भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का प्रकाशन पार्टी जीवन पाक्षिक वार्षिक मूल्य : 70 रुपये; त्रैवार्षिक : 200 रुपये; आजीवन 1200 रुपये पार्टी के सभी सदस्यों, शुभचिंतको से अनुरोध है कि पार्टी जीवन का सदस्य अवश्य बने संपादक: डॉक्टर गिरीश; कार्यकारी संपादक: प्रदीप तिवारी

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बुधवार, 15 जून 2016

कैराना- कांधला प्रकरण; भाकपा ने भाजपा को घेरा

लखनऊ- 15 जून 2016, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, के उत्तर प्रदेश राज्य सचिव मंडल ने आरोप लगाया है कि भाजपा एवं संघ परिवार उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनावों से पहले मुजफ्फर नगर दंगों की तर्ज पर जनता को सांप्रादायिक तौर पर विभाजित करना चाहती है ताकि जनता को एक बार फिर से छला जा सके और लोकसभा की तरह विधानसभा पर भी कब्जा जमाया जा सके. कैराना और कांधला से हिंदुओं के पलायन का कथित शिगूफा इसी उद्देश्य से छेडा गया है. कैराना में कथित जांच दल भेजे जाने की भाजपा की कवायद को भाकपा ने लोगों की आंख में धूल झोंकने वाला और प्रकरण में बेनकाव हुये अपने सांसद को बचाने की चेष्टा बताया. यह ठीक ऐसे ही है जैसे अपने गिरोह के एक गुंडे के कुकर्मों पर पर्दा डालने को एक गुंडा गिरोह जांच करने जाये. भाकपा ने मीडिया और कैराना की जनता को बधाई दी कि उसने भाजपा और संघ परिवार की इस साजिश को परवान चढने से पहले ही उसका पर्दाफाश कर दिया है. लेकिन भाजपा चुप बैठने वाली नहीं है और 2017 के विधान सभा चुनावों तक वह इसी तरह के तमाम हथकंडे जारी रखेगी, भाकपा ने खुला आरोप लगाया है. यहाँ जारी एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा.गिरीश ने कहा कि मोदी सरकार अपने दो साल के कार्यकाल में हर मोर्चे पर पूरी तरह विफल साबित हुयी है. हर तरह की उत्पादन दर घटी है, डालर के मुकाबले रुपये की कीमत गिरती ही जारही है, अंतराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कम कीमतें होने के बावजूद महंगाई कुलांचें भर रही है, देश का बडा भाग सूखे की चपेट में है और केंद्र सरकार राहतकारी कदम उठा नहीं पारही है, दो करोड रोजगार देने का वायदा छलावा साबित हुआ है और रोजगार सृजन में कमी आयी है, काला धन वापस आना तो दूर माल्या जैसे भाजपा के दोस्त पूंजीपति माल हडप कर विदेशों में गुलछर्रे उडा रहे हैं तथा उनमें से अनेक बैंकों का कर्जा हडप किये जारहे हैं. इतना ही नहीं दो साल पूरे होते होते भाजपा के कई घपले घोटाले उजागर हो चुके हैं और महाराष्ट्र में तो उसे अपने एक महत्त्वपूर्ण मंत्री को हठाना भी पडा है. विकास का मोदी का वायदा भी पूरी तरह विफल रहा है. इसके अलाबा उत्तर प्रदेश में भाजपा अनेक जातीय और निहित स्वार्थी खांचों में बंटी है और तमाम कोशिशों के बावजूद मुख्यमंत्री पद हेतु एक सर्वसम्मत चेहरा पेश नहीं कर पारही है. ऐसे में अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी से जनता को संदेश देने को भाजपा की झोली में कुछ था ही नहीं अतएव अपनी पूर्व निर्धारित योजना के तहत उसने अपने सांसद के माध्यम से कैराना से हिंदुओं के पलायन का मुद्दा उछलवाया और उसे कश्मीर के पलायन की तरह बताया. जहाँ तक पलायन की बात है, बुंदेलखंड से लगभग 70 फीसदी लोग सूखे की चपेट में आने से पलायन कर चुके हैं. केंद्र और उत्तर प्रदेश में रही सरकारों की गलत नीतियों के चलते हर गांव से तमाम लोग रोजगार के लिये अपनी जन्म और कर्मभूमियों को छोड रहे हैं और गांव गांव घरों पर ताले लटके हुये हैं. जब जब उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार आयी तमाम अल्पसन्ख्यकों को सुरक्षित स्थानों को पलायन करना पडा. हुकुम सिंह, बाल्यान और संगीत सोम जैसे नेताओं के प्रभाव क्षेत्रों से तमाम दलितों को बलपूर्वक खदेड कर उनकी संपत्तियों को हडप लिया गया. भाजपा में हिम्मत है तो इन पलायनों पर भी श्वेतपत्र जारी करे. भाकपा राज्य सरकार से मांग करती है कि वह सांप्रदायिकता भडकाने, अफवाह फैलाने और जान बूझ कर तथ्यों को तोड मरोड कर पेश करने जैसी माकूल दफाओं में हुकुम सिंह को गिरफ्तार कर जेल भेजे और उत्तर प्रदेश खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शांति- सौहार्द की रक्षा करे. इस मोर्चे पर कोई भी ढिलाई अखिलेश सरकार को कठघरे में खडी करेगी, भाकपा ने चेतावनी दी है. डा. गिरीश, राज्य सचिव भाकपा, उत्तर
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