रोजगार
दो! लघु उद्योगों और खेती को सीधे आर्थिक पैकेज दो!!
ध्वस्त
अर्थव्यवस्था को उबारने की मांग को लेकर भाकपा कल देश भर में आंदोलन करेगी।
लखनऊ- 13 सितंबर 2020, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने आरोप लगाया है कि सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम इकाइयों (एमएसएमई) को बचाने अथवा उनके उच्चीकरण के बारे
में केन्द्र और उत्तर प्रदेश सरकार के सारे दावे खोखले हैं। यदि सरकारें सचमुच इन
इकाइयों को प्रमोट करना चाहती हैं तो उन्हें सीधे आर्थिक मदद के लिये पैकेज की
घोषणा करनी होगी। उन्हें आर्थिक मदद की ज़िम्मेदारी बैंकों पर डाल देने से न तो
बेरोजगारों को काम मिलेगा, न -23. 9 प्रतिशत तक गिर चुकी
जीडीपी ऊपर आयेगी और न भारत आत्मनिर्भर बन सकेगा।
एक प्रेस बयान में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा॰ गिरीश
ने कहा कि मौजूदा व्यवस्था में राज्य और जिले का उद्योग विभाग एमएसएमई के निर्माण
अथवा उच्चीकरण के लिये अभ्यर्थियों से
प्रस्ताव लेकर कर्ज के लिये क्षेत्र की बैंकों के पास भेज देते हैं। लेकिन बैंकें
उन्हें रद्दी की टोकरी में डाल देती हैं। सरकारी योजनाओं में दिये कर्जों के फंसने
से बैंकें फूंक फूंक कर कदम उठा रही हैं और कर्ज देने से हिचकिचा रही हैं। अतएव
यदि सरकार लघु उद्यमियों की मदद करना चाहती है तो उनकी इकाइयों को सीधे धनराशि
उपलब्ध कराये।
सरकार की मौजूदा नीति के चलते समूचे उत्तर प्रदेश
में लघु- मध्यम उद्यम लगाने या उन्हें उच्चीक्रत करने को उत्सुक
लाखों लाख लघु उद्यमी दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। इस संदर्भ में सबसे सटीक
उदाहरण जनपद- सहारनपुर की तहसील देवबंद के ग्राम- तैय्यबपुर बड़ा निवासी श्री
चन्द्रपाल का है।
शिक्षित और उत्साही चंद्रपाल अपने बल पर छोटे
पैमाने पर मशरूम उगाने और फूड प्रोसेसिंग के काम में दशकों से जुटे हैं। अनेक
पुरुस्कार और प्रशस्ति पत्र पा चुके हैं। बैंकों से जब भी छोटा मोटा कर्ज लिया समय
पर चुकता करने के सर्टिफिकेट्स हासिल किये बैठे हैं। अनुसूचित जाति के युवा श्री
चंद्रपाल की उद्यमशीलता से जनपद के उच्चाधिकारी और संबंधित विभाग सुपरिचित हैं।
उनके बारे में यदि सबकुछ लिखा जाये तो एक महाग्रंथ बन जायेगा।
किसी व्यक्ति विशेष के बारे में यह सब लिखने का
तात्पर्य सरकार को सच्चाई से अवगत कराना है, न कि उसकी प्रशंसा
करना।
इन्हीं चन्द्रपाल ने सरकार के परिपत्रों का संज्ञान
लेते हुये अपनी रजिस्टर्ड और क्रियाशील इकाई “पोराला फूड्स प्रोसेसिंग केन्द्र” के
उच्चीकरण के लिये खाद्य एवं प्रसंस्करण विभाग, सहारनपुर को
नियमानुसार प्रस्ताव दिया। विभाग ने प्रस्ताव स्वीक्रत कर सेंट्रल बैंक आफ इंडिया
शाखा- मंझौल को भेज दिया। बैंक मैनेजर ने यह कह कर कि सरकार ने प्रस्ताव भेजा है
तो पैसे भी सरकार से ले लो, प्रस्ताव खारिज कर दिया। इस पूरे
प्रकरण में भागदौड़ और आवश्यक कागजात तैयार करने में धन और समय की हानि हुयी सो
अलग।
यह कहानी अकेले चंद्रपाल की नहीं है। अपने पैरों पर
खड़े होने को उत्सुक उत्तर प्रदेश के तमाम होनहार युवा और लघु उद्यमी इसी तरह सरकार
की झांसेबाजी का शिकार होरहे हैं और सरकारी विभागों और बैंकों की चौखट पर एड़ियाँ
रगड़ रहे हैं। सरकार नित-नयी हवाई घोषणायेँ और खोखले जुमले गड़ती चली जा रही है।
कोरोना और लाक डाउन से तवाह हुयी अर्थव्यवस्था के सुधार के लिये कोई ठोस कदम नहीं
उठा रही है।
भाकपा ने मांग की कि सरकार यदि संजीदा है तो खुद
बैंकों से लोन ले और अपने स्तर से लघु उद्यमियों को आर्थिक सहायता प्रदान करे।
वरना बेरोजगारी को दूर करने, ध्वस्त अर्थव्यवस्था को
सुधारने और आत्मनिर्भर भारत बनाने के उसके दावे धरे के धरे रह जायेंगे। अतएव उसे
माडल के तौर पर चन्द्रपाल के प्रोजेक्ट को भी सहायता देनी चाहिए और चंद्रपाल जैसे
लाखों लाख अन्य लघु उद्यमियों को भी।
डा॰ गिरीश ने कहा कि अर्थव्यवस्था, रोजगार और किसान, कामगार और नौजवानोंके अन्य ज्वलंत
सवालों पर भाकपा कल 14 सितंबर को सारे देश में आंदोलन करेगी।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश
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