हाथरस/ लखनऊ - 6 अक्तूबर 2020, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कामरेड डी॰ राजा, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी ( मार्क्सवादी ) के महासचिव का॰ सीताराम येचुरी, भाकपा की सचिव एवं एटक की महासचिव का॰ अमरजीत कौर, माकपा
की पॉलिट ब्यूरो सदस्य बृंदा करात, भाकपा के राज्य सचिव डा॰ गिरीश, माकपा के राज्य सचिव डा॰ हीरालाल यादव आज सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ हाथरस
की बिटिया के गांव बूलगड़ी पहुंचे और पीड़ित परिवार की पीढ़ा साझा की और उनको ढाढ़स बँधाया।
परिवार ने वामपंथी नेताओं को पीड़िता की हत्या, हालात और बदसलूकी के बारे में विस्तार से बताया। परिवार अब भी अपने को सुरक्षित
महसूस नहीं कर रहा है और खुल कर बात करने से डर रहा है। वह न्याय की गुहार लगा रहा
है और इसके लिये वह न्यायिक जांच चाहता है। उसकी पीड़ा यह भी है कि माननीय उच्च न्यायालय
ने उन्हे 12 अक्तूबर को उपस्थित होने का नोटिस भेजा है और शोक के इन हालातों में उन्हें
यह भी पीड़ादायक लग रहा है।
दोनों दलों के शीर्ष नेत्रत्व ने परिवार की पीड़ा को
साझा किया और भरोसा दिलाया कि वे उनको न्याय दिलाने को हर स्तर पर सहयोग करेंगे। उपस्थित
मीडिया से उन्होने कहा कि यूपी में जिस तरह महिलाओं, बेटियों दलितों
और कमजोरों पर जुल्म हो रहे हैं उससे किसी भी इंसान की रूह कांप जाती है। उन्होने सर्वोच्च
न्यायालय की निगरानी में न्यायिक जांच की मांग की। उन्होने कहा कि बलरामपुर में बलात्कारियों
पर एनएसए लगाया गया है क्योंकि वे मुस्लिम हैं। हमें इस पर कोई आपत्ति नहीं, पर यह आश्चर्यजनक है कि देश और दुनियाँ को जिस हादसे ने स्तब्ध कर दिया है, उसके आरोपियों पर एनएसए लगाना तो दूर भाजपा के सांसद और विधायक उन्हें जेल
तक में वीआईपी सुविधाएं दिलवा रहे हैं। ऐसी सरकार से न्याय की उम्मीद कैसे की जा सकती
है।
एक सवाल के जबाव में वाम नेताओं ने कहा कि दंगाइयों
की सरकार मुख्य समस्या से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है और विपक्ष पर दंगा भड़काने
का आरोप लगा रही है। इस पर कौन विश्वास करेगा? सच तो यह है कि सरकार
संरक्षित आरोपियों के समर्थक प्रतिदिन यहाँ आने वालों पर पथराव कर रहे हैं और उपद्रव
करने की हर कोशिश कर रहे हैं। वे यह भी भूल गये हैं कि बाहर से आने वाले लोगों के साथ
शालीनता से व्यवहार करना चाहिये, जैसा कि भारत की संस्क्रति कहती
है।
वाम नेताओं ने एक स्वर से योगी सरकार को महिलाओं और
बालिकाओं के साथ हो रही दरिंदगी को रोकने में असफल बताया और मुख्यमंत्री के तत्काल
इस्तीफे की मांग की।
भाकपा नेता डा॰ गिरीश ने जिला प्रशासन के माध्यम से
सरकार से मांग की कि यदि परिवार के लोग उच्च न्यायालय जाने का निर्णय लेते हैं तो उनकी
सुरक्षा और लाने ले जाने की ज़िम्मेदारी सरकार और प्रशासन ले। उन्होने कहा कि पीड़ित
को न्याय दिलाने की आवाज उठाना हमारा फर्ज है तथा हम आम लोगों से भाई चारा बनाये रखने
की भी अपील कराते हैं।
वामदलों के नेताओं के साथ दर्जनों वाहनों के काफिले
में सैकड़ों अनुशासित कार्यकर्ता भी मौजूद थे। परन्तु न तो नेताओं की जिंदाबाद का नारा
लगा न ही किसी की मुर्दाबाद। कार्यकर्ताओं का कहना था कि वे यहां संवेदनाएं व्यक्त
करने आए हैं न कि राजनीति करने। वैसे ये कार्यकर्ता किसी भी चुनौती का सामना करने को मुस्तैद थे। मौके पर मौजूद लोग
उनकी शालीनता और अनुशासन की प्रशंसा कर रहे थे और स्थानीय प्रशासन भी तनावमुक्त महसूस
कर रहा था।
प्रतिनिधि मण्डल में आदिकेशन एडवोकेट, गफ्फार अब्बास, सुहेव शेरवानी सभी भाकपा, ब्रजलाल भारती, भारत सिंह एवं इदरीश सभी माकपा आदि भी
शामिल थे। शेष सैकड़ों कार्यकर्ता बैरीकेडिंग के बाहर लाल झंडे लिये खड़े थे।
डा॰ गिरीश
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