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गुरुवार, 30 जनवरी 2014
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का० इन्द्रजीत गुप्त- बेदाग छवि, गाँधी जैसी सादगी एवं लोकतान्त्रिक द्रष्टिकोण
पिछले कुछ दिनों में एक हाल में ही प्रकट हुयी पार्टी के नेताओं की सादगी और उसकी उपलब्धियों पर मीडिया ने दर्शकों और श्रोताओं के आँख और कानों को अपने तोता रटंत गुणगान से पाट दिया है. लेकिन अपनी तटस्थता का दाबा करने वाले मीडिया ने कम्युनिस्टों की कुर्बानियों, बलिदानों और सादगी को कभी प्रसारित नहीं किया अपितु जहाँ मौका मिला उन पर कीचड़ ही उछाली. लेकिन आज राष्ट्रीय सहारा ने का. इन्द्रजीत गुप्त पर एक टिपण्णी प्रकाशित कर मीडिया धर्म को निभाया है. उसका यथावत पाठ नीचे दिया जारहा है.
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी(सीपीआइ) के नेता इन्द्रजीत गुप्त सिर्फ १९७७-८० को छोड़ कर १९६० से जीवनपर्यन्त सांसद रहे.सबसे वरिष्ठ सांसद रहने के नाते वह तीन बार(१९९६, १९९८, १९९९) प्रोटेम स्पीकर बने और उन्होंने नवनिर्वाचित सांसदों को शपथ दिलाई.वह सीपीआइ के जनरल सेक्रेट्री रहे. वह आल इण्डिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस के जनरल सेक्रेट्री (१९८०-१९९०) रहे. वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ़ ट्रेड यूनियंस के अध्यक्ष(१९९८) रहे.और एच.डी. देवगोडा के मंत्रिमंडल में वह (१९९६-९८) गृहमंत्री रहे. उन्हें १९९२ में “आउटस्टैंडिंग पार्लियामेंतेरियां का सम्मान दिया गया. राष्ट्रपति के.आर. नारायण ने उन्हें श्रध्दांजलि देते हुए कहा था कि वह गांधीजी जैसी सादगी, लोकतान्त्रिक द्रष्टिकोण और मूल्यों के प्रति समर्पित व्यक्ति थे. ग्रहमंत्री बनने केबाद भी वह वेस्टर्न कोर्ट के दो कमरों के क्वार्टर में रहते रहे. वे टहलते हुये संसद चले जाते थे. गृहमंत्री बनने पर प्रोटोकाल के नाते उन्हें सरकारी गाड़ी से चलना पड़ा. फिर भी उन्होंने बहुत सी सुविधायें नहीं लीं थीं जो मंत्री होने के नाते उहें मिलती. यहाँ तक कि उन्होंने सुरक्षा गार्ड लेना स्वीकार नहीं किया. वह हमेशा लोगों को होने वाली असुविधाओं का पूरा ख्याल रखते थे. मंत्री रहते हुए भी एअरपोर्ट के टर्मिनल तक वायुसेवा की बस सही जाते थे न कि अपनी गाड़ी से.
का. इन्द्रजीत गुप्त कज्न्म १८ मार्च १९१९ को कोलकता में हुआ था. उनके पिता सतीशचन्द्र गुप्त देश के अकाउंटेंट जनरल थे. इन्द्रजीत गुप्त के दादा बिहारीलाल गुप्त आईसीएस थे और बरोदा के दीवान थे.इन्द्रजीत गुप्त की पढ़ाई शिमला, दिल्ली के सेंट स्टीफेंस व किंग्स कालेज और केम्ब्रिज में हुई थी.इंग्लेंड में ही वह रजनीपाम दत्त के प्रभाव में आये और उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी ज्वाइन कर ली. १९३८ में कोलकता लौटने पर वह किसानों और मजदूरों के आन्दोलन से जुड़ गये. आजादी के बाद कम्युनिस्ट पार्टी पर तीन बार प्रतिबन्ध लगाया गया और इसके तहत अन्य वाम नेताओं के साथ इन्द्रजीत गुप्त को या तो भूमिगत होना पड़ा या गिरफ्तार. इन्द्रजीत गुप्त का देहान्त २० फरबरी २००१ को ८१ साल की उम्र में हुआ.
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at 5:39 pm | 0 comments |
भूतल परिवहन मंत्री,श्रीप्रकाश जायसवाल,मुलायम सिंह और अखिलेश यादव सभी जिम्मेदार हैं जी.टी. रोड की दयनीय दशा के लिए.
भाकपा ने जी. टी. रोड की मरम्मत कराने की मांग उठाई.
लखनऊ- ३० जनवरी २०१४, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डॉ० गिरीश ने केन्द्रीय भूतल परिवहन मंत्री को पत्र लिख कर राष्ट्रीय राज मार्ग सं० ९१(जी. टी. रोड) की कानपुर और और अलीगढ के बीच दयनीय दशा से अवगत कराया है और इसकी तत्काल मरम्मत कराने की मांग की है.
अपने पत्र में भाकपा राज्य सचिव ने भूतल परिवहन मंत्री को बताया है कि उक्त मार्ग अत्यंत जीर्ण- शीर्ण हालात में है. सडक में इतने गहरे गड्ढ़े हो गये हैं कि यह पता ही नहीं लगता कि गड्ढ़ों में सड़क है या सडक में गड्ढ़े. कानपूर और अलीगढ़ के बीच सफर में ६ घंटे लगते थे मगर अब सडक की इस दुर्दशा के चलते ९-१० घंटे लग जाते हैं. अतएव समय एवं ईंधन की भारी वर्बादी होती है.
डॉ० गिरीश ने कहा कि यह राष्ट्रीय मार्ग केन्द्रीय मंत्री श्री श्रीप्रकाश जायसवाल, केंद्र सरकार को समर्थन दे रहे श्री मुलायम सिंह यादव एवं श्रीमती डिम्पल यादव जैसे अति विशिष्ट लोगों के चुनाव क्षेत्रों से गुजरता है. फिर भी यह इस दुर्दशा को प्राप्त है. इसकी सीधी वजह यह है कि इन नेताओं को इस मार्ग से चलने की जरूरत नहीं है. ये मान्य नेतागण हवाई जहाज अथवा हेलिकॉप्टर से यात्रायें करते हैं अतएव उन्हें इसकी फ़िक्र करने की शायद जरूरत नहीं है.
हमने इन नेताओं को भी पत्र की प्रतियाँ भेजी हैं और उनसे भी इस सम्बन्ध में त्वरित कदम उठाने की मांग की है, भाकपा नेता ने कहा है. भाकपा ने चेतावनी दी है कि यदि इस मार्ग की फौरन मरम्मत नहीं कराई गयी तो सम्बन्धित नेताओं को इसका खामियाजा लोकसभा चुनावों में भुगतना पड़ सकता है.
डॉ० गिरीश, राज्य सचिव,
भाकपा, उत्तर प्रदेश.
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