भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का प्रकाशन पार्टी जीवन पाक्षिक वार्षिक मूल्य : 70 रुपये; त्रैवार्षिक : 200 रुपये; आजीवन 1200 रुपये पार्टी के सभी सदस्यों, शुभचिंतको से अनुरोध है कि पार्टी जीवन का सदस्य अवश्य बने संपादक: डॉक्टर गिरीश; कार्यकारी संपादक: प्रदीप तिवारी

About The Author

Communist Party of India, U.P. State Council

Get The Latest News

Sign up to receive latest news

फ़ॉलोअर

शनिवार, 28 दिसंबर 2019

CPI Demands action against communal officers.


प्रकाशनार्थ-

संघ की भाषा बोल रहे अधिकारियों पर कड़ी कार्यवाही की जाये

हिसा की घटनाओं की न्यायिक जांच हो: भाकपा


लखनऊ- 28 दिसंबर 2019- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने उत्तर प्रदेश में पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों पर संघ और भाजपा के एजेंडे को आगे बढ़ाने का आरोप लगाते हुये इस पर गहरी चिन्ता जताई है।
एक प्रेस बयान में भाकपा राज्य सचिव मंडल ने कहाकि उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद से ही समूची शासकीय मशीनरी को संघ की वैमनस्यपूर्ण विचारधारा के अनुसार ढाला गया जिसका परिणाम सीएए और एनआरसी विरोधी आंदोलन के दौरान देखने को मिला। राजनैतिक दलों के कार्यालयों और नेताओं के आवासों पर पहुँचने वाली पुलिस आंदोलन को सरकार विरोधी/ देशद्रोह की कार्यवाही बताती रही और संगीन दफाओं में गिरफ्तार करने की धमकियाँ देती रही। जहां कोई हाथ लगा उस पर न केवल संगीन धाराएँ लगाईं गईं अपितु उनके साथ मारपीट तक की गयी।
इसके अलाबा कई आला अधिकारी सीएए और एनआरसी के पक्ष में जनता को समझाते दिखे। अल्पसंख्यकों पर दबाव बना कर काले कानून के पक्ष में पर्चे बंटवाये जारहे हैं। बुलंदशहर में अल्पसंख्यकों द्वारा नुकसान की भरपाई भी दबाव में की गयी मालूम देती है और अब सरकार इसका स्तेमाल अवैध तरीके से नुकसान की भरपाई की वसूली को जायज ठहराने के लिए स्तेमाल कर रही है।
मेरठ में एसपी सिटी और एडीएम द्वारा अल्पसंख्यकों को पाकिस्तान चले जाने की धमकी का वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस के आला अधिकारी और भाजपा के प्रवक्ता उनके बचाव में जुट गये हैं। पूरी प्रशासनिक मशीनरी और संवैधानिक संस्थाओं को आरएसएस की प्रदूषित और संविधान विरोधी विचारधारा में लपेटा जारहा है।
पुलिस के इस आपत्तिजनक स्वरूप के सामने आने के बाद लोकतान्त्रिक शक्तियों का यह  आरोप सच होगया कि तोडफोड और हिंसा की अनेक कार्यवाहियाँ पुलिसजनों ने अंजाम दीं।
भाकपा मांग करती है कि आपत्तिजनक बयान देने वाले अधिकारियों को सरकार माकूल सजा दे और हिंसा की न्यायिक जांच कराई जाये। भाकपा उच्च और सर्वोच्च न्यायालय से अपील करती है कि इन मामलों का संज्ञान लेकर उचित कदम उठायें।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश

»»  read more
Share |

लोकप्रिय पोस्ट

कुल पेज दृश्य