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बुधवार, 12 सितंबर 2012

धार्मिक रुकावटों से बड़ी है संस्कृति - एस.सुधाकर रेड्डी

भारत-पाकिस्तान एक भौगोलिक बंटवारा है परन्तु उनकी जनता की सांस्कृतिक विरासत सांझी हैं। उनके दुश्मन गरीबी और साम्राज्यवाद होने चाहिए। उन्हें एक-दूसरे से नहीं लड़ना चाहिए। संस्कृति अधिक महत्वपूर्ण और धार्मिक बाधाओं से बड़ी है। लोग कोई सीमाएं नहीं जानते हैं। उन्हें दोनों देशों में शांति और समृद्धि के लिए काम करना चाहिए। भारत-पाकिस्तान की सीमा पर दोनों देशों से आए 50 हजार से भी अधिक लोगों को संबोधित करते हुए भाकपा महासचिव सुधाकर रेड्डी ने यह बातें कही।
    आजादी की लड़ाई के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए उमड़े इस जन-सैलाब ने शांति और मित्रता का संदेश दिया। उन्होंने 14 अगस्त को पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस मनाया तो वहीं 15 अगस्त को भारत का स्वतंत्रता दिवस मनाने का निश्चय भी दिखाया। उन्हें इसकी बड़ी ओर सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली और उन्होंने ये दोनों विशेष दिन मनाएं।
    सुधाकर रेड्डी ने कहा कि दोनों देशों के बीच सौहार्दपूर्ण वातावरण ही इनकी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य सुनहरा बना सकता है। सुधाकर रेड्डी ने अमृतसर में मीडिया से मुखातिब होते हुए अमेरिका के ऑक क्रीक में सिख गुरुद्वारे पर हमने की निन्दा करते हुए कहा कि अमेरिका को बंदूक की संस्कृति पर रोग लगानी चाहिए जिसके कारण उनके देश में ढेरों लोग अपनी जान गंवा देते हैं।
    दोनों देशों के लोगों को एक दूसरे के करीब लाने के क्रम में आयोजित इस दोस्ती उत्सव में शािमल लोगों में काफी उत्साह था। उन्होंने पतंगे उड़ाई, केक काटे, खाना बनाया, इफ्तार दावतों का आयोजन किया और दोनांे तरफ जलियावाले बाग के शहीदों को श्रद्धांजति आर्पित की।
    गोवा से अमृतसर और उसके बाद वाघा बार्डर की थका देने वाली यात्रा के बाद भी भाकपा महासचिव सुधाकर रेड्डी दो देशों के बीच दोस्ती और मोहब्बत के इस दुर्लभ समारोह में शामिल हुए जबकि वही ंदूसरी तरफ देश में साम्प्रदायिक तत्व इस सांझी संस्कृति की भावना को बांटने का झण्डा उठाए हुए हैं। फॉल्कलोर रिसर्च अकादमी के रमेश यादव और करांची के यूथ एलायंस के नेता, अध्यापक शुमेल जैदी ने इस समारोह के द्वारा बंटवारे के जख्मों को मरहम लगाने, उन्हें भरने का काम किया।
    भाकपा महासचिव किसी भी राजनीतिक दल के ऐसे पहले नेता हैं जिन्होंने हिन्दुस्तान-पाकिस्तान दोस्ती मंच और तीन अन्य संगठनों द्वारा भारत-पाकिस्तान दोस्ती मंच और तीन अन्य संगठनों द्वारा भारत-पाकिस्तान स्वतंत्रता दिवसों के मौके पर आयोजित इस दोस्ती उत्सव में भाग लिया। उन्होंने दोनों तरफ देशों के स्वतंत्रता दिवस समारोह आयोजित किए। हालांकि वह भौगोलिक रूप से बंटे हुए हैं मगर उनके संदेश एक हैं शांति और मित्रता ना कि दुश्मनी और नफरत के।
    13 अगस्त की शाम को दक्षिण एशिया में शंाति का वातावरण बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले सूफीवाद पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसमें सांसदों, लेखकों, बुद्धिजीवियों की बड़ी तादाद के अलावा न्यायमूर्ति राजेन्द्र सच्चर ने भी भाग लिया। सूफीवाद एक ऐसा ख्याल, ऐसी भावना है, जो किसी भी प्रकार के धार्मिक आग्रह, पक्षपात और सीमाओं से परे है। दक्षिण एशिया की मीडिया एसोसिएशन द्वारा फॉल्कलोर रिसर्च अकादमी, हिन्द-पाक दोस्ती मंच और पंजाब जागृति मंच के सहयोग से आयोजित इस सेमिनार ने सूफीवादी सिद्धांतों के माध्यम से आतंकवाद जैसी समस्याओं के जवाब खोजने की कोशिश की।
    पाकिस्तान राष्ट्रीय एसेम्बली के सदस्य खालिद अहमद और एसएएफएमए के खुशनूर अली खान कार्यक्रम के प्रमुख अतिथि थे।
    सेमिनार में भाग लेने वाले अन्य प्रसिद्ध एवं प्रबुद्ध लोगों में सूफी गायक हंसराज हंस, समाजवादी पार्टी नेता अम्बिका चौधरी, सतनाम सिंह मानेक और पूर्व सांसद एवं नई दुनिया के संपादक शाहीद सिद्दि भी शामिल थे। इस साझे मंच पर एक सामन जज्बातों का साझा किया गया और दोनों देशों के उलझे हुए राजनीतिक सवालों को हल करने और दो बंटे हुए समाजों के बीच में पुल का काम करने के लिए सूफीवाद को प्रोत्साहित करने की बात की गई।
    तत्पश्चात् 14 अगस्त को जलियांवाला बाग से वाघा बार्डर तक ‘‘अमन कारवां’’ के रूप में एक कैंडिल मार्च किया गया। भाकपा महासचिव ने इस ऐतिहासिक स्थल से अन्तर्राष्ट्रीय सीमा तक इस कैंडिल मार्च की मशाल संभाली और भारत पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवसों 14-15 अगस्त की रात्रि को 66वां स्वतंत्रता दिवस मनाया। मध्यरात्रि को अन्तर्राष्ट्रीय सीमा के पास आयोजित इस कैंडिल मार्च में कई हजार लोगों ने भाग लिया।
    जैसे ही आधी रात का समय हुआ सीमा के दोनों तरफ हजारों भारतीय और पाकिस्तानी लोग इस संकट के दौर में सौहार्द और सांझी विरासत की ज्योति रूपी कैंडल संभाले खड़े थे। दोनों देशांे की सीमा रेखाओं के बीच महज 15-20 फुट का फासला है। जिसके दोनों तरफ हाथों में मोमबत्ती लिए लोग एक दूसरे को बधाई दे रहे थे और शांति और दोस्ती के नारे लगा रहे थे। वह नारे लगा रहे थे कि ‘‘हम दुश्मन नहीं दोस्त हैं’’ और एक आवाज जब पाकिस्तान से उठती तो उसका जवाब हिन्दुस्तान की सीमा रेखा से आता था और यह नारा भारतीय सीमा से शुरु होता तो उसका जवाब पाकिस्तानी सीमा रेखा से आता था। वहां जोरदार नारे गूंज रहे थे ‘‘हिन्दी-पाकिस्तानी मैत्री जिन्दाबाद’’, ‘‘पाकिस्तान जिन्दाबाद’’, ‘‘हिन्दुस्तान जिन्दाबाद’’। एक ओर नारा जो हवा में गूंज रहा था ‘‘भाई को भाई से मिलन दो’’। इसमें औरत, बच्चे ओर हर आयु वर्ग के लोग शामिल थे। दोनांे तरफ के सीमा क्षेत्रों को शानदार ढंग से सजाया गया था।
    सीमा पर बीटिंग रीट्रिट एक नियमित कार्य है। दोनों तरफ के लोग इसमें उल्लासपूर्ण तरीके से शामिल होते हैं यह समारोह दरवाजों के बंद होने तक का है। 15 अगस्त को देशभक्ति की मजबूत भावना इसे और अधिक विशेष बना रही थी।
    औरतें और बच्चे जोश में ‘‘रंग दे बसन्ती’’ और ‘‘सुनो गौर से दुनिया वालों’’ जैसे गीत गा रहे थे। दूसरी तरफ भी ऐसे ही गाने थे ‘‘सबसे प्यारा है मेरा पाकिस्तान’’ जो उधर भी माहौल में देशभक्ति का जोश भर रहे थे।
    शाम का एक सांस्कृति कार्यक्रम में 5000 से अधिक लोगों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम में सुधाकर रेड्डी को मुख्य अतिथि बनाना भाकपा का बड़ा सम्मान करना था। इसी अवसर पर आधी रात को उन्होंने दोनों देशों के लोगों को संबोधित किया।
    इस समय पर बोलते हुए भाकपा नेता ने कहा कि दोनों देशों के बीच रक्षा बजट में कटौती करके सामान्य संबंध बहाल किए जा सकते हैं और बजट का बचा हुआ भाग दोनों देशों के विकास में सहायक होगा। उनके भाषण को लोगों ने काफी सराहा। उनका साथ भाकपा के पूर्व राज्य सचिव डा. जोगिन्दर सिंह दयाल और जिला सचिव अमरजीत सिंह असल के और कार्यक्रम के आयोजक रमेश यादव ने दिया।
    डा. दयाल ने पाकिस्तानी हिन्दुओं की समस्याओं को देखने के लिए पाकिस्तान के राष्ट्रपति द्वारा तीन सदस्यी कमेटी के गठन का स्वागत किया।
    आयोजकों ने दोनों देशों की सरकारों से अपने देशों के अल्पसंख्यकों की हिफाजत और देख-रेख की अपील की। उन्होंने दोंनों देशों की सरकारों से अल्पसंख्यकों, औरतों और बच्चों के जनवादी और मौलिक अधिकारों की रक्षा की भी अपील की। यह अपील उनके 11 प्रस्तावों का एक हिस्सा थी। अपील में आतंकवाद पर अंकुश और साम्प्रदायिक हिंसा पर रोक की मांग भी शामिल थी। इसी में सार्क देशों द्वारा पारित प्रस्तावों को लागू करने की अपील भी शामिल थी।

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