भाकपा राज्य कार्यकारिणी द्वारा पारित प्रस्ताव में इंगित किया गया है कि विश्व हिन्दू परिषद के अस्तित्व में आने से पूर्व से ही परम्परागत रूप से चैत्र पूर्णिमा से लेकर वैशाख जानकी नवमी तक साधू-सन्त शान्तिपूर्ण धार्मिक परिक्रमा करते रहे हैं। प्रस्ताव में कहा गया है कि लोकसभा चुनावों के पूर्व विश्व हिन्दू परिषद द्वारा भाद्र माह में अपने साम्प्रदायिक एजेंडे के तहत इस यात्रा का कार्यक्रम बनाया गया है जिसका एकमात्र उद्देश्य सामाजिक सद्भाव को नष्ट करना है। ज्ञातव्य हो कि विश्व हिन्दू परिषद, भाजपा एवं आरएसएस के गठजोड़ ने पूर्व में साम्प्रदायिकता को बढ़ावा दिया है और पनपाया है और वर्तमान में भी आगामी लोक सभा चुनावों की पृष्ठभूमि में यह नापाक गठबंधन उत्तर प्रदेश में साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की नियत से काम कर रहा है। धार्मिक आस्था से इनका कोई वास्ता नहीं है। परिक्रमा संचालक महन्त गया दास के परिक्रमा के शास्त्र सम्मत न होने के बयान तथा इस परिक्रमा यात्रा से अपने को अलग करने की घोषणा से यह स्पष्ट हो गया है कि यह यात्रा लोकसभा चुनावों को दृष्टि में रख कर भाजपा एवं उसके अनुषागिक संगठनों द्वारा आयोजित की जा रही है जिसका धार्मिक भावनाओं एवं परम्पराओं से कोई लेना देना नहीं है।
भाकपा की राज्य कार्यकारिणी ने सरकार से मांग की है कि परम्पराओं को तोड़ कर परिक्रमा आयोजित करने वाली शक्तियों और उनके संगठनकर्ताओं को तत्काल निरूद्ध कर कड़ी कानून सम्मत कार्यवाही की जाये ताकि देश एवं प्रदेश में साम्प्रदायिक सद्भाव और शान्ति कायम रहे।
प्रस्ताव में इस बात पर संतोष व्यक्त किया गया है कि वर्तमान परिस्थितियों को प्रदेश की आम जनता भी भलीभांति समझ रही है। प्रस्ताव मे साधू संतों से इस राजनैतिक आयोजन से दूर रहने की अपील की गयी है और आम जनता से अनुरोध किया गया है कि वह साम्प्रदायिक सद्भाव एवं शान्ति बनाये रखे।
भाकपा राज्य कार्यकारिणी की बैठक जारी है और कल भाकपा की राज्य कौंसिल की बैठक सम्पन्न होगी।
कार्यालय सचिव
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