बुधवार, 30 जून 2010
at 9:43 pm | 0 comments |
1857 में हम आज ही के दिन लखनऊ में जीते थे
30 जून 2010वार्तालखनऊ। आजादी की लड़ाई के लिए अंग्रेजों के खिलाफ 1857 में मेरठ से शुरू हुए गदर की आंच धीरे-धीरे पूरे देश में पहुंची और आज के दिन ही यानी 30 जून को राजधानी लखनऊ के चिनहट इलाके में अंग्रेजों को परास्त होना पड़ा।चिनहट इलाके का महाबीर जी का मंदिर इस युद्ध का गवाह बना।मंदिर के पास आजादी के लिए लड़ रहे विद्रोहियों और अंग्रेज सेना के बीच हुए युद्ध में विद्रोहियों की जीत हुई। अंग्रेज भागकर रेसीडेंसी में छुप गए। इस युद्ध में दो सौ से ज्यादा अंग्रेज सैनिक मारे गए और उनकी पांच तोपों पर विद्रोहियों ने कब्जा कर लिया।
भारत का इतिहास राष्ट्रीय अभिलेखागार में संरक्षित है
एक जुलाई 1857 को विद्रोहियों ने मच्छी भवन पर आक्रमण किया। युद्ध में अंग्रेज परास्त हुए और मच्छी भवन पर विद्रोहियों का अधिकार हो गया। इसी रात अंग्रेज सेनापति लॉरेंस ने मच्छी भवन के बारूदखाने को तोप से उड़वा दिया। दो जुलाई को विद्रोहियों ने रेसीडेंसी पर आक्रमण कर दिया। इस हमले में लॉरेंस बुरी तरह घायल हुआ और चार जुलाई को उसकी मौत हो गई। 30 जून 1857 से शुरू हुई लड़ाई 23 मार्च 1858 तक चली और इसमें लखनऊ पूरी तरह अंग्रेजों के कब्जे में आ गया। इस बीच में मौका कभी अंग्रेजों के हाथ आता, तो कभी विद्राहियों के हाथ। विद्रोहियों ने पांच जुलाई 1857 को नवाब वाजिद अली शाह के ग्यारह साल के बेटे विरजिस कादर को लखनऊ का नवाब घोषित कर दिया और बेगम हजरत महल ने उसके नाम पर शासन का कार्य भार देखना शुरू कर दिया।विद्रोहियों ने एक बार फिर रेसीडेंसी पर 31 जुलाई को हमला किया, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। नवंबर की 16-17 और 18 तारीख को लखनऊ की गलियों में भयंकर कत्लेआम हुआ। आलमबाग, कैसरबाग, सिकंदरबाग, शाह नजफ रोड और दिलकुशा लड़ाई के प्रमुख केंद्र रहे। आलमबाग के रास्ते जब अंग्रेज लखनऊ में प्रवेश नहीं कर सके तो वे दिलकुशा में जमा हुए और वहां से सिकंदरबाग की ओर कूच कर गए।
‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ वापस आ रही है
धीरे-धीरे विद्रोहियों के हौसले पस्त होते गए, क्योंकि अंग्रेज बड़ी योजना के साथ लड़ रहे थे। अंग्रेजों ने 23 मार्च 1858 को रेसीडेंसी पर फिर से अधिकार कर लिया और पूरे लखनऊ पर उनका शासन हो गया।इसी के साथ लखनऊ में गदर को दबा दिया गया।
भारत का इतिहास राष्ट्रीय अभिलेखागार में संरक्षित है
एक जुलाई 1857 को विद्रोहियों ने मच्छी भवन पर आक्रमण किया। युद्ध में अंग्रेज परास्त हुए और मच्छी भवन पर विद्रोहियों का अधिकार हो गया। इसी रात अंग्रेज सेनापति लॉरेंस ने मच्छी भवन के बारूदखाने को तोप से उड़वा दिया। दो जुलाई को विद्रोहियों ने रेसीडेंसी पर आक्रमण कर दिया। इस हमले में लॉरेंस बुरी तरह घायल हुआ और चार जुलाई को उसकी मौत हो गई। 30 जून 1857 से शुरू हुई लड़ाई 23 मार्च 1858 तक चली और इसमें लखनऊ पूरी तरह अंग्रेजों के कब्जे में आ गया। इस बीच में मौका कभी अंग्रेजों के हाथ आता, तो कभी विद्राहियों के हाथ। विद्रोहियों ने पांच जुलाई 1857 को नवाब वाजिद अली शाह के ग्यारह साल के बेटे विरजिस कादर को लखनऊ का नवाब घोषित कर दिया और बेगम हजरत महल ने उसके नाम पर शासन का कार्य भार देखना शुरू कर दिया।विद्रोहियों ने एक बार फिर रेसीडेंसी पर 31 जुलाई को हमला किया, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। नवंबर की 16-17 और 18 तारीख को लखनऊ की गलियों में भयंकर कत्लेआम हुआ। आलमबाग, कैसरबाग, सिकंदरबाग, शाह नजफ रोड और दिलकुशा लड़ाई के प्रमुख केंद्र रहे। आलमबाग के रास्ते जब अंग्रेज लखनऊ में प्रवेश नहीं कर सके तो वे दिलकुशा में जमा हुए और वहां से सिकंदरबाग की ओर कूच कर गए।
‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ वापस आ रही है
धीरे-धीरे विद्रोहियों के हौसले पस्त होते गए, क्योंकि अंग्रेज बड़ी योजना के साथ लड़ रहे थे। अंग्रेजों ने 23 मार्च 1858 को रेसीडेंसी पर फिर से अधिकार कर लिया और पूरे लखनऊ पर उनका शासन हो गया।इसी के साथ लखनऊ में गदर को दबा दिया गया।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
मेरी ब्लॉग सूची
-
CUT IN PETROL-DIESEL PRICES TOO LATE, TOO LITTLE: CPI - *The National Secretariat of the Communist Party of India condemns the negligibly small cut in the price of petrol and diesel:* The National Secretariat of...2 वर्ष पहले
-
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का चुनाव घोषणा पत्र - विधान सभा चुनाव 2017 - *भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का चुनाव घोषणा पत्र* *- विधान सभा चुनाव 2017* देश के सबसे बड़े राज्य - उत्तर प्रदेश में राज्य सरकार के गठन के लिए 17वीं विधान सभा क...4 वर्ष पहले
-
No to NEP, Employment for All By C. Adhikesavan - *NEW DELHI:* The students and youth March to Parliament on November 22 has broken the myth of some of the critiques that the Left Parties and their mass or...4 वर्ष पहले

लोकप्रिय पोस्ट
-
सफल रास्ताजाम एवं व्यापक विरोध प्रदर्शन के लिये भाकपा ने किसानों और कार्यकर्ताओं को दी बधाई उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा खड़े किए गये तमाम अ...
-
अलीगढ़ बालिका की संदिग्ध परिस्थितियो में हत्या की भाकपा ने निन्दा की भाकपा का प्रतिनिधिमंडल डा॰ गिरीश के नेत्रत्व में कल अलीगढ़ पहुंचेगा ...
-
भाकपा के प्रतिनिधिमंडल ने अलीगढ़ के गांव किवलाश पहुंच दलित बिटिया की हत्या के संबंध में गांववासियों से भेंट की , घटनास्थल का निरीक्षण ...
-
उन्नाव कांड की भाकपा ने तीव्र भर्त्सना की। पीढ़ित परिवार के प्रति संवेदना जतायी घटना की सीबीआई से जांच और तीसरी बिटिया को एम्स भेजने की मां...
-
चले चलो दिलों में घाव ले के भी चले चलो चलो लहूलुहान पांव ले के भी चले चलो चलो कि आज साथ-साथ चलने की जरूरतें चलो कि ख़त्म हो न जाएं जिन्द...
-
लखनऊ-12 अगस, 2016, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने प्रदेश में सत्ता की दौड में शामिल प्रमुख दलों पर आरोप लगाया है कि वे आगाम...
-
लखनऊ- दिनांक- 18- 2-2021 , संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा देश भर में रेल रोकने के आह्वान के समर्थन में उत्तर प्रदेश में आज भारतीय कम्युनिस्ट...
-
अहिंसक आंदोलन के खिलाफ हिंसा पर उतारू है उत्तर प्रदेश सरकार भाकपा ने सभी आंदोलनकारियों को सफल और शांतिपूर्ण कार्यवाहियों के लिये बधा...
-
CPI General Secretary Com. Survaram Sudhakar Reddy's open letter to Mr Narendra Modi, Prime MinisterNew Delhi 29 th May 2015 To, Shri Narendra Modi Hon’ble Prime Minister Government of India ...
-
Suravaram Sudhakar Reddy born on 25 th March 1942 has been an ardent social worker through Communist Party of India (CPI) right from...

0 comments:
टिप्पणी पोस्ट करें