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बुधवार, 10 अप्रैल 2013

विद्युत वितरण के काम को पूंजीपतियों को सौंपना जनविरोधी

लखनऊ 10 अप्रैल। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिवमंडल ने राज्य सरकार द्वारा चार नगरों की विद्युत व्यवस्था को निजी हाथों में देने के कदम को घोर जनविरोधी एवं पूंजीपतियों के हक में उठाया गया कदम बताया है। भाकपा ने बिजली के दाम बढ़ाने के प्रयासों की भी आलोचना की है।
यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा है कि आगरा में निजी कम्पनी टोरंट की पूरी तरह से असफलता और वहां जनता द्वारा उठाई जारी परेशानियों से सरकार ने कोई सबक नहीं लिया है।
भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश ने मुख्यमंत्री के इस दावे पर भी सवाल उठाया है बिजली महंगी खरीद कर सस्ती दी जा रही है। यदि प्रदेश में सार्वजनिक क्षेत्र की ज्यादा विद्युत उत्पादन इकाइयां लगाई गयी होती तो प्रदेश को महंगी बिजली नहीं खरीदनी पड़ती। सपा, बसपा, भाजपा और कांग्रेस सभी की प्रदेश सरकारों ने पिछले 25 सालों में सार्वजनिक क्षेत्र में बिजली उत्पादन की नई इकाइयां स्थापित नहीं की, इसी से यह परिस्थिति बनी है। अब इसका भार जनता पर थोपा जा रहा है। विद्युत विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार भी इसके लिये कम जिम्मेदार नहीं है।
भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा है कि केन्द्र सरकार की नीतियों के चलते बार-बार पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ रहे हैं। इन बढ़े दामों पर राज्य सरकार वैट टैक्स वसूल रही है। इस बढ़े वैट से प्राप्त राशि को प्रदेश सरकार को सस्ती बिजली मुहैया कराने के लिए उपयोग करना चाहिये। महंगाई की मार से पहले से ही परेशान जनता पर अब और अधिक बोझ नहीं डालना चाहिये।
भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश ने चेतावनी दी कि यदि राज्य सरकार बिजली का निजीकरण करेगी अथवा उसके दाम बढ़ायेगी तो भाकपा इस मुद्दे को जनता के बीच ले जायेगी और बड़ा जनान्दोलन खड़ा करेगी।



कार्यालय सचिव

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