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शनिवार, 22 जून 2013

नेताओं की अवांछित सुरक्षा समाप्त की जाये.

लखनऊ २२ जून २०१३. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने उत्तर प्रदेश सरकार से मांग की है कि वह सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेताओं को मिली सुरक्षा के सम्बन्ध में श्वेत पत्र जारी करे.
    यहाँ जारी एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डॉ गिरीश ने कहा कि नेताओं की सुरक्षा के नाम पर जनता की गाढ़े पसीने की कमाई का भारी अपव्यय हो रहा है. आजकल लोग धन कमाने को राजनीति में आ रहे हैं और ज्यादा धन कमाने के लिए तमाम नाजायज कामों में लिप्त हैं. इसके लिए वे सरकारी सुरक्षा कवच का बेजा स्तेमाल करते हैं.
    इतना ही नहीं सुरक्षा कवच हासिल करने के लिए अपने ऊपर हमलों और धमकियों की तमाम फर्जी वारदातें कराते हैं और उसके आधार पर न्यायालय से सुरक्षा के लिए आदेश कराने में कामयाब हो जाते हैं. सत्ता पक्ष की लचर पैरवी के कारण भी यह सब आसानी से हो जाता है.
    यहाँ यह सवाल खड़ा होता है कि यदि वे जन सेवक अथवा जन नेता हैं तो उन्हें सुरक्षा की क्या ज़रुरत है?लेकिन वे माफियागीरी में लिप्त रहते हैं और इसी प्रतिद्वन्दिता में उन्हें सुरक्षा की चिंता लगी रहती है. डॉ गिरीश ने कहा कि भाकपा और वामपंथ के सभी नेता पूंजीपतियों, उद्योगपतियों, भ्रष्टाचारी नौकरशाही और माफियाओं से हमेशा संघर्ष करते हैं लेकिन इनमें से कोइ सुरक्षा लेकर नहीं चलता. सामान्य तौर पर जनता के हितों के लिए लड़ने वालों की रक्षा भी जनता करती है.
    डॉ गिरीश ने कहा कि अपने श्वेत पत्र में राज्य सरकार स्पष्ट करे कि किस नेता को किस्से खतरा है और क्यों? सुरक्षा पाने को गढ़े गए फर्जी मामलों की सच्चाई उजागर की जायेऔर फिर इस आधार पर सर्वोच्च न्यायालय से आदेश प्राप्त किया जाए कि ऐसे लोग अपनी सुरक्षा का खुद इंतजाम करें.


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