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बुधवार, 18 अगस्त 2021

अलीगढ़ और मैनपुरी का नाम बदलने की कोशिश पर भाकपा ने कड़ा विरोध जताया


लखनऊ- 18 अगस्त 2021, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने भाजपा और उसकी राज्य सरकार पर आरोप लगाया है कि उसने पहले तो लोकतान्त्रिक निकायों पर घोर आलोकतांत्रिक तरीकों से कब्जा किया और अब वह उन निकायों का इस्तेमाल विभाजन और कट्टरता की राजनीति को हवा देने के लिये कर रही है। 16 अगस्त को अलीगढ़ एवं मैनपुरी की भाजपा द्वारा हथियाई गयी जिला पंचायतों द्वारा दोनों जिलों का नाम बदलने का प्रस्ताव इसी तालिबानी इरादे से किया गया है। ज्ञात हो कि कुछ दिन पहले फीरोजाबाद की जिला पंचायत ने भी उसका नाम बदलने का प्रस्ताव पास किया था।

भाकपा ने कहाकि वह 2022 के विधान सभा चुनावों में समाज में विभाजन/ ध्रुवीकरण कर लाभ उठाने की गरज से की जारही इन कार्यवाहियों का वह पुरजोर विरोध करेगी तथा सभी लोकतान्त्रिक ताकतों से अपील करती है कि वे भी इन तालिबानी करतूतों का मुखर विरोध करें।

भाकपा ने कहा कि जिन जिला पंचायत सदस्यों ने ये प्रस्ताव पारित किए हैं वे जनता से विकास, भ्रष्टाचार मुक्त और जबावदेह प्रशासन के वायदे करके चुनाव जीत कर आए थे। उनमें से अधिकतर को भाजपा के विरूध्द वोट देकर मतदाताओं ने विजयी बनाया था। लेकिन सत्ता धन और छल के बल पर भाजपा ने उनको अपने पाले में घसीट लिया और अब उन्हें अपनी विभाजन की राजनीति का औज़ार बना रही है। अलीगढ़ मैनपुरी और फीरोजाबाद जनपदों की जनता की अनगिनत समस्याएं हैं जो उनका नाम बदलने से नहीं सच्चाई के साथ किए गए विकास से दूर होंगी। जिला पंचायतों को वही करना चाहिए, उसी के लिये उन्हें चुना भी गया है।

जहां तक ऐतिहासिक तथ्यों का सवाल है न तो अलीगढ़ का नाम कभी हरिगढ़ रहा और नहीं मैनपुरी का कभी मयन नगर रहा। समूचे अलीगढ़ जनपद का नाम 18 वीं शताब्दी से पहले कोल या कोइल था, जिसकी भौगोलिक सीमायें समय समय पर बदलतीं रहीं। 18वीं सदी में मुगल सल्तनत ने इस क्षेत्र का सूबेदार नजफ़ अली शाह को नियुक्त किया था जिसका किला अलीगढ़ कहलाया। तभी से इसका नाम अलीगढ़ है। विभाजन की राजनीति के लिये समय समय पर संघ और उसके आंगिक संगठन हरिगढ़ नाम उछालते रहे हैं और 1989 में वे इसको लेकर अलीगढ़ में भीषण दंगा कराने में कामयाब रहे थे।

इसी तरह मैनपुरी नाम का भी संत मयन के नाम से कोई रिश्ता नहीं रहा, कल्पित नाम संघियों के खुराफाती दिमाग की देन है।

भाकपा ने कहा कि जिस समय देश और उत्तर प्रदेश की जनता आसमान छूती महंगाई, कोरोना महामारी की तवाही, अभूतपूर्व बेरोजगारी, भुखमरी और खराब से खराब कानून व्यवस्था के दंश को झेल रही है उस समय भाजपा और उसकी सरकार निहित स्वार्थों के तहत और ध्यान बंटाने को विभाजनकारी मुद्दे उठा कर जनता के जीवन और जजवातों से खिलवाड़ कर रही है। यह सब यूं ही चलने नहीं दिया जायेगा। जनता को धोखा देने के षडयंत्रों को कदम कदम पर उजागर किया जायेगा।

डा॰ गिरीश ने बताया कि भाजपा की जनविरोधी नीतियों से जनता को निजात दिलाने के उद्देश्य से वामपंथी दलों ने 1 सितंबर को समूचे प्रदेश में जबर्दस्त प्रतिरोध जताने का निर्णय लिया है।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा,  उत्तर प्रदेश

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