फ़ॉलोअर
बुधवार, 19 अप्रैल 2017
at 1:01 pm | 0 comments |
CPI on Babari Issue
बाबरी विध्वंस मामले पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का भाकपा ने स्वागत किया
कल्याण सिंह और उमा भारती को न्याय हित में पदों से हठाने की मांग की
लखनऊ- 19 अप्रेल 2017, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव मंडल ने बाबरी विध्वंस मामले पर आज सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत किया है. भाकपा ने उन भाजपा नेताओं से सार्वजनिक पद छोड़ने की मांग की है जो इस केस में संलिप्त हैं.
यहाँ जारी एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले से 25 साल पुराने इस केस में दोषियों को सजा मिलने की उम्मीद जगी है जो उच्च न्यायालय इलाहाबाद के विगत फैसले के चलते धूमिल होगयी थी. यह और भी स्वागत योग्य है कि सर्वोच्च न्ययालय ने मामले की सुनवायी दो साल के भीतर पूरा कर लेने का निर्देश उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ को दिया है.
भाकपा राज्य सचिव मंडल ने कहा है कि इस मामले में न्याय मिलने में पहले ही बहुत देर होचुकी है और इसमें अब और देर नहीं होनी चाहिये. अतएव इस मामले में लिप्त उन व्यक्तियों को जो संवैधानिक पदों पर बैठे हैं न्याय के हित में और नैतिकता के तहत अपने पदों से तुरंत त्यागपत्र देकर अभियोग का सामना करना चाहिये.
अपराधिक साजिश में लिप्त किसी भी व्यक्ति का वैसे भी किसी संवैधानिक पद पर बने रहना राष्ट्रहित में नहीं है. श्री कल्यान सिंह ने तो इस अपराध को स्वयं स्वीकार किया था और घटना के अगले दिन 7 दिसंबर 1992 को भीड़ के साथ अयोध्या पहुंच कर नारे लगाये थे- “जो कहा सो किया” और “रामलला हम आयेंगे, मंदिर यहीं बनायेंगे” आदि. उन्होने मुख्यमंत्री जैसे संवैधानिक पद पर रहते हुये विवादित ढांचे की रक्षा करने के सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश और ढांचे की रक्षा करने को राष्ट्रीय एकता परिषद में स्वयं द्वारा दिये गये आश्वासन का उल्लंघन किया था. इसके लिये सर्वोच्च न्यायलय ने उन्हें एक दिन की सजा भी दी थी.
ढांचा गिरते ही सुश्री उमा भारती खुशी के मारे उछल कर श्री आडवानी की पीठ पर चढ गयीं थीं और श्री मुरली मनोहर जोशी तालियां बजा रहे थे. देश का दुर्भाग्य है कि देश के संविधान और उसकी एकता अखंडता को तार तार करने के इरादे रखने वाले लोग आज सता पर काबिज हैं.
प्रधानमंत्री श्री मोदी और भाजपा अध्यक्ष श्री अमित शाह बार बार यह दुहराते रहे हैं कि भाजपा औरों से अलग पार्टी है, एक चरित्रवान और नैतिकता से ओत प्रोत पार्टी है. आज उनके सामने इन दाबों को साबित करने की चुनौती है. अतएव उन्हें चाहिये कि श्री कल्याण सिंह और सुश्री उमा भारती को पदों से मुक्त करने को ठोस कदम उठायें ताकि उनका ससमय और सभी के साथ ट्रायल हो सके; भाकपा ने मांग की है.
डा. गिरीश
»» read more
शनिवार, 15 अप्रैल 2017
at 6:44 pm | 0 comments |
CPI on Rail accident
रामपुर रेल हादसे पर भाकपा ने चिंता जताई
मोदी से रेल मंत्री को तत्काल हठाने की मांग की
लखनऊ- 15 अप्रेल 2017, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने आज उत्तर प्रदेश के रामपुर में राज्यरानी एक्सप्रेस के दुर्घटनाग्रस्त होने पर गहरी चिंता व्यक्त की है. पार्टी ने संतोष जताया कि इत्तफाक ही है कि सात बोगियों के पूरी तरह क्षतिग्रस्त होजाने के बाद भी इस दुर्घटना में अधिक जन हानि नहीं हुयी. सरकार को सभी घायलों के इलाज की समुचित व्यवस्था करनी चाहिये.
भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि मोदी जी के शपथ ग्रहण वाले दिन से लेकर आज तक देश में दर्जनों बड़ी रेल दुर्घटनायें होचुकी हैं, जिनमें भारी जन धन की हानि हुयी है. पर आज तक केंद्र सरकार ने इस दिशा में कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया है. दुर्घटना के बाद एक जांच बैठा दी जाती है, मंत्रियों- अफसरों के दौरे होजाते हैं, घटना पर दुख जता दिया जाता है, मुआबजे की घोषणा कर दी जाती है और केंद्र सरकार के नकारापन से ध्यान हठाने को इसमें आतंकवादियों का हाथ होना बता दिया जाता है. मान भी लिया जाये कि ये आतंकवादियों की करतूतें हैं, तो भी तो उसके लिये सरकार ही जिम्मेदार है.
मोदी के राज्य में रेलें यमराज की बहिनें बन गयीं हैं. तरह तरह से लोगों की जेब पर डाका डालने के बावजूद न तो सुरक्षा के इंतजाम किये जारहे हैं और न सुविधायें प्रदान की जारही हैं. अब तीन घंटे में रिपोर्ट देने का शिगूफा छोड़ा गया है. इससे यात्रियों का क्या लाभ होगा जो रेल में यात्रा कर जान गंवाने को अभिशप्त हैं.
डा. गिरीश ने कहाकि भाजपा जब विपक्ष में हुआ करती थी तो छोटी छोटी रेल दुर्घटनाओं पर रेल मंत्री के स्तीफे की मांग उठाया करती थी. लेकिन साढ़े तीन साल में सैकड़ों लोगों की जान चले जाने और सार्वजनिक संपत्ति के भारी नुकसान के बावजूद आज तक मोदी सरकार ने अपने रेल मंत्री से स्तीफा नहीं मांगा. अब पानी सिर से ऊपर जारहा है, अतएव भाकपा मोदी जी से मांग करती है कि रेल मंत्रीको तत्काल प्रभाव से हठाया जाये.
डा. गिरीश
»» read more
गुरुवार, 13 अप्रैल 2017
at 6:12 pm | 0 comments |
CPI on Local Body elections
बैलट से ही कराये जायें निकाय चुनाव: भाकपा
लखनऊ- 13 अप्रेल 2017, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने मांग की है कि आगामी जुलाई से होने वाले निकाय चुनावों को मत पत्रों से ही कराया जाये.
यहाँ जारी एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग ने आज यह स्वीकार किया है कि निकाय चुनाव की ईवीएम मशीनें छह साल पुरानी हैं और वे उपयोग के योग्य नहीं रहीं. आयोग ने इस बात की संभावना भी व्यक्त की है कि आगामी निकाय निर्वाचन मत पत्रों के जरिये भी हो सकता है. यह संभावना स्वागत योग्य है.
डा. गिरीश ने कहा कि संपूर्ण विपक्ष द्वारा गत विधान सभा चुनावों में ईवीएम के ऊपर संदेह जताया जारहा है और विपक्षी दलों ने इस प्रकरण को केंद्रीय निर्वाचन आयोग और महामहिम राष्ट्रपति के समक्ष भी उठाया है. इसके प्रयोग के विरुध्द याचिकायें भी दायर की गयीं हैं. ऐसे में निकाय चुनावों में ईवीएम के प्रयोग का कोई औचित्य दिखाई नहीं देता.
डा. गिरीश
»» read more
at 5:16 pm | 0 comments |
Jaliyaanvaalaa baag
हमेशा प्रासंगिक रहेगा जलियांवाले बाग कांड में हुआ बलिदान
कई घटनायें कालजयी होती हैं. खास काल और खास परिस्थितियों में हुयी ये घटनायें हमें वर्तमान काल और खास परिस्थितियों का मूल्यांकन करने और नई राह तलाशने में मदद करती हैं. जलियांवाला बाग कांड भी ऐसी ही घटनाओं में से एक है. आजादी के आंदोलन में भी इसका विशिष्ट अर्थ था तो आज भी इसका खास मतलब है. यही वजह है कि दो वर्ष बाद सौ वर्ष पूरे करने जारहे इस जघन्य हत्याकांड की यादें आज भी आम हिंदुस्तानी के मन- मस्तिष्क को झकझोर देती हैं. इस घटना ने हमारे इतिहास की समूची धारा को पूरी तरह बदल दिया था. यही वजह है कि आज भी पूरे देश में इस घटना को याद किया जाता है.
13 अप्रेल 1919 को हुये इस जघन्य हत्या कांड का कारण ब्रिटिश हुकूमत द्वारा लाया जारहा वह काला कानून था जिसे रोलट एक्ट के नाम से जाना जाता है. यह कानून आजादी के लिये चल रहे आंदोलन को कुचलने की मंशा से लाया गया था. इस कानून के जरिये अंग्रेजी हुकूमत ने और अधिक अधिकार हड़प लिये थे जिनके तहत वह प्रेस पर सेंसरशिप लगा सकती थी, बिना मुकदमे के नेताओं को जेल में रख सकती थी, लोगों को बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती थी तथा उन पर विशेष ट्रिब्यूनलों में और बंद कमरों में बिना जवाबदेही दिये मुकदमे चला सकती थी आदि.
आज न देश पर कोई विदेशी ताकत शासन कर रही है न कोई रोलट एक्ट सामने है. पर देश और समाज को झकझोरने वाले घटनाक्रम आज भी हमारा पीछा नहीं छोड़ रहे. भारतीय प्रेस उस समय आजादी के आंदोलन की पक्षधर ताकतों के हाथ में था. वह उपनिवेशी शासन को उखाड़ फैंकने को तत्पर ताकतों की आवाज हुआ करता था. लुटेरी, जनविरोधी और तानाशाह ताकतें जितनी बंदूक की आवाज से नहीं डरतीं जितना कि मुट्ठी तान के खड़े होजाने वाले लुटे- पिटे लोगों की संगठित आवाज से डरती हैं. रोलट एक्ट उसी आवाज को दबाने के लिये प्रेस सेंसरशिप लादने व अन्य दूसरे कदम उठाने को लाया गया था.
पर आज हमारे प्रेस और मीडिया का बड़ा भाग लुटी पिटी ताकतों के साथ नही, लुटेरी, जनविरोधी और फासिस्ट इरादों वाली ताकतों के साथ खड़ा है. बिना रोलेट एक्ट के ही किसी को भी देशद्रोही करार देकर जेलों में ठूंसने, भीड़ बना कर किसी को भी झूठा अभियोग लगा कर मार डालने, शासन और संगठित निजी सेनाओं के जरिये युवाओं छात्रों दलितों अल्पसंख्यकों महिलाओं/ युवतियों और प्रतिरोध की आवाज बुलंद करने वाले नेताओं समाज सेवियों बुध्दिजीवियों और मीडियाकर्मियों को प्रताड़ित करने उनकी हत्या करने और उन्हें भयभीत करने का कारोबार बढ़े पैमाने पर चल रहा है.
जनविरोधी रोलट एक्ट के विरोधस्वरुप पूरा देश उठ खड़ा हुआ और लोगों ने जगह जगह गिरफ्तारियां दीं. हुकूमत ने आंदोलन को कुचलने के लिये दमन का रास्ता अपनाया. पंजाब के दो लोकप्रिय नेताओं डा. सत्यपाल और सैफुद्दीन किचलू को अमृतसर मे बिना किसी वजह के गिरफ्तार कर लिया गया. इसके विरोध में एक बड़ा जुलूस निकला. पुलिस ने शांतिपूर्ण जुलूस को रोका और अंतत: भीड़ पर गोलियां चला दीं. दो लोग मारे गये. इससे पूरे पंजाब में उबाल आजाना स्वाभाविक था. इतिहास एक नया मोड़ लेने की दहलीज पर था.
नेताओं की गिरफ्तारी और इस गोली कांड के विरोध में बैसाखी के दिन 13 अप्रेल 1919 की शाम को अमृतसर के जलियांवाला बाग में एक सभा का आयोजन किया गया. यद्यपि शहर में कर्फ्यू था फिर भी 10- 15 हजार के लगभग लोग बाग में जमा हुये. लोगों को सबक सिखाने के लिये बाग के एकमात्र दरबाजे पर पर पोजीशन लेकर ब्रिगेडियर जनरल रेजीनल्ड डायर ने बिना किसी चेतावनी के गोली चलवा दी. 1,650 राउंड गोलियां चलीं. जान बचाने के लिये तमाम लोग बाग में मौजूद कुयें में कूद गये. एक हजार से ज्यादा स्त्री पुरुष बच्चे बूढ़े जवान शहीद हुये और सैकड़ों की तादाद में घायल हुये.
कई बार दमनचक्र उलट परिणाम देता है और दमन के खिलाफ जंग के लिये उत्प्रेरक का काम करता है, यह शासक वर्ग और शासक तबके भूल जाते हैं. जलियांवाला बाग कांड ने देश के लोगों को झकझोर के रख दिया और वे आज़ादी की लड़ाई में और ताकत से जुटने लगे. पंजाब पूरी तरह स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़ा. गांधी जी ने 1920 में असहयोग आंदोलन शुरू कर दिया जो 1922 आते आते एक ब्रिटिश विरोधी सशस्त्र संघर्ष में बदल गया था. इसी कांड में घायल एक युवक ऊधमसिंह ने अंग्रेजों से इसका बदला लेने की शपथ ली और इस घटना के इक्कीस साल बाद 13 मार्च 1940 को लंदन के कैक्सटन हाल में जनरल डायर को पिस्तौल की गोलियों से भून डाला. भगत सिंह और उन जैसे तमाम युवाओं ने इस घटना से उद्वेलित होकर देश की गुलामी की जंजीरों को तोड़ने के लिये अपने जीवन को बलिदान करने का सुदृढ- संकल्प लिया.
हम सब आज जलियांवाला बाग काण्ड के शहीदों को याद करते हुये मौजूदा शासक वर्ग और शासकों से सवाल करें कि इस इतिहास में उनके लिये कोई सबक छिपा है क्या?
डा. गिरीश
»» read more
सोमवार, 10 अप्रैल 2017
at 5:24 pm | 0 comments |
Press Communique of CPI, U.P.
भाजपा की फासीवादी नीतियों के खिलाफ एकजुट हों धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक एवं वामपंथी ताकतें : भाकपा
लखनऊ- 10 अप्रेल 2017, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की उत्तर प्रदेश राज्य काउंसिल ने प्रदेश में होने वाले नगर निकाय चुनावों में बढ़े पैमाने पर उतरने का फैसला किया है. नगर निकायों के माध्यम से जनता की सेवा को प्रतिबध्द भाकपा इन चुनावों में वामपंथी दलों के साथ मिल कर उतरेगी.
उपर्युक्त सहित अन्य कई निर्णय यहां संपन्न भाकपा की दो दिवसीय बैठक में लिये गये हैं. बैठक में भाकपा के राष्ट्रीय सचिव कामरेड डी. राजा, सांसद दोनों दिन उपस्थित रहे. बैठक की अध्यक्षता का. गफ्फार अब्बास एडवोकेट ( मथुरा ) ने की.
बैठक में लिये गये अन्य प्रमुख फैसलों के बारे में जानकारी देते हुये भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने बताया कि पूरे प्रदेश में भारत रत्न डा. भीमराव अंबेडकर का जन्म दिवस 14 से 21 अप्रेल तक मनाया जायेगा. इस अवसर पर जाति की विडम्बना को मिटाने, दलितों और कमजोरों के उत्पीडन को समाप्त करने और उनके सामाजिक आर्थिक तथा शैक्षिक उत्थान के रास्ते तलाशने हेतु विचार गोष्ठियां, मीटिंगें तथा अन्य कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे.
राज्य काउंसिल बैठक में उत्तर प्रदेश की मौजूदा राजनैतिक स्थिति पर भी गहनता से चर्चा हुयी. राज्य काउंसिल हाल ही में सत्तारुढ सरकार के क्रिया कलापों और उसके मूल्यांकन के लिये कुछ और दिन इंतजार करना चाहती है. लेकिन प्रदेश सरकार के इस अल्प कार्यकाल में कई समस्यायें खड़ी होगयी हैं जिन पर किसी को भी चिंतित होना स्वाभाविक है. इस अवधि में जघन्य अपराध बढे हैं, अपराधी तत्वों के हौसले बरकरार हैं और वह आमजनता ही नहीं पुलिस बलों पर भी हमलाबर हैं. हाल में ही तीन पुलिस कांस्टेबिलों की दुखद हत्या गंभीर मामला है. लूट कत्ल और अन्य अपराध भी बेखौफ तरीके से जारी हैं. लगता है योगीजी का ‘सुपर एक्टिविस्म’ मीडिया में सुर्खियां बटोरने तक सीमित है.
भाकपा राज्य काउंसिल ने गरीब आबादियों में शराब के ठेके खोले जाने का विरोध कर रही महिलाओं के उत्पीड़्न, उन पर लाठियां बरसाने और उन पर मुकदमे दर्ज कर आतंकित किये जाने के कदम को अनुचित मानते हुये उसकी आलोचना की है. सरकार के इस कदम से लगता है कि पूर्व की सरकारों की तरह यह सरकार भी शराब माफियाओं के हितों के पोषण में लगी है और और जनता के अच्छे उद्देश्यों के लिये किये जा रहे स्वत:स्फूर्त आंदोलनों को लाठी डंडे के बल पर दबाना चाहती है. मीटबंदी के बारे में भाकपा की राय है कि इसे राजनैतिक उद्देश्यों अर्थात गोरक्षा के नाम पर अल्पसंख्यकों और दलितों पर आक्रमण करने और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के उद्देश्य से लागू किया गया है. इसी तरह एंटी रोमियो अभियान के नाम पर आधुनिक दृष्टिकोण रखने वाले युवक युवतियों को उट्पीड़न का शिकार बनाया गया है.
किसान कर्जा माफी पर भाकपा ने कहा कि यह एक और धोखा साबित हुआ है और किसानों में भारी निराशा है. हताशा में किसानों की आत्महत्याओं का दौर फिर शुरू हो गया है और बुंदेलखंड में हाल ही में कई किसानों ने आत्महत्या की है. भाकपा चाहती है कि किसानों के समस्त कर्जों को माफ किया जाये जैसाकि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने अपने चुनाव अभियान में किसानों को भरोसा दिया था. इस कर्जमाफी के लाभ के दायरे में बटायीदार किसानों को भी लाया जाना चाहिये जिन्होने बड़े सूद पर सूदखोरों से कर्जा लिया है. क्षेत्रीय खेत मजदूरों को भी सहायता प्रदान करने का रास्ता निकाला जाना चाहिये.
भाकपा राज्य काउंसिल ने अपनी इस मांग को दोहराया है कि नेशनल हाईवेज और स्टेट हाईवेज टोल- टैक्स मुक्त हों. भाकपा का तर्क है कि वाहन खरीद के समय, वाहन रजिस्ट्रेशन कराने के समय उपभोक्ताओं से भारी टैक्स बसूला जाता है और पेट्रोल डीजल पर सड़्क निर्माण के नाम पर विशिष्ट टैक्स ( सेस ) बसूला जाता है तो फिर एक अन्य टैक्स बसूलने का कोई औचित्य नहीं. सिवाय इसके कि यह जनता की बलपूर्वक की जारही सरकारी लूट है. भाकपा ने गत सरकार द्वारा निजी नलकूपों के शुल्क में की गयी लगभग चार गुना वृध्दि को किसानों की जर्जर आर्थिक हालत को और खराब करने वाला बताया और इस संबंधित आदेश को तत्काल रद्द करने की मांग की. भाकपा ने रोड्वेज कर्मचारियों, शिक्षकों और शिक्षणेतर कर्मचारियों पर छह माह तक हड़्ताल न करने की पाबंदी को तानाशाहीपूर्ण कदम बताते हुये इसे तत्काल वापस लेने की मांग की.
भाकपा राज्य काउंसिल ने पांच राज्यों के चुनाव परिणामों की भी समीक्षा की. उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के बारे में राज्य काउंसिल ने कहा कि भाजपा ने अपने सांप्रदायिक एजेंडे को धार देकर, खुल कर जातीय कार्ड खेलते हुये कल्पना से परे धन बहा कर और मीडिया की एकतरफा पक्षधरता के बल पर इन चुनावों को जीता है. चुनाव आयोग ने मतदान को सात चरणों में फैला कर और अन्य कई कदमों से भाजपा को जीतने में अप्रत्यक्ष रूप से मदद की है. यह लोकप्रिय जनादेश नहीं अपितु, छल बल, घृणित सांप्रदायिक और जातीय विभाजन तथा धन बल से हासिल किया गया बहुमत है जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने जबर्दस्त भूमिका निभायी है.
पंजाब में सत्तारूढ़ भाजपा गठबंधन पूरी तरह समाप्त हो गया, गोआ में भी उसे करारी हार मिली और मणिपुर में भी बहुमत हासिल करने से भजपा पीछे छूट गयी. मगर गोआ और मणिपुर में भाजपा ने सारी मर्यादाओं को ताक पर रख कर राज्यपालों की मदद से और विधायकों को खरीद कर अपनी सरकार बनाई है. यह मोदी लहर नहीं थी जैसे कि दाबे किये जारहे हैं. अब अपने विभाजनकारी एजेंडे को धार देने को भाजपा ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में घनघोर कट्टर चेहरों को कमान सौंपी है.
बैठक को संबोधित करते हुये कामरेड डी. राजा ने कहा कि देश, संविधान और जनता को भाजपा और संघ परिवार की फासीवादी नीतियों से भारी खतरा है. इसके मुकाबले के लिये धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक और वामपंथी शक्तियों को एक मंच पर लाने की जरूरत है. भाकपा इसके लिये प्रयासरत है और वामपंथी दलों समेत अन्य लोकतांत्रिक दलों से वार्ता जारी है. उन्हें भरोसा है कि ऐसी सभी शक्तियां मौके की नजाकत को पहचानेंगीं और देश हित में योजना बना कर मुद्दों के आधार पर एकजुट होकर काम करेंगी. उन्होने स्पष्ट किया कि इसे चुनावी गठबंधन नहीं समझना चाहिये.
डा. गिरीश
»» read more
मंगलवार, 4 अप्रैल 2017
at 7:46 pm | 0 comments |
CPI ON Farmers Loan
कर्जमाफी: एक बार फिर ठगे गये किसान – भाकपा
लखनऊ- 4 अप्रेल 2017, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने कहा है कि उत्तर प्रदेश के किसानों के साथ एक बार फिर धोखा हुआ है और सत्ता में आते ही किसानों के कर्ज माफ करने का प्रधान मंत्री मोदी और अमित शाह का वायदा एक बार फिर जुमला साबित हुआ है.
किसानो के कर्जे माफ करने संबंधी उत्तर प्रदेश सरकार के बहु प्रतीक्षित फैसले पर भाकपा की प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये पार्टी के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि भाजपा नेतृत्व ने अपने चुनाव घोषणा पत्र और चुनाव अभियान में सरकार गठन के फौरन बाद लघु और सीमांत किसानों पर बकाया कर्जों को माफ करने का वायदा किया था. लेकिन आज हुयी प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में केवल 86 लाख किसानों का एक लाख तक का कर्ज माफ किया गया है. इन 86 लाख किसानों का एक लाख से ऊपर वाला कर्ज तथा अन्य करोड़ों किसानों पर लदी कर्ज की भारी धनराशि उनके सामने कठिन समस्या बने रहेंगे. प्रदेश में लघु और सीमांत किसानों की संख्या 2 करोड़ 43 लाख के करीब है.
उत्तर प्रदेश के किसानों की दयनीय हालत को देखते हुये उनके शेष कर्जे भी माफ किये जाने चाहिये और इस तरह की व्यवस्था की जानी चाहिये कि इसका लाभ बटाईदार किसानों और खेतिहर मजदूरों को भी मिले. लेकिन कर्जा माफी एक तात्कालिक राहत हुआ करती है. सरकार को किसान के संकट के पूर्ण समाधान के लिये एक सुगठित किसान नीति तैयार करनी चाहिये. केंद्र और उत्तर प्रदेश में एक ही दल की संपूर्ण बहुमत वाली सरकारों के रहते किसानों को उनसे भारी उम्मीदें हैं.
डा. गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश
»» read more
बुधवार, 29 मार्च 2017
at 1:26 pm | 0 comments |
CPI on Meet Ban
लखनऊ- 29 मार्च, 2017. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने कहा है कि उत्तर प्रदेश की हाल ही में पदारुढ सरकार ने मीटबंदी के मामले में न्यायसंगत कदम उठाने के बजाये राजनैतिक उद्देश्यों के लिये इसे एक वर्ग विशेष के विरुध्द अभियान के रुप में चलाया हुआ है. राज्य सरकार को इस दुर्भावनापूर्ण कदम में सुधार करना चाहिये.
एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि मीट से जुड़े कारोबार से कुछ न कुछ हर समुदाय के लोग जुड़े हैं, लेकिन सरकार और भाजपा से जुड़े लोग इसकी आड़ में मुस्लिम समाज पर हमले बोल रहे हैं. पुलिस अविवेकपूर्ण तरीके से सरकार के फैसले को अंजाम दे रही है तो सरंक्षण प्राप्त अराजक तत्व मीट विक्रेताओं के प्रतिष्ठानों पर हमले बोल रहे हैं. गत दिनों हाथरस सहित कई स्थानों पर मीट विक्रेताओं के खोखों/ दुकानों में आग लगा दी गयी.
सरकार का उद्देश्य खाली एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करना मात्र था तो उसे पहले मीट कारोबारियों को लाइसेंस प्राप्त करने और सुरक्षित स्थानों पर अपनी दुकान आदि शिफ्ट करने की चेतावनी दी जानी चाहिये थी. जो नगर निकाय अवैध कमाई के चलते कारोबारियों के लाइसेंस नवीनीकृत नहीं कर रहे अथवा नये लाइसेंस जारी नहीं कर रहे, पहले उनसे ऐसा करने के लिये कहा जाना चाहिये था.
सरकार द्वारा नोटबंदी की तरह राजनैतिक उद्देश्यों से की गयी मीटबंदी के दुष्परिणाम आने शुरु होगये हैं. हर तबके के अनेक लोग मीट खाते हैं और आज उससे बने व्यंजन लोगों की थाली से गायब हो रहे हैं. कई चीजों के दाम बढ़ना शुरु होगये हैं और उद्योग व्यापार पर भी संकट आया है. बेरोजगारी बढ़ना तो अवश्यंभावी है. मीट महंगा होने से सब्जी दालों की खपत बढ़ी है, और उनकी कीमतों में उछाल आना शुरु हो गया है. किसानों के रिटायर्ड पशुधन या तो बिक नहीं रहे या बहुत कम कीमत पर बिक रहे हैं. पशु पैंठ ( हाट ) बाजारों तक पर पुलिस छापेमारी कर रही है और कथित हिदूवादियों के लंपट गिरोह किसानों और व्यापारियों को पशु बाजारों से खदेड़ रहे हैं. चारे का संकट पैदा होने जा रहा है और इससे दूध और उससे बने पदार्थों के दाम बढ़ सकते हैं.
डा. गिरीश ने कहा कि मीट उद्योग से जुड़े होटल, टैनरी, साबुन, फर्टिलाइजर और ट्रांसपोर्ट जैसे तमाम उद्योग भी चौपट होरहे हैं और निर्यात दर गिरने से विदेशी मुद्रा की आमद घटेगी. अतएव उत्तर प्रदेश सरकार को अपनी घोषित नीति “सबका साथ सबका विकास” पर चलते हुये मीटबंदी के अपने फैसले में सुधार करना चाहिये.
डा. गिरीश
»» read more
सोमवार, 6 फ़रवरी 2017
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का चुनाव घोषणा पत्र - विधान सभा चुनाव 2017
भारतीय कम्युनिस्ट
पार्टी का चुनाव घोषणा पत्र
- विधान सभा चुनाव
2017
देश के सबसे बड़े राज्य - उत्तर प्रदेश में राज्य सरकार के
गठन के लिए 17वीं विधान सभा का चुनाव हो रहा है। प्रदेश की जनता इन
चुनावों को स्वतंत्र भारत के इतिहास में एक परिवर्तनकारी,
महत्वपूर्ण एवं
निर्णायक चुनाव साबित कर सकती है। इसके लिए जरूरी है कि आम मतदाता -
·
जाति-पांति, धार्मिक एवं क्षेत्रीय संकीर्णताओं से बाहर निकल कर अपने
बदतर हालातों पर गौर करें;
·
चुनावों के दौरान अपनाये जाने वाले भ्रष्ट तौर-तरीकों से प्रभावित होने से
स्वयं को बचायें और इस बात को दिल-दिमाग में बैठा लें कि तात्कालिक संतोष के लिए
उसे पांच सालों की कुर्बानी नहीं देनी है; और
·
अपने वर्गीय हितों तथा प्रदेश एवं देश के हितों को ध्यान में रखकर चुनावों में
अपने कीमती मताधिकार का प्रयोग करना ही सच्ची देशभक्ति है।
प्रदेश की आम जनता का ध्यान इस ओर आकर्षित करना जरूरी है कि
आजादी के समय सरकार के पास संसाधन काफी सीमित थे तथा देश ने विकास के ख्वाब देखना
भी शुरू नहीं किया था। लेकिन उस वक्त आजादी के बाद स्वतंत्रता संग्राम में अपना सब
कुछ न्यौछावर करने वाले हमारे पूर्वजों की पीढ़ी राजनीति में मौजूद थी। राजनीति में
चोर-उचक्कों, माफियाओं और भ्रष्टों की दखलंदाजी नहीं थी। संसाधन विहीनता
के उस दौर में हमने सार्वजनिक क्षेत्र को बुलंदियों तक पहुंचाने के रास्ते से
स्वतंत्र आर्थिक विकास के रास्ते को चुना था। और हम उस रास्ते पर चले भी। उस दौर
में हमने बड़े-बड़े बांध बनाये, नए कल-कारखाने लगाये, हरित एवं श्वेत क्रान्तियां
की और देश जो विकास कर रहा था, उसका फायदा शहरों से लेकर दूर-दराज के गांवों तक की
जनता को पहुंचना शुरू हो गया था।
परन्तु आज हालात बिलकुल उसके
उलट हैं। आज जब प्रदेश की जनता 17वीं विधान सभा के लिए वोट डालने की दहलीज पर खड़ी है, अधिसंख्यक जनता आज
भी गरीब है। एक गरीब आदमी तो अपनी पूरी कमाई पेट पालने में ही खर्च कर देता है और
उसके पास तो बचाने के लिए कुछ होता ही नहीं है फिर भी वह जो कुछ खर्च करता है, उसका 15-20 प्रतिशत उसे केन्द्र एवं राज्य सरकारों को विभिन्न टैक्सों
के रूप में देना पड़ता है। जैसे-जैसे यह कमाई बढ़ती है, वैसे-वैसे टैक्सों का बोझ
बढ़ता चला जाता है। मध्यमवर्गीय कर्मचारियों पर तो टैक्सों का बोझ 30-35 प्रतिशत से भी ज्यादा है। नए-नए टैक्सों को जनता पर लादा जाता रहा परन्तु जब
भोजन, शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास जैसी सुविधाओं के सवाल उठते हैं तो पूंजीवादी
दलों के नेता सरकारों के पास संसाधन न होने का रोना रोने लगते है।
तब और अब में जो अंतर है वह
यह है कि आजादी के बाद के दौर में अपना सब कुछ देश की आजादी के लिए न्यौछावर करने
वाले नेता राजनीति में मौजूद थे तो आज राजनीति को कमाई का जरिया बनाने वाले लोग
सत्तासीन हो रहे हैं।
सवाल हैं -
·
लाखों-करोड़ों रूपये चुनाव में खर्च वाले करने लोग जब चुनाव जीत कर सरकार बनाते
हैं, तो क्या उनसे प्रदेश के विकास की आशा की जा सकती है? ऐसे लोग सरकार में आने के
बाद चुनाव में लगाये गये धन की न केवल वसूली में जुट जाते हैं बल्कि कई पुश्तों की
व्यवस्था भी करने में लगे रहते हैं।
·
भ्रष्टाचार के खिलाफ सत्तासीन राजनीतिज्ञ बड़ी-बड़ी बातें जुमलों के रूप में
उछालते रहते हैं। लेकिन वही पूंजीवादी दल के नेता जब चुनावों के दौरान हवाई-जहाजों
और हेलीकाप्टरों से चुनाव प्रचार करने जाते हैं, तो उस पर खर्च होने वाला
पैसा किस मेहनत की कमाई से आता, बता नहीं सकते?
आम जनता को इन चुनावों के
वक्त अपनी आत्मा को टटोलना चाहिए।
प्रदेश के सबसे बड़े राज्य
में 17वीं विधान सभा के चुनावों के वक्त जरूरत इस बात की है कि प्रदेश की जनता
चुनावों में यह सुनिश्चित करने के लिए वोट देने जाये कि -
·
उसे प्रदेश के हर मर्द, औरत और बच्चे को भोजन मुहैया कराने के लिए वोट देना
है।
·
उसे प्रदेश के हर बच्चे को शिक्षित बनाने के लिए वोट देना है।
·
उसे प्रदेश के हर नागरिक को इलाज मुहैया कराने के लिए वोट देना है।
·
उसे प्रदेश के हर नागरिक को आवास मुहैया कराने के लिए वोट देना है।
·
उसे प्रदेश के हर नागरिक को रोजगार मुहैया कराने के लिए वोट देना है। और
·
उसे प्रदेश के हर दलित, दमित, उत्पीड़ित, महिला और मजदूर को सम्मान व सुरक्षा दिलाने के लिए वोट करना है। आदि-आदि।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
चुनावों के दौरान जनता का आह्वान करती है कि अपनी जाति-पांति, धर्म और क्षेत्रीय संकीर्णताओं से ऊपर उठ कर मतदान करने से पहले उपरोक्त बातों
का ख्याल रखे।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
जनता का ध्यान इस तथ्य की ओर भी आकर्षित करना चाहती है कि जातिवादी दल जातियों के
उत्थान की बातें जरूर करते हैं परन्तु उसका वर्गीय चरित्र पूंजीवादी और उनका ढांचा
भ्रष्टाचार के अर्थशास्त्र पर आधारित है। सत्ता में आने पर न तो इनके द्वारा कोई
उत्थान किया जाता है और न ही उनसे जनता ऐसी आशा रखे। इनका ध्येय एक ऐसा कंक्रीटी
(मसलन हाईवे, पथरीले पार्क, मेट्रो आदि का) विकास है
जिसमें अधिक से अधिक जनता के पैसे को लूटा जा सके।
यही हाल साम्प्रदायिक तथा
क्षेत्रीय संकीर्णताओं को उभारने वाले दलों का भी है।
ऐसी राजनीतिक ताकतें सरकार
बनाने के बाद प्रदेश और प्रदेश की जनता के समग्र विकास के बजाय सरमायेदारों के
सरमाये का विकास करने में लगी रहती हैं क्योंकि इन्हीं ताकतों से उन्हें
भ्रष्टाचार के जरिये धन मिलता है। प्रदेश का किसान, मजदूर, खेत मजदूर, नौजवान, विद्यार्थी, महिलाओं जैसे समाज के
विभिन्न तबकों से इन्हें पांच साल तक कुछ मिलने वाला नहीं होता है, इसलिए ये ताकतें और दल इन तबकों के विकास का कोई ख्याल भी नहीं रखती हैं।
अस्तु प्रदेश और प्रदेश की जनता
के समग्र विकास के लिए अमीरों की अमीरी और गरीबों की गरीबी के विकास के इस खेल को
जनता को इस बार रोकना ही होगा।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के लक्ष्य
·
17वीं विधान सभा में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी तथा
वामपंथी दलों की मजबूत उपस्थिति सुनिश्चित करना जिससे वह सत्ता की नीतियों में
प्रभावकारी दखलंदाजी की विधाई ताकत हासिल कर सके।
·
वर्तमान विधान सभा चुनावों के जरिये तमाम माफियाओं, भ्रष्ट तथा जनविरोधी
राजनीतिज्ञों को अगली विधान सभा में प्रवेश को भरसक रोकना।
·
साम्प्रदायिक एवं जातिवादी पार्टियों और ताकतों को भरसक पीछे धकेलना।
·
नेताओं और पार्टियों का विकल्प नेता अथवा पार्टी नहीं हो सकता। अतएव नीतियों
का विकल्प तैयार करना।
·
विधान सभा के भीतर नाम मात्र का विपक्ष नहीं अपितु मजबूत, जुझारू, संवेदनशील एवं कारगर विपक्ष खड़ा करना।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
उपरोक्त लक्ष्यों को हासिल करने और जनता के हित में निम्न प्रमुख कार्यों को पूरा
करने को अपना चुनाव घोषणापत्र जारी करती है:
भ्रष्टाचार के खिलाफ और राजनीति के शुद्धिकरण का
अभियान
·
विधान सभा में प्रभावी दखलंदाजी की ताकत मिलने पर भाकपा अन्य वामपंथी दलों के
सहयोग के साथ एक विशेषज्ञ आयोग के गठन का काम करेगी जो यह पता लगाये कि टैक्सों की
दर अनाप-शनाप बढ़ने के तथा नये-नये टैक्स लगने के बावजूद सरकार को प्राप्त होने
वाला धन किस जरिये (परनाले) से निकल जाता है कि सरकार के पास प्रदेश की आम जनता को
आवास, भोजन, स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए पैसा नहीं बचता है।
·
विशेषज्ञ आयोग की रिपोर्ट आने के बाद सरकार के संसाधनों के इस भ्रष्ट बहाव को
रोकने के लिए उचित तथा तेज मशीनरी और प्रक्रिया को विकसित करना जिससे राजनीति के
शुद्धिकरण को अमल में लाया जा सके जिससे सरकारी संसाधनों का उपयोग ऐसे विकास पर
खर्च किया जाये जिससे राजनैतिक एवं नौकरशाही का भ्रष्टाचार समाप्त हो सके और
सरकारी संसाधनों का उपयोग कंक्रीटी विकास के बजाय प्रदेश और प्रदेश की जनता के
वास्तविक विकास पर खर्च करना मुमकिन हो सके।
·
प्रभावी लोकपाल के प्रति भाकपा अपनी प्रतिबद्धता पुनः जाहिर करती है जिसे सभी
पूंजीवादी दल कदापि नहीं चाहते।
·
जांच से लेकर मुकदमा चलाने तक सीबीआई सहित सभी जांच एजेंसियों को कार्यगत
स्वतंत्रता मुहैया कराना। उन्हें शासक दलों के चंगुल से मुक्त कराना।
·
शहरी सम्पत्तियों में भ्रष्टाचार के पैसे के निवेश को रोकने के लिए शहरी भूमि
सीमारोपण कानून को दुबारा लागू किया जायेगा जिसे भूमंडलीकरण-उदारीकरण-निजीकरण के
दौर में समाप्त कर दिया गया है। अवशेष शहरी भूमियों का अधिग्रहण कर लिया जायेगा।
·
सोने में भ्रष्टाचार के पैसे के निवेश को रोकने के लिए प्रति परिवार सोने का
मालिकाना हक की कानूनी सीमा तय कर दी जायेगी और उससे अधिक सोना पाये जाने पर सख्त सज़ा दिये जाने का
कानून बनाया जायेगा।
·
सीबीआई की तरह एक स्वतंत्र जांच एजेंसी का प्रदेश स्तर पर गठन।
·
सभी स्तरों पर भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्ती से त्वरित कार्यवाही। भ्रष्टाचार के
मुकदमों के त्वरित निस्तारण के लिए विशेष न्यायालयों का गठन।
·
जन-धन के सभी उपयोगों की स्वतंत्र एजेंसी से आडिट आवश्यक करना और उनके सोशल
आडिट के लिए कानूनी व्यवस्था।
·
सामाजिक कल्याण योजनाओं के सोशल आडिट की व्यवस्था।
·
राजनैतिक भ्रष्टाचार की एक जड़ - सांसद एवं विधायक निधि को समाप्त करना।
उत्तर प्रदेश का विकास
·
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ऐसी आर्थिक-राजनीतिक-सामाजिक नीतियों को लागू करेगी
जिससे उत्तर प्रदेश के समस्त भौगोलिक क्षेत्रों का समग्र,
समान एवं त्वरित
विकास हो। शहरी ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी रोजगार का सृजन हो। इस समग्र
आर्थिक विकास से ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन रूकेगा तथा विभाजनकारी राजनैतिक
शक्तियों, नेताओं और सरकारों की प्रदेश और प्रदेश की जनता को विभाजित करने की सारी
विघटनकारी चालबाजियाँ भी ध्वस्त हो जायेंगी। समग्र रूप से विकसित उत्तर प्रदेश में
ही इसकी 21 करोड़ जनता का भविष्य सुरक्षित रह सकता है।
विद्यार्थियों तथा नौजवानों के लिये
·
दोहरी शिक्षा प्रणाली की समाप्ति और शिक्षा का राष्ट्रीयकरण। सभी एक जगह पढ़ें, एक जैसी शिक्षा ग्रहण करें।
·
सभी स्कूल/कालेजों में इंटरनेट सुविधा युक्त कम्प्यूटर तथा विज्ञान की
प्रयोगशालाओं की स्थापना के साथ वैज्ञानिक शिक्षण को लागू करना।
·
शत-प्रतिशत साक्षरता की दिशा में आवश्यक कदम उठाना। प्राईमरी स्कूलों में
ड्रॉप आउट रोकने के लिए युद्ध स्तर पर कार्य।
·
रोजगार मुहैया कर सकने वाली निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था।
·
मध्यान्ह भोजन योजना में व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त करना।
·
धर्मनिरपेक्षता, राष्ट्रीय एकता तथा प्रगतिशील मानव मूल्यों का
संचार करने वाले तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोण प्रदान करने वाले पाठ्यक्रमों को तैयार
करना।
·
सरकारी एवं सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के रिक्त लाखों-लाख स्थानों पर
भर्ती। भर्ती प्रक्रिया को आर्थिक भ्रष्टाचार एवं भाई-भतीजावाद से मुक्त बनाना
सुनिश्चित करना। रिक्ति निकले तो नौकरी जरूर मिले की नीति सुनिश्चित करना।
·
छात्रों एवं नौजवानों में खेल के प्रति रूझान पैदा करने के लिए जिलों-जिलों में
अंतर्राष्ट्रीय स्तर की खेल-कूद की पर्याप्त सुविधाओं को विकसित करना।
·
बेरोजगारी समाप्ति के लिए रोजगार सृजन के लिए तमाम क्षेत्रों का विकास।
·
मनरेगा के समकक्ष योजना शहरी क्षेत्रों के लिए भी तैयार करना और उसे लागू
कराना।
महिलाओं एवं बच्चों के लिये
·
संसद एवं विधायिकाओं में महिलाओं के एक तिहाई आरक्षण का कानून बनवाना।
·
महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों पर कठोरतम कदम उठाना तथा शीघ्र न्याय मुहैया
कराने की मशीनरी एवं प्रक्रिया को सुनिश्चित करना।
·
महिलाओं के लिए समान कानूनी अधिकार। समान काम के लिए समान वेतन और विकास के
समान अवसर।
·
महिला एवं बाल-कल्याण कार्यक्रमों को सार्वभौमिक बनाना एवं इन योजनाओं में
व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त करना।
·
बच्चों के खिलाफ अपराध पर कठोर कार्यवाही तथा इन अपराधों के लिए सजा में
बढ़ोतरी।
·
बालश्रम का उन्मूलन। भ्रूण हत्या और कुपोषण से मुक्ति।
औद्योगिक मजदूरों के लिए
·
मजदूरों के हितों की पूरी दृढ़ता से रक्षा। मजदूरी को विकास का आधार माना जाना।
·
श्रम कानूनों में मजदूरों के हित में परिवर्तन तथा कानूनों को प्रभावी तरह से
लागू करना।
·
मजदूर यूनियन बनाने में अड़ंगे डालने वालों को सख्त सजा दिये जाने के लिए कानून
बनाना।
·
विभिन्न उद्योगों के मजदूरों के लिए न्यूनतम मजदूरी के स्तर को जीने लायक
मजदूरी में बदलना।
·
हर माह नियत तिथि पर मजदूरी भुगतान की गारंटी।
·
ठेका प्रथा एवं आउटसोर्सिंग की समाप्ति। ठेका मजदूरों को उद्योगों में
स्थाईकरण।
·
उच्च तकनीकी कम श्रम से अधिक उत्पादन देती है। अतएव उत्पादन के समकक्ष मजदूरी
अथवा श्रम के घंटे कम करना।
ग्रामीण एवं असंगठित मजदूरों के लिए
·
खेत मजदूरों तथा अन्य असंगठित वर्ग के मजदूरों के लिए आवश्यकता पर आधारित
न्यूनतम मजदूरी, पेंशन और अन्य सामाजिक कल्याण लाभ,
महिला मजदूरों के
लिए समान मजदूरी और प्रसूति सुविधाओं की गारंटी करने वाले कानून को बनाना।
·
हदबंदी के ऊपर की बची जमीन और कृषि योग्य अन्य फालतू जमीनों का भूमिहीनों में
वितरण।
·
खेती एवं किसानों के लिए
·
कृषि के विकास को राज्य की अर्थव्यवस्था के विकास की बुनियाद बनाना।
·
मूलगामी भूमि सुधारों पर अमल। कृषि भूमि को कृषि के लिए संरक्षित करने को कदम।
·
राष्ट्रीय कृषि आयोग की सिफारिशों, जिसमें 4 प्रतिशत ब्याज पर ऋण मुहैया कराना शामिल है, को लागू कराने की दिशा में
कार्य।
·
भूमि अभिलेखों के सही रखरखाव, चकबंदी को भ्रष्टाचार मुक्त कराना एवं निर्धारित
समय सीमा के अंदर चकबंदी को पूरा करना।
·
किसानों द्वारा खेती में प्रयुक्त सामग्रियों - खाद, बीज,
पानी, डीजल आदि की कीमतों में कटौती के तमाम उपाय तथा कृषि उत्पादों को लाभ पर बेचने
की व्यवस्था (जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्यों को लागत मूल्य के ऊपर तय करना शामिल
है) सुनिश्चित कर खेती को लाभदायक बनाना।
·
खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए कृषि में सार्वजनिक
निवेश की वृद्धि।
·
सिंचाई एवं जल संरक्षण के लिए उचित योजना बनाना और उसे कार्यान्वित करना।
·
बाढ़ नियंत्रण एवं सूखे की रोकथाम के लिए कदम उठाना। वृक्षारोपण एवं पर्यावरण
सुरक्षा के लिए जरूरी कदम।
·
कृषि विज्ञान केन्द्रों के ताने-बाने का विकास जिससे रासायनिक उर्वरकों का
उपयोग कम करके फसलों की लागत को घटाया जा सके और कृषि को लाभप्रद व्यवसाय में
परिवर्तित किया जा सके।
·
सहकारिता आन्दोलन को मजबूत करना और उसमें व्याप्त नौकरशाही हस्तक्षेप तथा
भ्रष्टाचार का उन्मूलन।
·
कृषि के साथ किये जा सकने वाले अन्य कारोबारों - पशु पालन, मछली पालन, बागवानी आदि के लिए ढांचा विकसित करना और उसके लिए आर्थिक
पैकेज की व्यवस्था, जिससे किसानों की आय में वृद्धि हो सके। सामूहिक
खेती को प्रमोशन, कारपोरेट खेती पर प्रतिबंध।
·
वर्तमान किसान विरोधी भूमि अधिग्रहण कानून के स्थान पर नया कानून बनाना और
उपजाऊ जमीनों के अधिग्रहण पर रोक।
·
यदि आधारभूत ढांचे के लिए कृषि भूमि के अधिग्रहण के अतिरिक्त कोई विकल्प न हो
तो भूमि के उचित मूल्य के भुगतान के साथ ही प्रभावित किसान एवं ग्रामीण मजदूरों के
पुनर्वास की व्यवस्था - जिसमें अन्यत्र भूमि आबंटन शामिल है, सुनिश्चित करना।
दलितों, आदिवासियों तथा पिछड़ी जनता
के लिए
·
रिक्त पड़े आरक्षित पदों पर नियुक्तियां।
·
आदिवासियों के भूमि अधिकारों की रक्षा, गैर कानूनी ढंग से उनसे ली गयी
जमीनों को उन्हें वापस करना।
·
उनके सम्मान, स्वाभिमान की रक्षा और समाज की मुख्य धारा में लाने को जरूरी
विधाई कदम उठाना।
बुनकरों तथा अन्य दस्तकारों के लिए
·
यू. पी. हैण्डलूम कारपोरेशन को बहाल किया जायेगा जिससे बुनकरों एवं अन्य
दस्तकारों के उत्पादों की बिक्री संभव हो सके।
·
बंद कताई मिलों को दुबारा चालू किया जायेगा।
·
बुनकरों एवं दस्तकारों को रियायती दर पर बिजली और सूत मुहैय्या कराना।
·
हथकरघा वस्त्रों तथा अन्य उत्पादों के निर्यात के लिए आधारभूत ढांचा तैयार
करना। उन्हें ब्याज मुक्त ऋण दिलाना।
·
दस्तकारी एवं बुनकरी के क्षेत्र में इजारेदार पूंजी के प्रवेश पर प्रभावी
प्रतिबंध।
समाचार माध्यमों एवं उनके कर्मियों के बारे में
·
छोटे एवं मध्यम समाचार माध्यमों के विकास के लिए उचित माहौल।
·
मीडियाकर्मियों को वेज बोर्ड के अनुसार वेतन एवं सामाजिक सुरक्षा मुहैय्या
कराना।
आधारभूत ढांचा एवं सार्वजनिक क्षेत्र के लिए
·
प्रदेश के औद्योगिक विकास के लिए आधारभूत क्षेत्र को सार्वजनिक क्षेत्र में
विकसित करना।
·
बिजली आदि क्षेत्रों में शुरू की गयी निजीकरण की प्रक्रिया को उलटना। अधिकाधिक
बिजली उत्पादन सार्वजनिक क्षेत्र में।
·
सार्वजनिक क्षेत्र के बन्द पड़े उद्योगों को पुनः चालू करना।
·
सार्वजनिक क्षेत्र में नौकरशाही-हस्तक्षेप तथा भ्रष्टाचार का उन्मूलन।
·
सार्वजनिक क्षेत्र को स्वाबलंबी बनाना। सभी मार्गों का निर्माण सार्वजनिक
क्षेत्र में और उन्हें टोल टैक्स से मुक्त करना।
·
प्रदेश के हर क्षेत्र का औद्योगिक विकास सुनिश्चित करना।
·
कृषि उत्पादों पर आधारित तथा निर्यात-उन्मुख उद्योगों के विकास पर विशेष ध्यान
देना।
·
लघु उद्योगों के विकास पर विशेष ध्यान देना।
सार्वभौमिक सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए
·
सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सार्वभौमिक बनाना और सभी परिवारों को उसके माध्यम
से 14 आवश्यक वस्तुओं की रियायती कीमतों पर आपूर्ति जिससे महंगाई पर प्रभावी अंकुश
रखा जा सके।
·
गरीबी की रेखा के नीचे जीवनयापन करने वालों के लिए वर्तमान सस्ती दरों पर
आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति को भ्रष्टाचार मुक्त बनाकर हर लाभार्थी को आपूर्ति
सुनिश्चित करना।
·
सभी मोहल्लों तथा ग्रामों में सस्ते दामों की दुकानों की स्थापना तथा इस
प्रणाली में व्याप्त भ्रष्टाचार का उन्मूलन।
·
खाद्यान्नों को नष्ट होने से बचाने के लिए पीसीएफ के लिए गोदामों का निर्माण
तथा संरक्षण के उपाय।
स्वास्थ्य एवं चिकित्सा के लिए
·
सभी जिला मुख्यालयों पर स्थित जिला एवं महिला अस्पतालों का उच्चीकरण।
·
ब्लाक, न्याय पंचायत और पंचायत स्तर पर सरकारी क्षेत्र में
बुनियादी चिकित्सा सुविधाओं की व्यवस्था।
·
मंडल मुख्यालय पर मेडिकल कालेजों की स्थापना।
·
अस्पतालों में रिक्त चिकित्सकों तथा अन्य कर्मचारियों के रिक्त पड़े पदों को
भरा जाना।
·
दस्वास्थ्य विभाग में चिकित्सकों तथा अन्य कर्मचारियों के अतिरिक्त पदों का
सृजन।
·
सरकारी अस्पतालों में सभी जांचों तथा दवाईयों की मुफ्त व्यवस्था और उसमें
व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त करना।
·
स्वास्थ्य सेवाओं के निजीकरण को समाप्त करना।
·
स्वास्थ्य बजट को दोगुना करना।
·
”बीमार का घर अस्पताल, बीमारी का निदान दवा और आराम“ योजना शुरू करना।
अल्पसंख्यकों के बारे में
·
रंगनाथ मिश्र आयोग तथा सच्चर कमेटी की अनुशंसाओं को लागू करना।
·
अल्पसंख्यकों के शैक्षिक तथा आर्थिक उन्नयन के लिए उचित कदम।
·
प्रशासन, पुलिस एवं सुरक्षा बलों में भेदभाव समाप्त कर मेरिट आधारित
समुचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना।
·
अनुसूचित जाति एवं पिछड़ी जाति के मामलों में धार्मिक भेदभाव की समाप्ति।
चुनाव सुधारों के बारे में
·
चुनावों में समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली लागू करना।
·
चुनावों को भ्रष्टाचार से मुक्त करने के लिए उचित कदम तथा निर्वाचित
प्रतिनिधियों की सम्पत्तियों की निगरानी के लिए अलग निकाय का गठन।
·
निर्वाचित प्रतिनिधि द्वारा स्वयं पार्टी छोड़ने अथवा उसके पार्टी से निष्कासन
पर संबंधित निकाय से उसकी सदस्यता का समापन।
·
मान्यता प्राप्त पार्टियों को राज्य की ओर से वित्तीय सहायता और इस सम्बंध में
कामरेड इन्द्रजीत गुप्ता समिति की सिफारिशों का अनुमोदन एवं क्रियान्वयन।
पुलिस सुधार
·
पुलिस कानून 1861 को निरस्त कर उसके स्थान पर राष्ट्रीय पुलिस आयोग
की सिफारिशों के अनुसार लोकतांत्रिक कानून बनाना।
·
पुलिस को जनता के साथ मित्रवत रहने की शिक्षा देना और उन्हें मित्रवत बनाना।
·
पुलिस हिरासत में मौतों को रोकना और इस तरह की किसी भी घटना पर कठोर तथा
त्वरित कार्यवाही।
·
अपराधों पर रोक के लिए पुलिस की जांच को पुख्ता करने के लिए अपराध विज्ञान
प्रयोगशालाओं की जिला स्तर पर स्थापना जिससे अपराधियों को पकड़ने में पुलिस सक्षम
हो सके और मुकदमों में सजा सुनिश्चित हो सके।
·
पुलिस द्वारा निर्दोष व्यक्तियों के खिलाफ किसी भी कार्यवाही पर सख्त
कार्यवाही के लिए तंत्र विकसित करना। पुलिस द्वारा शारीरिक प्रताड़ना पर हर स्तर पर
रोक।
·
एफआईआर दर्ज करने से जांच तक हर स्तर पर रिश्वतखोरी को समाप्त करना।
·
चौराहों, नाकों आदि पर अनवरत चलने वाली वसूली पर प्रभावी रोक। इस
हेतु सीसीटीवी का तंत्र विकसित करना।
जल प्रबंधन
·
एक व्यापक जल प्रबंधन व्यवस्था पर अमल, जिसमें नदियों को परस्पर इस
ढंग से जोड़ना कि पर्यावरण पर असर न पड़े, बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई, वर्षा जल संचयन एवं सभी के लिए पीने के स्वच्छ पानी की
व्यवस्था शामिल है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
·
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहित करेगी। इसके लिए
राज्य स्तर पर सीएसआईआर जैसी संस्था की स्थापना करेगी।
धर्मनिरपेक्षता की रक्षा तथा साम्प्रदायिक कट्टरपंथ
का विरोध
·
हर किस्म की साम्प्रदायिकता, धार्मिक कट्टरपन, भाषायी, क्षेत्रीय तथा उग्र एवं अंध राष्ट्रवाद - जिससे हमारे समाज का एका और सौहार्द
भंग होता है - के विरूद्ध सशक्त अभियान।
·
धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक व्यवस्था की रक्षा और उसे मजबूत करना।
·
भाकपा हर तरह के जातिवादी भेदभाव और जातिवाद के राजनैतिक लाभ उठाने की हर
कोशिश को समाप्त करेगी।
संसदीय लोकतंत्र की रक्षा
·
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी संसदीय लोकतंत्र को मजबूत करेगी।
·
विधान सभा एवं विधान परिषद की साल भर में कम से कम 100 दिनों तक बैठकों के आयोजन
को सुनिश्चित करेगी।
·
नीतिगत फैसलों - जिनका जनमानस पर व्यापक प्रभाव होना है, पर विधायिका की मुहर को आवश्यक करना।
·
निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा संसदीय प्रक्रिया में उनकी सहभागिता की रिपोर्ट
को संबंधित जन प्रतिनिधि के क्षेत्र में जनता को सूचित करना।
अन्य
·
आवास के अधिकार को वैधानिक अधिकार बनाने की दिशा में कार्य।
·
सार्वजनिक एवं सहकारी क्षेत्र की पिछली सरकारों द्वारा बेची गयी परिसंपत्तियों
का राष्ट्रीयकरण।
·
विद्यालयों को वित्तविहीन मान्यता की व्यवस्था की समाप्ति, वर्तमान वित्तविहीन विद्यालयों तथा महाविद्यालयों के शिक्षकों को राज्य द्वारा
वेतन भुगतान की व्यवस्था में लाना।
·
शिक्षा-मित्रों, मध्यान्ह भोजन रसोईया, आशा बहुओं, आंगनबाड़ी वर्कर्स की सेवाओं का नियमितीकरण एवं वेतन भुगतान।
·
विकलांग व्यक्ति कानून 1995 में प्रभावी अमल जिससे उन्हें अपनी क्षमताओं के
निर्माण के पर्याप्त अवसर मुहैया हो सकें।
·
वृद्धावस्था, विकलांग एवं विधवा पेंशन सभी पात्र व्यक्तियों को मुहैया
कराना और प्रति माह पेंशन की राशि को कम से कम जीवन निर्वाह के स्तर पर लाना। इन
योजनाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त करना। इन योजनाओं में पात्रता की
परिभाषा में परिवर्तन जिससे उन सभी लोगों को, जिन्हें इसकी जरूरत है, इसमें शामिल किये जा सकें।
·
अधिवक्ता कल्याण निधि की राशि को बढ़ाकर दस लाख किया जायेगा।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी इस
घोषणापत्र में व्यक्त दृष्टिकोण के लिए प्रतिबद्ध है। इन बातों को मनवाने के लिए
और 17वीं विधान सभा के चुनावों में प्रदेश की जनता के समर्थन से सफलता मिलने पर
विधान सभा के अन्दर इन पर अमल के लिए संघर्ष करेगी।
इसके लिए आवश्यक है कि 16वीं विधान सभा में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के और कुल मिलाकर वामपंथ के
विधायक अधिक से अधिक संख्या में चुन कर आयें।
भाकपा प्रदेश के मतदाता
भाइयों एवं बहनों से अपील करती है कि वह प्रदेश की जनता के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने
और उसकी तमाम ज्वलंत समस्याओं के समाधान के लिये -
·
सर्वप्रथम भाकपा प्रत्याशियों को वोट दें।
·
भाकपा समर्थित प्रत्याशियों को वोट दें।
·
धर्मनिरपेक्ष, प्रगतिशील, संवेदनशील, संघर्षशील एवं मजबूत वामपंथी विकल्प के निर्माण का रास्ता प्रशस्त करें जिससे
जनविरोधी, भ्रष्ट और निरंकुश पूंजीवादी राजनीति पर लगाम लगाई जा सके।
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
मेरी ब्लॉग सूची
-
CPI Condemns Attack on Kanhaiya Kumar - *The National Secretariat of the Communist Party of India issued the following statement to the Press:* The National Secretariat of Communist Party of I...6 वर्ष पहले
-
No to NEP, Employment for All By C. Adhikesavan - *NEW DELHI:* The students and youth March to Parliament on November 22 has broken the myth of some of the critiques that the Left Parties and their mass or...8 वर्ष पहले
-
रेल किराये में बढोत्तरी आम जनता पर हमला.: भाकपा - लखनऊ- 8 सितंबर, 2016 – भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने रेल मंत्रालय द्वारा कुछ ट्रेनों के किराये को बुकिंग के आधार पर बढाते चले जाने के कदम ...9 वर्ष पहले
Side Feed
Hindi Font Converter
Are you searching for a tool to convert Kruti Font to Mangal Unicode?
Go to the link :
https://sites.google.com/site/technicalhindi/home/converters
Go to the link :
https://sites.google.com/site/technicalhindi/home/converters
लोकप्रिय पोस्ट
-
विगत दिनों केन्द्र और कई राज्य सरकारों के भ्रष्टाचार और घपले-घोटालों का खुलासा होने से आम जनता व्यथित और आक्रोशित थी। यद्यपि संसद से लेकर स...
-
लखनऊ 31 मार्च। आगरा में विद्युत वितरण के कार्य को बहुराष्ट्रीय कम्पनी ‘टोरेन्ट’ को सौंपे जाने की भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव म...
-
प्रस्तावानाः राष्ट्रीय परिषद की पिछली बैठक (दिसम्बर, 2009, बंगलौर) के बाद राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अनेक आर्थिक और राजनैतिक घटनाक...
-
लखनऊ 26 फरवरी। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल की ओर से जारी प्रेस बयान में भाकपा ने सीतापुर जनपद के गांजर क्षेत्र की जन...
-
CPI General Secretary Com. Survaram Sudhakar Reddy's open letter to Mr Narendra Modi, Prime MinisterNew Delhi 29 th May 2015 To, Shri Narendra Modi Hon’ble Prime Minister Government of India ...
-
हरदोई में २२-२७ मार्च २०१० के मध्य उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी द्वारा आयोजित राज्य नाट्य समारोह में आगरा इप्टा द्वारा गोपाल राजू कृत ...
-
लखनऊ 5 नवम्बर। लखनऊ शहर में आल इंडिया स्टूडेन्ट्स फेडरेशन को पुनर्गठित करने के लिए लखनऊ शहर के विभिन्न विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों तथा प...
-
मोदी का ढोंग बेनकाब: सार्वजनिक जीवन में बने रहने का खोया नैतिक अधिकार. चुनाव लड़ने पर रोक लगाये आयोग.लखनऊ- १० अप्रेल २०१४. अपने नामांकन पत्र में यशोदा बेन को पत्नी स्वीकार करने के बाद मोदी, उनके आका संघ परिवार एवं भाजपा का ढोंग पूरी तरह बेन...
-
उठ जाग ओ भूखे बंदी, अब खींचो लाल तलवार कब तक सहोगे भाई, जालिम अत्याचार तुम्हारे रक्त से रंजित क्रंदन, अब दश दिश लाया रंग ये सौ बरस के बंधन, ...
-
लखनऊ-०८ जुलाई -भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने बोध्दों के महान तीर्थस्थल बोध गया में हुए आतंकवादी हमले की कड़े शब्दों में निन्...