भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का प्रकाशन पार्टी जीवन पाक्षिक वार्षिक मूल्य : 70 रुपये; त्रैवार्षिक : 200 रुपये; आजीवन 1200 रुपये पार्टी के सभी सदस्यों, शुभचिंतको से अनुरोध है कि पार्टी जीवन का सदस्य अवश्य बने संपादक: डॉक्टर गिरीश; कार्यकारी संपादक: प्रदीप तिवारी

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शनिवार, 20 जून 2020

CPI Protests


सीमाओं पर संकट और कोरोना के बहाने आम जनता पर बोझ लादना बर्दाश्त नहीं किया जायेगा

पेट्रोल, डीजल एवं रसोई गैस की लगातार बढ़ती कीमतों के विरूध्द भाकपा ने किये विरोध प्रदर्शन

लखनऊ- 20 जून 2020, पेट्रोल एवं डीजल की गत दो सप्ताह में लगातार बढाई गयी कीमतें वापस लेने, अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में अभूतपूर्व गिरावट का लाभ जनता को मिलने से रोकने के लिये केन्द्र सरकार द्वारा बढ़ाये गए उत्पाद कर एवं राज्य सरकार द्वारा बढ़ाये गये जीएसटी को वापस लेने, रसोई गैस की बढ़ी हुयी कीमतों को वापस लेने, पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस की पूर्ववर्ती मूल्य नियंत्रण प्रणाली को पुनः लागू करने तथा अवाम को सता रही महंगाई को नीचे लाने की मांगों को लेकर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने आज देश भर में और उत्तर प्रदेश में प्रदर्शन किये।
यद्यपि राष्ट्रीय स्तर से पेट्रोलियम पदार्थों की मूल्यव्रद्धि के विरूध्द आंदोलन का आह्वान किया गया था, लेकिन उत्तर प्रदेश में भाकपा ने मजदूरों किसानों और आम आदमी को व्यथित कर रहे उन सभी सवालों को भी उठाया जिनको भाकपा और वामपंथ उत्तर प्रदेश में लाक डाउन लागू होने के बाद से निरंतर उठा रहे हैं। धरने/ प्रदर्शनों के उपरांत राष्ट्रपति एवं राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन स्थानीय प्रशासन को सौंपे गये।
आंदोलन को कामयाब बताते हुये भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने कहा कि कोरोना और लाक डाउन के चलते आम आदमी की जेब पहले से ही खाली है, महंगाई बढ़ा कर सरकार उसे और खाली करे देरही है। पिछले 14 दिनों से पेट्रोल और डीजल की कीमतें हर रोज बढ़ायी जारही हैं और ये क्रमशः रुपये 80 और 70 के पार पहुँच गयी हैं। सीमाओं पर संकट के नाम पर सरकार के पिट्ठूओं ने इस मुजरिमाना व्रद्धि को अपरिहार्य बताना शुरू कर दिया है। यह काबिले बर्दाश्त नहीं और भाकपा इसे बर्दाश्त नहीं करेगी।
भाकपा राज्य सचिव मंडल ने दावा किया कि आज यूपी में तमाम जगह भाकपा कार्यकर्ताओं ने भीषण गर्मी, कुछ जिलों में भारी बरसात और प्रशासन की तानाशाही के बावजूद जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपे। टीवी चैनल इसे भले ही न दर्शायें, अखबारों में यह राष्ट्रीय खबर भले ही न बने लेकिन सोशल मीडिया आंदोलन की खबरों और फोटोज से भरा पड़ा है।
सच तो यह है कि कोरोना विपत्ति काल में भाकपा और वामपंथ ही लगातार जनता की आवाज उठा रहे हैं, क्षेत्रीय ताक़तें तो खामोश बैठी हुयी हैं। भाकपा और वामपंथ आने वाले दिनों में शोषित, पीड़ित जनता की और भी मुखर आवाज बनेगा, भाकपा ने विश्वास जताया है। भाकपा राज्य सचिव मंडल ने सभी भाकपा और वामपंथी कार्यकर्ताओं को उनके इस अनथक संघर्षों के लिये क्रांतिकारी बधाई दी है।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश

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