फ़ॉलोअर
सोमवार, 24 फ़रवरी 2014
at 5:34 pm | 0 comments |
केजरीवाल के वामपंथ न दक्षिणपंथ उवाच की सच्चाई.
आपात्काल के दिनों में स्व.श्री संजय गाँधी ने नारा दिया था- न वामपंथ न दक्षिणपंथ. तब हम वामपंथियों ने दो टूक कहा था कि जो वामपंथी नहीं है वह दक्षिणपंथी ही है. संजय गाँधी की इस लाइन का सार्वजनिक रूप से विरोध करने पर इन पंक्तियों के लेखक समेत कईयों को तत्कालीन शासन ने आपात्काल विरोधी घोषित कर दिया था, अतएव हमें भूमिगत होना पड़ा था.
ऐसे ही नायाब विचार अब आम आदमी पार्टी(आप) के नेता अरविन्द केजरीवाल ने व्यक्त किये हैं. दिल्ली में कन्फेडरेशन ऑफ़ इंडियन इंडस्ट्रीज(सीआइआइ) की बैठक में केजरीवाल ने कहा कि वे न तो पूंजीवाद के खिलाफ हैं न निजीकरण के. कारोबार में सरकार का कोई काम नहीं है. ......यह सब निजी क्षेत्र के लिये छोड़ दिया जाना चाहिए. उन्होंने इंस्पेक्टर राज एवं लाइसेंस राज के खिलाफ होने की घोषणा भी की. इससे पहले वे यह भी कह चुके हैं कि हम न तो पूंजीवादी हैं न समाजवादी या वामपंथी. हम तो बस आम आदमी हैं और किसी खास विचारधारा से जुड़े हुए नहीं हैं. अपनी समस्याएं हल करने के लिए चाहे दक्षिण हो या वाम, हम किसी भी विचारधारा से विचार उधार ले सकते हैं.
केजरीवाल और उनके समर्थकों को यह बताया जाना जरूरी है कि पूंजीवाद का अस्तित्व और विकास आम आदमी के शोषण पर टिका है. आम आदमी का विकास और उत्थान समाजवादी व्यवस्था में ही सम्भव है. और समाजवादी व्यवस्था का आधार सार्वजनिक क्षेत्र है निजीकरण नहीं. फिर पूंजीवाद और निजीकरण की वकालत करके केजरीवाल किस आम आदमी की बात कर रहे हैं? वैसे तो वे आम आदमी की परिभाषा भी गढ़ चुके हैं- “ग्रेटर कैलाश(दिल्ली के धनाढ्य लोगों की आबादी) से लेकर झुग्गी- झोंपड़ियों तक जो भी भ्रष्टाचार के खिलाफ है वह आम आदमी है”. वे शेर और बकरी को एक घाट पर पानी पिलाना चाहते हैं. यह पूंजीवाद का ही कानून है.
केजरीवाल का यह कथन कि सरकार का कारोबार में कोई काम नहीं और तमाम कारोबार निजी क्षेत्र के लिये छोड़ दिया जाना चाहिए,उनके उस नवउदारवादी द्रष्टिकोण का ही परिचायक है जिसकी वकालत हूबहू इन्हीं तर्कों के साथ कांग्रेस और भाजपा दशकों से करती आरही हैं. इस नजरिये का तो सीधा अर्थ है कि सभी आर्थिक गतिविधियाँ और उनके सभी क्षेत्र बाजार से संचालित होने चाहिये. यहाँ तक कि बिजली पानी की आपूर्ति और सार्वजनिक परिवहन जैसी बुनियादी सेवायें भी.
केजरीवाल ने कहा है कि इस बात की जरूरत है कि सरकार ऐसी अच्छी नियामक व्यवस्था कायम करे कि कारोबार और उद्यम खेल के नियमों के हिसाब से चलें. यह उनकी एक अच्छी कपोल-कल्पना है. अब तक के अनुभव तो यही बताते हैं कि कारोबारी और उद्यमी सरकारों की सदाशयता हासिल कर अपने मुनाफे और पूँजी का आकार बढ़ाते हैं और केजरीवाल जैसे दार्शनिक उनके फायदे के लिये वैचारिक प्रष्ठभूमि बनाने में जुटे रहते है. वैसे भी यह नव-उदारीकरण के मॉडल का ही हिस्सा है, जिसके तहत बड़ी पूँजी के हितों को आगे बढ़ाया जाता है. केजरीवाल ने दिल्ली की बिजली और पानी के निजीकरण के अपने विरोध को भी भुला दिया है. आखिर क्यों?
केजरीवाल ने यह भी कहा कि वह केवल दरबारी पूंजीवाद के खिलाफ हैं, पूंजीवाद के खिलाफ नहीं.उन्होंने दिल्ली में अंबानी सन्चालित बिजली आपूर्ति कम्पनियों के खिलाफ और रिलायंस गैस मूल्य निर्धारण के मुद्दे पर अपनी लड़ाई को दरबारी पूंजीवाद के खिलाफ बताया. वे इस बात पर अनजान बने हुये हैं कि बड़े पैमाने पर दरबारी पूंजीवाद का पनपना नव-उदारवादी व्यवस्था की ही देन है, जो प्राक्रतिक संसाधनों की लूट को आसान बनाती है और पूरी तरह बड़े पूंजीपतियों के लिए मुनाफा बटोरने का रास्ता बनाती है.
यहाँ यह भी ध्यान देने योग्य है कि केजरीवाल को एन आर आई, निर्यातकों तथा उद्योग घरानों से जो चंदा मिलता है वह यह जान कर ही मिलता है कि वे वामपंथी नहीं हैं. वे ही लोग वामपंथियों को फूटी आंखों नहीं देखना नहीं चाहते.
अतएव आप भले ही न वामपंथ न दक्षिणपंथ कह कर अपने को तटस्थ और भोला साबित करने की कोशिश करे अब तक के उसके बयान एवं कारगुजारियां उसे पूंजीवाद और आज के नव-उदारवाद के हितैषी के रूप में ही पेश करती हैं.
डॉ. गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश
»» read more
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
मेरी ब्लॉग सूची
-
CPI Condemns Attack on Kanhaiya Kumar - *The National Secretariat of the Communist Party of India issued the following statement to the Press:* The National Secretariat of Communist Party of I...6 वर्ष पहले
-
No to NEP, Employment for All By C. Adhikesavan - *NEW DELHI:* The students and youth March to Parliament on November 22 has broken the myth of some of the critiques that the Left Parties and their mass or...8 वर्ष पहले
-
रेल किराये में बढोत्तरी आम जनता पर हमला.: भाकपा - लखनऊ- 8 सितंबर, 2016 – भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने रेल मंत्रालय द्वारा कुछ ट्रेनों के किराये को बुकिंग के आधार पर बढाते चले जाने के कदम ...9 वर्ष पहले
Side Feed
सदस्यता लें




Hindi Font Converter
Are you searching for a tool to convert Kruti Font to Mangal Unicode?
Go to the link :
https://sites.google.com/site/technicalhindi/home/converters
Go to the link :
https://sites.google.com/site/technicalhindi/home/converters
लोकप्रिय पोस्ट
-
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राष्ट्रीय परिषद यूरोपीय यूनियन और इस्राइल के साथ बिना किसी सार्वजनिक चर्चा के मुक्त व्यापार समझौता करने के प्रया...
-
Left Parties along with other secular democratic parties and opposition in general have called for a countrywide hartal on 5th July from 6 a...
-
जातीय जनगणना , अल्पसंख्यकों के प्रति घ्रणा अभियान , विधायक निधि में बढ़ोत्तरी , महंगाई और बेरोजगारी , बुलडोजरवाद और पुलिसराज के विरूध्द...
-
हापुड़ में फैक्ट्री मजदूरों की दर्दनाक मौत पर भाकपा ने गहरी वेदना प्रकट की भाकपा की मेरठ मंडल की इकाइयों को आवश्यक कदम उठाने और 8 जून को ...
-
बिहार की तरह उत्तर प्रदेश में भी जाति आधारित गणना करायी जाये: वामदल प्रकरण पर सर्वदलीय बैठक शीघ्र बुलाये जाने की मुख्यमंत्री से मांग की ...
-
अखनूर बस हादसे के लिये उत्तर प्रदेश सरकार पूरी तरह जिम्मेदार: डा॰ गिरीश भाकपा नेता ने म्रतकों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की , घायलों क...
-
उत्तर प्रदेश में निरंतर सामने आ रहे भ्रष्टाचार के मामलों पर केंद्र और राज्य सरकार की चुप्पी हैरान करने वाली भाकपा ने घोटालों की ज़िम्मेदा...
-
कांबड़ियों की मौत प्रशासनिक अव्यवस्थाओं का परिणाम: भाकपा आस्थावानों को उकसा कर उन्हें राम भरोसे छोड़ देती है सरकार लखनऊ- 24 जुलाई ,2022,...
-
कानपुर की दुर्भाग्यपूर्ण घटनायें सत्ता प्रतिष्ठान द्वारा निर्मित घ्रणा और उन्माद के वातावरण की देन प्रशासन ही नहीं शासन की भी है ज़िम्मेद...
-
वामपंथी एवं जनवादी दलों का राज्य स्तरीय ‘ सम्मिलन ’ संपन्न बुलडोजरवाद , पुलिस उत्पीड़न , वामपंथी कार्यकर्ताओं पर हमले , संविधान और लो...