिये कार्यकर्ताओं के झुंड गावों, शहरों में न केवल पर्चे बांट रहे हैं अपितु सभाएं तक कर दे रहे हैं। सरकारी सामग्री को हथिया कर सामूहिक रूप से वितरण कर रहे हैं।
इतना ही नहीं, उत्तर प्रदेश सरकार ने शराब बिक्री शुरू करा दी जिससे दुकानों पर लंबी लाइनें लग रही हैं और मयखानों में भीड़ जुट रही है। देवालयों और पवित्र नदियों के स्नान में भीड़ें जमा होरही हैं। अब तो जगन्नाथ रथ यात्रा तक आयोजित की जारही है। भाजपा के मंत्रियों, सांसदो और विधायकों द्वारा दी जा रही पार्टियों और क्षेत्र भ्रमणों में भीड़ जमा होने के वीडियो लगातार वायरल होरहे हैं। आम जनता के आक्रोश को तो समझा जा सकता है पर चीनी सामान का आयात करने के लिये जिम्मेदार भाजपा सरकार के समर्थक लोग भी कथित चीनी सामान की होली जलाने का नाटक कर रहे हैं। कानून, सोशल डिस्टेन्सिंग और लाक डाउन नियमों की धज्जियां हर तरह बिखेरी जारही हैं।
कोविड-19 से निपटने में सरकार की नीतियों और कार्यवाहियों में छेद ही छेद हैं। क्वारंटाइन सेंटर्स, आइसोलेशन सेंटर्स एवं कोविड अस्पतालों की दुर्व्यवस्थायें जान लेवा साबित होरही हैं। लोग वहां जाने से भयभीत हैं और बीमारियों को छिपा रहे हैं। तमाम लोगों की जानें जारही हैं जिनका कोविड मौतों में रिकार्ड नहीं है। प्रायवेट टेस्ट एजेंसीज और प्रायवेट हॉस्पिटल मिल कर लोगों की चीटिंग कर रहे हैं। सरकार अपनी व्यवस्थाओं के गुणगान में लगी है। अब तो कोविड महामारी की परवाह छोड़ भाजपा और सरकार चुनावों की तैयारियों में जुट गयी है। जनता को राम भरोसे छोड़ दिया गया है।
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम घटे तो सरकारों ने बड़ी मात्रा में उत्पाद कर और वैट लगा दिया। अब पेट्रोल डीजल के दाम 16 दिन से लगातार बढ़ रहे हैं और रुपये 80 प्रति लीटर के पार होगये हैं। 73 सालों में यह पहली बार हुआ है कि कीमतों में डीजल अब पेट्रोल के बराबर पहुँच गया है। कोविड पीड़ित जनता अब महंगाई की मार झेल रही है। बिजली के बड़े हुये बिल उनकी कठिनाइयों को और भी बढ़ा रहे हैं। उत्तर प्रदेश में कानून- व्यवस्था जर्जर हो चुकी है। हत्या, लूट, चोरी, डकैती, छिनैती सभी बड़े पैमाने पर हो रहे हैं। महिलाओं दलितों और अल्पसंख्यकों पर अत्याचारों की तो झड़ी ही लग गयी है। दलितों अल्पसंख्यकों के बीच के विवादों को सांप्रदायिक रूप देकर अल्पसंख्यकों पर रासुका लगाई जा रही है। कानपुर का बालिका गृह कांड राज्य सरकार के नाम पर कलंक का टीका है।
6900 शिक्षक भर्ती, एक नाम पर कई कई शिक्षकों की नियुक्ति और पशुधन विभाग के घोटाले सरकार में उच्च स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार के चन्द उदाहरण हैं। राशन वितरण, मनरेगा में धांधली और सरकारी विभागों में रिश्वतख़ोरी चरम पर हैं। अब गरीबों को मिलने मुफ्त मिलने वाला राशन अगले माह से बंद किया जारहा है, जबकि उसके कई माह तक जारी रहने की जरूरत है। लाक डाउन में पुलिस प्रशासन निरंकुश होगया है और नियमों के पालन कराने के नाम पर आम नागरिकों, व्यापारियों और ट्रांसपोर्टर्स का भारी उत्पीड़न कर रहा है।
मजदूरों को काम तो दूर तमाम उद्योग बंद होरहे हैं और वे बेरोजगार बनाये जारहे हैं। घरों को लौटे मजदूर काम न मिलने से जान की परवाह छोड़ पुनः पलायन कर रहे हैं। किसानों की फसलों के बाजिव दाम मिल नहीं पारहे हैं। सरकारी योजनाओं में रिश्वतख़ोरी के चलते उसका लाभ किसी तबके को मिल नहीं पारहा है।  इस सबके विरूध्द उठने वाली आवाज को दबाने का काम आज लाक डाउन के नाम पर किया जारहा है।  
महामारी की आड़ में सरकार तुगलकी कानून थोपती जा रही है। वह विपक्ष पर जुल्म ढारही है। विपक्षी नेताओं को जेल में डाला गया। ज्ञापन सौंपने जा रहे वामपंथी दलों के कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। सीएए के विरोध में आंदोलन करने वालों को प्रताड़ित किया जा रहा है और उन पर गैर कानूनी जुर्माना ठोका जारहा है। विपक्ष को दफा 144 और महामारी अधिनियम के जरिये दीवारों के पीछे धकेल दिया गया है। योगी सरकार आतंक का पर्याय बन गयी है।
लोकतन्त्र में सरकार दफ्तर में रहती है और विपक्ष सड़कों पर होता है। पर मोदी- योगी राज में यह उलटा कर दिया गया है। यहाँ सरकार सड़क पर है और विपक्ष को नजरबंदी में डाल दिया गया है। यह जनता द्वारा अपने खून पसीने से सींचे गये लोकतन्त्र के लिये अशुभ ही नहीं घातक भी है।
अतएव वामपंथी दल सरकार से मांग करते हैं कि विपक्ष के ऊपर थोपी हुयी पाबंदियों को तत्काल हटाया जाये। राजनैतिक गतिविधियों पर से लाक डाउन को हटाया जाये। यह लोकतन्त्र की मजबूती के लिये जरूरी तो है ही, कोविड महामारी से निपटने और सीमाओं पर मौजूद संकट का मिल कर मुक़ाबला करने के लिये भी अति आवश्यक है।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी,
डा॰ हीरालाल यादव, राज्य सचिव
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी- मार्क्सवादी
सुधाकर यादव, राज्य सचिव
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, एमएल- लिबरेशन
अभिनव कुशवाहा, राज्य संयोजक
आल इंडिया फारबर्ड ब्लाक


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सोमवार, 22 जून 2020

कानपुर बालिका गृह कांड की उच्च स्तरीय और निष्पक्ष जांच हो: भाकपा




लखनऊ- 22 जून 2020, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने कानपुर के राजकीय बालिका गृह में 57 लड़कियों के कोरोना पाजिटिव एवं 7 के गर्भवती मिलने को प्रदेश सरकार के नाम पर कलंक बताया है। भाकपा ने इसे मुजफ्फरपुर संवासिनी गृह कांड की पुनराव्रत्ति बताया है।
एक प्रेस बयान में भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने प्रशासन के इस तर्क को कि वे बालिका गृह में आने से पहले से गर्भवती थीं, खारिज करते हुये कहा कि यह बात सार्वजनिक होने से पहले प्रशासन को बता देनी चाहिए थी। उनकी गृह में प्रवेश से पहले जांच करा कर सार्वजनिक की जानी चाहिए थी। उनका कोविड-19 से संक्रमण होना प्रशासन की तैयारियों पर और गहरे सवाल खड़े करता है।
भाकपा ने मांग की कि इसकी निष्पक्ष उच्च स्तरीय जांच जरूरी है। सवाल किया कि शासन- प्रशासन में कोई है जो समाज को झकझोर देने वाली घटनाओं की नैतिक ज़िम्मेदारी ले।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा,  उत्तर प्रदेश

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शनिवार, 20 जून 2020

CPI Protests


सीमाओं पर संकट और कोरोना के बहाने आम जनता पर बोझ लादना बर्दाश्त नहीं किया जायेगा

पेट्रोल, डीजल एवं रसोई गैस की लगातार बढ़ती कीमतों के विरूध्द भाकपा ने किये विरोध प्रदर्शन

लखनऊ- 20 जून 2020, पेट्रोल एवं डीजल की गत दो सप्ताह में लगातार बढाई गयी कीमतें वापस लेने, अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में अभूतपूर्व गिरावट का लाभ जनता को मिलने से रोकने के लिये केन्द्र सरकार द्वारा बढ़ाये गए उत्पाद कर एवं राज्य सरकार द्वारा बढ़ाये गये जीएसटी को वापस लेने, रसोई गैस की बढ़ी हुयी कीमतों को वापस लेने, पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस की पूर्ववर्ती मूल्य नियंत्रण प्रणाली को पुनः लागू करने तथा अवाम को सता रही महंगाई को नीचे लाने की मांगों को लेकर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने आज देश भर में और उत्तर प्रदेश में प्रदर्शन किये।
यद्यपि राष्ट्रीय स्तर से पेट्रोलियम पदार्थों की मूल्यव्रद्धि के विरूध्द आंदोलन का आह्वान किया गया था, लेकिन उत्तर प्रदेश में भाकपा ने मजदूरों किसानों और आम आदमी को व्यथित कर रहे उन सभी सवालों को भी उठाया जिनको भाकपा और वामपंथ उत्तर प्रदेश में लाक डाउन लागू होने के बाद से निरंतर उठा रहे हैं। धरने/ प्रदर्शनों के उपरांत राष्ट्रपति एवं राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन स्थानीय प्रशासन को सौंपे गये।
आंदोलन को कामयाब बताते हुये भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने कहा कि कोरोना और लाक डाउन के चलते आम आदमी की जेब पहले से ही खाली है, महंगाई बढ़ा कर सरकार उसे और खाली करे देरही है। पिछले 14 दिनों से पेट्रोल और डीजल की कीमतें हर रोज बढ़ायी जारही हैं और ये क्रमशः रुपये 80 और 70 के पार पहुँच गयी हैं। सीमाओं पर संकट के नाम पर सरकार के पिट्ठूओं ने इस मुजरिमाना व्रद्धि को अपरिहार्य बताना शुरू कर दिया है। यह काबिले बर्दाश्त नहीं और भाकपा इसे बर्दाश्त नहीं करेगी।
भाकपा राज्य सचिव मंडल ने दावा किया कि आज यूपी में तमाम जगह भाकपा कार्यकर्ताओं ने भीषण गर्मी, कुछ जिलों में भारी बरसात और प्रशासन की तानाशाही के बावजूद जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपे। टीवी चैनल इसे भले ही न दर्शायें, अखबारों में यह राष्ट्रीय खबर भले ही न बने लेकिन सोशल मीडिया आंदोलन की खबरों और फोटोज से भरा पड़ा है।
सच तो यह है कि कोरोना विपत्ति काल में भाकपा और वामपंथ ही लगातार जनता की आवाज उठा रहे हैं, क्षेत्रीय ताक़तें तो खामोश बैठी हुयी हैं। भाकपा और वामपंथ आने वाले दिनों में शोषित, पीड़ित जनता की और भी मुखर आवाज बनेगा, भाकपा ने विश्वास जताया है। भाकपा राज्य सचिव मंडल ने सभी भाकपा और वामपंथी कार्यकर्ताओं को उनके इस अनथक संघर्षों के लिये क्रांतिकारी बधाई दी है।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश

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मंगलवार, 16 जून 2020

पेट्रोल डीजल की मूल्य व्रद्धि एवं आम जनता के अन्य ज्वलंत सवालों पर उत्तर प्रदेश में प्रतिरोध आयोजित करेगी भाकपा


लगातार 10वें दिन पेट्रोल डीजल की मूल्यव्रद्धि की भाकपा ने निन्दा की

यूपी में 18 से 20 जून तक चलाया जायेगा प्रतिरोध अभियान

जनता की इस लूट के खिलाफ जनता से आवाज उठाने का किया आह्वान

लखनऊ- 16 जून 2020, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव मण्डल ने पेट्रोल और डीजल के दामों में 10 दिन से लगातार की जारही व्रद्धि को जनता की लूट बताते हुये इसकी कठोरतम शब्दों में निंदा की है। ऐसे समय में जबकि दुनियां में कच्चे तेल की कीमतें गिरती रही हैं, इन कीमतों में बढ़ोत्तरी किसी भी औचित्य से परे है।
यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने बताया कि भाकपा के केन्द्रीय सचिव मण्डल ने भी इस सवाल को बहुत गंभीरता से लिया है और पार्टी कार्यकर्ताओं और जनता से इस पर 20 जून को कड़ा प्रतिरोध जताने का आह्वान किया है। 
भाकपा राज्य सचिव मण्डल ने कहा कि आज भी तेल उत्पादक कंपनियों ने पेट्रोल पर 47 और डीजल पर 57 पैसे प्रति लीटर कीमतें बढ़ाई हैं। पिछले 10 दिनों में दोनों पर अलग अलग कुल 5 रुपये प्रति लीटर की व्रद्धि की जा चुकी है। जब से प्रतिदिन कीमतें तय करने की व्यवस्था लागू की गयी है तबसे किन्हीं 10 दिनों में यह सबसे बढ़ी व्रद्धि है। इन व्रद्धियों से यूपी में पेट्रोल लगभग 80 और डीजल 70 रुपये प्रति लीटर के आसपास जा पहुंचा है।
निश्चय ही इन व्रद्धियों से सभी वस्तुओं की कीमतों और यात्रा व्यय में इजाफा होगा। उपभोक्ता पहले से ही गैस, बिजली आदि की महंगाई और खाली जेबों के संकट को झेल रहे हैं। कोरोना को रोकने के लिये किए गये लाक डाउन से तहस नहस हुयी अर्थव्यवस्था को भी और अधिक हानि उठानी होगी।
भाकपा मांग करती है कि पेट्रोल, डीजल के लिये पहले वाली मूल्य नियंत्रण प्रणाली लागू की जाये ताकि आमजनों को मौजूदा सरकार द्वारा लागू की गयी नीतियों के तहत तेल उत्पादक कंपनियों की लूट से बचाया जासके।
भाकपा राज्य सचिव मण्डल ने कीमतों में इन व्रद्धियों के विरुद्ध 3 दिवसीय प्रतिरोध अभियान चलाने का निर्णय लिया है। यह प्रतिरोध 18 जून से 20 जून तक जारी रहेगा। 18 व 19 जून को ब्रांच/ ब्लाक/ तहसील स्तर पर और 20 जून को जिला स्तर पर प्रतिरोध दर्ज कराया जायेगा।
प्रतिरोध अभियान में प्रवासी मजदूरों, मजदूरों, किसानों, नौजवानों, महिलाओं, अल्पसंख्यकों और दलितों के उन सभी सवालों को भी उठाया जायेगा जिन्हें उत्तर प्रदेश में भाकपा लगातार उठा रही है।
भाकपा ने आम जनता से भी अपील की कि वह भाकपा द्वारा किये जाने वाले प्रतिरोध प्रदर्शनों का हिस्सा बनें।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा,  उत्तर प्रदेश

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रविवार, 14 जून 2020

जौनपुर और आजमगढ़ की घटनाओं की न्यायिक जांच और रासुका हटाने की भाकपा ने मांग की



लखनऊ- 14 जून 2020, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने उत्तर प्रदेश की  भाजपा सरकार पर आरोप लगाया है कि वह जौनपुर जनपद के भदेठी और आजमगढ़ जनपद के सिकंदरपुर की घटनाओं के जरिये अपनी सांप्रदायिक राजनीति को धार देना चाहती है। अपने निहित राजनैतिक स्वार्थों के लिये वह कोरोना काल में भी विभाजनकारी घ्रणित राजनीति करके देश, समाज और मेहनतकशों की एकता को गहरी हानि पहुंचा रही है।
निश्चय ही दोनों ही घटनायें दुर्भाग्यपूर्ण हैं और होनी नहीं चाहिए थी। भाकपा ऐसी घटनाओं को अशोभनीय और अवांच्छित मानती है। लेकिन इन घटनाओं को लेकर समुदाय विशेष पर एनएसए की कार्यवाही घोर अनुचित और राजनीति प्रेरित है। भाकपा इसकी कड़े शब्दों में भर्त्सना करती है।
भाकपा राज्य सचिव मंडल ने कहा कि कोरोना काल में ही उत्तर प्रदेश भर में कोई दर्जन भर दलितों की हत्या होचुकी है और अन्य अनेक का उत्पीड़न हुआ है। प्रतिदिन महिलाओं के साथ बदसलूकी, हत्या और उत्पीड़न की वारदातें होरही हैं। पर उन मामलों में राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम लगाना तो दूर कई मामलों में एफ़आईआर तक नहीं हुयी अथवा बहुत मुश्किलों से हुयी। लेकिन उपर्युक्त दोनों मामलों में एकतरफा एनएसए की कार्यवाही सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की गरज से की गयी है।
भाकपा ने कहा कि आज ही आजमगढ़ जनपद के उबारपुर गांव में भाजपा लालगंज के जिलाध्यक्ष के बेटों ने मनरेगा में काम कर रहे मजदूरों पर दिन- दहाड़े हमला कर उन्हें लहूलुहान कर दिया। क्या न्यायहित में और निष्पक्षता का परिचय देते हुये सरकार उन पर रासुका लगायेगी, भाकपा ने सवाल खड़ा किया है।  
भाकपा सचिव मंडल ने कहा कि भाजपा और उसकी सरकारें कोरोना से निपटने में पूरी तरह विफल हो गईं। देश भर में कोरोना संक्रमितों की संख्या 3 लाख से अधिक होकर दुनियाँ में देश चौथे स्थान पर पहुँच गया। अन्य मरीज भी इलाज के अभाव में दम तोड़ रहे हैं। लोग भूखों मर रहे हैं। मजदूरों को रोजगार मिलना तो दूर तमाम उद्योग बन्द होरहे हैं और मजदूरों का काम छिन रहा है। किसानों को फल और सब्जियां खेतों में नष्ट करनी पड़ी हैं। कानून व्यवस्था तार तार होचुकी है। एक से एक विकराल घपले- घोटाले सामने आरहे हैं। लोग हतप्रभ हैं और अपने को ठगा महसूस कर रहे हैं।
इन असफलाताओं से ध्यान हटाने को भाजपा सरकार ने अपने चिर- परिचित हथकंडों को स्तेमाल करना शुरू कर दिया है। अपने कुत्सित उद्देश्यों के लिये वह सरकारी मशीनरी को भी अन्यायपूर्ण और दमनकारी कार्यवाहियों के लिये बाध्य कर रही है। भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने मांग की कि दोनों मामलों में अवांच्छित रासुका हटाई जाये और न्यायहित में दोनों घटनाओं की जांच उच्च न्यायालय के सेवारत न्यायाधीश से करायी जाए।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा,  उत्तर प्रदेश

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शुक्रवार, 12 जून 2020

महोबा में खनन विस्फोट में मजदूरों की मौत सरकार की कुनीतियों का परिणाम: भाकपा ने दुख जताया



 लखनऊ- 12 जून 2020, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने आज महोबा में बम विस्फोट से 3 मजदूरों की दर्दनाक मौत पर गहरा दुख व्यक्त किया है। पार्टी ने बिना पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्थाओं के कराये जा रहे खनन के लिये जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की मांग की है। साथ ही म्रतकों के परिवारीजनों को रुपये 20 लाख तथा घायलों को रुपये 5 लाख की सहायता की मांग की है।
एक प्रेस बयान में भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने बताया कि जनपद- महोबा के कबरई में खनन के लिये लगाये विस्फोटक से तीन मजदूरों की मौत हो गयी और अन्य कई घायल होगये। यह बेहद दुखद और चिंताजनक है। खबरें मिल रहीं हैं कि विस्फोट से पहले जरूरी सुरक्षा तैयारियां नहीं की गईं और यह बड़ा हादसा होगया।
उत्तर प्रदेश में ऐसी दुर्घटनाओं का होना आए दिन की बात होगयी है। सोनभद्र, मिर्जापुर और बुंदेलखंड जैसे खनन इलाकों में मजदूरों की जान की परवाह किये बिना इस तरह के विस्फोट किये जाते हैं। मौजूदा सरकार के कार्यकाल में ऐसे विस्फोटों में दो दर्जन से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। हर दुर्घटना के बाद सरकार की ओर से जांच और मुआबजों की घोषणा कर दी जाती है और फिर सब कुछ उसी ढर्रे पर चल पड़ता है।
भाकपा राज्य सचिव ने कहा कि यदि किसान अपनी क्रषी भूमि से निजी कार्यों के लिये भी मिट्टी खोदता है तो उसे प्रताड़ित किया जाता है। उनके वाहन सील कर दिये जाते हैं, केस लगा दिये जाते हैं और प्रताड़ना से बचने को उन्हें सुविधा शुल्क देना पड़ता है। लेकिन खनन माफिया की अवैध कार्यवाहियाँ धड़ल्ले से चलती रहती हैं और जानलेवा दुर्घटनाओं को जन्म देती रहती हैं।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा,  उत्तर प्रदेश

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गुरुवार, 11 जून 2020

यूपी में नियुक्ति घोटालों की हो सीबीआई जांच: भाकपा




 लखनऊ- 11 जून 2020, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने उत्तर प्रदेश के राज्यपाल से आग्रह किया कि वे बेरोजगार युवाओं के हित में उत्तर प्रदेश के नियुक्ति घोटालों की सीबीआई से जांच कराने की संस्तुति करें।
एक प्रेस बयान में भाकपा ने कहा कि उत्तर प्रदेश में वर्षों से नियुक्तियों मे घोटालों का खेल चल रहा है जिसकी सजा बेरोजगार युवा झेल रहे हैं। किसी भी नियुक्ति प्रक्रिया के अंतिम रूप से पूरी होने से पहले किसी न किसी प्रकार की धांधली सामने आ जाती है और नियुक्तियां कानूनी पेचों में फंस कर रह जाती हैं। बेरोजगार अभ्यर्थी हाथ मलते रह जाते हैं।
मौजूदा सरकार के पदारूढ़ होने के बाद युवाओं में उम्मीद जगी थी कि अब उन्हें धांधलियों से निजात मिलेगी और उन्हें नौकरियां मिलेंगीं। लेकिन इस सरकार ने तो भ्रष्टाचार के सारे रिकार्ड तोड़ दिये। ताजातरीन मामले शिक्षा विभाग से संबंधित हैं जिसमें 69000 शिक्षकों की नियुक्तियां घपले में फंस गयीं और बेरोजगार एक बार फिर हाथ मलते रह गये।
यूपी के इतिहास में यह पहली बार हुआ है जब एक अभ्यर्थी के प्रमाणपत्रों के जरिये 25 शिक्षकों की नियुक्तियां कर दी गयीं, और असल अभ्यर्थी अनामिका शुक्ला बेरोजगार बनीं बैठी हैं। गत माहों में ऐसे दर्जनों मामले प्रकाश में आचुके हैं जिनमें एक व्यक्ति कई स्कूलों में अथवा फर्जी दस्तावेजों और नामों से नियुक्तियां हथिया कर वेतन ऐंठते रहे।
यूपी में विराट फर्जी नियुक्ति माफिया सक्रिय है जो बेरोजगारों के हकों पर दोहरा डाका डाल रहा है। एक ओर वो उचित अभ्यर्थियों के हकों पर हड़प रहा है, वहीं अन्य बेरोजगारों को अपने जाल में फंसा कर उनसे लाखों रुपये डकार रहा है। पोल खुलने पर युवाओं को जेल की हवा भी खानी पड़ रही है। माफिया न केवल बच निकलते हैं अपितु नौजवानों के पैसे भी हड़प कर जाते हैं।
भाकपा राज्य सचिव ने आरोप लगाया कि नियुक्तियों में इतना बड़ा घोटाला बिना उच्च स्तरीय संरक्षण के नहीं चल सकता। अतएव राज्य की जांच एजेंसियों से संपूर्ण खुलासे की उम्मीद नहीं की जा सकती। अतएव हम महामहिम राज्यपाल महोदय से अनुरोध करते हैं कि यूपी नियुक्ति घोटालों की जांच सीबीआई से कराने की संस्तुति केंद्र सरकार से करें।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा,  उत्तर प्रदेश

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सोमवार, 8 जून 2020

कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों को तत्काल खोला जाना अनुचित: भाकपा




लखनऊ- 8 जून 2020, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों को आज से खोले जाने के औचित्य पर सवाल उठाया है। जब अभिभावकों की चाहत और भाकपा द्वारा सभी स्कूलों को जुलाई में न खोले जाने के मुद्दे को उठाने के बाद मानव संसाधन मंत्रालय तक में इस सवाल पर पुनर्विचार चल रहा है, ऐसे में कस्तूरबा विद्यालयों को अभी से खोला जाना आग से खेलना जैसा है।
यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने कहा कि उन्हें ज्ञात हुआ है कि उत्तर प्रदेश में कस्तूरवा गांधी आवासीय विद्यालयों को आज से खोलने और सभी शिक्षकों को स्कूल पहुँचने, नामांकन करने और अन्य तैयारियां करने के आदेश दिये हैं। ज्ञात हो कि प्रदेश में 746 कस्तूरबा गांधी स्कूल हैं जिनमें शिक्षक संविदा पर रखे जाते हैं। उन्हें जून माह का मानदेय भी नहीं मिलता।
इन स्कूलों में पूर्णकालिक शिक्षकों के तौर पर महिलाओं को रखा जाता है। इन्हें विद्यालयों के हास्टल में ही रहना होता है, जहां उन्हें 5 साल तक के बच्चे को रखने की भी सुविधा प्रदान की गयी है। इन हास्टलों में कामन टायलेट्स हैं। कोविड- 19 के प्रकोप के चलते कोई भी कॉमन टायलेट्स के प्रयोग से चिन्तित हो सकता है। बच्चों के लिए तो यह और भी खतरनाक है। खासतौर पर तब, जब वहां अलग- अलग जिलों के शिक्षक सीधे पहुंचेंगे।
भाकपा राज्य सचिव ने सरकार से मांग की कि इन विद्यालयों के शिक्षकों के स्कूल पहुंचने के आदेश को तत्काल रद्द किया जाये। इन विद्यालयों को भी अन्य विद्यालयों के साथ ही खोला जाये तथा रेजीडेंट स्टाफ के लिये अलग टायलेट्स बनवाए जायें। जहां तक प्रवेश की कार्यवाही का सवाल है, उसे आन लाइन भी चलाया जा सकता है।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा,  उत्तर प्रदेश

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शनिवार, 6 जून 2020

स्कूल खोलने से पहले सभी पहलुओं पर विचार करे उत्तर प्रदेश सरकार: भाकपा



लखनऊ- 6 जून 2020, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने उत्तर प्रदेश सरकार से आग्रह किया कि यदि उसकी आगामी जुलाई से स्कूल खोलने की कोई योजना है तो उस पर पुनर्विचार करे। मानव संसाधन मंत्रालय और राज्य सरकार द्वारा अनलाक-2 में स्कूल खोले जाने की योजना के मद्देनजर भाकपा ने यह मांग की है।
भाकपा ने कहा कि अभी तो देश और प्रदेश में कोविड- 19 के संक्रमितों में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। बयस्क ही नहीं बड़े पैमाने पर बच्चे भी संक्रमित होरहे हैं। ऐसे में अभिभावकों का विशाल हिस्सा बच्चों को स्कूल भेजने के इच्छुक नहीं है।
अधिकांश अभिभावक इस बात को अच्छी तरह समझ रहे हैं कि स्कूलों में दैहिक दूरी बनाये रखने और कोविड प्रतिरक्षा संबंधी अन्य उपाय करना आसान नहीं है। बहुत से बच्चे तो खुद ही दैहिक दूरी के नियम को तोड़ेंगे।
अतएव अभिभावक आन लाइन कक्षाओं को ही प्राथमिकता दे रहे हैं। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों और शहरों की गरीब आबादियों में जहां आन लाइन की व्यवस्थाएं नहीं हैं, भाकपा चाहती है कि वहां शिक्षा के अन्य उपाय किए जायें।
अधिकतर लोगों का मत है कि जब तक जिलों में एक भी कोविड केस मिल रहा है तब तक स्कूलों का खोला जाना रिस्की होगा। अथवा वे तब खोले जायें जब कोविड-19 का टीका ईजाद होजाये और हर किसी का वैक्सीनेशन होजाये। अभी तो उत्तर प्रदेश के समस्त 75 जिलों में संक्रमण व्याप्त है।
यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने कहा कि जिन देशों में विद्यालय खोले गये, तमाम सावधानियों के बावजूद वहां अनेक बच्चे संक्रमित होगये। स्कूल खोलने का निर्णय लेने से पहले सरकार को सारे पहलुओं पर गंभीरता से विचार करना होगा।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश

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गुरुवार, 4 जून 2020

भाकपा ने कांग्रेस अध्यक्ष व अन्य की गिरफ्तारी की कड़े शब्दों में निन्दा की - डा गिरीश

कोविड-19 की आड़ में लोकतन्त्र की हत्या करने पर आमादा है राज्य सरकार

भाकपा ने कांग्रेस अध्यक्ष व अन्य की गिरफ्तारी की कड़े शब्दों में निन्दा की

अमेरिका में तानाशाही के खिलाफ विद्रोह से सबक ले सरकार: भाकपा

 भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने उत्तर प्रदेश सरकार पर आरोप लगाया है कि वह कोविड- 19 की आड़ में लोकतन्त्र की हत्या करने पर पर आमादा है। इस नापाक उद्देश्य से वह मजदूरों, किसानो और आम लोगों की आवाज को कुचल रही है। सरकार के इन क्रत्यों का विरोध करने पर विपक्ष के नेताओं को जबरिया गिरफ्तार करा रही है।

यहां जारी एक प्रैस बयान में भाकपा राज्य सचिव मंडल ने कहा कि राज्य सरकार ने विपक्ष को कुचलने के अपने राजनैतिक एजेंडे के तहत कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष श्री अजय कुमार लल्लू को गत दिनों आगरा में गिरफ्तार कर लिया। वहां जमानत मिल जाने पर मनमाने तरीके से नये केस गढ़ कर उन्हें दोबारा गिरफ्तार कर लिया। इसी तरह यूपी पुलिस ने 11 मई को बस्ती में वामपंथी दलों के कार्यकर्ताओं को उस समय गिरफ्तार कर लिया जब वे मजदूरों- किसानों की समस्याओं को लेकर जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपने जारहे थे।

अब कल मथुरा में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की रिहाई की मांग को लेकर जिलाधिकारी को ज्ञापन देने पहुंचे कांग्रेस के लगभग दर्जन भर कार्यकर्ताओं को जबरिया गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।

भाकपा इन गिरफ्तारियों की कठोर शब्दों में निन्दा करती है और मांग करती है कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सहित सभी को तत्काल रिहा किया जाये।

उन्होने कहाकि भाजपा सरकारें कोविड- 19 से निपटने में बुरी तरह विफल होचुकी हैं और संक्रमितों की संख्या 1 लाख से ऊपर पहुँच चुकी है। वह जनता की समस्याओं के समाधान में बुरी तरह विफल होचुकी हैं। ऐसी स्थितियों में भी शासक दल अपने जनविरोधी एजेंडे को धड़ल्ले से चला रहा है और विपक्ष को जनता की समस्याएं उठाने से बाधित कर रहा है। वह कोविड-19 को अपने जनविरोधी कार्यों के कवच के रूप में स्तेमाल कर रहा है।

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष को इस खुन्नस के कारण गिरफ्तार किया गया कि परदेशी मजदूरों को लाने के लिए कांग्रेस ने बसें यूपी बार्डर पर लगा दीं। इससे भाजपा सरकार की किरकिरी हुयी जिसका बदला उन्होने कांग्रेस अध्यक्ष की गिरफ्तारी करके लिया। जब उन बसों को यूपी में घुसने ही नहीं दिया गया तो उनकी कथित सूची को गिरफ्तारी का आधार बनाना कोरा ढकोसला है। सरकार को इससे बाज आना चाहिए।

भाकपा ने कहा कि कोविड-19 के आने से पहले भी सरकार ने सीएए का विरोध कर रहे कई आंदोलनकारियों को गिरफ्तार किया और अन्य कई को गिरफ्तार करने का षडयंत्र रचा। अब वही कार्यवाही वह कोरोना महामारी की आड़ में कर रही है। सरकार लगातार लोकतान्त्रिक कार्यवाहियों को बाधित कर रही है और लोकतन्त्र को कुचल रही है। अमेरिका की घटनाओं से भी सरकार ने कोई सबक नहीं लिया जहां तानाशाही के खिलाफ करोड़ों लोग सड़क पर आगये है।

 

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कोविद-19 की आड़ में लोकतन्त्र की हत्या करने पर आमादा है उत्तर प्रदेश सरकार: अमेरिका में तानाशाही के खिलाफ विद्रोह से सबक लें सरकारें



लखनऊ- 4 जून 2020, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने उत्तर प्रदेश सरकार पर आरोप लगाया है कि वह कोविड- 19 की आड़ में लोकतन्त्र की हत्या करने पर पर आमादा है। इस नापाक उद्देश्य से वह मजदूरों, किसानो और आम लोगों की आवाज को कुचल रही है। सरकार के इन क्रत्यों का विरोध करने पर विपक्ष के नेताओं को जबरिया गिरफ्तार करा रही है।
यहां जारी एक प्रैस बयान में भाकपा राज्य सचिव मंडल ने कहा कि राज्य सरकार ने विपक्ष को कुचलने के अपने राजनैतिक एजेंडे के तहत कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष श्री अजय कुमार लल्लू को गत दिनों आगरा में गिरफ्तार कर लिया। वहां जमानत मिल जाने पर मनमाने तरीके से नये केस गढ़ कर उन्हें दोबारा गिरफ्तार कर लिया। इसी तरह यूपी पुलिस ने 11 मई को बस्ती में वामपंथी दलों के कार्यकर्ताओं को उस समय गिरफ्तार कर लिया जब वे मजदूरों- किसानों की समस्याओं को लेकर जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपने जारहे थे।
अब कल मथुरा में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की रिहाई की मांग को लेकर जिलाधिकारी को ज्ञापन देने पहुंचे कांग्रेस के लगभग दर्जन भर कार्यकर्ताओं को जबरिया गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।
भाकपा इन गिरफ्तारियों की कठोर शब्दों में निन्दा करती है और मांग करती है कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सहित सभी को तत्काल रिहा किया जाये।
उन्होने कहाकि भाजपा सरकारें कोविड- 19 से निपटने में बुरी तरह विफल होचुकी हैं और संक्रमितों की संख्या 1 लाख से ऊपर पहुँच चुकी है। वह जनता की समस्याओं के समाधान में बुरी तरह विफल होचुकी हैं। ऐसी स्थितियों में भी शासक दल अपने जनविरोधी एजेंडे को धड़ल्ले से चला रहा है और विपक्ष को जनता की समस्याएं उठाने से बाधित कर रहा है। वह कोविड-19 को अपने जनविरोधी कार्यों के कवच के रूप में स्तेमाल कर रहा है।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष को इस खुन्नस के कारण गिरफ्तार किया गया कि परदेशी मजदूरों को लाने के लिए कांग्रेस ने बसें यूपी बार्डर पर लगा दीं। इससे भाजपा सरकार की किरकिरी हुयी जिसका बदला उन्होने कांग्रेस अध्यक्ष की गिरफ्तारी करके लिया। जब उन बसों को यूपी में घुसने ही नहीं दिया गया तो उनकी कथित सूची को गिरफ्तारी का आधार बनाना कोरा ढकोसला है। सरकार को इससे बाज आना चाहिए।
भाकपा ने कहा कि कोविड-19 के आने से पहले भी सरकार ने सीएए का विरोध कर रहे कई आंदोलनकारियों को गिरफ्तार किया और अन्य कई को गिरफ्तार करने का षडयंत्र रचा। अब वही कार्यवाही वह कोरोना महामारी की आड़ में कर रही है। सरकार लगातार लोकतान्त्रिक कार्यवाहियों को बाधित कर रही है और लोकतन्त्र को कुचल रही है। अमेरिका की घटनाओं से भी सरकार ने कोई सबक नहीं लिया जहां तानाशाही के खिलाफ करोड़ों लोग सड़क पर आगये है।

जारी द्वारा

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा,  उत्तर प्रदेश

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मंगलवार, 2 जून 2020

सरकार की कोविड-19 नीति का विशेषज्ञों द्वारा पर्दाफाश: लमहों ने खता की थी, सदियों ने सजा पायी




“यदि सरकार ने कोरोना से जंग के लिये नीतियां तय करने से पहले महामारीविदों और अन्य विशेषज्ञों से राय ली होती तो स्थिति इतनी नहीं बिगड़ती। सरकार को सलाह देने वाले लोगों में अनुभव की कमी थी, जिस कारण यह स्थिति हुयी। उदाहरण के तौर पर यदि तालाबंदी से पहले श्रमिकों को घर वापस जाने की अनुमति दी जाती तो पूरी योजना के साथ उन्हें भेजा जा सकता था। लेकिन अब देश के हर कोने में जिस तरह मजदूर पहुंच रहे हैं, इससे गांव, कस्बों और शहरों में कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं।“

यह बेवाक कथन किसी विपक्ष के नेता का नहीं अपितु एम्स के चिकित्सकों और आईसीएमआर के विशेषज्ञों के एक 16 सदस्यीय दल द्वारा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को कोविड-19 महामारी के संबंध में सौंपी रिपोर्ट का हिस्सा है। स्पष्टतौर पर इस विस्तारित रिपोर्ट में लाकडाउन से पहले सरकार की तैयारियों पर गंभीर सवाल उठाये गये हैं।

विशेषज्ञ कमेटी के ये निष्कर्ष कोविड-19 से निपटने में केन्द्र सरकार की समूची रणनीति के खोखलेपन को उजागर कर देते हैं। तालाबंदी और उसके प्रारंभ में मोदी जी जब अपने प्रबुध्द अनुयायियों से थाली और ताली बजवा रहे थे, मोमबत्ती और पटाखे जलवा रहे थे, तब वामपंथियों और कुछ अन्य ने यह बता उठायी थी। किन्तु तब मीडिया, आईटी सेल और सोशल मीडिया द्वारा उन्हें ट्रोल कर इस तथ्य को दबा दिया गया। मोदी सरकार की यह बड़ी भूल आज आम जन और श्रमिक वर्ग के लिये महाविपत्ति बन कर उभरी है।

इतना ही नहीं इन विशेषज्ञों ने सरकार को कोविड-19 संक्रमण के सामुदायिक प्रसार शुरू होने के प्रति भी आगाह किया है। उनका दावा है की देश के कई बड़े हिस्सों खासकर घनी आबादी वाले क्षेत्रों में यह पूरी तरह स्थापित हो चुका है। लेकिन अपनी नाक बचाने में जुटी सरकार दावे कर रही है कि देश सामुदायिक प्रसार से अभी भी दूर है।

सच तो यह है कि दुनियां में कोरोना से अधिक प्रभावित देशों की सूची में भारत सातवें पायदान पर पहुंच चुका है। अतएव प्रधानमंत्री को सौंपी गयी विशेषज्ञ रिपोर्ट स्पष्टतः कहती है कि देश में कोरोना महामारी के मौजूदा स्तर को देखते हुये इस बात की उम्मीद अवास्तविक है कि इसे पूरी तरह समाप्त किया जा सकता है। संक्रमण का सामुदायिक संचरण देश के एक बड़े हिस्से में पहले ही शुरू हो चुका है।

विशेषज्ञों ने कहा, देशव्यापी कड़े लाकडाउन से अपेक्षा थी कि योजनाबध्द तरीके से एक खास अवधि में बीमारी पर काबू पाया जाये और मामलों को बढ़ने से रोका जाये। साथ ही ऐसा प्रबन्धन किया जाये कि आम स्वास्थ्य सेवा प्रणाली भी प्रभावित न हो। पर ऐसा हो न सका।  अपितु लाकडाउन के चार चरणों में अर्थव्यवस्था और आम जनजीवन को पर्याप्त हानि और असाधारण असुविधा हुयी।
अन्य कई सनसनीखेज बातों के अतिरिक्त विशेषज्ञ समिति ने आरोप लगाया है कि  महामारी से संबंधित तथ्यों को विशेषज्ञों और जनता के साथ खुले और पारदर्शी तरीके से अभी तक साझा नहीं किया गया। समिति ने इसे जल्द से जल्द साझा किये जाने की अपेक्षा की है। समिति ने महामारी के संबंध में 11 सिफ़ारिशें भी जारी की हैं।

विशेषज्ञों की इस रिपोर्ट के खुलासे से सरकार में हड़कंप मच गया है। जनता को साधने के लिये स्थानीय जन प्रतिनिधियों एवं पार्टी पदाधिकारियों को जनता के बीच जाकर सरकार की इस नाकामी पर पर्दा डालने के कोशिश की जिम्मेदारी दी गयी है। समूची सरकार, भाजपा, संघ परिवार और पार्टी कार्यकर्ता जो महामारी की कमर तोड़ने के लिये मोदीजी के करिश्मे और लाकडाउन को एकमात्र उपाय बता रहे थे, आज पूरी तरह पलटी मार गये हैं। अब सारी ज़िम्मेदारी जनता पर डाल दी गयी है।
आज कहा जा रहा है कि लाकडाउन कोरोना वायरस महामारी का कोई समाधान नहीं है। देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिये मोदीजी ने लाकडाउन खत्म करके अनलाक-1 लगाया है। जनता खुद सावधानी बरते और महामारी को हराये, आदि आदि। इसी को कहते हैं चित्त भी मेरी और पट्ट भी मेरी।

सरकार अपने साधनों और प्रचार तंत्र के बल पर भले ही अपनी बिगड़ी छवि को सुधार ले पर देश के आर्थिक ढांचे को जो क्षति पहुंची है उसकी जल्दी भरपाई संभव नहीं। और लाकडाउन तथा घर वापसी में देश के अस्सी करोड़ मेहनतकशों और सामान्य जनों ने जो असहनीय और अपार पीड़ा झेली है उसका निदान किसी मरहम से संभव नहीं। शासकों कि एक चूक ने सब कुछ तहस- नहस और अस्त- व्यस्त करके रख दिया है। ठीक ही कहा है किसी ने- लमहों ने खता की थी, सदियों ने सजा पायी।

प्रस्तुति-

डा॰ गिरीश  


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सोमवार, 1 जून 2020

निजीकरण के विरूध्द भाकपा की एकजुटता




भाकपा और सहयोगी संगठनों ने उत्तर प्रदेश में बिजलीकर्मियों के आंदोलन का जमकर समर्थन किया
“बिजली एक सामाजिक जरूरत है, जिसे पाने का अधिकार हर भारतीय को है”: डा॰ अंबेडकर
आने वाले दिनों में सभी को और तीव्र संघर्षों के लिये तैयार रहना होगा:
डा॰ गिरीश
लखनऊ- 01 जून 2020, ऊर्जा क्षेत्र के निजीकरण के उद्देश्य से केन्द्र सरकार द्वारा लाये गये विद्युत संशोधन अधिनियम 2020 के खिलाफ विद्युतकर्मियों और अभियन्ताओं के प्रतिरोध आंदोलन को उत्तर प्रदेश में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और उसके सहयोगी संगठनों का आज जम कर समर्थन मिला।
भाकपा के राज्य सचिव मण्डल ने इस ज्वलंत जन- प्रश्न पर सत्ता द्वारा थोपे गये सन्नाटे और भय के आडंबर को तोड़ने के लिये विद्युतकर्मियों/ अभियन्ताओं, भाकपा एवं सहयोगी संगठनों के कार्यकर्ताओं एवं अन्य सभी आंदोलनकारियों को क्रान्तिकारी अभिनंदन पेश किया है।
ज्ञातव्य हो कि भाकपा के उत्तर प्रदेश राज्य नेत्रत्व ने 30 मई को ही इस आंदोलन को समर्थन प्रदान करने का आह्वान किया था।
भाकपा राज्य काउंसिल के आह्वान और निर्देश पर आज पार्टी की अधिकतर जिला इकाइयों ने स्थानीय विद्युत प्रतिष्ठानों पर सामूहिक रूप से पहुंच कर समर्थन का पत्र संघर्षरत अभियंताओं- कर्मचारियों को सौंपा। कई जगह स्थानीय अधिकारियों के माध्यम से ज्ञापन महामहिम राष्ट्रपति अथवा प्रधानमंत्री जी को प्रेषित किये गये।
भाकपा ही नहीं कई जगह किसान सभा, एटक, नौजवान सभा, विद्युत पेंशनर्स एसोसियेशन एवं केंद्रीय श्रम संगठनों की संयुक्त कमेटियों ने भी समर्थन में बैठकें कीं, धरने दिये और ज्ञापन अथवा एकजुटता पत्र सौंपे। वे सभी बधाई के पात्र हैं।
इन सब गतिविधियों की खबरें सोशल मीडिया पर लगातार प्राप्त होरही हैं।
कई जगह राजनीतिक दलों और देश के भविष्य के प्रति जागरूक नागरिकों ने भी आंदोलन का समर्थन किया। वाराणसी के वामपंथी- लोकतान्त्रिक दलों ने तो कल ही बैठक कर निजीकरण के इस प्रयास के विरोध में उतर रहे मेहनतकशों के प्रति एकजुटता का इजहार किया। वे सब भी धन्यवाद के पात्र हैं। कुल मिला कर के आंदोलन को अभूतपूर्व समर्थन मिला है।
“ बिजली एक सामाजिक जरूरत है, जिसे पाने का हर भारतीय को अधिकार है। सरकार की यह ज़िम्मेदारी है कि वह हर नागरिक को बिजली उपलब्ध कराये।“ यह शब्द किसी और के नहीं स्वयं बाबा साहब डा॰ भीमराव अंबेडकर के हैं। इसीलिए आजाद भारत में पहले बिजली उत्पादन और फिर वितरण को सार्वजनिक क्षेत्र में लाया गया भी। उसके परिणाम भी देखने को मिले।
लेकिन कारपोरेट घरानों की हितचिंतक यह सरकार जनता के हितों हेतु हमारे राजनैतिक अग्रजों द्वारा उठाए कदमों को पलटने पर आमादा है। सार्वजनिक क्षेत्र की बरवादी के इस कदम को बेशर्मी के साथ आत्मनिर्भरता का नाम दिया जा रहा है। इसे न कर्मचारी बर्दाश्त करेंगे, न जनता बर्दाश्त करेगी, न लोकवादी राजनैतिक शक्तियां बर्दाश्त करेंगी और नहीं वामपंथी शक्तियां।
भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने कहा कि आने वाले दिनों में सभी को अधिक कठिन संघर्षों के लिये तैयार रहना होगा।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा,  उत्तर प्रदेश

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