तथा
मजबूत लोकपाल कानून बनवाने के लिए
वामपंथी दलों का एक दिवसीय अनशन लखनऊ में
केन्द्र सरकार आकंठ भ्रष्टाचार में डूबी है। हजारों-हजार करोड़ के घोटाले सामने आ चुके हैं। संप्रग अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री स्वयं घोटालेबाजों का बचाव कर रहे हैं। अब नये खुलासे से पूरी कैबिनेट कटघरे में है और यदि सही जांच और उस पर अमल हो जाये तो इस सरकार के अधिकतर मंत्री जेल के सींखचों के पीछे होंगे। मुख्य विपक्षी दल भाजपा, जिसे अमरीकी साम्राज्यवाद और कार्पोरेट मीडिया विकल्प के तौर पर पेष कर रहा है, के देष में तमाम नेता और कई मंत्री भ्रष्टाचार में लिप्त हैं लेकिन भाजपा बड़ी बेषर्मी के साथ अपने को भ्रष्टाचारमुक्त बताने को तमाम तरह के नाटक कर रही है।
उत्तर प्रदेश में घपले-घोटालों के चलते कई मंत्रीगण सत्ता से हाथ धो बैठे हैं और कई अन्य अभी घोटालों की गिरफ्त में फंसते जा रहे हैं। मुख्यमंत्री पहले मंत्री, विधायकों एवं अफसरों से धन वसूली करवाती हैं और जब उनके भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ हो जाता है तो अपनी छवि बनाने को उनको हटाने का नाटक करती हैं। शासन-प्रशासन में ऊपर से नीचे तक फैले भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के चलते जनता तबाह और बर्बाद हो रही है।
केन्द्र और प्रदेश दोनों की सरकारें किसानों को हर तरह से बर्बाद करने पर अमादा हैं। उनकी उपजाऊ जमीनों का बड़े पैमाने पर अधिग्रहण जारी है। किसान जगह-जगह इसका विरोध कर रहे हैं। उन्हें लाठी-गोली का शिकार बनाया जा रहा है। भूमि अधिग्रहण कानून 1894 को आजादी के 64 साल बाद भी बदला नहीं गया। इसके अलावा किसानों की जरूरत की हर चीज की कीमतें बढ़ाई जा रही हैं जबकि उनके उत्पादों की सही कीमत उन्हें मिल नहीं रही। भूमि अधिग्रहण से विस्थापित मजदूरों और दस्तकारों को भी रोजगार से हाथ धोना पड़ रहा है।
उत्तर प्रदेश की कानून-व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। पूर्व सरकार के जंगलराज से निजात पाने को ही जनता ने इस सरकार को चुना था लेकिन आज इस सरकार के कार्यकाल में हत्या, लूट, बलात्कार की घटनाओं ने सारी सीमायें तोड़ दी हैं। दलित और महिला मुख्यमंत्री के शासनकाल में सबसे ज्यादा उत्पीड़न का शिकार दलित और महिलायें हो रहे हैं। शासक दल के विधायक, मंत्री तथा अन्य ओहदेदार जो अपराधिक और सामंती पृष्ठभूमि से आते हैं, इन अपराधों को सरे आम अंजाम दे रहे हैं। बसपा की सोशल इंजीनियरिंग की नीति इस परिस्थिति के लिये जिम्मेदार हैं।
सरकार निजी क्षेत्र में शिक्षा प्रणाली को बढ़ावा दे रही है। पढ़ाई इस कदर महंगी हो गयी है कि गरीब और आम आदमी बच्चों की पढ़ाई के लिए कर्ज ले रहा है या जमीन-जेवर-जायदाद बेच रहा है। बेरोजगारी के चलते तमाम नौजवान हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। सरकारी विभागों में तमाम रिक्तियां हैं जो भरी नहीं जा रहीं। मनरेगा और विकास योजनाओं में भारी भ्रष्टाचार है। छात्र-नौजवानों में हर तरह की लूट और शोषण के खिलाफ आक्रोश व्याप्त है।
वामपंथी दलों ने उत्तर प्रदेश में इन प्रमुख सवालों पर एक व्यापक और लगातार जन आन्दोलन की रूप रेखा बनाई है। इसके तहत 18 अक्टूबर को प्रातः 10 बजे से चारों वामदलों द्वारा एक दिवसीय सामूहिक अनशन लखनऊ के झूले लाल पार्क में किया जायेगा। आन्दोलन के अगले चरण की घोषणा अनशन स्थल पर ही कर दी जायेगी।
वामपंथी दल सभी वामपंथी एवं जनवादी ताकतों, आम जनता, छात्रों, नौजवानों एवं बुद्धिजीवियों से अपील करते है कि वे इस सामूहिक अनशन के भागीदार बनें। आशा है आप सभी का सहयोग हमें अवश्य प्राप्त होगा।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मा.)
आल इंडिया फारवर्ड ब्लाक रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी
की
उत्तर प्रदेश राज्य कमेटियां
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