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रविवार, 12 अप्रैल 2020
at 12:43 pm | 0 comments |
CPI, UP letter to CM, UP and CM, Maharashtra
भारतीय कम्युनिस्ट
पार्टी, उत्तर प्रदेश राज्य काउंसिल
22, कैसर बाग, लखनऊ- 226001
दिनांक- 12
अप्रेल, 2020
विषय- मुंबई
में फंसे उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के मजदूरों को तत्काल राहत पहुंचाने के संबंध
में।
Urgent-
By e- mail
सेवामें,
श्री योगी आदित्यनाथ जी,
मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश
लखनऊ- 226001
महोदय आपके संज्ञान में लाना चाहता हूँ कि उत्तर प्रदेश
के विभिन्न जिलों के 10 सिलाई मजदूर एकता नगर, कांदिवली वेस्ट, मुंबई, पिन कोड- 400067 में लाक डाउन के बाद से फंसे
हुये हैं। ये लोग यहीं काम कर रहे थे। 21 मार्च से काम बंद होगया और उनके पास जो कुछ
जमा पूंजी थी वो खत्म होगयी। अब उनके सामने भरण पोषण की विकराल समस्या पैदा होगायी
है।
उनका विवरण इस प्रकार है-
1- अबरार
अंसारी, महाराजगंज, मो॰ नं- 9315232656
2- दुर्गेश
साहनी, ,, ,, ,,
3- महमूद
अंसारी, ,, ,, ,,
4- ताज
मोहम्मद, कुशीनगर
5- दीदार
अंसारी, ,, ,, ,,
6- तालीम
अंसारी, ,, ,, ,,
7- इशहाक, जौनपुर
8- मोहम्मद
इडरीशी, ,, ,,
9- सलीम
अंसारी, इलाहाबाद
10-
अब्दुल मजीद, बहराइच
इन लोगों ने फोन पर सूचना दी है कि यदि उन्हें तत्काल
राहत सामाग्री उपलब्ध नहीं कराई गयी तो निश्चय ही उनकी जिंदगियाँ खतरे में पड़ जायेँगी।
अतएव आपसे अनुरोध है कि उपर्युक्त के संबंध में तत्काल
महाराष्ट्र प्रशासन से संपर्क कर इन मजदूरों का जीवन बचाने का कष्ट करें।
आभारी हूंगा। सधन्यवाद
भवदीय
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश
प्रतिलिपि- मुख्यमंत्री, महाराष्ट्र
शुक्रवार, 10 अप्रैल 2020
at 6:12 pm | 0 comments |
Politics during Covid-19 in India
कोरोना
काल की राजनीति
डा॰
गिरीश
जब सारा देश एकजुटता के साथ अभूतपूर्व कोरोना संकट
से जूझ रहा है और संपूर्ण विपक्ष पूरी तरह
सरकार के प्रयासों का समर्थन कर रहा है, वहीं भारतीय जनता
पार्टी, उसकी केन्द्र और राज्यों की सरकारें और समूचा संघ
समूह आज भी अपनी तुच्छ और संकीर्ण राजनीति को आगे बढ़ाने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे
हैं।
भाजपा और संघ की दलीय हितों में संलिप्त रहने की
कारगुजारियों का ही परिणाम था कि भारत में कोरोना के खिलाफ जंग लगभग एक माह लेट
शुरू हुयी। जनवरी के प्रारंभ में ही जब पहले कोरोना ग्रसित की पहचान हुयी, केरल सरकार ने उसे अंकुश में रखने की जो फुलप्रूफ व्यवस्था की उसकी
सर्वत्र प्रशंसा होरही है। लेकिन केन्द्र सरकार और भाजपा की राज्य सरकारों ने फरबरी के अंत तक कोई नोटिस
नहीं लिया।
इस पूरे दौर में वे सीएए, एनपीआर एवं एनआरसी के विरोध में चल रहे
आंदोलनों को सांप्रदायिक करार देने में जुटे रहे। दर्जनों की जान लेने वाले
और अरबों- खरबों की संपत्ति को विनष्ट करने वाले सरकार संरक्षित दिल्ली के दंगे भी
इसी दौर में हुये। मध्य प्रदेश की पूर्ण बहुमत वाली सरकार को षडयंत्रपूर्वक अपदस्थ
करने का खेल भी इसी दरम्यान खेला गया। कोरोना की संभावित भयावहता पर फोकस करने के
बजाय संपूर्ण सरकारी तंत्र और मीडिया चीन, पाकिस्तान और
मुसलमान पर ही अरण्यरोदन करता रहा।
लोगों की आस्था के दोहन की गरज से सारा फोकस राम मंदिर
निर्माण की तैयारियों पर केन्द्रित था। जब देश को कोरोना से जूझने के लिये तैयार
करने की जरूरत थी, तब हमारी केन्द्र सरकार और कई
राज्य सरकारें, सपरिवार निजी यात्रा पर भारत भ्रमण को आये
अमेरिकी राष्ट्रपति के भव्य और बेहद खर्चीले स्वागत की तैयारियों में जुटी थीं। यूरोप
और अमेरिका में भी जब कोरोना पूरी तरह फैल चुका था, श्री ट्रंप
ने अमेरिकी नागरिकों की रक्षा से ज्यादा निजी यात्रा को प्राथमिकता दी। परिणाम
सामने है।
जनवरी और फरबरी में ही कोरोना ने चीन, यूरोप, अमेरिका आदि अनेक देशों को बुरी तरह चपेट
में ले लिया था, तब उच्च और उच्च मध्यम वर्ग के तमाम लोग
धड़ाधड़ इन देशों से लौट रहे थे। इन वर्गों के लिये पलक- पांबड़े बिछाने वाली सरकार
ने एयरपोर्ट पर मामूली जांच के बाद उन्हें घरों को जाने दिया। ये ही लोग भारत में
कोरोना के प्रथम आयातक और विस्तारक बने। चिकित्सा और बचाव संबंधी तमाम सामग्री का
निर्यात भी 19 मार्च तक जारी रहा।
सरकार को होश तब आया जब कोरोना भारत में फैलने लगा।
अपनी लोकप्रियता और छवि निर्माण के लिये हर क्षण प्रयत्नशील रहने वाले प्रधान
मंत्री श्री मोदी ने 22 मार्च को 14 घंटे के लाक डाउन और और शाम को थाली- ताली
पीटने का आह्वान कर डाला। निशाना कोरोना से जूझ रहे उन स्वास्थ्यकर्मियों के कंधे
पर रख कर साधा गया जिन्हें आज तक सुरक्षा किटें नहीं मिल सकी हैं और उसकी मांग
करने पर उन्हें बर्खास्तगी जैसे दंडों को झेलना पड़ रहा है।
यह ध्रुव सत्य है कि कोरोना अथवा किसी भी महामारी
और बीमारी का निदान विज्ञान के द्वारा ही संभव है, उन मंदिर, मस्जिद, चर्च से नहीं जिन पर आज ताले लटके हुये हैं।
लेकिन शोषक वर्ग खास कर धर्म, पाखंड और टोने- टोटकों के बल
पर वोट बटोरने वाली जमातों को वैज्ञानिक सोच से बहुत डर लगता है। सभी जानते हैं कि
श्री दाभोलकर, गोविन्द पंसारे,
कलबुर्गी और गौरी लंकेश की हत्याओं के पीछे इन्हीं विज्ञान विरोधी कट्टरपंथियों का
हाथ रहा है।
भारत में साँप के काटने पर लोग आज भी थाली बजाते
हैं। आज भी पशुओं में बीमारी फैलने पर तंत ( तंत्र ) कर खप्पड़ निकालते हैं और थाली
ढोल मंजीरा पीटते हैं। तमाम ओझा, फकीर और मौलवी- मुल्ले कथित
भूत्त- प्रेत बाधा का निवारण और कई बीमारियों का इलाज भी झाड फूक और थाली लोटा बजा
कर करते हैं। प्रधानमंत्री ने आम जन को इसी तंत्र मंत्र में उलझा कर विज्ञान की
वरीयता को निगीर्ण करने की चेष्टा की। अति उत्साही उनके अनुयायियों ने उसमें
आतिशबाज़ी का तड़का भी लगा दिया। वैज्ञानिक द्रष्टिकोण रखने वाले लोगों ने
स्वास्थ्यकर्मियों को सैल्यूट कर उनके प्रति क्रतज्ञता का इजहार किया।
प्रधानमंत्री जी का रात आठ बजे टीवी पर प्रकट होना
और आधी रात से लागू होने वाले उनके फैसले देश के लिये संकट का पर्याय बन चुके हैं।
नोटबंदी और जीएसटी से मिले घाव अभी देश भुला नहीं पाया था कि अचानक प्रधानमंत्री
टीवी पर पुनः प्रकट हुये और 25 मार्च से 3 सप्ताह के लिये लाक डाउन की घोषणा कर
दी। अधिकतर ट्रेनें, बसें और एयर लाइंस पहले ही बंद किए
जाचुके थे। अचानक और बिना तैयारी के उठाये इस कदम से सभी अवाक रह गये।
कल- कारखाने, व्यापार- दुकान
बन्द होजाने से करोड़ों मजदूर सड़क पर आगये। रोज कमा कर खाने वाले और गरीबों के घर
में तो अगले दिन चूल्हा जलाने को राशन तेल भी नहीं था। बदहवाश लोग बाज़ारों की ओर
दौड़े। अधिकांश बाजार बंद हो चुके थे। जो दुकानें खुली थीं उन्होने भीड़ बढ़ती देख
मनमानी कीमत बसूली। गंभीर बीमारियों से पीड़ितों के पास पर्याप्त दवा तक नहीं थी।
अनेकों सेवायोजकों ने मजदूरों को काम पर से हठा
दिया। मकान मालिकों ने उन्हें घरों से निकाल दिया। धनाढ्य लोगों के कहने पर दिल्ली
पुलिस ने उनकी झौंपड़ियों को उजाड़ दिया और उन्हें दिल्ली की सीमाओं के बाहर छोड़ दिया।
सरकार की इस अदूरदर्शिता ने करोड़ों लोगों को सड़क पर ला दिया। बहु प्रचारित सोशल
डिस्टेन्सिंग तार तार होगयी और विस्थापन को मजबूर मजदूर और अन्य गरीबों ने पहाड़ जैसी
पीड़ा झेलते हुये जन्मभूमि का रुख किया। भूख- प्यास और थकान से तीन दर्जन लोगों ने
रास्ते में ही दम तोड़ दिया। सरकार की कड़ी आलोचना हुयी। तब भाजपा और उसकी सरकार
हानि की भरपाई के रास्ते तलाशने में जुट गयी।
सीएए विरोधी आंदोलन और बाद में हुये दिल्ली के
दंगों के चलते दिल्ली में धारा 144 लागू थी। सारे देश में राजनैतिक दलों के
कार्यक्रमों के आयोजन की इजाजत दी नहीं जा रही थी। तमाम वामपंथी जनवादी दलों एवं
संगठनों ने कोरोना की भयावहता को भाँप कर अपने अनेकों कार्यक्रम रद्द कर दिये थे।
पर ये केन्द्र सरकार थी जो विपक्ष के आगाह करने के बावजूद संसद को चलाती रही।
भाजपा के लिये राजनीतिक जमीन तैयार करने वाले धर्मध्वजधारी समूह अपने कार्यक्रमों
को अंजाम देते रहे।
दफा 144 के बावज़ूद दिल्ली के निज़ामुद्दीन मरकज में
जमात चलती रही। लाक डाउन लागू होने के बाद भी जमातियों को हटाने और गंतव्य तक पहुंचाने
को कदम उठाए नहीं गये। जब जमाती बीमार पड़ने लगे तब भी सरकार के कान पर जूं नहीं
रेंगी। आखिर क्यों?
फिर क्या था, सरकार और मीडिया
को आखिर वह नायाब शैतान मिल ही गया जिस के ऊपर कोरोना के विस्तार की सारी
ज़िम्मेदारी डाल कर वह सरकार की मुजरिमाना नाकामियों पर पर्दा डाल सकते थे। सरकार, उसके मंत्री, राज्यों के मुख्यमंत्री, भाजपा और संघ के प्रवक्ता, भाजपा की मीडिया सेल और सारा
गोदी मीडिया जनता के कोरोना विरोधी संघर्ष को सांप्रदायिक बनाने में जुट गये। स्वाष्थ्य
मंत्रालय के मना करने के बावजूद भी यह आज तक उसी रफ्तार से जारी है।
दूसरे धर्मों के ठेकेदार भी उन दिनों वही सब कर रहे
थे जो जमात कर रही थी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री आदित्यनाथ जी सोशल
डिस्टेन्सिंग की धज्जियां उड़ाते हुये अयोध्या में अगली कार सेवा का आगाज कर रहे
थे। कोरोना की विभीषिका की फिक्र से कोसों दूर वे पूरे दो दिनों तक अयोध्या में थे।
इससे पहले वे मथुरा में वे लठामार होली का आनंद ले रहे थे।
इस बीच कई बार भाजपा के जन प्रतिनिधियों के बयानों और
कारगुजारियों से भाजपा का जन विरोधी, गरीब विरोधी, फासिस्ट चेहरा उजागर हुआ। एक विधायक लाक डाउन में पुलिस की मार खारहे लोगों
को गोली से उड़ाने का आदेश देते दिखे तो एक अन्य विधायक तब्लीगियों को कोरोना
जेहादी बता रहे थे। यूपी के बलरामपुर की भाजपा जिलाध्यक्ष ने खुलेआम पिस्तौल से फायरिंग
कर कानून की धज्जियां बिखेरीं।
मोदीजी 3 अप्रेल को फिर टीवी पर नमूदार हुये। उन्होने
एक बार फिर 5 अप्रेल को रात 9 बजे घर की बत्तियाँ बंद कर 9 मिनट तक घर के दरवाजे
या बालकनी में रोशनी करने का आह्वान किया। किसी की समझ में नहीं आया कि इस नए टोने
से कोरोना पर क्या असर पड़ेगा? प्रबुध्द जनों ने खोज निकाला
कि 40 वर्ष पूर्व 5 अप्रेल को विगत जनसंघ के शूरमाओं ने नई पार्टी- भाजपा बनाने का
निर्णय लिया था, जिसकी घोषणा 6 अप्रेल
को की गयी थी। यह लाक डाउन में भी पार्टी के स्थापना दिवस को भव्य तरीके से मनाने
की जुगत थी।
यूं तो कार्यक्रम को स्वैच्छिक बताया गया लेकिन
केन्द्र और राज्यों की कई सरकारें इसकी
कामयाबी के लिये पसीना बहाती दिखीं। संगठन और मीडिया तो और भी आगे थे। ठीक 9
बजे सायरन भी बजाए गए। जागरूक लोगों को यह समझने में देर नहीं लगी कि कोरोना की आड़
में यह एक राजनीतिक कार्यक्रम है। अतएव वैज्ञानिक सोच के लोगों, तार्किक लोगों, पोंगा पंथ विरोधी लोगों और सामाजिक
न्याय की ताकतों ने इससे दूरी बनाए रखी।
लेकिन 5 अप्रेल की रात को
जो सामने आया वह केवल वह नहीं था जिसकी भावुक अपील श्री मोदी जी ने की थी। मोदी जी
ने स्ट्रीट लाइट्स जलाये रखने को कहा था, पर अति उत्साही
प्यादों ने अनेक जगह वह भी बुझा दी। गांवों में अनेक जगह ट्रांसफार्मर से ही बिजली
उड़ा दी गयी। दीपक, मोमबत्तियाँ, टार्च
जलीं यहाँ तक तो ठीक था। पर जय श्रीराम एवं मोदी जिंदाबाद के नारे लगे और सोशल
डिस्टेन्सिंग की धज्जियां बिखेरते हुये कैंडिल मार्च निकाले गये।
और इस सबसे ऊपर वह था जिसकी गम के इस माहौल में
कल्पना नहीं की जा सकती। कोरोना प्रभावित कई दर्जन लोगों की मौतें होचुकी थीं।
अपने घरों की राह पकड़े भूख प्यास से मरे लोगों की संख्या भी तीन दर्जन हो चुकी थी।
पर 9 बजते ही बेशुमार पटाखों की आवाजों से आसमान गूंज उठा। आतिशबाज़ी का यह क्रम 20
से 25 मिनट तक जारी रहा। सोशल मीडिया के माध्यम से मिनटों में पता लग गया कि यह
आतिशबाज़ी पूरे देश में की जारही थी। मध्यवर्ग का अट्टहास तो देखते ही बनता था। वे गरीब
भी पीछे नहीं थे जिनके घरों में मुश्किल से चूल्हे जल पारहे थे। वे युवा भी थे जो
अपनी नौकरियाँ गंवा बैठे थे। लाशों पर ऐसा उत्सव पहले कभी देखा सुना नहीं गया।
सवाल उठता है कि जब सारे देश में लाक डाउन था इतनी बारूद
लोगों तक कैसे पहुंची? क्या लोगों के घरों में आतिशबाज़ी
की इस विशाल सामग्री का जखीरा जमा था? दीवाली पर शहरों की
सुरक्षित जगहों पर आतिशबाज़ी के बाज़ार सजते हैं, पर अब तो
बाज़ार ही बंद थे। छान बीन से नतीजा निकला कि
आम लोगों तक दीपक और पटाखे पहुंचाये गये थे। संघ समूह का खुला एजेंडा रोशनी करना-
कराना था, पर छुपा एजेंडा था बड़े पैमाने पर आतिशबाज़ी कराकर
जनता पर मोदी जी के कथित प्रभाव का प्रदर्शन कराना। गणेश जी को दूध पिलाने जैसा यह
जनता की विवेकशक्ति को परखने का एक और हथकंडा था।
लेकिन इसकी पहुँच में सरकारी अधिकारी और अर्ध सैनिक
बल भी थे। तमाम पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों ने ड्यूटी छोड़ घरों पर सपरिवार रोशनी
करने की तस्वीरें सगर्व सार्वजनिक कीं।
एक जाने माने हिन्दी कवि श्री कुमार विश्वास ने इस
पूरे कथानक पर अपनी गहन पीड़ा व्यक्त करते हुये इसे “विपदा का प्रहसन” करार दिया।
पर जिन लोगों ने फासीवाद का इतिहास पड़ा है वे जानते हैं कि फासीवादी शक्तियाँ अपनी
भावुक अपीलों से जनता को छलती रहीं हैं।
किसी मुद्दे पर विपक्ष के मुंह खोलते ही उस पर
राजनीति का आरोप जड़ने वाली भाजपा आज भी अपनी परंपरागत राजनीति धड़ल्ले से चला रही
है। सत्ता और मीडिया के बल पर झूठ और दुष्प्रचार की सारी सीमाएं लांघ रही है। पूरे
देश में एक साथ लाइटें बंद करने से ग्रिड पर संकट मंडराने लगा था। ग्रिड के
अधिकारियों ने इस स्थिति से निपटने को वाकायदा तैयारियां कीं और अधिकारी कर्मचारियों
को मुस्तैद रहने के लिखित निर्देश जारी किये। विपक्ष ने जब आवाज उठायी तो सरकार
सकपकाई। फ्रिज, एसी आदि चालू रखने की अपीलें की गईं। भले ही वो
विपक्ष पर आरोप लगाये कि वह अफवाह फैला रहा है, पर इससे यह खुलासा
तो हो ही गया कि अति उत्साह में मोदीजी ने ग्रिड को संकट में डाल दिया था।
कोरोना के विरूध्द इस जंग में विज्ञान की प्रभुता
और धर्मों का खोखलापन उजागर होगया है। धीरे धीरे धर्मों के नाम पर समाज को बांटने
की साज़िशों की कलई खुलती जारही है। भाजपा और संघ इससे परेशान हैं। वे कोरोना के
विरूध्द जनता के संयुक्त संघर्ष को अकेले मोदी जी का संघर्ष बताने में जुटे हैं।
विपक्ष की गतिविधियों को पिंजड़े में बंद कर अपने एजेंडे पर वे पूर्ववत कार्य कर
रहे हैं।
गुरुवार, 9 अप्रैल 2020
at 5:49 pm | 0 comments |
7th Letter from CPI, UP to CM, UP and Telangana
भारतीय कम्युनिस्ट
पार्टी, उत्तर प्रदेश राज्य काउंसिल
22, कैसर बाग, लखनऊ- 226001
दिनांक- 9
अप्रेल, 2020
सेवामें,
श्री योगी आदित्यनाथ जी,
मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश
लखनऊ- 226001
By- E- Mail
विषय- हैदराबाद में लाक डाउन में फंसे महाराजगंज ( उत्तर
प्रदेश ) के 7 लोगों को मदद पहुँचाने के संबंध में।
महोदय,
निवेदन है कि उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जनपद के 7 मजदूर
हैदराबाद के कोंडापुर, राजेंद्र नगर कालोनी के प्लाट नंबर-
972 में फंसे हैं। जैसा कि इन मजदूरों ने हमें सूचना दी है, ये
जिस क्षेत्र में हैं वह ओस्मानिया यूनिवर्सिटी प्रोफेसर्स लेन, राजा राजेश्वर नगर, जे॰ वी॰ हिल्स के समीप है।
ये सभी फुटकर मजदूर हैं। इनमें से एक श्री करमुल्ला
का मो॰ नंबर- 7309862618 है। पैसे खत्म होजाने से ये सब भूखों मरने के कगार पर पहुँच
चुके हैं। इन्हें तत्काल मदद की आवश्यकता है। स्थानीय प्रशासन से उनका संपर्क नहीं
हो पारहा है।
अतएव आप से अनुरोध है कि अपने स्तर से उन्हें शीघ्र
राहत सामग्री उपलब्ध कराने को तेलंगाना सरकार से बात कर ठोस कदम उठायेँ। सधन्यवाद।
भवदीय
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश
प्रतिलिपि- मुख्यमंत्री, तेलांगाना
बुधवार, 8 अप्रैल 2020
at 6:07 pm | 0 comments |
CPI demand immediate action against attacker on Tahaseeldaar Kannauj
प्रकाशनार्थ-
कन्नौज प्रकरण-
भाकपा ने की कड़ी कार्यवाही की मांग
लखनऊ- 8 अप्रेल 2020, भारतीय कम्युनिस्ट
पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने कन्नौज में भाजपा सांसद के नेत्रत्व में एक तहसीलदार
के साथ मारपीट की कड़े शब्दों में निन्दा की।
यह मामला इस लिये भी संगीन है कि उपर्युक्त तहसीलदार
अनुसूचित जाति से संबन्धित हैं और दलित मुस्लिम तथा गरीबों पर भाजपाइयों कहर कुछ अधिक
ही टूटता है।
देश प्रदेश की जनता जब मिल कर जान लेवा कोरोना से जूझ
रही है, भाजपाई आज भी गुंडई और तानाशाही पर उतारू हैं। जब पुलिस मजबूरी में घरों से
निकले गरीबों को लाठियों से धुन रही थी, एक भाजपा विधायक उन्हें
गोली से मारने का हुक्म दे रहे थे। एक अन्य कुख्यात विधायक मगरूर जमातियों को कोरोना
जेहादी बता रहे थे। भाजपा की बलरामपुर जिला अध्यक्ष पिस्टल चला कर मोदी के आह्वान का
क्रियान्वयन कर रहीं थीं। अब भाजपाइयों ने एक तहसीलदार को ही पीट डाला।
भाकपा ने आरोप लगाया कि वे निरंतर कानून हाथ में ले
रहे हैं क्योंकि सरकार उनके खिलाफ कार्यवाही नहीं कर रही है। हिन्दुत्व के आवरण में
ढका भाजपा का गरीब, दलित और अल्पसंख्यक विरोधी चेहरा दिन
ब दिन उजागर होरहा है।
भाकपा राज्य सचिव मंडल ने उत्तर प्रदेश सरकार से अपील
की कि वे कानून हाथ में लेने वाले भाजपाइयों को जेल भेजें। संकट के इस दौर में जब विपक्ष
घरों में कैद है, सरकार और शासन पर निष्पक्षता की ज़िम्मेदारी
और भी बढ़ जाती है।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा उत्तर प्रदेश
at 5:02 pm | 0 comments |
6th Letter of CPI UP to CM UP
भारतीय कम्युनिस्ट
पार्टी, उत्तर प्रदेश राज्य काउंसिल
22, कैसर बाग, लखनऊ-226001
दिनांक- 8
अप्रेल 2020
सेवामें,
श्री योगी आदित्यनाथ जी,
मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश
लखनऊ- 226001
By- E-Mail
विषय- हाथरस की व्रध्द एवं मानसिक रूप से कमजोर महिला
को आर्थिक मदद किए जाने के संबंध में।
महोदय,
मेरे संज्ञान में लाया गया है कि शशि शर्मा, निवासी- 2/ 4 लेबर कालोनी, ( गिर्राज पेट्रौल पंप के
सामने ) हाथरस, मानसिक रूप से कमजोर वरिष्ठ नागरिक हैं। वे नितांत
अकेली हैं और आय का कोई साधन नहीं है। लाक डाउन के चलते पूरी तरह असहाय स्थिति में
पहुँच गयी हैं। उन्हें आर्थिक व अन्य सहायता की बेहद जरूरत है।
अतएव आपसे अनुरोध है कि शशि शर्मा को तत्काल सहायता
उपलब्ध कराने हेतु निर्देश निर्गत करने का कष्ट करें।
साभिवादन
भवदीय
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश
प्रतिलिपि आवश्यक कार्यवाही हेतु- जिलाधिकारी, हाथरस
शुक्रवार, 3 अप्रैल 2020
at 1:35 pm | 0 comments |
Fifth letter of CPI UP to CM UP
भारतीय कम्युनिस्ट
पार्टी, उत्तर प्रदेश राज्य काउंसिल
22, कैसर बाग, लखनऊ- 226001
दिनांक- 3
मार्च 2020
मुख्यमंत्री
उत्तर प्रदेश के नाम पत्र- 5
By- e
mail
सेवामें
श्री योगी आदित्यनाथ जी
मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार,
लखनऊ- 226001
विषय- नोएडा
में भूख से जूझ रहे बंगाली परिवारों तक रसद पहुंचाये जाने के संबंध में।
महोदय
मैं ने कल शाम उपर्युक्त के संबन्ध में एक पत्र जिलाधिकारी, गौतमबुध्द नगर को ई- मेल किया था जिस पर आज अभी दोपहर तक कोई कार्यवाही न
होने के कारण आपको यह पत्र लिख रहा हूँ।
मुझे अवगत कराना है कि पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के
5 परिवार जिनमें स्त्री, बच्चों समेत कुल 12 लोग हैं NOIDA
के सेक्टर-37 की हरिजन बस्ती की गली नं 3 में रह रहे हैं। इनमें से एक सद्दाम का मो॰
नं॰ 6295962150 है।
ये लोग क्लाकडाउन से पहले दैनिक मजदूरी कर पेट पालते
थे। अब इन पर न रोजगार बचा है न धन। अतएव ये भूख की त्रासदी का सामना कर रहे हैं। पहले
ही बता चुका हूँ कि कोई सरकारी- गैर सरकारी मदद उन तक अब तक नहीं पहुँच सकी है। उनके
बच्चे भोजन, दूध के बिना तड़प रहे हैं और बड़े भी भूखों मर रहे
हैं।
हमने अपने संपर्कों के जरिये उन तक मदद पहुंचाने की
कोशिश की परंतु लाक डाउन के चलते हमारे संपर्क उन तक नहीं पहुँच सके।
उन्हें तत्काल सहायता की जरूरत है। अतएव आटा, दाल, आलू और कुछ नकद सहायता उन तक शीघ्र से शीघ्र पहुंचाई
जाये और उनके जीवन की रक्षा की जाये।
आशा ही नहीं पूरा विश्वास है आपके स्तर शीघ्र और ठोस
कार्यवाही अवश्य होगी।
सधन्यवाद।
भवदीय
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश
प्रतिलिपि- जिलाधिकारी, गौतम बुध्द नगर, उत्तर प्रदेश
गुरुवार, 2 अप्रैल 2020
at 2:31 pm | 0 comments |
CPI UP Letter To CM UP 4
भारतीय
कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश राज्य काउंसिल
22, कैसर बाग, लखनऊ- 226001
उत्तर
प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम भाकपा का पत्र- 4
By-
e-mail
दिनांक-
2 अप्रेल 2020
विषय-
जनपद गौतमबुध्द नगर एवं बंबई में फंसे मजदूरों को राहत सामग्री उपलब्ध कराये जाने और
उनकी चिकित्सकीय देख- रेख के सबंध में।
सेवामें,
श्री योगी आदित्यनाथ जी
मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश
सरकार
लखनऊ- 226001
महोदय,
सबसे पहले आपको धन्यवाद देना चाहूंगा कि विभिन्न
राज्यों में फंसे यूपी वासियों की जिन समस्याओं के बारे में हमने आपको जो पत्र
लिखे हैं उनमें से कुछ तक राहत सामग्री पहुंची है और उनका जीवन बचाया जा सका है।
अब मैं आपके समक्ष दो मामले प्रेषित कर रहा हूँ-
1- पहला
मामला जनपद- गौतम बुध्द नगर में फंसे बिहार राज्य के मजदूरों के संबंध में है। नोएडा
सेक्टर- 68 में हल्दीराम का कारखना है जिसमें लगभग 150 मजदूर काम करते हैं। मुझे
सूचना दी गयी है कि उनमें से लगभग 45 मजदूर जो बिहार के गया, नवादा एवं जमुई जिलों से हैं इस समय नोएडा की चौखंडी चौकी के पास मैदान
में बनी हुयी झुग्गी झौंपड़ियों में रह रहे हैं। उनमें से एक श्री नरेश मांझी, मो॰ नं॰ 9540266107 हैं, जिन्होने हमसे संपर्क साधा
है।
स्थानीय विधायक के माध्यम से उन्हें बीते कल खाने के
कुछ पैकेट्स तो दिये गए हैं पर उस खाने को लगातार खाया नहीं जा सकता है और इस अफरा
तफरी में यदि किसी तरह भोजन न पहुँच सका तो उन्हें भूख का सामना करना ही होगा।
अतएव वे चाहते हैं कि प्रशासन उन्हें आटा, दाल, आलू आदि उपलब्ध करा दे ताकि वे अपना खाना बना
खा सकें। उनकी बीमारियों आदि का भी ध्यान रखा जाये।
2- दूसरा
मामला मुंबई का है जिसके संबंध में मैंने आपको 28 मार्च को भी पत्र लिखा था। अलीगढ़
और हाथरस के मजदूर जो कामरेड संजय खान, मो॰ नं॰-
9536642121 के संपर्क में हैं वहां फंसे हुये हैं। उनकी समस्या भी यही है कि BMC उन्हें मराठी खाने के पैकेट देने को तैयार हैं लेकिन उस भोजन से उनका काम
नहीं चलता। वे भी आटा, दाल, आलू आदि
चाहते हैं ताकि अपने तरीके का भोजन पका कर खा सकें।
उल्लेखनीय है उन्हें यूपी भवन से भी कोई मदद नहीं
मिल सकी है।
अतएव आपसे अनुरोध है कि उपर्युक्त पीड़ितों को राहत
प्रदान करने के निर्देश देने का कष्ट करें।
आभारी हूंगा।
भवदीय
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश
प्रतिलिपि- जिलाधिकारी, जनपद- गौतमबुध्द
नगर ( उत्तर प्रदेश )
का॰ अरविन्दराज स्वरूप, सहसचिव,
भाकपा, उत्तर प्रदेश
मंगलवार, 31 मार्च 2020
at 7:51 pm | 0 comments |
AN OPEN LETTER OF CPI, UP TO CM UP AND CM TAMILNADDU
भारतीय कम्युनिस्ट
पार्टी, उत्तर प्रदेश राज्य काउंसिल
22, कैसर बाग, लखनऊ- 226001
दिनांक- 31
मार्च 2020
उत्तर प्रदेश
के मुख्यमंत्री को भाकपा राज्य काउंसिल का पत्र- 3
By- E-
Mail
सेवामें
श्री योगी आदित्यनाथ जी,
मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश
लखनऊ- 226001
विषय- जनपद महाराज गंज के 60 युवा मजदूरों और अन्य अनेक
यूपी वासियों के तमिलनाड्डु में फंसे होने के संबंध में।
महोदय,
हमें भाकपा के प्रदेश भर में फैले कार्यकर्ताओं से और
अन्य राज्यों में फंसे यूपी के पीड़ितों से उनकी कठिनाइयों के बारे में अनेक सूचनाएं
प्राप्त हो रही हैं, लेकिन हम आपके संज्ञान में केवल उन्हीं
चुनींदा को लाते हैं जहां लोग असहनीय स्थिति में पहुँच चुके हैं।
हमें यूपी के जनपद महाराजगंज के ग्राम व पोस्ट- जमुई
पंडित के स्थाई निवासी श्री शैलेश चौधरी मो॰ नं॰ – 9566562130 से सूचना मिली है कि
उनके साथ इस जनपद के 60 मजदूर तमिलनाड्डु के तिरुप्पुर- जनपद में फंसे हैं और अब वे
भूख के कोरोना की गिरफ्त में आचुके हैं।
ये मजदूर U Trenzed
Kolipanye उद्योग में कार्यरत थे जो वर्तमान में Kolipane
Annapurna Compound SF No. 105, Kolipanye Andivaalyam, Tiruppur- 641687 में स्थित है।
वहीं फंसे ये मजदूर केवल हिन्दी बोल पाते हैं, अतएव स्थानीय लोगों और प्रशासन से रूबरू होने में उन्हें बेहद कठिनाई होरही
है।
किसी तरह प्रशासन की ओर से उन्हें कल प्रति व्यक्ति
1/ 2 किलोग्राम आटा मिला जो रात को ही खत्म होगया। फैक्टरी मालिक भी उनकी कोई मदद नहीं
कर रहा। निश्चय ही उन्हें तत्काल मदद नहीं मिली तो वे कोरोना से भले ही बच जायेँ, मगर भूख का अजगर उन्हें निगल जाएगा।
यहां में प्रसंगवश आपके संज्ञान में लाना चाहूँगा कि
हमें यूपी भर से भी ऐसी खबरें मिल रही हैं कि अति गरीब लोगों तक प्रति परिवार आधा किलो
आटा, आधा किलो चावल, पाव भर आलू और पाव भर दाल संबंधित लोगों
ने बांट कर पुण्य कमा लिया और वे भूखों मर रहे हैं। शायद पूंजीवादी व्यवस्था, पूंजीवादी शासन एवं पूंजीवादी मनोव्रत्ति सभी राज्यों में एक ही तरह से काम
कर रही है।
पुनः तमिलनाड्डु में फंसे मजदूरों के संबंध में कहना
चाहूँगा कि भाकपा, उत्तर प्रदेश के राज्य सहसचिव का॰ अरविन्दराज
स्वरूप ने आज तिरुप्पुर के जिलाधिकारी के उपलब्ध नंबरों पर बात करना चाही, पर फोन उठे नहीं।
तदुपरान्त उन्होने उत्तर प्रदेश सरकार के तमिलनाड्डु
के लिये नियुक्त नोडल अधिकारी श्री एम॰ देवराज, IAS तथा अपर पुलिस DGP- कार्मिक
श्री एल॰ बी॰ एंटनी देव कुमार IPS को ई- मेल के जरिये सारी जानकारी
भेजी, जिसकी प्रति मुझे भी प्राप्त हुयी है।
अतएव आपसे अनुरोध है कि उपर्युक्त मजदूरों को तत्काल
भोजन एवं आवास मुहैया कराने तथा किसी भी तरह उन्हें महाराजगंज तक पहुँचाने की व्यवस्था
( जहां उन्हें एकांत में मेडिकल सुपरविजन में रखा जा सकता है ) के आदेश देने का कष्ट
करें।
शीघ्र कार्यवाही की प्रतीक्षा में।
भवदीय
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश
प्रतिलिपि आवशक कार्यवाही हेतु- मुख्यमंत्री, तमिलनाड्डु
सोमवार, 30 मार्च 2020
at 7:05 pm | 0 comments |
CPI, UP LETTER TO CM UP AND CM TELANGANA
भारतीय
कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश राज्य काउंसिल
22, कैसर बाग, लखनऊ- 226001
दिनांक- 30 मार्च 2020
उत्तर
प्रदेश के मुख्यमंत्री को भाकपा राज्य काउंसिल का पत्र- 2
सेवामें
श्री योगी आदित्यनाथ जी,
मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश
लखनऊ- 226001
विषय- जनपद- सोनभद्र के 6 गरीब युवाओं और अन्य अनेक
के तेलांगाना में फंसे होने के संबंध में।
महोदय,
आपके संज्ञान में लाना चाहता हूं कि अन्य अनेक की
तरह उत्तर प्रदेश के जनपद- सोनभद्र के चोपन थाना अंतर्गत ग्राम पटवध के चार गरीब
नौजवान मजदूरी करने को हैदराबाद गये थे। वे जिस दिन वहाँ पहुंचे उसी दिन कर्फ़्यू
लागू होगया और कंपनी बन्द होगयी। भोले- भाले इन युवकों को यदि पहले से चेतावनी
होती तो कर्फ़्यू की घोषणा के मात्र दो दिन पहले वे अपनी यात्रा शुरू न करते।
इस समय ये चारों मजदूर – वामन टेक्स्ट प्रिंट प्रायवेट लिमिटेड, जो जनपद-
हैदराबाद के थाना एवं पोस्ट- घटकेसर के ग्राम-
पीला पाली में है, फंसे हैं। इन मजदूरों के खाने-
पीने की कोई व्यवस्था नहीं होपारही है। जो अल्प रकम वे घर से लेकर गये थे वह भी
खर्च होचुकी है। वे एकदम भूखों मरने के कगार पर हैं।
इन मजदूरों के नाम और मो॰ नं- निम्न हैं-
1- संजय, पुत्र- अमरनाथ, 9621065158
2- संदीप, पुत्र- बंसीलाल, 7030928893 व 8106337408
3- विनोद
कुमार, पुत्र- सुकालू एवं
4- शुभम, पुत्र- चन्दन
इस संबंध में निवेदन करना चाहता हूं कि भाकपा के राज्य
सह सचिव कामरेड अरविन्दराज स्वरूप ने उपर्युक्त के संबंध में गत आधी रात के बाद आपके
द्वारा नियुक्त नोडल अधिकारी श्री टी॰ वेंकटेश एवं अपर पुलिस महानिदेशक- रेलवे, श्री संजीव मित्तल को ई मेल भेज कर मदद दिये जाने का आग्रह किया था।
इस पर श्री मित्तल का जबाव मिला है कि 14 अप्रेल तक
कुछ भी संभव नहीं है और स्थानीय प्रशासन को सूचना दे दी गयी है। उन्होने स्थानीय प्रशासन
के नंबर- 100, 040- 23434343, 9490616780
संपर्क करने हेतु और खाने की व्यवस्था के लिये 040- 21111111 नंबर भेजा है परंतु न
तो वहां अभी तक कोई सहायता पहुंची न पीड़ितों का उनसे संपर्क हो पारहा है।
कितना दुर्भाग्यपूर्ण है कि आपकी ओर से सभी यूपी वासियों
की मदद के दाबे दर दाबे किये जारहे हैं, वहीं सारा मामला असहाय
पीड़ितों पर ही छोड़ पल्लू झाड़ने की चेष्टा की जारही है।
विपत्ति में फंसे इनके अभिभावकों और हम सबकी प्रबल
ख्वाहिश है कि उनके वहां खान पान और सुरक्षा की तत्काल व्यवस्था कराई जाये।
साथ ही तेलांगाना में फंसे इन युवको एवं अन्य यूपी
वासी मजदूरों, नागरिकों को शीघ्र से शीघ्र उनके घरों तक
पहुंचाया जाये। घर पहुँचने पर जांच के बाद वे एकांतवास में रखे जा सकते हैं।
वे सभी एक ऐसी यातना झेल रहे हैं जिसके लिये वे कतई
जिम्मेदार नहीं हैं।
आशा ही नहीं पूरा विश्वास है कि आप इस ज्वलंत
समस्या के निदान हेतु शीघ्र ठोस कार्यवाही अवश्य करेंगे। साभिवादन
भवदीय
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश
प्रतिलिपि आवश्यक कार्यवाही हेतु- मुख्यमंत्री, तेलांगाना प्रदेश हैदराबाद।
शनिवार, 28 मार्च 2020
at 7:29 pm | 0 comments |
CPI UP LETTER TO CM UP
भारतीय कम्युनिस्ट
पार्टी, उत्तर प्रदेश राज्य काउंसिल
22, क़ैसर बाग, लखनऊ- 226001
दिनांक- 28
मार्च 2020
मुख्यमंत्री
उत्तर प्रदेश के नाम पत्र ( 1 )
सेवामें
श्री आदित्य नाथ जी,
मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश
विषय- मुंबई में फंसे उत्तर प्रदेश और उत्तर भारतीय
वासियों को वापस घर पहुंचाने के संदर्भ में
महोदय,
संचार माध्यमों से ज्ञात हुआ कि आपने कोरोना से निपटने
के प्रयासों के तहत शासन स्तर पर कई कमेटियां गठित कर दी हैं। विश्वास जगा कि अब प्रदेश
की जनता का हित होगा।
यह भी ज्ञात हुआ कि मुंबई सहित महाराष्ट्र में फंसे
यूपी के लोगों की मदद हेतु भी एक कमेटी और नोडल अधिकारी तय कर दिये गये हैं। इसके लिये
नवी मुंबई स्थित यूपी भवन के फोन और मोवायल नंबर – 022-17811861, 9137452239, 9702901598, एवं 9821058315
पर मदद हेतु संपर्क करने की बात भी कही गयी है।
क्योंकि यूपी के महाराष्ट्र और मुंबई में फंसे हुये
लोगों की दिक्कतों के बारे में मुझे लगातार सूचनायें मिल रहीं थीं अतएव जनहित मैंने
इन नंबरों को फेस बुक और तमाम वाट्सएप ग्रुपों में प्रसारित कर दिया। अनेक संवेदनशील
लोगों ने इसे शेयर कर दिया। फलस्वरूप यह सूचना तमाम पीड़ितों और प्रभावितों तक पहुंच
सकी।
परिणामस्वरूप तमाम लोगों ने आज उपर्युक्त नंबरों पर
मदद हेतु संपर्क किया, पर पूरे दिन फोन नहीं उठे। उदाहरण के
लिये मुंबई- बांद्रा ईस्ट बेहराम नगर में तकरीबन 50- 60 व्यक्ति अलीगढ़ जनपद के पहासू
व मिर्ज़ा चांदपुर एवं हाथरस के फंसे हुये हैं। उनमें से एक हाथरस निवासी श्री संजय
खान भी हैं जिनका मोबायल नंबर- 9536642121 है।
ये सब गरीब मजदूर और दस्तकार वहाँ पाई पाई को मुंहताज
हैं। कर्फ़्यू की अचानक घोषणा और उससे पहले ही ट्रेन आदि के बंद होने के कारण वे घर
भी नहीं आसके। मुंबई में कोरोना की भयावहता और ऊपर से भोजन और चिकित्सा सेवाओं की कमी
ने इन्हें व्यग्र कर दिया है और वे घर आना चाहते हैं।
संजय खान के अनुसार यूपी, बिहार और उत्तरी राज्यों के लाखों- लाख लोग इसी विपत्ति में फंसे हैं और उन्हें
वहां तत्काल निकाल कर घर पहुंचाने की जरूरत है।
इन्हें बसों और ट्रेन कंपार्टमेंट्स को मजबूत पोलीथिन
से पार्टीशंड करके लाया जा सकता है।
अतएव आपसे अनुरोध है कि अचानक महा विपत्ति में फंसे
इन लोगों को शीघ्र अतिशीघ्र अपने घरों को पहुंचाने को ठोस कदम उठायेँ। इस महायज्ञ में
केन्द्र सरकार की मदद लेना भी अपरिहार्य होगा। सधन्यवाद।
भवदीय
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश
प्रतिलिपि- सभी संचार माध्यमों को।
शुक्रवार, 27 मार्च 2020
at 9:06 pm | 0 comments |
प्रकाशनार्थ-
उत्तर प्रदेश
से बाहर फंसे यूपी वालों के हालात बेहद संगीन
तत्काल और
ठोस कदम उठाये राज्य सरकार: भाकपा
लखनऊ- 27 मार्च 2020, भारतीय कम्युनिस्ट
पार्टी के राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने उत्तर प्रदेश सरकार से मांग की कि वे देश के विभिन्न
राज्यों में फंसे उत्तर प्रदेश के श्रमिकों और अन्य नागरिकों को अपने घर वापस लाने
अथवा उनको वहीं हर तरह की सुरक्षा दिलाने को तत्काल ठोस कदम उठाये।
यहाँ जारी एक प्रेस बयान में भाकपा राज्य सचिव ने कहा
कि उन्हें उत्तर प्रदेश के जिलों जिलों से अपने पार्टी साथियों से रिपोर्टें मिल रही
हैं कि उनके जनपदों के तमाम लोग पूर्व घोषणा के बिना अचानक हुये लाक डाउन के चलते दिल्ली, बंबई, कलकत्ता तथा तथा देश के अन्य राज्यों में फंसे
हैं और वे भुखमरी के कगार पर पहुँच चुके हैं। कुछ लोगों ने उनसे संपर्क भी किया है
और मीडिया भी खौफनाक तस्वीरें बयां कर रहा है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रीजी ने यूपी में फंसे अन्य
राज्यों के लोगों को उनके घर पहुंचाने और अन्य राज्यों से ऐसी ही अपेक्षा की थी और
आज उन्होने अधिकारियों की नोडल कमेटी भी बना दी है। लेकिन बाहर फंसे लोगों के हालात
इतने संगीन हैं कि तनिक भी ढिलाई भारी हानि पहुंचा सकती है।
समस्या की गंभीरता को देखते हुये शासन से वार्ता करने
के प्रयास भी किये लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों के फोन उठे नहीं। भाकपा पुनः मांग करती
है कि यूपी के लोगों की रक्षा करे यूपी सरकार।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश
शनिवार, 14 मार्च 2020
at 6:08 pm | 0 comments |
प्रकाशनार्थ-
जुर्माना
बसूल अध्यादेश को तत्काल वापस ले यूपी सरकार: भाकपा
लखनऊ- 14 मार्च, 2020, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मण्डल ने कल योगी सरकार द्वारा जारी
किए गये ‘यूपी रिकवरी फार डेमेज टू पब्लिक एंड प्रायवेट प्रापर्टी
अध्यादेश’ को प्रदेश की जनता और न्यायव्यवस्था के लिये आघात बताया
है और इसे तत्काल रद्द करने की मांग की है।
भाकपा राज्य सचिव मण्डल ने आरोप लगाया कि भाजपा और उसकी
सरकारें सदैव से संविधान और न्याय की व्यवस्था की धज्जियां बिखेरती रही हैं। जो न्यायिक
फैसला उनके हित में होता है उसे मानती हैं और जो उनके लक्ष्यों के विपरीत होता है उसे
ठुकरा देती हैं। बावरी मस्जिद ध्वंस प्रकरण में भी उन्होने राष्ट्रीय एकता परिषद और
सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों की धज्जियां बिखेर कर रख दी थीं।
अब सप्ताह भर पहले उत्तर प्रदेश के उच्च न्यायालय द्वारा
पोस्टर हटाने के आदेश को इस सरकार ने न केवल ढीढ्ता से ठुकरा दिया अपितु उसके विरूध्द
सर्वोच्च न्यायालय में जा पहुंचे। और जब वहाँ से भी इनके कुक्रत्य को हरी झंडी नहीं
मिली तो सरकार अध्यादेश लेकर आगयी।
इस सरकार को जनता के हितों की कतई कहीं फिक्र नहीं।
ओला, वारिश और तूफान से हुयी जन- धन हानि की इसे फिक्र नहीं, बेरोजगारों की कोई चिन्ता नहीं, अपराध और अपराधियों
पर इसका कोई अंकुश नहीं, महंगाई की तरफ इसका कोई ध्यान नहीं, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवायें इसने पंगु कर रखी हैं,
विकास योजनाओं में कमीशनखोरी धड़ल्ले से चल रही है, इसके चहेते
अफसर भ्रष्टाचार में लिप्त हैं, कई पर आपराधिक मुकदमे कायम होरहे
हैं, दफा 144 लगा कर पुलिस- प्रशासन को राजनैतिक हथियार बना कर
यह जनता, जनांदोलन और विपक्ष को कुचल रही है धर्म का लबादा ओढ़
कर अधार्मिक आचरण कर रही है।
लोगों को कोरोना से उतना खतरा नहीं जितना इस सरकार से
खतरा है।
भाकपा इस अध्यादेश का कड़ा विरोध करती है और इसको तत्काल
वापस लेने की मांग करती है।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश
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