गांव- गरीब की कमर तोड़ने वाला है भाजपा सरकार का छठा आम बजट:
भाकपा
लखनऊ- 26 मई 2022, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल
ने योगी- 2 सरकार के आज विधानसभा में प्रस्तुत बजट को आंकड़ों की बाजीगरी बताया है, जिससे गांव, गरीब, किसान- मजदूर, युवा- छात्र और आम आदमी को भारी निराशा हाथ लगी है। विशालकाय घाटे का बजट
आमजन को घाटे में धकेलने वाला है।
लग रहा था कि वित्त मंत्री चुनाव सभा में अपनी पार्टी के क्रिया-कलापों
को गिनवा रहे हैं। केन्द्र और राज्य की योजनाओं में आबंटित धनराशि के आंकड़े प्रस्तुत
कर दिये गये हैं, जिसकी दिशा है चंद पूंजीपति, ठेकेदारों और
कमीशनखोरों को लाभ पहुंचाना। 6॰ 15 लाख करोड़ के आंकड़े को जिस तरह प्रचारित किया जा
रहा है, रुपये की निरंतर घटती कीमत के युग में वह भी छलाबे के
अलाबा कुछ नहीं।
किसानों को मुफ्त बिजली का वायदा पूरा नहीं किया गया। उनकी आय
दोगुनी करना तो दूर उनकी क्रषिलागत वापस आने तक की गारंटी नहीं है। जिन गरीबों को मुफ्त
राशन और अन्य राहतें देने का ढिंढोरा पीटा जा रहा है, उनकी गरीबी
दूर करने का कोई प्लान नहीं है। बेरोजगार आज भी हाथ मल रहे हैं और उन्हें आगे भी हाथ
मलते रहना है। आम और गरीब घरों के छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की कोई मंशा
इस बजट में दिखाई नहीं देती। उन्हें आगे भी शिक्षा माफिया के हाथों लूटना है। मेडिकल
कालेज बनाने की बातें की जा रही है लेकिन जिन सरकारी अस्पतालों में गरीब लोग इलाज कराते
हैं, उनमें पर्याप्त चिकित्सक, दवा, जांच, भर्ती और इलाज की हालत सुधारने और निजी इलाजियों
की लूट से लोगों की रक्षा करने की व्यवस्था बजट में नहीं की गयी। गन्ने की बकाया विपुल
राशि का भुगतान कब होगा, इसका खुलासा किया नहीं गया। कमरतोड़ महंगाई
को नीचे लाने की कोई व्यवस्था नहीं की गयी है।
महिला सुरक्षा की बातें बढ़ चढ़ कर की जा रही हैं। आज स्थिति ये
है कि महिलाएं तो सर्वाधिक पुलिस आतंक की शिकार हैं। इसी एक माह में पुलिस कार्यवाहियों
में प्रदेश में एक दर्जन महिलाओं की हत्या हो चुकी है। कल की ही खबर है कि बागपत जनपद
में पुलिस रेड से पीड़ित महिलाओं ने जहर पी लिया और उनमें से एक की मौत हो गयी। कानून
व्यवस्था हथियार खरीदने, अधिक बल भर्ती कर लेने से सुधरने वाली नहीं, इसके लिये स्वयं नेताओं को अपना आचरण बदलना होगा और पुलिस- बलों का आचरण सुधारना
होगा।
भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने दाबा किया कि सड़कें, पुल, हाईवे, एयरपोर्ट ये सब उच्च मध्यम वर्ग और धनाढ्य वर्ग
की विलासिता के लिये बनाये जा रहे हैं। सौ गोते लगा कर भी गरीब और साधारण नागरिक इस
बजट में अपने लिये कुछ नहीं ढूंढ पा रहा है। विकास के कामों में भारी कमीशनखोरी के
चलते और मुद्रास्फीति और महंगाई के छलांगें भरने के कारण बजट का व्यावहारिक आकार कहाँ
जा कर गिरेगा, कहा नहीं जा सकता। कारपोरेट संचालित सरकार का बजट
जैसा हो सकता है, वैसा ही है यह बजट। भले ही ढिंढोरची इसे अद्वितीय
और ऐतिहासिक बता रहे हैं।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश