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सोमवार, 1 अक्तूबर 2012

भाकपा की राज्य कौंसिल ने बनाई केन्द्र और राज्य सरकार के खिलाफ आन्दोलनों की व्यापक रूपरेखा

लखनऊ 1 अक्टूबर। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राज्य कौंसिल की दो द्विवसीय बैठक यहां सुरेन्द्र राम की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। बैठक में राजनैतिक और संगठन संबंधी रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि केन्द्र सरकार ने इस बीच आम जनता के विरूद्ध हमले तेज कर दिये हैं और जनता के विरूद्ध एक युद्ध छेड़ दिया है। पेट्रोलियम पदार्थों के दामों में बार-बार लगातार वृद्धि की जा रही है, रेलवे फ्रेट और किराया बढ़ा दिया गया है, यहां तक कि पासपोर्ट की फीस तक बढ़ा दी गयी है। इससे पहले से ही आसमान छू रही महंगाई और भी बढ़ती जा रही है जिसके पाटों तले आम जनता पिस रही है। सरकार ने एफडीआई में विदेशी निवेश की इजाजत दे दी है और सरकारी नवरत्न उद्योगों में विनिवेश का निर्णय ले लिया है। सरकार की नीतियों के चलते सकल घरेलू उत्पाद, औद्योगिक उत्पादन और कृषि उत्पादन सभी में गिरावट आयी है और बेरोजगारी ने छलांग लगायी है। इस सरकार की नीतियों और कारगुजारियों से जनता में दिनोंदिन आक्रोश बढ़ता चला जा रहा है।
राज्य सरकार के बारे में चर्चा करते हुए डा. गिरीश ने कहा कि यह सरकार भी पूर्व की बसपा सरकार और केन्द्र सरकार की नीतियों का अनुसरण करते हुए आर्थिक नवउदारवाद के रास्ते पर चल रही है। सरकार की नीतियों की कोख से उपजी कारगुजारियों ने इसके समाजवादी दिखने के प्रयासों को ढांप दिया है। विगत 6 माहों में किसानों की तबाही के तमाम कदम उठाये गये हैं, मजदूरों को बरबाद करने वाली औद्योगिक गतिविधियां जारी हैं। दलितों एवं कमजोर तबकों पर अत्याचार बढ़े हैं, कानून-व्यवस्था की स्थिति बद से बदतर हो गयी है, महिलाओं के साथ बदसलूकी की तमाम वारदातें हो रहीं हैं। भ्रष्टाचार थमने का नाम नहीं ले रहा है। शिक्षा का निजीकरण जारी है। बेरोजगारी बढ़ी है। सार्वजनिक क्षेत्र का निजीकरण लगातार हो रहा है और राज्य सरकार ने महंगाई को बढ़ाने वाले तमाम कदम उठाये हैं, जिनमें पेट्रोलियम पदार्थों पर वैट को न घटाना, बिजली पर टैक्स बढ़ाना और अन्य कई जरूरी सामानों पर वैट की दरों में वृद्धि तथा जमाखोरों के खिलाफ कार्रवाई न करना शामिल है।
केन्द्र और राज्य सरकार की नीतियों के कारण हर तरह की साम्प्रदायिक एवं कट्टरपंथी ताकतें सिर उठा रहीं हैं और उत्तर प्रदेश में 6 माह के अंदर 7 दंगें हो चुके हैं। केन्द्र सरकार की ही तरह राज्य सरकार के अल्प कार्यकाल में जनाक्रोश मुखरित हो रहा है। प्रतिदिन दसियों हजार लोग राजधानी में प्रतिरोध जाहिर करने आ रहे हैं और जिलों-जिलों में जो आन्दोलन चल रहे हैं, वह अलग हैं। मुख्यमंत्री द्वारा जनता दरबार में उमड़ने वाली भीड़ इस बात का सूचक है कि स्थानीय स्तर पर शासन-प्रशासन द्वारा जनता की समस्याओं का समाधान नहीं किया जा रहा है।
दोनों सरकारों की कारगुजारियों के खिलाफ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और उसके सहयोगी संगठनों ने गत दिनों ताबड़तोड़ आन्दोलन चलाये हैं। भविष्य में जनता की समस्याओं के समाधान के लिये कई कार्यक्रमों की रूपरेखा भी बनाई है। इसके तहत कल 2 अक्टूबर गांधी जयंती के अवसर पर धर्मनिरपेक्षता एवं राष्ट्रीय एकता की रक्षा का दिवस मनाया जायेगा। कार्यक्रम के अंतर्गत जिलों-जिलों में सद्भावना सभायें, विचारगोष्ठियां तथा मानवश्रृंखला का निर्माण आदि आयोजित किये जायेगा। देश के खेतिहर मजदूर और किसानों की ज्वलंत समस्याओं को लेकर 1 नवम्बर को दिल्ली में होने जा रही किसान सभा एवं खेत मजदूर यूनियन की रैली को व्यापक समर्थन प्रदान करने का निर्णय भी राज्य कौंसिल ने लिया है। इसके अलावा ट्रेड यूनियनों द्वारा संयुक्त रूप से आन्दोलन की लम्बी रूपरेखा तैयार की गयी है। भाकपा ट्रेड यूनियनों के इस आन्दोलन का भी पुरजोर समर्थन करेगी।
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