अहिंसक आंदोलन
के खिलाफ हिंसा पर उतारू है उत्तर प्रदेश सरकार
भाकपा ने
सभी आंदोलनकारियों को सफल और शांतिपूर्ण कार्यवाहियों के लिये बधाई दी
सरकारी दमन
की निंदा की, गिरफ्तार साथियों की तत्काल रिहाई की मांग की
लखनऊ- 14
दिसंबर 2020, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव मंडल ने तमाम दमन और सरकारी आतंक के बीच तीन काले
क़ानूनों और विद्युत बिल 2020 वापसी के लिये किसानों और विपक्ष द्वारा की गयी व्यापक
कार्यवाही के लिये उत्तर प्रदेश और देश के किसानों का क्रांतिकारी अभिनंदन किया है।
भाकपा ने वामपंथी दलों सहित तमाम विपक्षी दलों को भी किसानों के समर्थन में व्यापक
रूप से सड़कों पर उतरने के लिये बधाई दी है।
एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने
आरोप लगाया कि आज के आंदोलन को कुचलने के लिये सरकार ने बेहद दमनकारी रवैया अपनाया
हुआ था। रात से ही भाकपा, किसान सभा, नौजवान
सभा, स्टूडेंट्स फेडरेशन एवं अन्य वामपंथी दलों/ संगठनों के नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करना शुरू
कर दिया था।
कई को हाउज़ अरेस्ट कर लिया गया, अनेकों को उस समय हिरासत में ले लिया गया जब वे आंदोलन में भाग लेने को गंतव्य
की ओर जा रहे थे तो अन्य कई को प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार कर लिया। हिरासत में न इन्हें
खाना- पीना दिया गया न ही ठंड से बचाने के इंतजामात किए गये। योगी सरकार आंदोलन के
प्रति भयावह क्रूरता पर उतर आयी है। भाकपा इस दमनचक्र की निंदा करती है और सभी गिरफ्तार
लोगों की तत्काल रिहाई की मांग करती है।
भाकपा ने सवाल उठाये हैं कि जब आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण
है और लोकतान्त्रिक मर्यादाओं के भीतर हो रहा है तो भाजपा सरकार उसे क्यों कुचलने पर
आमादा है? क्यों किसानों वामदलों को दमन का निशाना बनाया जा रहा है? क्या अहिंसक आंदोलन पर ये हिंसा नहीं है? क्या यह हक
की लड़ाई के खिलाफ यूध्द नहीं है? क्या यह आलोकतांत्रिक और अन्यायपरक
नहीं है? क्या सबसे बड़ी अदालत को इस अन्याय का नोटिस नहीं लेना
चाहिए?
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा , उत्तर प्रदेश
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