राज्यपाल को सम्बोधित ज्ञापनों में कहा गया है कि खनन माफियाओं को राज्य सरकार द्वारा अनैतिक रूप से प्रोत्साहन दिया जा रहा है और इस हेतु मस्जिद की दीवाल गिराने का फर्जी बहाना बना कर एक ईमानदार, युवा महिला अधिकारी को गैर जिम्मेदाराना ढंग से निलम्बित कर दिया गया और उसे गलत आरोपों के आधार पर आरोपित कर दिया गया है। ज्ञापनों में कहा गया है कि फेस बुक पर अपनी अभिव्यक्ति पर तानाशाही पूर्ण रवैया अख्तियार करते हुए दलित लेखक कमल भारती को गिरफ्तार कर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बोल दिया गया है। इसके अलावा राजधानी लखनऊ सहित प्रदेश के कई हिस्सों में साम्प्रदायिक माहौल को खराब करने के प्रयास करने वालों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गयी और ऐसी कोई कार्यवाही न करने वाले किसी प्रशासनिक अधिकारी के खिलाफ कोई कार्यवाही भी नहीं की गयी है। लोकतंत्र के अन्दर इस तरह का बरताव करने की स्वतंत्रता किसी को भी नहीं दी जा सकती है। ज्ञापनों में यह भी कहा गया है सपा के मत्रियों द्वारा निलम्बित आईएएस अधिकारी दुर्गा नागपाल के परिवार के बारे में खुलासे की धमकी देना चरित्र हनन का अपराधिक प्रयास है, जिसकी निन्दा की जानी चाहिए।
भाकपा के राज्य मुख्यालय से आज यहां जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में दावा किया गया है कि प्रदेश के 63 जिलों में ये जुलूस तथा धरने आयोजित किये गये। जिन जिलों से सम्पर्क न हो सकने के कारण वहां आज विरोध प्रदर्शन आयोजित नहीं हो सके, वहां वे भविष्य में आयोजित किये जायेंगे।
भाकपा राज्य मुख्यालय से जारी प्रेस विज्ञप्ति में मुख्यमंत्री से मांग की गयी है कि वे मामले में बचपना दिखाना बन्द करें और गुण-अवगुण के आधार पर अपने गलत कदम को वापस ले लें।
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