भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का प्रकाशन पार्टी जीवन पाक्षिक वार्षिक मूल्य : 70 रुपये; त्रैवार्षिक : 200 रुपये; आजीवन 1200 रुपये पार्टी के सभी सदस्यों, शुभचिंतको से अनुरोध है कि पार्टी जीवन का सदस्य अवश्य बने संपादक: डॉक्टर गिरीश; कार्यकारी संपादक: प्रदीप तिवारी

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बुधवार, 11 मई 2022

लखनऊ विश्वविद्यालय बना संघ की फासिस्ट गतिविधियों का अड्डा -


प्रोफेसर रविकांत पर हमलावरों को जेल भेजा जाये: भाकपा

5:43 PM (4 minutes ago)

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लखनऊ- 11 मई, 2022, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने संघ के छात्र संगठन- अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ABVP से जुड़े तत्वों द्वारा लखनऊ विश्व- विद्यालय में हिन्दी के प्रोफेसर रविकांत पर शारीरिक हमला करने की कोशिश करने, उन्हें धमकी देने और उन्हें जातिसूचक शब्दों से नवाजने की घ्रणित कार्यवाहियों की कड़े शब्दों में  निंदा की है। भाकपा ने इसे विश्वविद्यालय परिसर में भगवा गुंडागर्दी और सामंती मानसिकता का द्योतक बताते हुए कहा कि इस तरह की तमाम कारगुजारियों को सत्तारूढ़ दल की शह प्राप्त है।

भाकपा ने मांग की इस कांड की एफ़आईआर दर्ज कर नामचीनों को माकूल दफाओं में जेल भेजा जाये, उन पर एनएसए लगाया जाये तथा प्रोफेसर रविकांत को सुरक्षा प्रदान की जाये।

परिसर का शैक्षिक माहौल पुनर्स्थापित किया जाये, जो कि भाजपा शासनकाल में समाप्त हो गया है।

 

यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा ने कहा कि संघ, भाजपा और उससे जुड़े संगठन हर स्तर पर असहमति की आवाज को कुचलने पर आमादा हैं। इसके लिये वे असहमति रखने वाले व्यक्तियों, संस्थाओं और समुदायों पर मध्यकालीन बर्बर आक्रमण कर रहे हैं। उनकी विचारधारा फासीवादी है, और वे लोकतन्त्र और लोकतान्त्रिक व्यवस्था को क्षत- विक्षत करने पर उतारू हैं।   

 

भाकपा ने कहा कि जिस तरह से दलित प्रोफेसर को अमर्यादित भाषा और हमलावर नारों का निशाना बनाया गया,  पूरी  तरह निंदनीय, गैर-लोकतांत्रिक और आपराधिक कृत्य है। विश्वविद्यालय प्रशासन का रवैया प्रोफेसर के जान- सम्मान की रक्षा करने के बजाय हमलावरों के हौसले बढ़ाने वाला था। इस बात की जांच होनी चाहिये कि किन तत्वों ने प्रोफेसर के ऊपर खेद व्यक्त करने का दवाब डाला।

 

भाकपा ने कहा है कि वह परिसरों में ही नहीं समूचे देश में अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता के लिये संघर्ष करती रही है, और उसकी रक्षा के लिये कोई कसर बाकी नहीं रखेगी।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश।

 

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मंगलवार, 10 मई 2022

आंदोलनों में भी सबसे आगे - भाकपा


बुलडोजरवाद- पुलिसराज, जर्जरतम कानून व्यवस्था, महिलाओं अल्पसंख्यकों दलितों पिछड़ों और अन्य गरीबों को कुचलने की कोशिशों, आसमान छूती महंगाई, बेरोजगारी तथा सांप्रदायिक विभाजन की कोशिशों के खिलाफ 18 मई को जिला केन्द्रों पर धरने- प्रदर्शनों का आयोजन करेगी भाकपा

लखनऊ-10 मई 2022, कानपुर में बिना एफ़आईआर माँ और बेटी को पुलिस ने उठाया तो प्रताड़ित महिला ने फांसी लगा कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली, कानपुर में ही छत से गिरी/ कूदी छात्रा इलाज के अभाव में तड़प-तड़प कर मर गयी और आरोप है कि कालेज के लोग अस्पताल तक नहीं पहुंचाये, पीलीभीत में किशोरी से छेड़छाड़ के मामले में समझौता न करने पर आरोपियों ने माँ-बाप पर तेजाब छिड़क कर घायल कर दिया, आगरा में छत पर सो रहे परिवार पर तेजाब फेंका गया तो माँ बेटी सहित परिवार के चार लोग झुलस गये, हाथरस में खेत से घर लौट रहे किसान की गोली मार कर हत्या कर दी गयी, लखीमपुर में मंदिर गये युवक को दिनदहाड़े मारपीट के बाद गोली मार दी गयी वहीं शाम को सिनेमा रोड पर युवक को चाकुओं से गोद कर गोली मार दी गयी, बुलंदशहर में क्लीनिक पर बैठे डाक्टर पर 30 राउंड गोलियां झौंक कर हत्या कर दी गयी।  

इसके अलाबा हत्या कर लाश नाले में फेंकी, फिरौती के लिए अपहरण, महिला के गले से चेन खींची, पेट्रोल पंप पर दो लाख की लूट, सर्राफ के घर से दो करोड़ के आभूषण चोरी आदि अनेक खबरें रामराज्य बन चुके उत्तर प्रदेश में आज के अखबारों की सुर्खियां बनी हुयी हैं।   

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मण्डल ने आरोप लगाया है कि संघ नियंत्रित- कार्पोरेट्स संचालित केन्द्र और उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकारों ने अपने ही देश/ प्रदेश की जनता के खिलाफ युध्द जैसा छेड़ रखा है। पूरे देश और उत्तर प्रदेश में बुलडोजरवाद के तहत पुलिसराज कायम है। दबंगों, भाजपाइयों और पुलिस की तिकड़ी ने किसानो- कामगारों- मेहनतकशों खासकर महिलाओं, अल्पसंख्यकों, दलितों, आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़ों पर तीखे हमले बोल दिये हैं। पूरे पूरे परिवारों की न्रशंस हत्याएं की जा रही हैं, अनगिनत कत्ल और आत्महत्याएं लगातार हो रहे हैं, भयभीत और प्रताड़ित करने के उद्देश्य से पुलिस घरों में घुस कर हत्यायेँ कर रही है, पुलिसजनों द्वारा बलात्कार आम बात होगयी है, सुरक्षा और न्याय की गुहार करने वालों की सुनी नहीं जा रही, भाजपा और पुलिस प्रशासन आकंठ भ्रष्टाचार और दलाली में डूबे हैं। शुरू में विभाजन और वोटों को हथियाने की गरज से बुलडोजर का इस्तेमाल चंद मुस्लिम माफियाओं के खिलाफ किया गया पर अब उसकी धार जनता की ओर मोड दी गयी है।

साथ ही डीजल पेट्रोल रसोई गैस ही नहीं, खाने पीने की चीजें, फल- सब्जी, दवाएं/ इलाज, पढ़ाई और जीवनयापन की चीजें बेहद महंगे होगये हैं और आम लोगों की जिंदगी दूभर होकर रह गई है। ऊपर से सार्वजनिक क्षेत्र को बेच कर नौकरियाँ समाप्त की जा रही हैं, भर्तियाँ रद्द की जा रही हैं। आक्रोश को शिथिल करने को चंद खैरातें बांटी जारही हैं और नए और पुश्तैनी हथकंडे अपना कर सांप्रदायिकता को हवा दी जा रही है। जनता का ध्यान उसकी मूलभूत समस्याओं से हटाये रखने की साजिशें हैं ये सब।

यहाँ जारी एक प्रेस बयान में भाकपा राज्य सचिव ने कहा है कि हमें गर्व है कि इस नाजुक दौर में उत्तर प्रदेश में इन सभी मामलों में हमारी पार्टी पीड़ितों के साथ मजबूती से खड़ी हुयी है और उसने कारगर और सार्थक हस्तक्षेप किया है। आगे इस हस्तक्षेप को और धार देने की कोशिश की जायेगी।

अतएव समस्त परिस्थितियों और हालातों का आकलन कर भाकपा राज्य सचिव मंडल ने निश्चय किया है कि- बुलडोजरवाद- पुलिसराज के खिलाफ, किसानो कामगारों खासकर- महिलाओं, अल्पसंख्यकों, दलितों, पिछड़ों और आम लोगों पर दबंगों/ पुलिस और भाजपाइयों द्वारा किए जा रहे उत्पीड़न/हमलों के खिलाफ, आसमान छूती और जीवन को कठिन बनाती महंगाई के खिलाफ, बेरोजगारी और नौकरियों को छीने जाने के खिलाफ, फौज, सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र में भर्तियाँ खोले जाने के लिये, मनरेगा को चलाने के लिये तथा सांप्रदायिकता और तानाशाही के खिलाफ 18 मई, 2022 बुधबार को समस्त उत्तर प्रदेश में जिला केन्द्रों पर व्यापक भागीदारी के साथ धरने- प्रदर्शन किये जायेंगे। राष्ट्रपति और राज्यपाल महोदय को संबोधित ज्ञापन में चुनींदा स्थानीय समस्याओं को भी जोड़ा जायेगा। जहां जहां उत्पीड़न की घटनायें हुयी हैं उन पर पार्टी द्वारा लिए गये स्टैंड के मुताबिक मांगें माँगपत्र में जोड़ी जायेंगी। आंदोलन के प्रमुख नारे इस प्रकार हो सकते हैं-

@ बुलडोजरवाद- पुलिसराज----- नहीं चलेगा नहीं चलेगा।

@ महिलाओं से दरिंदगी और अत्याचार---- बंद करो, बंद करो।

@ अल्पसंख्यकों पर हमले और उत्पीड़न---- बंद करो, बंद करो।

@ दलितों- कमजोरों- गरीबों का उत्पीड़न----- बंद करो, बंद करो।

@ महंगाई घटाओ, घटाओ दाम----- वरना होगी नींद हराम।

@ महंगाई को कर दो हाफ----- वरना जनता कर देगी साफ।

@ बेरोजगारों को काम दो----- वरना गद्दी छोड़ दो।

@ चलाओ मनरेगा भर्तियाँ दो अंजाम---- वरना होगी नींद हराम।

@ सांप्रदायिकता नहीं, नहीं----- भाईचारा हाँ हाँ हाँ।

आदि।

भाकपा राज्य सचिव मंडल ने अपनी समस्त जिला इकाइयों से अपील की है कि वे जनता के कष्ट की घड़ी में उनकी मुखर आवाज बनें और 18 मई के आंदोलन को व्यापक बनायें।  

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश।

 

 

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सोमवार, 9 मई 2022

फीरोजाबाद: दलित महिला हत्या प्रकरण-


पुलिस, दबंग और भाजपा  गठजोड़ की देन हैं उत्तर प्रदेश की अपराधिक वारदातें।

फीरोजाबाद दलित महिला की पुलिस द्वारा हत्या पर भाकपा ने रोष जताया।

लखनऊ- 9 मई 2022, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने कहा कि यूपी अब बुलडोजर राज ही नहीं पुलिस राज बन चुका है, और रक्षक से भक्षक बनी पुलिस हर दिन एक न एक जघन्य वारदात को अंजाम दे रही है। यह पुलिस- प्रशासन के भाजपायीकरण का नतीजा है कि पुलिसजन स्वयं को बाबा का बुलडोजर समझने लगे हैं। और बुलडोजर वाले बाबा भाजपाइयों के सामने लाचार बन कर रह गए हैं। आजादी के बाद से आज तक ऐसा जंगलराज न तो देखा था न ही सुना था।

चंदौली, ललितपुर की घटनायें तो “लाइम लाइट” में आगयीं, पर सच तो यह है कि उत्तर प्रदेश में हर दिन इसी किस्म की कई कई वारदातें हो रही हैं। अखबारों के क्षेत्रीय हो जाने के चलते प्रदेश के एक कोने में हुयी घटना दूसरे क्षेत्र के लोगों के संज्ञान में आ नहीं पाती हैं। कुछेक हैं जो मीडिया और सोशल मीडिया से प्रसारित हो पाती हैं। फिर भी जो घटनायें संज्ञान में आ रही हैं वे दिल दहलाने वाली हैं।

कल ही प्रकाश में आया था कि अलीगढ़ के अतरौली क्षेत्र में एक गाँव की नाबालिग बालिका को एक पुलिस कांस्टेबिल ने खेत में ले जाकर दरिंदगी की तो आज प्रकाश में आया है कि जनपद फीरोजाबाद के पचोखरा थानान्तर्गत ग्राम- इमलिया में पुलिस और दबंगों के घर में घुस कर झंगाझोटी के दौरान एक दलित महिला की मौत होगयी। पुलिस और दबंगों की अवैध और अमानुषिक कारगुजारी से पचोखरा के आस पास के गांवों में भय और तनाव व्याप्त है।

यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने दाबा किया कि सारी वारदात दबंगों, भाजपा और पुलिस के बीच खतरनाक और जनविरोधी गठजोड़ का परिणाम है। उन्होने अपने सूत्रों के हवाले से कहा कि कुछ दिन पहले दलित मजदूरों की मजदूरी के पूरे पैसे न देने पर दबंगों से उनका विवाद हुआ था। दबंगों ने पुलिस के साथ साजिश रच कर मजदूरों को जेल भिजवा दिया था। परसों ही कुछ मजदूर जमानत पर छूटे थे। उन्हें भय था कि पुलिस और दबंग मिल कर उन्हें दोबारा केसों में फंसा सकते हैं/ एंकाउंटर कर सकते हैं, अतएव भयवश वे अपने घर वापस नहीं गए और किसी अन्य जगह ठहर गये।

उनका भय सही निकला। रात को ही पुलिस और नामचीन दबंग मजदूरों के घर जा धमके और घर में मौजूद व्रध्दा और उसकी पुत्री से जबरिया दरवाजा खुलवा लिया। पूछताछ के लिये महिलाओं पर दबाव डाला और पुलिसिया हथकंडे अपनाये। बल प्रयोग के दौरान व्रध्द महिला जमीन पर गिर गयी  और बताया जाता है कि वहीं उसकी मौत होगयी। महिला को इस हालत में अस्पताल पहुंचाने के बजाय पुलिस उसे वैसी ही अवस्था में छोड़ कर भाग खड़ी हुयी। शोर शराबा होने पर एकत्रित ग्रामीणों और परिवार के मुखिया ने 112 पर सूचना दी तो कुछ पुलिसकर्मी उसे जीवित बता कर उठा ले गये और बाद में उसकी मौत हो जाने की सूचना परिवारियों को दी।

अब समूचा पुलिस- प्रशासन घटना पर लीपापोती में जुट गया है। पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी बयान दे रहे हैं कि पुलिस यह तसदीक करने गयी थी कि जमानत पर लौटे लोग कहां हैं? सवाल उठता है कि क्या पुलिस जमानत पर छूटते ही लोगों के घर तसदीक करने जाती है? सभी जानते हैं कि ऐसा नहीं होता। फिर पुलिस के साथ वे दबंग क्यों थे जिन्होंने उन्हें फर्जी मुकदमे में फंसवाया? क्या दलित मजदूर इतने बड़े अपराधी थे कि पुलिस जेल से बाहर आते ही उनकी खोजबीन में जुट गयी? सवालों से घिरी पुलिस पर इसका कोई जबाव नहीं है। सवाल तो फीरोजाबाद के मुख्य चिकित्साधिकारी पर भी उठ रहे हैं जिन्होने पोस्टमार्टम होने से पहले ही मौत को सामान्य मौत बता दिया।  

भाकपा राज्य सचिव ने कहा कि कल मुख्यमंत्री के ललितपुर दौरे के दौरान ही भाजपाइयों, अपराधी और पुलिस गठजोड़ की कलई खुल गयी थी। भाजपाइयों ने माना कि ललितपुर के बलात्कारी भाजपायी थे; पुलिस- प्रशासन में भ्रष्टाचार है आदि। मुख्यमंत्री ने भी स्वीकारा कि भाजपायी दलाली कर रहे हैं। मुख्यमंत्री और भाजपाइयों के इस अमर संवाद के बाद कहने को कुछ नहीं बचा।

फीरोजाबाद प्रकरण में पुलिस और पूरा पुलिस तंत्र दोषी है। फिर जांच क्राइम ब्रांच को देने का कोई अर्थ नहीं। घटना की न्यायिक जांच कराई जाये, दोषी पुलिसजनों को जेल भेजा जाये और पीड़ित परिवार को 50 लाख रुपये बतौर नुकसान की भरपाई दिये जायें, भाकपा ने मांग की है।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश

 

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शनिवार, 7 मई 2022

जंगलराज बना उत्तर प्रदेश


थम नहीं रहीं उत्तर प्रदेश में महिलाओं पर हिसा की वारदातें

सरकार और पुलिस की कार्यवाही प्रचार और आत्मसंतुष्टि तक सीमित: भाकपा

लखनऊ- 7 मई 2022, अपने एक प्रेस वक्तव्य में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने कहा है कि वह इस बात पर भारी चिन्तित है कि जंगलराज बन चुके उत्तर प्रदेश में महिलाएं ही नहीं अबोध बालिकाएं तक सुरक्षित नहीं हैं। उनकी जान और अस्मत के प्यासे कानून व्यवस्था और बाबा के बुलडोजर को ठेंगा दिखा रहे हैं। सरकार द्वारा की जाने वाली कथित कार्यवाही से अखबारों की खबर भले ही बन जाती हो और हुक्मरानों को आत्मसंतुष्टि मिल जाती हो, पर सच यह है कि न तो महिलाओं पर हिंसा रुक पा रही है, और न ही अन्य आपराधिक वारदातें कम हो पा रही हैं।

गत 48 घंटों में ही लखीमपुर में 8 साल की बच्ची को वीभत्स बलात्कार कर लहूलुहान कर दिया गया, गाजियाबाद के होटल में अलीगढ़ की महिला की हत्या कर हत्यारा फरार होगया वहीं मथुरा में पुलिस चौकी से मामूली फासले पर महिला की कुल्हाड़ी से हत्या कर अपराधी गायब होगया। ये चंद उदाहरण हैं जिनसे प्रदेश की जर्जर कानून व्यवस्था और महिलाओं और बच्चियों की असुरक्षा का खुलासा हो जाता है।

भाकपा ने कहा महिला सुरक्षा के उत्तर प्रदेश सरकार के सारे दावे खोखले हैं और प्रदेश में महिलायें बेहद भय और असुरक्षा के माहौल में जी रही हैं। उत्तर प्रदेश महिला फेडरेशन और जनवादी महिला समिति आदि ने शीर्ष पुलिस अधिकारी से मिल कर महिलाओं की सुरक्षा की मांग उठायी है, और सुरक्षा संबंधी कई सुझाव भी दिये हैं, पर सरकार हिलने को तैयार नहीं है। वह उन्हीं कारनामों को अंजाम दे रही है जिनसे प्रचार मिले और विभाजन पैदा हो।

जनमानस इस स्थिति को लंबे समय तक सहन  नहीं कर सकता, और न ही विपक्षी पार्टियां ही। भाकपा ने इन घटनाओं पर स्थानीय तौर पर आवाज उठायी है और हालात नहीं सुधरे तो राज्य स्तर पर आवाज उठायी जायेगी, भाकपा राज्य सचिव मंडल ने अपने बयान में कहा है।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश  

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गुरुवार, 5 मई 2022

भाकपा प्रतिनिधिमंडल चंदौली पहुंचा-


पुलिस प्रशासन की मंशा पर सवाल उठाये: न्यायिक जांच की मांग दोहराई

लखनऊ- 5 मई 2022, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के उत्तर प्रदेश राज्य सचिव मण्डल के निर्देश पर एक पार्टी का एक राज्य स्तरीय प्रतिनिधिमंडल आज जनपद- चंदौली के थाना- सैयदराजा के अंतर्गत मनराजपुर गांव में पहुंचा जहां पुलिस दबिश के दौरान एक युवती की हत्या होगयी थी और उसकी दूसरी बहिन छात्रा प्रताड़ना के चलते गंभीर रूप से बीमार होगयी थी।

प्रतिनिधिमंडल में भाकपा राज्य काउंसिल के सदस्य का॰ आर॰ के॰ शर्मा, राबर्ट्सगंज लोक सभा क्षेत्र से भाकपा प्रत्याशी रहे का॰ अशोक कनौजिया, राबर्ट्सगंज विधान सभा क्षेत्र से भाकपा के प्रत्याशी रहे छात्र नेता का॰ विजय शंकर यादव एवं भाकपा चंदौली के जिला सचिव का॰ सुखदेव मिश्रा शामिल थे। प्रतिनिधिमंडल ने भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश को अपनी विस्त्रत रिपोर्ट प्रेषित की है।

पीड़ित परिवार और ग्रामीणजनों से भेंट और व्यापक चर्चा के उपरान्त अपनी रिपोर्ट में प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि परिवार और ग्रामवासी अभी भी दहशत में जी रहे हैं और उन्हें प्रशासन की कार्यवाहियों पर विश्वास नहीं है। पुलिस मामले की लीपापोती में जुटी है, जिसका जीता जागता उदाहरण यह है कि फोरेंसिक टीम घटना के पांचवें दिन आज मौके पर पहुंची है। ऐसी जगह जहां सैकड़ों स्त्री पुरुष आ जा रहे हैं पाँच दिन बाद कौनसे सबूत बचे रह सकते हैं। उन्हें मजिस्टीरियल जांच पर भी विश्वास नहीं। दोषी पुलिसजनों को जेल जाने से बचाने का षडयंत्र है यह जांच।

समूचे हालातों को ध्यान में रखते हुये भाकपा प्रतिनिधिमंडल ने मांग की कि मामले की जांच उच्च न्यायालय की देखरेख में करायी जाये, दोषी पुलिस जनों को अबिलंब जेल भेजा जाये, पीड़ित परिवार को रुपए 50 लाख हानि की भरपाई हेतु दिये जायें, परिवार के मुखिया पर हुयी पुलिस कार्यवाहियों की समीक्षा कर उन्हें निस्तारित किया जाये तथा ग्रामीणजनों को भयमुक्त किया जाये।

प्रतिनिधिमंडल ने घटना को सरकार की कार्यप्रणाली और इसके तहत प्रदेश के बुलडोजर राज- पुलिसराज में तब्दील होने का परिणाम बताया है तथा घटना की कड़े शब्दों में निन्दा की है।

प्रतिनिधिमंडल ने जारी प्रेस बयान में कहाकि सच तो यह कि राज्य सरकार पुलिस के जरिये भय और आतंक का माहौल बनाए रखना चाहती है ताकि उसकी असफलताओं के विरूध्द लोग उठ खड़े न हों। जो पुलिस जघन्य अपराधों को रोक नहीं पा रही है, सामूहिक बलात्कारों और हत्याकांडों तक के खुलासे कर नहीं पा रही है, तथा खुद ही बलात्कार में लिप्त पायी जा रही है वही पुलिस निर्दोषों लोगों यहां तक कि बेटियों तक की हत्या से बाज नहीं आरही है।

जारी द्वारा-

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश

 

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बुधवार, 4 मई 2022

उत्तर प्रदेश: रामराज्य जब ऐसा है तो रावण राज को कोसने का क्या मतलब

 


ललितपुर बलात्कार कांड से आक्रोशित और विचलित है आम जनता: भाकपा

बड़ा सवाल- रक्षक ही भक्षक बने हैं तो न्याय मांगने आखिर कहाँ जायें पीड़िताएं

घटना को लेकर भाकपा की झांसी मंडल की जिला इकाइयां 6 मई को जिला केन्द्रों पर ज्ञापन देंगी

लखनऊ- 4 मई 2022, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने ललितपुर बलात्कार कांड पर गहरी चिंता जताई है। पार्टी ने पीड़िता और उसके परिवार के साथ गहरी सहानुभूति जताई है। जघन्यतम घटना की कड़े से कड़े शब्दों में निन्दा करते हुये सभी दोषियों को तत्काल गिरफ्तार कर रासुका लगाने की मांग की है। साथ ही मांग की है कि सरकार प्रायश्चित के बतौर पीड़िता को रुपये एक करोड़ रुपये तत्काल हस्तांतरित करे।

यहां जारी प्रेस बयान में राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने कहा कि चंदौली में पुलिस द्वारा घर में घुस कर युवती की हत्या की खबर की स्याही सूखी भी नहीं थी कि यूपी पुलिस के इंस्पेक्टर ने बलात्कार पीड़िता से ही बलात्कार न केवल मानवता को तार तार कर दिया अपितु संपूर्ण कानून व्यवस्था की शैतानियत और पंगुता को नंगा कर दिया है। पुलिस द्वारा थाने में हुयी इस दिल दहलाने वाली घटना से विचलित जनता सवाल कर रही है कि अब प्रताड़ित महिला और बालिकाएं न्याय पाने को कहां जायें? लोग कह रहे हैं, जो रामराज्य में हो रहा है वह तो रावण राज में भी नहीं हुआ।

भाकपा ने अफसोस जताया कि जब यूपी की कानून- व्यवस्था की हालत और पुलिस ही भय पैदा कर रही है, सूबे के मुख्यमंत्री हिमालय की वादियों में मौज ले रहे हैं। बेईमानों के बगल में बैठ कर लोगों को सद- आचरण के उपदेश दे रहे हैं। भाकपा ने सवाल किया कि बाबा का बुलडोजर दुराचारी और हत्यारी पुलिस के प्रति खामोश क्यों है? भाकपा ने चेतावनी दी कि कानून व्यवस्था के हालातों में तत्काल सुधार न लाया गया सरकार को तीखी जन- कार्यवाहियों से रूबरू होना होगा। भाकपा राज्य सचिव मंडल के आह्वान पर सभी दोषियों की गिरफ्तारी, उन पर रासुका लगाने और पीड़िता को न्याय दिलाने की मांग को लेकर भाकपा की झांसी मंडल की इकाइयां 6 मई को जिला केन्द्रों पर ज्ञापन देंगी।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश

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मंगलवार, 3 मई 2022

पुलिस दबिश के दौरान युवती की हत्या प्रकरण -


बुलडोजरराज- पुलिसराज की देन है चंदौली में दबिश के दौरान युवती की हत्या

भाकपा कड़े शब्दों में भर्त्सना करती है- घटनास्थल पर भेजेगी अपना प्रतिनिधिमंडल

लखनऊ- 3 मई 2022, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के उत्तर प्रदेश राज्य सचिव मण्डल ने जनपद- चंदौली के थाना- सैयदराजा अंतर्गत मनराजपुर गांव में पुलिस दबिश के दौरान युवती की हत्या को राज्य सरकार की कार्यप्रणाली और इसके तहत प्रदेश के बुलडोजर राज- पुलिसराज में तब्दील होने का परिणाम बताया है। भाकपा ने घटना की कड़े शब्दों में निन्दा कराते हुये दोषी पुलिसजनों को जेल के सींखचों के पीछे पहुंचाने की मांग की है।

यहां जारी एक प्रैस बयान में भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने सवाल किया कि जब वांच्छित यादव युवक को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी थी तो दोबारा और उस समय दबिश देने का क्या औचित्य था, जब घर में सिर्फ दो युवतियाँ ही थीं? युवतियों के साथ गंभीर रूप से मारपीट करके पुलिस आखिर क्या हासिल करना चाहती थी? सच तो यह कि राज्य सरकार पुलिस के जरिये भय और आतंक का माहौल बनाए रखना चाहती है ताकि उसकी असफलताओं के विरूध्द लोग उठ खड़े न हों। जो पुलिस अपराधों को रोक नहीं पा रही है और सामूहिक हत्याकांडों तक के खुलासे कर नहीं पा रही है वही पुलिस निर्दोषों लोगों यहां तक कि बेटियों तक की हत्या से बाज नहीं आरही है।

भाकपा ने आरोप लगाया कि घटना के विरोध में आवाज उठाने वाले ग्रामीणजनों पर आरोप लगा कर पुलिस उनमें दहशत पैदा करना चाहती है ताकि न्याय का गला घौंटा जा सके। अतएव पुलिस के आला अधिकारी ग्रामीणों के खिलाफ एफ़आईआर दर्ज होने की बात कर रहे हैं। अतएव जरूरी है कि वहाँ के आला पुलिस अधिकारी हटाये जायें और घटना की जांच उच्च न्यायालय की देखरेख में करायी जाये। अन्याय के विरूध्द आवाज उठाने वाले ग्रामीणों को यदि फँसाने की कोशिश की गयी तो भाकपा इसका कड़ा विरोध करेगी।

भाकपा राज्य सचिव मंडल ने घटनास्थल पर पार्टी का प्रतिनिधिमंडल भेजने का निर्णय लिया है ताकि वह जमीनी स्तर पर पड़ताल कर अपनी रिपोर्ट राज्य केन्द्र को दे सके। प्रतिनिधिमंडल से पीड़ित परिवार से भेंट कर उनका दुख दर्द भी साझा करेगा। प्रतिनिधिमंडल में भाकपा राज्य काउंसिल सदस्य का॰ आरके शर्मा, आल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस के प्रांतीय सचिव का॰ अजय मुखर्जी एवं अखिल भारतीय नौजवान सभा के नेता और राबर्ट्सगंज विधान सभा क्षेत्र से भाकपा के प्रत्याशी रहे का॰ विजय शंकर यादव आदि प्रमुख रूप से रहेंगे।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश

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सोमवार, 25 अप्रैल 2022

भाकपा उत्तर प्रदेश के प्रतिनिधिमंडल ने इलाहाबाद पहुंच समूहिक हत्याकांड की पड़ताल की


 सुनियोजित लक्ष्यों पर बुलडोजर चला कर भय तो उत्पन्न किया जा सकता है, कानून का राज नहीं: डा॰ गिरीश।

लखनऊ- 25 अप्रैल 2022, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश के एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने राज्य सचिव डा॰ गिरीश के नेत्रत्व में जनपद- इलाहाबाद के थाना- थरवई अंतर्गत ग्राम- खेवराजपुर का दौरा किया जहां गत 16 अप्रैल को एक पशु व्यापारी सहित उसके परिवार के 5 व्यक्तियों की बर्बर तरीके से हत्या कर घर में आग लगा दी गयी थी।

प्रतिनिधिमंडल में डा॰ गिरीश के अतिरिक्त भाकपा राज्य कार्यकारिणी सदस्य का॰ नसीम अंसारी, भारतीय खेत मजदूर यूनियन के राज्य सचिव का॰ फूलचंद यादव, उत्तर प्रदेश बिजली कर्मचारी संघ के प्रदेश सचिव का॰ जवाहरलाल विश्वकर्मा तथा इलाहाबाद के भाकपा नेता का॰ रामफेर तिवारी आदि प्रमुख रूप से शामिल थे।

प्रतिनिधिमंडल ने वहां पहुँच कर घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया, परिवार के एकमात्र शेष सदस्य पशु व्यापारी के युवा पुत्र श्री सुनील सिंह यादव से भेंट कर उन्हें ढाढस बंधाया तथा निकट संबंधियों व ग्रामवासियों से घटना के बारे में जानकारी ली।

इलाहाबाद से यहां पहुंचने पर एक प्रेस बयान में भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने कहा कि पशु व्यापारी, उनकी पत्नी, दिव्यांग बेटी, गर्भवती बहू और एक साल की बेटी की न्रशंस हत्या और हत्या के पहले की गयी बर्बरता कानून के राज की घनघोर असफलता और राज्य सरकार के माथे पर कलंक का टीका है। भाकपा इसकी कड़े शब्दों में भर्त्सना करती है।

पुलिस और खुफिया तंत्र की इससे बड़ी विफलता क्या हो सकती है कि घटना के 9 दिन बीत जाने के बाद भी अपराधियों को पकड़ना तो दूर हत्यारों का सुराग तक नहीं लगाया जा सका है। इससे पीड़ित परिवार व्यथित, चिंतित और घबराया हुआ है। म्रत व्यापारी के पुत्र सुनील ने कहाकि मेरे परिवार के हत्यारे जल्द से जल्द पकड़े जाने चाहिए और हमें न्याय मिलना चाहिये। एक रिश्तेदार महिला ने कहाकि हम चाहते हैं कि जो हादसा हमारे साथ हुआ है वह किसी अन्य के साथ न हो। इसके लिये जरूरी है कि सभी हत्यारे जल्द से जल्द जेल के सींखचों के पीछे हों।

उपस्थित ग्रामवासियों ने बताया कि जनपद इलाहाबाद में सन 2017 से अब तक 8 परिवार खत्म कर दिये गये हैं जिनमें 34 का कत्ल हुआ है। इन हत्याओं से पहले कई में महिलाओं/ बालिकाओं से दरिंदगी तक हुयी। एक अन्य सामूहिक हत्याकांड तो अप्रैल माह में ही हुआ है। वे कहते हैं कि इन संगीन वारदातों के अपराधियों को पुलिस ने पकड़ा होता तो अपराधियों की हिम्मत एक के बाद एक हत्याकांडों को अंजाम देने की न होती। इन सामूहिक हत्याकांडों के अतिरिक्त जनपद में हर दिन एक दो हत्याएं अथवा संगीन आपराधिक वारदातें हो रहीं हैं।

इन घटनाओं से इलाहाबाद के नागरिक भयभीत हैं। अकारण सी दिखने वाली इन वारदातों ने लोगों को अंदर तक हिला दिया है। पुलिस का नाकारापन और विफलता उन्हें विचलित किए हुये है। यह कानून के राज की विफलता और राज्य सरकार की अक्षमता का प्रतीक है। जो सरकार सुनियोजित लक्ष्यों पर बुलडोजर चला कर वाहवाही और वोट बटोरती है वह प्रदेश के नागरिकों के जीवन की रक्षा करने में असमर्थ है। इलाहाबाद या किसी अन्य जगह का नाम बदलने मात्र से वहां सुशासन कायम नहीं होजाता राज्य सरकार को समझना चाहिए।

भाकपा ने मांग की है कि इस समेत समूचे हत्याकांडों का विश्वास करने योग्य खुलासा जल्द से जल्द किया जाये और अपराधियों को जेल के सींखचों के पीछे भेजा जाये। उत्तर प्रदेश पुलिस के निकम्मेपन और अहमन्यता को देखते हुये जरूरी होगया है कि जांच केंद्रीय एजेंसियों को सौंपी जाये। खेवराजपुर हत्याकांड और आगजनी से विनष्ट परिवार के वारिश सुनील यादव को अपने जीवन को पुनः पटरी पर लाने के लिये रुपये पचास लाख का आर्थिक अनुदान दिया जाये।

भाकपा ने चेतावनी दी कि प्रदेश के लोगों की जिंदगियाँ समाप्त करने के इस खेल को भाकपा मूकदर्शक बन देखती नहीं रहेगी और शीघ्र ही इसके खिलाफ सशक्त आवाज उठायी जाएगी।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश

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सोमवार, 18 अप्रैल 2022

Press Note of CPI


उत्सवों की आड़ में की जारही भड़कावे की कारगुजारियाँ पूर्व नियोजित: भाकपा

लखनऊ- 18 अप्रैल 2022, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने इस बात पर गहरी चिन्ता जताई है कि हाल के दिनों में भाजपा और संघ परिवार ने धर्म के नाम पर हिंसा का खुला खेल खेला हुआ है। पांच राज्यों के चुनावों में चार में सत्ता हथियाने के बाद यह सांप्रदायिक तांडव और अधिक भयावह रूप से सामने आया है।

भाकपा ने कहा होली के अतिरिक्त हिन्दू धार्मिक उत्सवों को लोग निजी तौर पर मनाते चले आ रहे हैं। लेकिन इस बार अचानक इन उत्सवों को भीड़ के उत्सवों में बदल दिया गया है। पूर्व नियोजित तरीके से संघ के आनुषांगिक संगठन शस्त्रों, भयावह आवाज वाले ध्वनि विस्तारकों (डीजे) और अवांच्छित नारों के साथ एक समुदाय के धर्मस्थलों के इर्द गिर्द अवांच्छित गतिविधियां कर उकसावे पैदा कर रहे हैं। परिणामस्वरूप उत्तर प्रदेश सहित तमाम जगहों पर आपसी टकराव होते होते बचे हैं तो कई जगह हिंसक झड़पें तक हुयी हैं।

इन भड़काऊ और राजनीति से प्रेरित आयोजनों में आम हिन्दू समुदाय भाग नहीं ले रहा। लेकिन बजरंग दल आदि संगठन सुनियोजित तरीके से इनमें दलित- पिछड़े वर्ग के बेरोजगारों को धर्म की घुट्टी पिला कर उद्वेलित करके ला रहे हैं और उन्हें सांप्रदायिकता के लिए ईंधन के तौर पर स्तेमाल कर रहे हैं। पुलिस प्रशासन सत्ता के दवाबों में काम कर रहा है और स्थितियों से पेशेवर तरीकों से निपटने में अक्षम पा रहा है। यह जांच का विषय है कि इन आयोजनों में व्यय किया जा रहा भारी मात्रा में धन किन स्रोतों से आ रहा है।

कमरतोड़ महंगाई, सीमाएं लांघ चुकी बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, बलात्कार और अपराधों की बाढ़ और गैर कानूनी प्रशानिक अत्याचारों से आम जन का ध्यान हटाने के उद्देश्य से भी यह सब किया जा रहा है।

शांति की बात करने वालों को शारीरिक रूप से और सोशल मीडिया के जरिये प्रताड़ित किया जा रहा है। कुछेक चेनलों और अखबारों को छोड़ कर अधिकांश मीडिया भी घटनाओं को निष्पक्ष रूप से पेश करने के बजाय समुदाय विशेष को निशाना बना रहा है। यह हालत तब है जब मीडियाकर्मियों को भी फासिस्टी दमनचक्र का निशाना बनाया जा रहा है।

भाकपा ने कहा राजनीतिक उद्देश्यों से समाज को बांटने की इन कोशिशों से सारा देश चिंतित है। देश के 13 राजनैतिक दलों ( उत्तर प्रदेश की दो बड़ी पार्टियां शामिल नहीं ) ने संयुक्त बयान जारी कर अशांति और विभाजन पैदा करने वाली गतिविधियों पर चिन्ता जताई है और आमजन से शांति बनाए रखने की अपील की है।

भाकपा के उत्तर प्रदेश राज्य सचिव मंडल ने सभी से शांति और भाईचारा बनाने की अपील की है और अपने समस्त कार्यकर्ताओं और इकाइयों से अपील की है कि वे दलितों वंचितों और कमजोरों को शिक्षित कर समरसता बनाये रखने को प्रेरित करें।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा , उत्तर प्रदेश

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रविवार, 3 अप्रैल 2022

भाकपा उत्तर प्रदेश ने प्रतापगढ़ में तहसील लिपिक की हत्या पर गहरा आक्रोश जताया


घटना की सीबीआई जांच और म्रतक परिवार को 50 लाख रु॰ की आर्थिक सहायता देने की मांग की

लखनऊ- 3 अप्रैल 2022, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने जनपद- प्रतापगढ़ की तहसील लालगंज के नकल लिपिक एवं पूर्व नाजिर सुनील कुमार शर्मा की हत्या की कड़े शब्दों में निंदा की है। भाकपा ने हत्या की जांच सीबीआई को सौंपे जाने की मांग राज्य के मुख्यमंत्री से की है।

सीबीआई जांच इसलिए जरूरी है कि इस हत्या का आरोप उसी तहसील के उप जिलाधिकारी पर लग रहा है। बताया जाता है कि उन्हें प्रतापगढ़ जनपद की राजनीति के धुरंधरों का संरक्षण प्राप्त है, ऐसे में पुलिस अथवा राज्य सरकार की एजेंसियां शायद ही निष्पक्ष जांच कर पायें।

आरोप है कि उक्त अधिकारी और उसके गुर्गों ने लिपिक को 30 मार्च की रात उसके घर के दरवाजे पर इस कदर पीटा कि उसकी हालत चिंताजनक बन गयी। उसका डाक्टरी मुआयना भी अगले दिन तब होसका जब उसने जिला प्रशासन से लिखित गुहार की। इस संबंध में मानवीय आधार पर जिला ट्रेड यूनियन काउंसिल (एटक) जनपद- प्रतापगढ़ के अध्यक्ष एवं भाकपा की राज्य काउंसिल के सदस्य कामरेड हेमन्त नन्दन ओझा ने कई कई बार अधिकारियों से मिल कर और लिखित आवेदन कर शर्मा की जान बचाये जाने की मांग की।

बताया जाता है कि चिकित्सकीय परीक्षण में गंभीर चोटों के सामने आने के बाद उक्त अधिकारी ने लिपिक को अपने कब्जे में लेलिया। इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती होने से रोका और लालगंज ट्रामा सेंटर में इसलिए बाधित रखा कि मामले का भंडाफोड़ न होजाये। हेमन्त नन्दन ओझा के प्रयास और जिला प्रशासन के हस्तक्षेप से उसे जिला अस्पताल लाया गया। लेकिन तब तक उसकी हालत को और भी बिगाड़ दिया गया था। अस्पताल में भी त्वरित और समुचित उपचार नहीं मिल पाने से अंततः 2 अप्रैल की देर शाम उसकी म्रत्यु होगयी और उसके छोटे छोटे 3 बच्चे अनाथ हो गए।

बताया जारहा है कि 31 मार्च से 2 अप्रैल के बीच उप जिलाधिकारी एवं उसके पोषित गुंडों ने श्री शर्मा से किन्हीं कागजातों/ स्टांप पेपर्स पर दस्तखत भी करा लिये हैं। रामराज्य में रक्षक ही भक्षक बन गये हैं। ऐसी क्या वजह थी कि 30 मार्च से 2 अप्रैल के बीच पूरे 72 घंटों तक एक अदने से कर्मचारी को सत्ता मद में चूर अधिकारी के रहमोकरम पर छोड़ दिया गया।

इसलिए जांच के दायरे में उप जिलाधिकारी, जिला प्रशासन और पुलिस, ट्रामा सेंटर और अस्पताल सभी आते हैं। इन अति ताकतवर लोगों की जांच राज्य से ऊपर की एजेंसी ही कर सकती है इसलिए भाकपा सीबीआई जांच की मांग कर रही है।

भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने सवाल किया कि क्या माननीय मुख्यमंत्री जी का बुलडोजर एक कर्मचारी की न्रशंस हत्या करने वालों पर भी चलेगा या फिर वह वोट बटोरने का हथकंडा ही बना रहेगा।

भाकपा ने म्रतक के अनाथ बच्चों के भरणपोषण और शिक्षा के लिये रुपए 50 लाख की सहायता प्रदान करने की मांग भी की है।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश

 

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शनिवार, 2 अप्रैल 2022

महापंडित राहुल सांक्रत्यायन एवं डा॰ भीमराव अंबेडकर के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में

 

भाकपा का “सामाजिक न्याय एवं समरसता सप्ताह”- 9 से 14 अप्रैल- 2022 के बीच।

-:विचार हेतु विषय:-  

“समाजवादी व्यवस्था के निर्माण में सामाजिक न्याय एवं समरसता की भूमिका”

(भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मण्डल ने प्रख्यात लेखक, घुमक्कड़, स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी और समाजवाद के संघर्ष के अप्रतिम योध्दा महापंडित राहुल सांक्रत्यायन के जन्मदिवस 9 अप्रेल से सामाजिक न्याय और दलित चेतना के अग्रदूत डा॰ भीमराव अंबेडकर के जन्मदिवस 14 अप्रैल के बीच सामाजिक न्याय एवं समरसता सप्ताह आयोजित करने तथा  “समाजवादी व्यवस्था के निर्माण में सामाजिक न्याय एवं समरसता की भूमिका” विषय पर विचार गोष्ठियां आयोजित करने का निश्चय किया है। प्रस्तुत आधार नोट इसी उद्देश्य से आपके उपयोग हेतु तैयार किया गया है।)

-डा॰ गिरीश।

 

हाल के वर्षों में सामाजिक न्याय के आंदोलन और सामाजिक समरसता (आपसी भाईचारे) के उद्देश्य को भारी झटके लगे हैं। सत्ता और सत्ता प्राप्ति हेतु की जाने वाली राजनीति ने दोनों मिशनों को अपनी जरूरतों के हिसाब से रौंदा है। आजादी के बाद से हमने जो कुछ हासिल किया है उसको पलटने का क्रम प्रारंभ होचुका है और अब उसे मिटाने की तैयारी है। सबकुछ ऐसे ही चलने दिया गया तो दोनों ही आन्दोलन शब्दकोश में दर्ज शब्द मात्र रह जायेंगे।

सत्ताधारियों और वोट के अखाड़ेबाजों ने सामाजिक न्याय की अवधारणा को पहले आरक्षण के दायरे में समेटने का प्रयास किया। ऐतिहासक परिप्रेक्ष्य में विभिन्न वजहों से सामाजिक सान्स्क्रतिक और आर्थिक क्षेत्रों में पिछड़ चुके लोगों के लिये आरक्षण एक संवैधानिक उपचार है, मगर वह सामाजिक न्याय की जगह नहीं ले सकता।

पूंजीवादी राजनीति के खिलाड़ियों ने सामाजिक न्याय को सोशल इंजीनियरिंग के नाम पर जातीय गोलबंदी  में बदल दिया है। कांग्रेस शुरू से ही लुक छिप कर यह खेल खेलती रही और निर्वाचन क्षेत्रों में बहुसंख्य जातियों से जुड़े उम्मीदवार उतारती रही। सुविधाजनक तरीके से कांग्रेस को मैदान से हटाने का पहला प्रयोग राम मनोहर लोहिया ने किया और पिछड़े पावें सौ में साठ का नारा दिया। वहीं चौधरी चरण सिंह ने कांग्रेस से अलग होकर अजगर- (अहीर, जाट, गूजर और राजपूत) का जातीय गठबंधन खड़ा कर सत्ता हासिल की तो माननीय कांशीराम जी ने एक कदम और आगे बढ़ कर जिसकी जितनी संख्या भारी, उतनी उसकी साझेदारी, का नारा देकर जातीय गोलबंदी का नया प्रयोग किया। दक्षिणी राज्यों में कुछ भिन्न तरीकों से ये प्रयोग होते रहे हैं।

ऐसे ही कुछ प्रयोगों से सत्तारूढ़ हुयी क्षेत्रीय पार्टियों को केवल सांप्रदायिक विभाजन के बल पर सत्ता से हटाने में विफल रही भारतीय जनता पार्टी ने उपर्युक्त सभी प्रयोगों का काकटेल बना डाला और उसको नाम दिया- सोशल इंजीनियरिंग। चुनाव क्षेत्रों में अधिक वोट बैंक वाली जातियों को टिकिट देकर अपने आधार वोट बैंक के सहारे जीत हासिल कर सत्ता हड़पने का प्रयोग ही भाजपा की सोशल इंजीनियरिंग है। क्षेत्रीय पार्टियां भी अपने अपने तरीकों से यह प्रयोग करती रही हैं। सोशल इंजीनियरिंग के इस प्रयोग ने सामाजिक न्याय के उद्देश्य को बहुत पीछे धकेल दिया है।

वास्तव में सामाजिक न्याय मानव समाज के विकास की वह मंजिल है जिसमें पर्याप्त और संतुलित भोजन, जरूरी आवश्यकताओं से युक्त स्वच्छ और हवादार आवास, प्राथमिक से लेकर विशिष्ट उपचार की सस्ती और सुलभ चिकित्साप्रणाली, सभी को समान और शुल्क रहित संपूर्ण शिक्षा, सुलभ और व्यापक परिवहन, जान और सम्मान की रक्षक शासन प्रणाली एवं न्याय प्रणाली तक प्रत्येक  नागरिक की पहुंच हो। इन सबको हासिल करने को संरक्षित और समुचित आय देने वाला रोजगार जरूरी है, अतएव सभी को रोजगार सामाजिक न्याय की पूर्व शर्त है।

लेकिन आज सबकुछ इसके ठीक उलट होरहा है। रोजगार के अवसर और रोजगार दोनों ही घट रहे हैं। सरकार की नीतियाँ मुट्ठी भर कार्पोरेटों को लाभ पहुंचाने वाली और शेष को कंगाल बनाने वाली हैं। इससे गरीबों और अमीरों के बीच की खाई निरंतर गहरी होरही है। तमाम अध्ययन इस तथ्य की पुष्टि करते हैं। गत बजट के समय फरबरी माह में आये प्राइस सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि 2015- 16 की तुलना में 2020- 21 में सबसे गरीब 20 फीसदी आबादी की आमदनी 50 फीसदी तक गिर गयी, जबकि इसी दौरान सबसे धनाढ्य 20 फीसदी आबादी की आमदनी में 30 फीसदी का इजाफा हुआ। यह अनेक आंकड़ों में से एक आंकड़ा है। और ऐसे तमाम घटनाक्रम सामाजिक न्याय के लक्ष्य को हासिल करने में बड़ी बाधा हैं।

गरीबों को मुफ्त राशन, किसान सम्मान निधि या ऐसे अन्य प्रोत्साहन पैकेज सामाजिक न्याय का पर्याय नहीं हो सकते। अपितु उनको सरकार द्वारा बार बार आगे बढ़ाया जाना गरीबी और तंगहाली के न केवल बने रहने अपितु उनके पैर पसारने के प्रमाण हैं। दूसरी ओर ये शासक दलों के लिये सत्ता प्राप्ति के हथकंडे भी हैं।

सामाजिक न्याय की भांति ही सामाजिक समरसता(भाईचारे) की अवधारणा को रौंदा जाता रहा है। आपसी एकता और भाईचारा ही वह मंत्र है जिसकी बुनियाद पर भविष्य की तरक्की के स्तंभ खड़े होते हैं। लेकिन अंग्रेजों की बांटो और राज करो की नीति को परवान चढ़ाने को उनके भारतीय पिट्ठूओं ने हिन्दू- मुस्लिम विभाजन गहरा करने को हिन्दू महासभा और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की स्थापना की। इसका उद्देश्य महात्मा गांधी के साम्राज्यवादविरोधी आंदोलन और कम्युनिस्टों के साम्राज्यवादविरोधी और मेहनतकशों का राज कायम करने के ध्येय की राह में रोड़े अटकाना था।  आजाद भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाए जाने की इनकी मांग की प्रतिक्रियास्वरूप अलग मुस्लिम राष्ट्र की मुस्लिम लीग की मांग ने अंततः विभाजन को जन्म दिया। यह विभाजन हिन्दू कट्टरपंथियों के लिए आजाद भारत में अपनी विभाजनकारी कारगुजारियों को आगे बढ़ाने का सुगठित आधार बना।

संघी कट्टरपंथियों द्वारा की गयी गांधीजी की हत्या ने कुछ समय के लिए संप्रदायवादियों के रथ के पहिये थाम दिये थे। लेकिन बाद में उनके द्वारा उठाए गए अनेकानेक मुद्दों से सांप्रदायिक विभाजन तीव्र हुआ और देश अनेकों हिंसक सांप्रदायिक दंगों से रूबरू हुआ। गत शताब्दी के आखिरी तीन दशकों में अयोध्या, मथुरा, काशी, कश्मीर और कामन सिविल कोड जैसे मुद्दों ने सामाजिक विभाजन का जो तूफान खड़ा किया उससे भाजपा न केवल तमाम राज्यों और केन्द्र की सत्ता तक पहुंची अपितु वह दुनियाँ की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करने लगी। अब यह विभाजनकारी एजेंडा शासन- सत्ता के जरिये  भी आगे बढ़ाया जारहा है। आज संप्रदायवाद फ़ासिज़्म की दूसरी मंजिल पाने को अंगड़ाई ले रहा है।

सांप्रदायिकता सामाजिक विभाजन का औज़ार तो है ही यह शोषक शक्तियों के खिलाफ शोषितों की एकता को खंडित करती है। कारपोरेट्स और पूंजीपतियों द्वारा मजदूर- किसानों के वर्गीय संघर्षों को बाँट कर उन्हें कमजोर करने का का काम करती है। आमजन की चेतना से महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और अत्याचार आदि को हठा कर उसके स्थान पर खतरनाक उद्देश्यों वाली हिन्दुत्व, इस्लामिक अथवा धर्म की आड़ में पनपने वाली अन्य चेतनाओं को बैठाती है। सर्वधर्म समभाव के भाव को कमजोर कर एक धर्म के अनुयायियों में दूसरे धर्म के अनुयायियों के प्रति नफरत के बीज बोती है। एक धर्म के अनुयाइयों को दूसरे धर्म के अनुयाइयों से श्रेष्ठ साबित कर वह कथित श्रेष्ठवर्ग को अश्रेष्ठ पर दमन और शासन करने को उकसाती है। अंततः सर्वहारा के उदार मूल्यों वाले अंतर्राष्ट्रीयतावाद को अपदस्थ कर बहुमत समुदाय के संकीर्ण राष्ट्रवाद को पनपाती है।

विभाजन की यह राजनीति जरूरी नहीं कि हमेशा बड़े मुद्दों पर ही परवान चढ़े। छोटे मोटे मुद्दे उठा कर इसकी निरंतरता को बरकरार रखा जाता है। हाल के दिनों में ऐसे कई प्रयोग हुये हैं। तीन तलाक, लव जेहाद और हिजाब विवाद उसी श्रेणी में आते हैं। अभी बहुत दिन नहीं हुये जब कर्नाटक के उडुपी जिले में आयोजित सालाना कौप मरीगुड़ी उत्सव में गैर हिन्दू वैंडरों को मंदिर परिसर के आसपास कारोबार न करने देने की मांग उठी थी जो अब कई जिलों तक फैल गयी है। इसी बीच केरल से खबर आयी कि कन्नूर जिले के कुछ मंदिरों के प्रबंधतन्त्र ने विख्यात पूराक्कली- मराथुकली कलाकार विनोद पणिकर की मन्दिर समारोहों में कला- प्रस्तुति पर कथित तौर पर रोक लगा दी है। बताया जाता है कि पणिकर के बेटे ने मुस्लिम लड़की से शादी की है, इसीलिए उन पर यह रोक लगाई गयी है। उत्तर प्रदेश में तो जीवित अथवा म्रत पशुधन को व्यापारिक उद्देश्यों से ले जारहे मुस्लिम व्यापारियों को आए दिन हिंसक हमलों का शिकार बनना पड़ता है। गत वर्षों में इसी तरह की उन्मादी भीड़ के हमलों में पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध सिंह की न्रशंस हत्या हो चुकी है।

इस बीच झटका मीट और नवरात्र के दिनों में मीट का कारोबार रोकने के मसले अल्पसंख्यकों के विभाजन की राजनीति को हवा देने और अल्पसंख्यकों के व्यापार पर चोट करने की गरज से संघ परिवार द्वारा उठाए जा रहे हैं। लेकिन यह कट्टरता दूसरी ओर भी दिखाई देती है। रमजान के दिनों में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) परिसर के आसपास के बाज़ारों के दिन में खुलने पर रोक लगा दी जाती है। इससे अल्पसंख्यकों- बहुसंख्यकों का व्यापार तो प्रभावित होता ही है, गैर रोजेदार दिन में दाने दाने को तरस जाते हैं। यदि यह अलीगढ़ में होता है तो अन्य कई जगह होता ही होगा।

दरअसल, हमारे सामाजिक जीवन में विद्वेष की राजनीति की घुसपैठ लगातार बढ़ती जारही है और इसके कारण कई तरह की विसंगतियां देखने को मिल रही हैं। अब तक तो उत्तर भारतीय राज्यों में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण या जातीय गोलबंदी के कारण अनेक समस्याएं पैदा होती रही हैं और यह उनके पिछड़ेपन की बड़ी वजह भी हैं। लेकिन संघ की वैचारिक विस्तार की कारगुजारियों के चलते इस तरह की प्रव्रत्तियाँ अब केरल जैसे राज्य में भी बढ़ने लगी हैं, जहां तरक्कीपसंद ताक़तें पर्याप्त दमदार हैं।

इसमें दो राय नहीं कि दक्षिण के राज्यों में उत्तर के मुक़ाबले सामाजिक समावेशीकरण कहीं बेहतर हुआ है और इन्हें उसका फायदा भी खूब मिला है। यह भी एक सुस्थापित तथ्य है कि कलहप्रिय समाज कभी तरक्की नहीं कर सकता। अतएव राज्य और केन्द्र सरकारों का दायित्व यह है कि वे सामाजिक तानेबाने को बिगाड़ने की कोशिशों से सख्ती से निपटें। परन्तु ठीक इसके विपरीत होरहा है। आज तो भाजपा की केन्द्र और राज्य सरकारें और समूचा संघ परिवार स्वयं ही सामाजिक तानेबाने को तहस नहस करने में जुटा है। जनजाग्रति और जनता के जीवन से जुड़े सवालों पर आंदोलन ही इसकी काट हो सकते हैं।

भारत के सामने गरीबी, बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, पेयजल और पर्यावरण के मोर्चे पर पहले से गंभीर चुनौतियां मौजूद हैं। महामारी ने उन्हें और विकराल बना दिया है। जिनसे निपटना राज्यतंत्र की प्राथमिकता होनी चाहिये और राजनैतिक दलों की भी।   

अतएव सांप्रदायिकता का निषेध समरसता है- आपसी भाईचारा है। इसे हासिल करके ही हम देश और जनता को प्रगति के रास्ते पर ले जा सकते हैं। समरसता के वातावरण में ही सामाजिक न्याय का संघर्ष आगे बढ़ सकता है। और समाजवाद के लक्ष्य को तभी हासिल किया जा सकता है जब समरसता और सामाजिक न्याय का रथ आगे बड़े। श्रमिकों, किसानों और मेहनतकशों के अन्य हिस्सों द्वारा किए जा रहे सतत संघर्ष इस लक्ष्य तक पहुँचने में मददगार हो सकते हैं।

डा॰ भीमराव अंबेडकर और महापंडित राहुल सांक्रत्यायन दोनों ही महापुरुषों ने अपने अपने ढंग से सामाजिक न्याय और समरसता की जरूरत पर बल दिया है। अतएव उनके कार्यों, विचारों एवं योगदान की अलग से चर्चा की जानी चाहिए।  

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश    

  

 

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सोमवार, 28 मार्च 2022

भाकपा, उत्तर प्रदेश की राज्य काउंसिल की दो दिवसीय बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गये


भाजपा सरकार के जनविरोधी कार्यों और कुटिल चालों के खिलाफ अभियान जारी रखेगी भाकपा

लखनऊ- 28 मार्च, 2022- यहां संपन्न भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राज्य काउंसिल की दो दिवसीय बैठक में अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय एवं उत्तर प्रदेश की मौजूदा राजनैतिक, आर्थिक एवं सामाजिक स्थितियों पर चर्चा हुयी, उत्तर प्रदेश विधान सभा के चुनाव परिणामों की गहन समीक्षा की गयी और निकट भविष्य के सांगठानिक एवं सामाजिक अभियानों की रूपरेखा तैयार की गयी।

भाकपा राज्य काउंसिल का निष्कर्ष है कि चुनाव परिणामों के आने के बाद से सत्ता, सत्ताधारियों और उनके संरक्षित प्रभुत्व वर्ग ने आम जन और कमजोर तबकों पर तीखे हमले बोल दिये हैं; और आगामी दिनों में ये हमले और तेज हो सकते हैं। यह भी नोटिस लिया गया कि सरकार ने गरीबों के लिये मुफ्त खाद्यान्न देने की योजना को आगे बढ़ा कर यह मान लिया है कि वह अपने शासन के सात साल में गरीबों को गरीबी से उबारने में असमर्थ रही है और आगे भी गरीबी हटाने के लिये उसके पास कोई ठोस नीति या कार्यक्रम नहीं है। स्पष्ट है कि गरीबी हटाने के बजाय वह इस खैरात के जरिये गरीबों को अपना वोट बैंक बनाए रखना चाहती है। भाजपा सरकार के जन विरोधी क्रत्यों और कुटिल चालों को उजागर करते हुये भाकपा अपना अभियान जारी रखेगी।

उत्तर प्रदेश चुनाव परिणामों के बारे में भाकपा का मत है कि विपक्ष के विखराब, भाजपा को ज्वलंत मुद्दों पर घेरने के बजाय जातीय और सांप्रदायिक गोलबंदी आधारित उसका चुनाव अभियान, किसान आंदोलन की ताकतों खास कर वामपंथी ताकतों को भाजपा विरोधी गोलबंदी से बाहर रखना तथा विपक्षी नेत्रत्व की भयग्रस्तता और बोनापन आदि के चलते जनता की तमाम नाराजगी के बावजूद भाजपा गठबंधन परिपूर्ण बहुमत हासिल करने में कामयाब रहा। सत्ताबल, धनबल और माफियातन्त्र का भी भाजपा ने भरपूर दोहन किया। दो गठबंधनों के बीच हुये तीव्र ध्रुवीकरण से दोनों गठबंधनों को तो लाभ मिला, लेकिन बहुमत जनता जो भाजपा को हराना चाहती थी, अपने को ठगा हुआ महसूस कर रही है।

भाकपा ने धन के अभाव के बावजूद पूरे मनोबल के साथ 35 सीटों पर चुनाव लड़ा, और हर स्तर पर भाजपा की नीतियों और कारनामों का पर्दाफाश किया। आगे भी भाकपा मुद्दों पर आधारित आंदोलन और संघर्षों के बल पर अपना चुनावी अभियान जारी रखेगी और आगामी नगर निकाय चुनावों में व्यापक तौर पर साथ देगी।

भाकपा राज्य काउंसिल ने महापंडित राहुल सांक्रत्यायनके जन्मदिन 9 अप्रेल और डा॰ भीमराव अंबेडकर के जन्मदिवस 14 अप्रेल को व्यापक पैमाने पर मनाने का निश्चय किया है और 9 अप्रेल से 14 अप्रेल के बीच “सामाजिक न्याय की गारंटी समाजवादी व्यवस्था में ही संभव” विषय पर विचार गोष्ठियाँ, सभाएं एवं समारोह आयोजित किए जाएँगे।

अपने सांगठानिक ढांचे को नीचे से शुरू कर ऊपर तक चुस्त दुरुस्त और व्यापक बनाने को भाकपा आगामी माहों में ब्रांचों से लेकर जिलों के सम्मेलन आयोजित करेगी। उसके बाद सितंबर माह में राज्य सम्मेलन आयोजित किया जायेगा। विधान सभा चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों और युवा कार्यकर्ताओं के लिये एक प्रशिक्षण शिविर भी शीघ्र लगाया जाएगा।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा,  उत्तर प्रदेश

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रविवार, 9 जनवरी 2022

किसानों को राहत


बेमौसम बारिश और ओलों से हुयी फसल हानि की भरपाई करायी जाये: भाकपा
लखनऊ- 9 जनबरी 2022, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव मण्डल ने कहाकि बेमौसम की बारिश और ओलों से उत्तर प्रदेश में फसलों को भारी क्षति पहुंची है और पहले से ही विपन्न आर्थिक हालातों से जूझ रहे किसान देवालियापन के कगार पर आ खड़े हुये हैं। चुनावी शोर में किसानों की हानि राजनीति की आँखों से ओझल हो गयी है।
यहाँ जारी एक प्रेस बयान में भाकपा राज्य सचिव मण्डल ने कहाकि यूं तो बेमौसम बारिश का असर समूचे उत्तर प्रदेश में है लेकिन बुंदेलखंड और प्रदेश के कुछ अन्य भागों में हुयी भारी ओलाव्रष्टि ने किसानों को तवाह करके रख दिया है। इस हानि की भरपाई जरूरी है।
भाकपा ने निर्वाचन आयोग से मांग की कि वह गैर राजनेतिक संस्थाओं के जरिये किसानों की हानि की भरपाई कराने की व्यवस्था करे ताकि पीड़ित किसानों के दुखों को कम किया जा  सके।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश
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शुक्रवार, 7 जनवरी 2022

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022

#भाकपा ( सीपीआई ) नेताओं की विपक्षी नेता से भेंट संबंधी मीडिया खबरों पर भाकपा ने खंडन जारी किया
#उत्तर प्रदेश में भाकपा प्रत्याशियों की पहली सूची शीघ्र।

लखनऊ- 7 जनबरी 2022, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ( CPI ) के उत्तर प्रदेश राज्य सचिव मंडल ने मीडिया के कतिपय हिस्सों में प्रकाशित उस खबर का खंडन किया है जिसमें कहा गया है कि भाकपा ( CPI ) के केन्द्रीय और राज्य के नेताओं ने एक दल के नेता से भेंट की और उनसे कहाकि उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में उस नेता विशेष के नेत्रत्व में ही लोकतन्त्र सशक्त रह सकता है और वे ( नेता विशेष ) और उनकी सोच ही सांप्रदायिक और अधिनायकशाही ताकतों को ध्वस्त कर सकती है।
यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा ( सीपीआई ) राज्य सचिव मंडल ने कहाकि मीडिया ने जिस रूप में यह खबर प्रकाशित की है उससे भाकपा की कतारों, उसके शुभचिंतकों और अन्य राजनैतिक हल्कों में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हुयी है, अतएव भाकपा स्पष्ट करना चाहती है कि उसके किसी केन्द्रीय अथवा राज्य के नेता ने इस दरम्यान उत्तर प्रदेश के चुनावों को लेकर किसी गैर- वामपंथी दल के नेता से कोई भेंट नहीं की है। फिर उत्तर प्रदेश के चुनावी परिद्रश्य पर चर्चा और किसीको सर्टिफिकेट थमाने का प्रश्न कहां उठता है?
उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनावों संबंधी रणनीति के बारे में भाकपा राज्य सचिव मंडल ने कहाकि वह बार बार कहता रहा है कि घोर जनविरोधी, अलोकतांत्रिक, सांप्रदायिक और फासीवाद की ओर बढ़ रही भाजपा और उसके नेत्रत्व में चल रहे एनडीए को उत्तर प्रदेश में शिकस्त देना बेहद जरूरी है। परन्तु यह कठिन लक्ष्य किसानों कामगारों और शोषित पीड़ित जनता के जीवन को संकट में डालने वाले मुद्दों पर सोद्देश्य आंदोलनों तथा वामपंथी, धर्मनिरपेक्ष एवं लोकतान्त्रिक शक्तियों की व्यापक और कार्यक्रम आधारित एकता से ही हासिल किया जा सकता है। 
यद्यपि ऐसी एकता स्वरूप ग्रहण नहीं कर पायी है, फिर भी भाकपा ऐसी एकता के लिए निरंतर प्रयास करती रही है और करती रहेगी, भाकपा राज्य सचिव मंडल ने ज़ोर देकर कहा है। 
गत दिन लखनऊ में संपन्न भाकपा राज्य कार्यकारिणी बैठक में उत्तर प्रदेश में समान विचारधारा वाले दलों के साथ मिल कर लगभग 60 विधान सभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने का फैसला लिया गया है।
इन दलों से बात कर भाकपा प्रत्याशियों की पहली सूची शीघ्र जारी की जायेगी।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश
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