भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का प्रकाशन पार्टी जीवन पाक्षिक वार्षिक मूल्य : 70 रुपये; त्रैवार्षिक : 200 रुपये; आजीवन 1200 रुपये पार्टी के सभी सदस्यों, शुभचिंतको से अनुरोध है कि पार्टी जीवन का सदस्य अवश्य बने संपादक: डॉक्टर गिरीश; कार्यकारी संपादक: प्रदीप तिवारी

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Communist Party of India, U.P. State Council

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गुरुवार, 26 अगस्त 2021

सुस्पष्ट नीति निर्धारण एवं क्रियान्वयन हेतु राष्ट्रीय जनगणना में जाति के आंकड़े शामिल किये जायें: भाकपा, उत्तर प्रदेश


 

लखनऊ- 26 अगस्त 2021, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उत्तर प्रदेश राज्य सचिव मंडल की बैठक आज यहां पार्टी के कैसरबाग स्थित कार्यालय पर संपन्न हुयी। बैठक की अध्यक्षता  भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने की। का॰ इम्तेयाज़ अहमद पूर्व विधायक एवं का॰ अरविंदराज़ स्वरूप ने चर्चा में भाग लिया।

बैठक में मुख्य रूप से जनता खासकर किसान मजदूरों और नौजवानों के ज्वलंत सवालों पर 1 सितंबर को होने वाले राज्यव्यापी आंदोलन की तैयारियों की समीक्षा की गयी, राष्ट्रीय  जनगणना में जाति को शामिल किए जाने पर गहन चर्चा हुयी, केन्द्र सरकार द्वारा सरकारी संस्थानों को बेचे जाने पर रोष जताया गया और विधान सभा चुनावों की तैयारियों पर चर्चा की गयी।

ज्ञात हो कि भाकपा उत्तर प्रदेश की निरंकुश और घोर जनविरोधी सरकार को सत्ता में वापसी से रोकना चाहती है, अतएव वामपंथी एवं लोकतांत्रिक शक्तियों की व्यापक एकता चाहती है।

बैठक में वामपंथी दलों के संयुक्त तत्वावधान में 1 सितंबर को प्रदेश भर में होने वाले जन प्रदर्शन की तैयारियों का जायजा लिया गया। पाया गया कि पूरे प्रदेश में इस आंदोलन की व्यापक तैयारियां चल रही हैं। यह आंदोलन महंगाई पर कारगर रोक लगाने, डीजल पेट्रोल रसोई गैस पर लगे असहनीय टैक्सों को पर्याप्त मात्रा में घटाने, सार्वजनिक उपक्रमों की बिक्री रोके जाने, हर बेरोजगार को काम दिलाने- मनरेगा में 200 दिन काम और प्रतिदिन 600 रुपये मजदूरी दिलाने, इस तरह की योजना शहरों में चलाये जाने, दवाओं और खाद्य वस्तुओं के दाम बांधने, हर व्यक्ति को रुपए 7500/- प्रति माह दिये जाने, खाने की सभी सामग्री किट के रूप में उपलब्ध कराये जाने, टीकाकरण में तेजी लाने, जनता पर बोझ बढ़ाने वाले बिजली बिल 2021 को वापस लेने, तीन क्रषी क़ानूनों को वापस कराने, एमएसपी की गारंटी करने, योगी सरकार द्वारा दमनकारी असंवैधानिक आलोकतांत्रिक रवैया रोके जाने, कानून व्यवस्था को पटरी पर लाने- दलितों अल्पसंख्यकों महिलाओं व अन्य कमजोर तबकों पर अत्याचार रोके जाने, भ्रष्टाचार पर कारगर रोक लगाने आदि सवालों पर होने जारहा है।

साथ ही पैगासस कांड की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में करायी जाये, स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार और सुधार किया जाये, गरीब बच्चों की पढ़ाई में हुयी हानि की भरपाई की जाये तथा आंदोलनकारी किसानों से सरकार तत्काल वार्ता करे आदि सवालों को भी उठाया जाएगा।

ज्ञात हो कि लोकतान्त्रिक जनता दल, उत्तर प्रदेश ने भी वामपंथी दलों के साथ आंदोलन में भागीदारी की घोषणा की है। स्थानीय स्तर पर कई दलों और सामाजिक समूहों का समर्थन भी आंदोलन को मिल रहा है।

भाकपा राज्य सचिव मंडल ने पार्टी के केन्द्रीय सचिव मंडल द्वारा दोहराये गये इस रुख का समर्थन किया है कि राष्ट्रीय जनगणना में जाति के आंकड़े संग्रहीत कर नीतिगत निर्णय लिये जायें।

राज्य सचिव मंडल ने उत्तर प्रदेश विधान सभा के चुनावों हेतु पार्टी की तैयारियों पर का जायजा भी लिया। पार्टी जनता के हितों की रक्षा हेतु किए गये संघर्षों और आंदोलनों के आधार पर चुनाव लड़ती है। इसके अतिरिक्त भी जिलों में तैयारियों हेतु पार्टी कार्यकर्ता और समर्थकों की आम सभाएं करने का निश्चय किया है। ऐसी एक सभा दिनांक 28 अगस्त को हमीरपुर जनपद के मौदहा में तथा 29 अगस्त को चित्रकूट में होगी।

इन सभाओं में राज्य सचिव डा॰ गिरीश, सहसचिव का॰ अरविंदराज़ स्वरूप, राष्ट्रीय परिषद के सदस्य का॰ रामचंद सरस तथा उत्तर प्रदेश नौजवान सभा के प्रदेश संयोजक विनय पाठक आदि संबोधित करेंगे।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश              मो॰ नं॰ 9412173664, 7055893132

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बुधवार, 25 अगस्त 2021

जहरीली शराब से मौतों और अपराधों पर रोक नहीं लगा पारही उत्तर प्रदेश सरकार: भाकपा


लखनऊ- 25 अगस्त 2021, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने कहाकि उत्तर प्रदेश में जहरीली शराब से मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। साथ ही प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति भी बद से बदतर होती जारही है। माफियाराज और गुंडागर्दी पर डींगें हाँकने वाली सरकार इन तत्वों के सामने पूरी तरह असफल नजर आरही है।

कल ही आगरा जनपद में जहरीली शराब से कम से कम 8 लोगों की मौत होगयी। गत सप्ताह बुलंदशहर नोएडा एवं अन्य जनपदों में भी कई मौतें हुयीं हैं। इसके साथ ही हत्या, आत्महत्या, बैंक लूट, छिनेती, महिलाओं के साथ बलात्कार और उनकी हत्याओं में भारी उछाल आया है।

राज्य सरकार का ध्यान सुशासन और लोगों के जानमाल की रक्षा पर न होकर आगामी चुनावों पर केन्द्रित होगया है। जनता परेशान है और शासक दल उससे जबरिया आशीर्वाद ग्रहण करने में जुटा है। भाकपा ने सरकार से मांग की कि वह प्रदेश के स्त्री- पुरुषों के जानमाल और सम्मान की रक्षा के लिये ठोस कदम उठाए।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा,  उत्तर प्रदेश

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शुक्रवार, 20 अगस्त 2021

उत्तर प्रदेश मेन भ्रष्टाचार के खुलासे

 

सीएजी रिपोर्ट और विधान सभा में हुये भ्रष्टाचार के खुलासों पर संज्ञान लें महामहिम राज्यपाल

भाकपा ने कड़ी कार्यवाही की मांग की: मुद्दे को जनता के बीच लेजाने की चेतावनी दी

लखनऊ- 20 अगस्त 2021, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मण्डल ने कहाकि भारत के नियंत्रक महालेखापरीक्षक ( सीएजी ) की रिपोर्टों और अल्पकालीन विधायी सत्र में हुये कुछेक खुलासों से भाजपा सरकार का भ्रष्टाचारी और जनपीड़क चेहरा सामने आगया है। अभी चंद मामले सामने आए हैं और आगे कई और मामले सामने आ सकते हैं। भ्रष्टाचार पर जीरो टोलरेंस की बात करने वाली सरकार आज भ्रष्टाचार की हीरो नजर आरही है। इन खुलासों की बिना पर भाकपा ने राज्य सरकार के सत्ता में बने रहने का नैतिक सवाल उठाया है।

उजागर हुये घोटालों में से एक है बिल्डर्स घोटाला। इसके तहत चहेते और भगवा रंग में रंगे बिल्डर्स को जनता के गाड़े पसीने की कमाई में से 170 करोड़ से अधिक लुटा दिये गये। सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा हाईटेक टाउनशिप योजना में बिल्डरों को मनमाने तरीके से लाभ पहुंचाने की गरज से अधिक ऊंची बिल्डिंग बनाने के नाम पर फ्लोर एरिया रेशियो में छूट दी गयी और इसके लिए शुल्क में छूट दे दी गयी। इससे जनराजस्व का 170॰ 99 करोड़ का नुकसान हुआ है।

सीएजी ने मार्च 2020 में ही इस मामले को शासन को भेज दिया था, लेकिन राज्य सरकार ने आज तक इस पर कोई कार्यवाही नहीं की। इसी तरह के कई और मामले भी प्रकाश में आए हैं जिनमें चहेतों को लाभ मिला और सरकारी राजस्व को करोड़ों की चपत लगी। इसी तरह गाजियाबाद विकास प्राधिकरण जीडीए में भी बिल्डरों को 2. 51 करोड़ का लाभ पहुँचने का खुलासा भी सीएजी ने किया है।

सीएजी जांच में 11 जिलों में बरती गयी अनियमितता के जरिये दवा सप्लायरों को 6. 17 करोड़ का लाभ पहुँचाने का भी खुलासा हुआ है। सप्लायरों ने दवाओं और अन्य चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति तय समय पर नहीं की। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को ऐसे सप्लायरों पर अर्थ दंड लगाना था, मगर उन्होने ऐसा नहीं किया। इस लापरवाही के चलते दवा सप्लायरों को 6. 17 करोड़ का अनुचित लाभ पहुंचाया गया जबकि दवाओं की उपलब्धता न होने से बीमार लोगों को बाजार से दवा खरीदने के लिये मजबूर होना पड़ा।

 जांच के अनुसार 4 सालों में 374 दवा आपूर्तिकताओं को 37. 37 करोड़ के 3339 आपूर्ति आदेश दिये गये। सप्लाई आर्डर मिलने के 60 दिन बाद भी इन सप्लायरों ने दवा की आपूर्ति नहीं की। ऐसे में नियमानुसार यह सप्लाई आदेश स्वतः निरस्त हो जाना चाहिए था। अन्य तमाम नियमों की अवहेलना वाले इस घोटाले की शासन ने जांच कर कार्यवाही करने का आश्वासन 2019 में सीएजी को दिया था, मगर जनवरी 2021 तक ऐसी किसी कार्यवाही की जानकारी सीएजी तक नहीं पहुंची। तो ऐसे चल बन रहा है मोदी जी का आयुष्मान भारत।

यहाँ तक कि छात्रों को बैग बांटना भी सरकार को गवारा नहीं था। बैग न बांटे जाने से 5. 33 करोड़ का नुकसान तो हुआ ही 1. 55 करोड़ विद्यार्थी इससे वंचित रह गये। ये कैसा सबका साथ और सबका विकास है इस सरकार का।

टोल कंपनियों द्वारा सरकार को 287 करोड़ का चूना लगाने और सरकार द्वारा इससे आँखें मूँदने का मामला भी विधान सभा में प्रश्नोत्तर के दौरान सामने आया है। एक तो वाहन चालन पर कई कई टैक्स सरकार द्वारा बसूलने के बाद भी उपभोताओं पर टोल टैक्स थोपा गया है। वह भी टूटी फूटी सड़कों पर। अब सरकार की चहेती इन टोल बसूलने वाली कंपनियों ने सरकार से होने वाले एग्रीमेंट्स पर कम स्टांप लगा कर जनता के राजस्व को 287 करोड़ का चूना लगाया गया है। बानगी देखिये कि अलीगढ़ गाजियाबाद के बीच टोल बसूली के 1141 करोड़ का अनुबंध मात्र 100 रूपये के स्टांप पर किया गया है। घोटालों से संबंधित वाद 10- 10 वर्षों से लटके पड़े हैं, पर सरकार चहेतों के हित में आंख मूँदे हुये है।

भ्रष्टाचार के ये चंद खुलासे ही सरकार के स्वच्छ और भ्रष्टाचार मुक्त शासन देने के दावों को तार तार कर देते हैं। जब अन्य निर्मित और निर्माणाधीन योजनाओं और विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार के मामले उजागर होंगे तो इस सरकार का असली चेहरा और खुल कर सामने आ जायेगा।

भाकपा ने आश्चर्य व्यक्त किया है कि इन महाघोटालों के मीडिया में उजागर होजाने के बाद भी इस सरकार ने इस पर कोई सक्रियता नहीं दिखायी। इसको छिपाने को वह तमाम विभाजनकारी और जनता को गुमराह करने के हथकंडे अपना रही है। बचने के लिये सरकार ने विधान मंडल का सत्र बहुत ही छोटा रखा और मुद्दों पर बात करने के बजाय मुख्यमंत्री अब्बाजान, तालिबान और अफगानिस्तान पर उलट्बांसियां करते रहे।

भाकपा ने महामहिम राज्यपाल महोदय से मांग की कि वे इन घोटालों का तुरंत संज्ञान लें और ठोस दंडात्मक कार्यवाही करें। सीएजी की रिपोर्ट और विधान सभा में सरकार की स्वीकारोक्ति के इन मामलों में किसी भी जांच की आवश्यकता भी नहीं है। भाकपा ने चेतावनी दी है कि वह इन सवालों को जनता के बीच ले जायेगी।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश  

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बुधवार, 18 अगस्त 2021

अलीगढ़ और मैनपुरी का नाम बदलने की कोशिश पर भाकपा ने कड़ा विरोध जताया


लखनऊ- 18 अगस्त 2021, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने भाजपा और उसकी राज्य सरकार पर आरोप लगाया है कि उसने पहले तो लोकतान्त्रिक निकायों पर घोर आलोकतांत्रिक तरीकों से कब्जा किया और अब वह उन निकायों का इस्तेमाल विभाजन और कट्टरता की राजनीति को हवा देने के लिये कर रही है। 16 अगस्त को अलीगढ़ एवं मैनपुरी की भाजपा द्वारा हथियाई गयी जिला पंचायतों द्वारा दोनों जिलों का नाम बदलने का प्रस्ताव इसी तालिबानी इरादे से किया गया है। ज्ञात हो कि कुछ दिन पहले फीरोजाबाद की जिला पंचायत ने भी उसका नाम बदलने का प्रस्ताव पास किया था।

भाकपा ने कहाकि वह 2022 के विधान सभा चुनावों में समाज में विभाजन/ ध्रुवीकरण कर लाभ उठाने की गरज से की जारही इन कार्यवाहियों का वह पुरजोर विरोध करेगी तथा सभी लोकतान्त्रिक ताकतों से अपील करती है कि वे भी इन तालिबानी करतूतों का मुखर विरोध करें।

भाकपा ने कहा कि जिन जिला पंचायत सदस्यों ने ये प्रस्ताव पारित किए हैं वे जनता से विकास, भ्रष्टाचार मुक्त और जबावदेह प्रशासन के वायदे करके चुनाव जीत कर आए थे। उनमें से अधिकतर को भाजपा के विरूध्द वोट देकर मतदाताओं ने विजयी बनाया था। लेकिन सत्ता धन और छल के बल पर भाजपा ने उनको अपने पाले में घसीट लिया और अब उन्हें अपनी विभाजन की राजनीति का औज़ार बना रही है। अलीगढ़ मैनपुरी और फीरोजाबाद जनपदों की जनता की अनगिनत समस्याएं हैं जो उनका नाम बदलने से नहीं सच्चाई के साथ किए गए विकास से दूर होंगी। जिला पंचायतों को वही करना चाहिए, उसी के लिये उन्हें चुना भी गया है।

जहां तक ऐतिहासिक तथ्यों का सवाल है न तो अलीगढ़ का नाम कभी हरिगढ़ रहा और नहीं मैनपुरी का कभी मयन नगर रहा। समूचे अलीगढ़ जनपद का नाम 18 वीं शताब्दी से पहले कोल या कोइल था, जिसकी भौगोलिक सीमायें समय समय पर बदलतीं रहीं। 18वीं सदी में मुगल सल्तनत ने इस क्षेत्र का सूबेदार नजफ़ अली शाह को नियुक्त किया था जिसका किला अलीगढ़ कहलाया। तभी से इसका नाम अलीगढ़ है। विभाजन की राजनीति के लिये समय समय पर संघ और उसके आंगिक संगठन हरिगढ़ नाम उछालते रहे हैं और 1989 में वे इसको लेकर अलीगढ़ में भीषण दंगा कराने में कामयाब रहे थे।

इसी तरह मैनपुरी नाम का भी संत मयन के नाम से कोई रिश्ता नहीं रहा, कल्पित नाम संघियों के खुराफाती दिमाग की देन है।

भाकपा ने कहा कि जिस समय देश और उत्तर प्रदेश की जनता आसमान छूती महंगाई, कोरोना महामारी की तवाही, अभूतपूर्व बेरोजगारी, भुखमरी और खराब से खराब कानून व्यवस्था के दंश को झेल रही है उस समय भाजपा और उसकी सरकार निहित स्वार्थों के तहत और ध्यान बंटाने को विभाजनकारी मुद्दे उठा कर जनता के जीवन और जजवातों से खिलवाड़ कर रही है। यह सब यूं ही चलने नहीं दिया जायेगा। जनता को धोखा देने के षडयंत्रों को कदम कदम पर उजागर किया जायेगा।

डा॰ गिरीश ने बताया कि भाजपा की जनविरोधी नीतियों से जनता को निजात दिलाने के उद्देश्य से वामपंथी दलों ने 1 सितंबर को समूचे प्रदेश में जबर्दस्त प्रतिरोध जताने का निर्णय लिया है।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा,  उत्तर प्रदेश

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शनिवार, 14 अगस्त 2021

कानपुर की घटना पर भाकपा ने गहरा रोष जताया। मुख्यमंत्री से खेद व्यक्त करने और पीड़ित परिवार से माफी मांगने की मांग की।


लखनऊ- 14 अगस्त 2021, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने गत दिन कानपुर महानगर के बर्रा में बजरंगदलियों द्वारा पुलिस की मौजूदगी में सरेराह एक गरीब रिक्शा चालक की पिटाई और उसकी सामाजिक प्रताड़ना को उत्तर प्रदेश सरकार के माथे पर कलंक का का एक बदनुमा दाग बताते हुये इसकी कठोरतम शब्दों में भर्त्सना की है। पार्टी ने सभी दोषियों जिनके कि चेहरे वीडियो में स्पष्ट दिखाई देरहे हैं तथा उनके संरक्षणदाताओं को माकूल दफाओं में गिरफ्तार करने की मांग की है। भाकपा ने इस जघन्य और निंदनीय कांड पर कानपुर महानगर पुलिस की ढिलाई पर भी गहरी हैरानी जतायी है।

यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा राज्य सचिव मंडल ने कहा कि आखिर सत्ता और वोटों की खातिर भाजपा किस हद तक समाज और देश की एकता से खिलवाड़ कर सकती है यह हाल ही में जंतर मंतर, कानपुर और देश के अन्य हिस्सों में हुयी पोलिटिकल लिंचिंग की इन घटनाओं से साबित होगया है। दिन रात विकास का ढिंढोरा पीटने वाली भाजपा आखिर चुनाव से पहले कैसे लिंचिंग, अल्पसंख्यक उत्पीड़न, फर्जी गोकशी, कथित लव जेहाद एवं धर्मांतरण जैसे पर-उत्पीड़क एजेंडों पर पहुँच जाती है, यह अब सबके सामने स्पष्ट हो गया है। एक गरीब के खिलाफ दूसरे गरीब को खड़ा कर धर्मांतरण के लिए ललचाने का आरोप लगवाना समुदाय विशेष को पीड़ित करने और विद्वेष फैलाने की साजिश है।

भाकपा ने सवाल किया कि भाजपा और संघ का ये कैसा हिन्दुत्व है जो गरीबों की लिंचिंग, हत्या, पिटाई और उन्हें फर्जी मुकदमों में फंसाने तक सीमित रह गया है। यहां इंकलाब जिंदाबाद का ऐतिहासिक नारा लगाने वालों पर देशद्रोह के आरोप लगाये जाते हैं और समाज में सांप्रदायिक जहर घोलने और हिंसा करने तथा भड़काने वालों को न केवल बचाया जाता  है अपितु महिमामंडित किया जाता है। भाकपा मांग करती है कि पुलिस संरक्षण में हुयी लोकतन्त्र और भाईचारे को शर्मसार करने वाली इस घटना पर प्रदेश के मुख्यमंत्री को खेद प्रकट करना चाहिये और पीड़ित परिवार से क्षमा मांगनी चाहिये।

भाकपा ने सभी लोकतान्त्रिक शक्तियों और शख़्सियतों का आह्वान किया कि वे अन्याय और अत्याचार के विरूध्द सशक्त और संगठित आवाज उठायेँ

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश

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शुक्रवार, 13 अगस्त 2021

जमीनी स्तर पर हो बाढ़ से राहत और बचाव का काम : भाकपा


लखनऊ- 13 अगस्त 2021, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने उत्तर प्रदेश के विभिन्न भागों में बाढ़ से भारी तवाही और लाखों लोगों की दुश्वारियों पर गहरी चिन्ता जताई है। भाकपा ने संगीन बने हालातों के बावजूद राज्य सरकार की हालातों के प्रति उपेक्षा पर भी अफसोस जताया है।

यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने कहाकि प्रदेश के 30 जिलों के लगभग 3000 गांव और कई शहरी क्षेत्र भीषण बाढ़ की चपेट में हैं। इन गांवों के किसानों की फसल पूरी तरह नष्ट होगयी है, उनके घर द्वार डूब और ढह गये हैं, लोग दाने दाने और आशियाने को मुंहताज हैं, उन्हें स्वच्छ पानी और दवाई तक नहीं मिल पारही तथा दर्जनों की जानें जा चुकी हैं। वाराणसी और इलाहाबाद के हजारों मकानों की पहली मंज़िलें तक डूब गयी हैं।

भाकपा ने कहाकि राहत एवं बचाव कार्य चिंताजनक स्थिति तक अपर्याप्त हैं। पीढ़ितों की समस्याओं का जमीनी स्तर पर निदान करने के बजाय शासक नौकायन और व्योमायान का लुत्फ उठा रहे हैं। लोगों की तकलीफ़ों के प्रति सरकार की यह असंवेदनशीलता असहनीय और अक्षम्य है।

भाकपा ने मांग की कि प्रभावित इलाकों में बचाव और राहत कार्य जमीनी स्तर पर किये जायें, जहां वाहन अथवा नाव नहीं पहुंच सके वहां हवाई जहाजों/ हेलिकोप्टर्स से सामग्री पहुंचाई जाये। सामग्री में आटा, चावल, नमक, मसाले, रिफाइंड, हरी मिर्च, प्याज, अदरक , नीबू, मिट्टी का तेल, माचिस, स्टोव, पेयजल, फल, बिस्कुट, जरूरी दवाएं एवं टार्च आदि जरूरी वस्तुएं शामिल की जायें।

भाकपा ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की सभी जिला इकाइयों से आग्रह किया है कि वे जनता के सहयोग से लोगों की हर संभव मदद करें।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश

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सोमवार, 9 अगस्त 2021

उत्तर प्रदेश के वामपंथी दलों की आन लाइन बैठक संपन्न : लिए गये कई अहम फैसले


विद्युत ( संशोधन ) बिल 2021 के खिलाफ कल होने वाली अभियन्ताओं और कर्मचारियों की हड़ताल को संपूर्ण समर्थन प्रदान किया गया

केन्द्र और उत्तर प्रदेश सरकार की मनमानी के खिलाफ और जनता के ज्वलंत सवालों पर 1 सितंबर को जिला मुख्यालयों पर संयुक्त प्रदर्शन करने का लिया गया निर्णय

काकोरी कांड और भारत छोड़ो आंदोलन के महा योध्दाओं को नमन कर उनके प्रति आदरांजलि व्यक्त की गयी।

लखनऊ- 9 अगस्त 2021, उत्तर प्रदेश के वामपंथी दलों की आन लाइन बैठक आज संपन्न हुयी। बैठक में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा॰ गिरीश, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी- मार्क्सवादी के राज्य सचिव डा॰ हीरालाल यादव, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी- एमएल, लिबेरेशन के सचिव का॰ सुधाकर यादव एवं आल इंडिया फारबर्ड ब्लाक के प्रदेश संयोजक अभिनव कुशवाहा शामिल रहे।

बैठक में सबसे पहले काकोरी कांड के महानायकों को नमन करते हुये उनके प्रति क्रान्तिकारी क्रतज्ञता ज्ञापित की गयी। आज के ही दिन 1925 को भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के क्रांतिकारियों द्वारा ब्रिटिश राज के विरूध्द भयंकर युध्द छेड़ने की इच्छा से हथियार खरीदने के लिये ब्रिटिश सरकार का खजाना लूटने को लखनऊ के निकट काकोरी स्टेशन पर ट्रेन रुकवा कर इस महान घटना को अंजाम दिया गया था। कम्युनिस्ट, सोशलिस्ट, और कांग्रेस आदि धाराओं के भारत छोड़ो आंदोलन के अमर नायकों के प्रति भी सम्मान व्यक्त किया गया और उनके प्रति क्रान्तिकारी आदरांजली अर्पित की गयी। कहा गया कि जो लोग इन आंदोलनों और समूचे स्वतन्त्रता संग्राम का विरोध कर रहे थे और अंग्रेजों के पिट्ठू बने हुये थे, दुर्भाग्यवश वे ही आज  देश और प्रदेशों की गद्दी पर काबिज हैं और लोकतन्त्र, संविधान, अब तक की उपलब्धियों और आमजनों को निर्ममता से रौंद रहे हैं।

रेखांकित किया गया कि कम्युनिस्ट, सोशलिस्ट और लोकतान्त्रिक शक्तियाँ आज इन दोनों ऐतिहासिक पर्वों को धूमधाम से मना रहे हैं और देश भर में जनता के ज्वलंत सवालों पर आवाज उठा रहे हैं।

बैठक में विद्युत  ( संशोधन ) बिल 2021 के विरूध्द कल 10 अगस्त को होने जा रही विद्युत कर्मचारियों और अभियन्ताओं की राष्ट्रव्यापी हड़ताल को समर्थन प्रदान करने का निर्णय लिया गया। वामदलों की कतारों का आह्वान किया गया कि वे इस हड़ताल को पूर्ण समर्थन प्रदान करें।

बैठक में प्रमुख एजेंडा पीड़ित जनता के विभिन्न सवालों पर आंदोलन करने का था। सर्वसम्मत निर्णय लिया गया कि महंगाई पर कारगर रोक लगाने, डीजल पेट्रोल रसोई गैस पर लगे असहनीय टैक्सों को पर्याप्त मात्रा में घटाने, हर बेरोजगार को काम दिलाने- मनरेगा में 200 दिन काम और प्रतिदिन 600 रुपये मजदूरी दिलाने, इस तरह की योजना शहरों में चलाये जाने, दवाओं और खाद्य वस्तुओं के दाम बांधने, हर व्यक्ति को रुपए 7500/- प्रति माह दिये जाने, खाने की सभी सामाग्री किट के रूप में उपलब्ध कराये जाने, टीकाकरण में तेजी लाने, जनता पर बोझ बढ़ाने वाले बिजली बिल 2021 को वापस लेने, तीन क्रषी क़ानूनों को वापस कराने, एमएसपी की गारंटी करने, योगी सरकार द्वारा दमनकारी असंवैधानिक आलोकतांत्रिक रवैया रोके जाने, कानून व्यवस्था को पटरी पर लाने- दलितों अल्पसंख्यकों महिलाओं व अन्य कमजोर तबकों पर अत्याचार रोके जाने, भ्रष्टाचार पर कारगर रोक लगाने आदि सवालों पर 1 सितंबर 2021 को जिला मुख्यालयों पर संयुक्त प्रदर्शन करने का निर्णय लिया गया।

केन्द्र और उत्तर प्रदेश सरकार अंध निजीकरण से बाज आये, पैगासस कांड की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में करायी जाये, स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार और सुधार किया जाये, गरीब बच्चों की पढ़ाई में हुयी हानि की भरपाई की जाये तथा आंदोलनकारी किसानों से सरकार तत्काल वार्ता करे आदि सवालों को भी उठाया जाएगा।

लोकतान्त्रिक जनता दल उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष जुबेर अहमद कुरैशी ने भी अपने दल की वामपंथी दलों के साथ आंदोलन में भागीदारी की घोषणा की है।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश              मो॰ नं॰ 9412173664, 7055893132

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रविवार, 8 अगस्त 2021

भाजपा मुक्त उत्तर प्रदेश बनाने को गंभीर प्रयास करेगी भाकपा: राज्य कार्यकारिणी बैठक मेन कई अहम मुद्दों पर हुयी चर्चा


लखनऊ- 8 अगस्त 2021, उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष के प्रारंभ में होने जारहे विधान सभा चुनावों में पार्टी की भागीदारी एवं तैयारियों पर चर्चा करने हेतु भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राज्य कार्यकारिणी की एक दिवसीय बैठक इलाहाबाद के वरिष्ठ श्रमिक नेता का॰ नसीम अंसारी की अध्यक्षता में संपन्न हुयी। बैठक को पार्टी के केन्द्रीय सचिव अतुल अंजान ने भी संबोधित किया। राज्य सचिव एवं राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य डा॰ गिरीश ने देश और प्रदेश के मौजूदा हालातों रिपोर्ट प्रस्तुत की। सहसचिव का॰ अरविन्दराज स्वरूप ने सांगठानिक रिपोर्ट प्रस्तुत की। सहसचिव का॰ इम्तियाज़ अहमद (पूर्व विधायक) सहित राज्य कार्यकारिणी के सभी सदस्यों ने चर्चा में भाग लिया।

बैठक के निष्कर्षों की जानकारी देते हुये राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने कहाकि कारपोरेट घरानों और धनवानों के हितों की पोषक, गरीब और सामान्यजनों के हितों पर निरंतर चोट कर रही, संविधान और लोकतन्त्र पर हमलावर एवं खुलेआम समाज को बांटने के काम में जुटी केन्द्र और उत्तर प्रदेश की सरकारों से जनता आजिज़ आ चुकी है। 2022 में उत्तर प्रदेश और 2024 में केन्द्र सरकार को क्रमशः हटाना जरूरी है।

भाकपा राज्य कार्यकारिणी ने कहाकि वह 2022 के चुनावों में भाजपा मुक्त उत्तर प्रदेश बनाने के लिये गंभीर प्रयास करेगी। इसके लिये वह वामपंथी दलों की एकजुटता के साथ ही  सभी प्रासंगिक एवं प्रभावी लोकतान्त्रिक शक्तियों की एकता के लिये काम करेगी। विपक्ष के वोटों का विखराव कम से कम हो इसके लिये अभियान चलायेगी। भाकपा खुद सभी सीटों पर न लड़ कर संतुलित संख्या में अपने उम्मीदवार उतारेगी।

डा॰ गिरीश ने बताया कि राज्य कार्यकारिणी ने राज्य नेत्रत्व को अधिक्रत  किया है कि वह सीटों के चयन की प्रक्रिया तेज करे। तदनुसार सभी राज्य कार्यकारिणी सदस्यो को निर्देश दिया गया है कि वे जिलों की जिला काउंसिल एवं आम कार्यकर्ता बैठकें आयोजित कर 10 सितंबर तक अपनी रिपोर्ट राज्य केंन्द्र को भेजें। सितंबर के मध्य में राज्य काउंसिल की बैठक की जायेगी जिसमें चुनावों की तैयारी पर और व्यापक रूप में चर्चा की जायेगी।

राज्य कार्यकारिणी बैठक में महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, निजीकरण, कोरोनाकाल में लोगों के जीवन- रोजगार आदि की रक्षा करने में असफलता, बेरोजगारी, स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली, छात्र- छात्राओं को शिक्षा से वंचित करने, संविधान और लोकतन्त्र पर हमलों, जर्जर कानून व्यवस्था और समाज को बांटने की भाजपा और संघ की कोशिशों आदि सवालों पर सरकार को घेरने एवं उसके खिलाफ संयुक्त और स्वतंत्र आंदोलन करने पर बल दिया गया।

इस मुद्दे पर गहन चर्चा करने को प्रदेश के वामपंथी दलों का नेत्रत्व कल आन लाइन बैठक कर निर्णय लेगा।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश  

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सोमवार, 2 अगस्त 2021

वोट की राजनीति का खेल: फीरोजाबाद का नाम बदलने की साजिश। भाकपा ने कडा एतराज जताया


लखनऊ- 2 अगस्त 2021, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने आरोप लगाया है कि उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार पर जनता के बीच जाने को मुद्दे नहीं बचे हैं, अतएव मुद्दाविहीन सरकार चुनावी लाभ के लिये विभाजन पैदा करने का खेला करने जा रही है। ऐसे अनेक खेलों में से एक शहरों का नाम बदलना भी है। इसके तहत फीरोजाबाद का नाम बदल कर चंद्र नगर करने की योजना है।

भाकपा विभाजन कर वोट बटोरने की इस प्रस्तावित कार्यवाही का कड़ा विरोध करती है।

एक प्रेस बयान में भाकपा राज्य सचिव ने आरोप लगाया कि नियत योजनानुसार फीरोजाबाद की जिला परिषद द्वारा उपर्युक्त संबंधी प्रस्ताव पास कर राज्य सरकार को भेजा गया है। कितना हास्यास्पद है कि जिला परिषद की पहली बैठक में फीरोजाबाद जनपद के विकास पर कोई चर्चा नहीं हुयी और विद्वान पार्षद नाम बदलने की अनूठी योजना लेकर सामने आगये। ये फीरोजाबाद जनपद की उस जनता का अपमान और उनके हितों से खिलवाड़ है जिसने कि हाल ही में उन्हे जनपद के विकास के लिये चुन कर भेजा है।

भाकपा राज्य सचिव ने सरकार से कहा कि यदि फीरोजाबाद पर क्रपा करनी ही है तो फीरोजाबाद की जनता को उन दुश्वारियों से निजात दिलाइये जिन्हें वह दशकों से झेल रही है। फीरोजाबाद में बड़े पैमाने पर जल भराव होता है, जिले और शहर की सड़कों की हालत बेहद खस्ता है, पानी और बिजली की सप्लाई अस्त व्यस्त है, कारखानों में काम करने वाले श्रमिकों को गुजरे लायक वेतन तक नहीं मिलता, हर परिवार में तीन में से दो सदस्य बेरोजगार हैं, स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है, कांच उद्योग से निकलने वाला धुआं और प्रदूषण लोगों के फेफड़ों को छलनी कर रहा है तथा जनपद की तीन चौथाई आबादी कुपोषित है। इन विकराल समस्याओं की ओर न सरकार का ध्यान है न जिला परिषद का।

डा॰ गिरीश ने राज्य सरकार से पूछा है कि वह बताए कि इलाहाबाद और मुगल सराय का नाम बदलने से वहाँ के लोगों के जीवन में कितना उत्थान हुआ?

असफल सरकार और उसके पैरोकार निहित राजनैतिक स्वार्थों के लिये इतिहास से भी छेड़ छाड़ पर उतारू हैं। अपने कुत्सित उद्देश्यों को सांप्रदायिक जामा पहनाने को वो कह रहे हैं कि फीरोजाबाद का नाम पूर्व में चंद्रावर नगर था, और सम्राट अकबर ने 15वीं शताब्दी में बदल कर इसे फीरोजाबाद कर दिया। जबकि देश के जाने माने इतिहासकार और एएमयू के मानद प्रोफेसर इरफान हबीब कहते हैं कि इस तरह का कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है कि फीरोजाबाद का नाम चंद्रावर नगर था। फीरोजाबाद नाम फ़ीरोज शाह तुगलक के शासन काल में अस्तित्व में आया। यह गलत है कि अकबर ने किसी प्राचीन नाम को बदल कर इसे फीरोजाबाद नाम दिया।

नाम बदलने के पैरोकार जिले की अधिक्रत वेबसाइट का हवाला देते हैं जिसमें स्थान का नाम चंद्रावर नगर बताया गया है, जिसे अकबर के मनसबदार फ़ीरोजशाह ने 1556 में बदल कर फीरोजाबाद कर दिया। सभी जानते हैं कि ये वेबसाइट्स ब्रिटिशकाल में तैयार गज़ट पर आधारित हैं, और अंग्रेजों ने बांटो और राज करो की नीति के तहत तथ्यों से मनमानी छेड़छाड़ की।

इस संबंध में अन्य इतिहासकारों का कथन है कि प्राचीन काल में चंद्रावर शहर यमुना नदी के किनारे स्थित था। सन 1193- 94 के युध्द में मोहम्मद गौरी ने कन्नौज के राजा जयचंद को हरा कर नगर पर कब्जा कर लिया था। ऐतिहासिक तथ्यों और भौगोलिक स्थितियों का विश्लेषण करने पर निष्कर्ष निकलता है कि चंद्रावर नगर का वर्तमान फीरोजाबाद से दूर दूर तक संबंध नहीं है।

स्थानों के नाम बदल कर और अन्य विभाजनकारी मुद्दों को उछाल कर वोटों की राजनीति करना योगी सरकार का प्रमुख मुद्दा रहा है जिसे वह 2017 से निर्बाध रूप से चला रही है। इसके लिये वह जन सरोकारों की उपेक्षा भी कर रही है और इतिहास से भी छेड़छाड़ कर रही है। भाकपा इन क्रत्यों पर कड़ा विरोध जताती है, डा॰ गिरीश ने कहा है।

डा॰ गिरीश

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