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मंगलवार, 28 दिसंबर 2021
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विधानसभा चुनाव फौरन घोषित हों
#लखनऊ पहुंची निर्वाचन आयोग की टीम से से भाकपा ने की मांग
#शासक दल द्वारा चुनावी उद्देश्य से सरकारी मशीनरी और धन का दुरुपयोग रोकें
#चुनाव प्रक्रिया तत्काल शुरू करने और आदर्श आचार संहिता फौरन लागू करने की मांग की।
लखनऊ- 28 दिसंबर 2021, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश की राज्य काउंसिल की ओर से आज पार्टी के कोषाध्यक्ष एवं राज्य कार्यकारिणी के सदस्य कामरेड प्रदीप तिवारी ने आज मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री सुशील चन्द्रा के नेत्रत्व लखनऊ पहुंचे भारत निर्वाचन आयुक्तों से भेंट की और उन्हें 2022 में होने जारहे विधान सभा चुनावों के संबंध में पार्टी का प्रतिवेदन सौंपा और चर्चा में भाग लिया।
भाकपा प्रतिवेदन में मजबूती से कहा गया है की शासक दल द्वारा चुनाव अभियान के लिए सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग को रोके जाने के लिए तत्काल विधान सभा चुनावों की घोषणा की जाये और आदर्श आचार संहिता अविलंब लागू की जाये।
भाकपा के प्रतिवेदन में कहा गया है कि देश के सर्वाधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश की विधानसभा के चुनाव सन- 2022 के प्रारंभ में अपेक्षित हैं। ये चुनाव स्वतंत्र, निष्पक्ष और निर्धारित समय सीमा के अंतर्गत हों, निर्वाचन आयोग से ऐसी अपेक्षा है।
चुनावों में शासक दल लाभ उठाने की कोशिश करते रहे हैं, यह तथ्य किसी से छिपा नहीं है। लेकिन वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी केन्द्र और उत्तर प्रदेश दोनों ही जगह सत्ता में है, अतएव वह चुनावों में अधिकाधिक लाभ उठाने की स्थिति में है।
प्रतिवेदन में आरोप लगाया गया है कि भाजपा ने नैतिकता की सारी सीमाएं लांघते हुये पिछले कई माह से शासन तंत्र और राजकीय कोश का उपयोग चुनावी तैयारियों के लिए शुरू कर दिया है। वास्तविक और कल्पित योजनाओं के शिलान्यास, उद्घाटन और लोकार्पण के नाम पर बड़े बड़े और बेहद ख़र्चीले सरकारी कार्यक्रम आयोजित किए जारहे हैं जिनमें स्वयं प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री एवं अन्य मंत्रीगण चुनावी भाषण कर रहे हैं।
इन्हीं महानुभावों द्वारा संविधान, कानून और मर्यादाओं को ताक पर रख कर धार्मिक स्थलों और आयोजनों को सांप्रदायिक विभाजन और वोट की राजनीति के लिये प्रयोग किया जारहा है। वोटर्लिस्ट्स से विपक्ष समर्थक मतदाताओं के नामों को गायब करने की कोशिशों की खबरें भी लगातार मिल रही हैं।
कोविड प्रोटोकाल का उल्लंघन कर शासकदल और सरकारी कार्यक्रम धड़ल्ले से जारी हैं, जबकि विपक्ष के कार्यक्रमों पर अनावश्यक पाबन्दियाँ थोपी जारही हैं। विपक्ष को नैतिक रूप से कमजोर करने को आयकर विभाग, सीबीआई तथा ईडी जैसी संस्थाओं का राजनैतिक दुरुपयोग किया जारहा है। विपक्ष समर्थक तमाम लोगों को फर्जी मुकदमों में फंसाया जारहा है।
केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा सार्वजनिक धन का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग कर प्रचार माध्यमों को जो विज्ञापन दिये जा रहे हैं उनकी विषय वस्तु आपत्तिजनक है। ये विज्ञापन भाजपा के प्रचार- प्रसार और विपक्ष को कमजोर करने के उद्देश्य से जारी किए जारहे हैं। अधिकतर प्रचार माध्यम भाजपा का भौंपू बन चुके हैं। चुनाव को निकट आते देख सरकारी धन से तमाम खैरातें बांट कर मतदाताओं को प्रभावित किया जारहा है।
आशंका व्यक्त की जारही है कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान भी भाजपा शासकीय मशीनरी और सरकारी राजस्व का दुरुपयोग करेगी। भ्रष्टाचार, कमीशनखोरी और सत्ताबल से अर्जित धन के बल पर तमाम असामाजिक तत्वों को स्तेमाल कर चुनावों में धांधली करायेगी। ईवीएम मशीनों के दुरुपयोग की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जासकता।
इन तमाम हथकंडों के बावजूद सरकारों की जनविरोधी नीतियों के कारण भाजपा को हार का भय सता रहा है। अतएव वह चुनावों को आगे बड़ाना चाहती है। इसके लिये वह कोविड के फैलाव का बहाना बना सकती है।
प्रतिवेदन में चुनाव की प्रक्रिया तत्काल शुरू करने और आदर्श आचार संहिता को फौरन लागू करने की मांग की गयी है ताकि भाजपा द्वारा सरकारी तंत्र के दुरुपयोग पर कानूनी लगाम कसी जासके।
भाकपा ने मांग की कि राजनैतिक उद्देश्य के लिये भाजपा सरकार द्वारा सरकारी मशीनरी, सरकारी धन और घोषणाओं के दुरुपयोग पर कारगर रोक लगायी जाये। प्रचार माध्यमों को जनता के धन से विज्ञापन देकर अपने निजी राजनैतिक उद्देश्यों को पूरा करने की कारगुजारियों को तत्काल रोका जाये।
साथ ही सांप्रदायिक विषवमन, जातीय विद्वेष और धर्म के राजनीतिक उद्देश्य हेतु प्रयोग पर कड़ी कार्यवाही की जाये। मतदाता सूचियों में किसी तरह की गड़बड़ी न हो और सभी को मतदान का अवसर मिले, इस बात की गारंटी की जाये। विपक्ष को डराने के उद्देश्य से चुनाव से पूर्व सक्रिय की गयीं ईडी, सीबीआई एवं आईटी जैसी संस्थाओं का दुरुपयोग रोका जाये।
भाकपा ने मांग की कि चुनाव निर्धारित समय पर ही कराये जायें और अपरिहार्य कोविड प्रोटोकाल का पालन समान रूप से कराया जाये। चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष हों, इसकी गारंटी की जाये। स्वास्थ्यकर्मी, बैंक कर्मी एवं आम लोगों के बीच हमेशा रहने वाले कर्मियों को चुनाव ड्यूटी से मुक्त रखा जाये।
जारी द्वारा-
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश
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