फैजाबाद से यहां लौट कर भाकपा राज्य सचिव ने निम्न प्रेस वक्तव्य जारी किया है।
”फैजाबाद के दंगा प्रभावित क्षेत्रों का सघन दौरा करने के उपरान्त भाकपा प्रतिनिधिमंडल इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि ये वारदातें साम्प्रदायिक और कट्टरपंथी ताकतों के तात्कालिक और दीर्घकालिक राजनैतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए चलाई जा रही उनकी लगातार मुहिम का परिणाम हैं। अपने राजनैतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए ये ताकतें आगामी लोकसभा चुनाव में वोटों का साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण करना चाहती हैं।
भाकपा प्रतिनिधिमंडल इस नतीजे पर पहुंचा है कि इन दंगों और दंगाईयों से निपटने में शासन-प्रशासन ने भारी ढिलाई दिखाई। इससे प्रदेश में सत्तारूढ़ दल की दोगली कार्यनीति उजागर हुई है। शासन-प्रशासन ने समय रहते कारगर कार्रवाई की होती तो दंगाईयों के मनोबल को तोड़ा जा सकता था तथा जान एवं माल की तबाही को कम किया जा सकता था। राम लीला और दुर्गा पूजा महोत्सवों जैसे आस्था के आयोजनों में आपत्तिजनक कैसेटों को बजाये जाने पर प्रशासन ने यदि उचित कार्यवाही की होती तो संभवतः दंगाइयों का हौसला इतना न बढ़ पाता।
ऐसा लगता है कि बाबरी विध्वंस के बाद अपनी प्रासंगिकता गंवा बैठा संघ परिवार अपनी खोई हुई ताकत और जमीन को फिर से हासिल करने के काम में जुटा है। गोरखपुर, फैजाबाद, वाराणसी, मुरादाबाद, बरेली, मेरठ, सहारनपुर, आगरा, अलीगढ़, कानपुर, इलाहाबाद, लखनऊ, झांसी आदि संवेदनशील मंडल इसके निशाने पर हैं। इस बार ग्रामीण क्षेत्रों पर भी फोकस है, जहां संघ की शाखायें नये सिरे से संगठित की जा रही हैं और दूसरे शहरों से लाकर ट्रेन्ड स्वयंसेवक सांगठनिक काम में जुटाये गये हैं। इन दंगों के बाद ग्रामों की लगने वाली शाखाओं में युवकों की आमद बढ़ी है और यही संघ चाहता भी है। अंतर्राष्ट्रीय हालातों और प्रदेश में सत्ता परिवर्तन से उत्साहित अन्य कट्टरपंथी ताकतें भी उकसावे और साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण का प्रयास कर रही हैं। हाल ही में जन्मी कुछ मुस्लिम राजनीतिक पार्टियां भी साम्प्रदायिक विभाजन के काम में लगी हैं ताकि धर्मनिरपेक्ष ताकतों से अल्पसंख्यक समुदाय को अलग किया जा सके।
क्षति के आकलन और मुआवजे के मामलों में सरकारी मशीनरी का रवैया बेहद खराब है और राज्य सरकार की घोषित नीतियों के एकदम विपरीत है। बिना गहरी छान-बीन के धकड़-पकड़ का काम भी बेरोकटोक जारी है जिससे आक्रोश बढ़ रहा है। भाकपा प्रदेश में सात माह में हुये दर्जन भर से अधिक दंगों से बेहद चिन्तित है जिनसे कि हमारे साम्प्रदायिक सौहार्द और धर्मनिरपेक्ष ढांचे को भारी क्षति पहुंच रही है। प्रदेश भर में जान-माल का भारी नुकसान हुआ है। विकास की गति को भी क्षति पहुंची है।
भाकपा राज्य कमेटी ने इन हालातों को देखते हुये एक ओर सद्भाव का वातावरण निर्मित करने का बीड़ा उठाया है, वहीं देश एवं प्रदेश की शोषित-पीड़ित जनता के उत्थान और प्रदेश के विकास के लिए आवाज उठाने का कार्यक्रम भी बनाया है। शांति और सौहार्द के प्रतीक फैजाबाद को बर्बाद नहीं होने दिया जायेगा और न ही उत्तर प्रदेश को गुजरात बनने दिया जायेगा, भाकपा ने संकल्प लिया है।
तत्कालिक तौर पर भाकपा 1 दिसम्बर को साम्प्रदायिक सद्भाव एवं धर्मनिरपेक्षता की रक्षा हेतु पूरे प्रदेश में सम्मेलन, सभायें, गोष्ठियां एवं शांति मार्च आयोजित करेगी। 10 दिसम्बर को दलितों एंव आदिवासियों के लिये बनाई गई योजनाओं को अमली जामा पहनाने की मांग को लेकर धरने-प्रदर्शन किये जायेंगे। पूरे नवम्बर और दिसम्बर माह एफडीआई के विरूद्ध कन्वेंशन आयोजित किये जायेंगे तथा एपीएल-बीपीएल के फर्जी वर्गीकरण को समाप्त कर हर परिवार को हर माह 2 रूपये किलो के हिसाब से 35 किलो अनाज मुहैया कराने की कानूनी गारंटी सहित सभी को खाद्य सुरक्षा मुहैया कराने के लिए सभायें एवं हस्ताक्षर अभियान चलाया जायेगा।“
भाकपा नेताओं ने वहां इप्टा एवं नौजवान सभा द्वारा आयोजित सद्भावना मार्च में भी भाग लिया।
भाकपा के प्रतिनिधिमंडल में प्रमुख रूप से शामिल थे - अयोध्या प्रसाद तिवारी, हृदय राम निषाद, यासीन बेग, अवधेश निषाद, मो. मुजीब, लक्ष्मण, गौतम तथा फूल चन्द्र आदि।
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