लखनऊ-15 जुलाई 2021, उत्तर प्रदेश
सरकार द्वारा कांबड़ यात्रा निकलवाने पर अपनी प्रतिक्रिया जताते हुये भारतीय कम्युनिस्ट
पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने कहाकि कोरोना की दूसरी लहर का असर इतना व्यापक था कि
उसकी चपेट में गांव और शहर के वे गरीब और निम्न मध्यवर्गीय परिवार भी बड़े पैमाने पर
आये थे जिनके युवा/ युवतियां अधिकतर कांवड यात्रा पर जाते रहे हैं।
उनमें से अनेक परिवारों ने अपनों को खोया है। असंख्य
परिवार ऐसे हैं जिनमें पूरे के पूरे परिवार कोरोना की चपेट में आये और इलाज और अव्यवस्थाओं
से आर्थिक रूप से टूट कर रह गये हैं। रही सही कसर लाक डाउन से फैली बेरोजगारी और सरकार
प्रायोजित महंगाई ने पूरी कर दी है।
ऐसे में उन्हें रोजगार और आर्थिक सहयोग प्रदान करने
के बजाय योगी सरकार उन्हें कांबड़ यात्रा का लालीपाप दिखा रही है। भाकपा ने कहाकि लोग
गमजदा हैं, कोरोना की भयावहता से वाकिफ़ हैं तथा वे अपने बचाव
के प्रति सजग भी हुये हैं, अतएव कहीं से किसी ने भी कांबड़ यात्रा
शुरू करने की मांग नहीं की। लेकिन ये भाजपा की राज्य सरकार है जो कांबड़ यात्रा के लिये
लोगों को उकसा रही है।
भाकपा ने कहाकि अभी हम सबने कुम्भ मेले से कोरोना के
प्रसार और उसकी तवाही का मंजर खुली आँखों से देखा है। हम यह भी जानते हैं कि भाजपा
की इन्हीं सरकारों ने पहली लहर के दौराना दिल्ली में हुये तबलीगी जमात के सम्मेलन पर
खूब बावेला मचाया था और तमाम तबलीगियों के जेल के सींखचों के पीछे पहुंचा दिया था।
उनमें से कई आज भी जेलों में बंद हैं। यह महामारी पर दोगली राजनीति का स्पष्ट उदाहरण
है।
भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने आरोप लगाया कि योगी सरकार
वोट की राजनीति के लिये लोगों के जीवन से खिलबाड़ करने पर आमादा है। उत्तराखंड सरकार
द्वारा यात्रा रद्द करने और प्रधानमंत्री और गृह मंत्रालय द्वारा नागरिकों की सुरक्षा
के प्रति आगाह करने के बावजूद उसने अभी तक कांबड़ यात्रा रद्द करने का फैसला नहीं लिया
है। इसका अर्थ है कि योगी सरकार को लोगों की जान- जीवन की कोई परवाह नहीं है और अपने
निहित राजनैतिक स्वार्थों के लिये वह लोगों की आस्था का दोहन करना चाहती है।
भाकपा ने इस बात पर गहरा संतोष जताया कि देश की सर्वोच्च
अदालत ने मामले को गंभीरता से लिया है और राज्य/ केन्द्र सरकार को नोटिस जारी किया
है। आश्चर्यजनक है कि सर्वोच्च न्यायालय की खरी खरी टिप्पणियों के बाद भी उत्तर प्रदेश
सरकार ने अभी अपने फैसले को रद्द नहीं किया है। इसे राज्य सरकार की ढीढता ही कहा जायेगा।
भाकपा ने आशा जताई कि निश्चय ही सर्वोच्च न्यायालय लोगों
के जनजीवन की रक्षा के लिये समय रहते उचित निर्णय लेकर मगरूर सरकार को निर्देशित करेगा।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश।
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