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शुक्रवार, 16 अप्रैल 2010

‘कामरेड’ सिर्फ एक शब्द नहीं!

‘कामरेड’!
सिर्फ एक शब्द नहीं,
बिजली की लाखों रोशनियों को एक साथ जला देने वाला एक स्विच है
जिसे दबाते ही
रंग बिरंगी रोशनियों की एक विश्व-व्यापी कतार जगमगा उठती है!
एक स्विच, जो वाल्ट व्हिटमॅन को मायकोवस्की से
और पाब्लो नेरूदा को नाज़िम हिकमत से मिला देता है,
मॅक्सिम गोर्की, हावर्ड फ़ास्ट और यशपाल के बीच
एक ही प्रकाश-रेखा खींच देता है!

‘कामरेड’!
सिर्फ एक स्विच नहीं, एक चुम्बन है!
एक चुम्बन, जो दो इन्सानों के बीच की सारी दूरियों को
एक ही क्षण में पाट देता है
और वे इसके इच्चारण के साथ ही
एक दूसरे से यों घुलमिल जाते हैं
जैसे युगों के परिचित दो घनिष्ठ मित्र हों!
एक चुम्बन, जो कांगों की नीग्रो मज़दूरिन
और हिन्दुस्तान के अछूत मेहतर को
एक क्षण में लेनिन के साथ खड़ा कर देता है!
एक अदना से अदना इन्सान को
इतिहास बनाने के महान उत्तदायित्व से गौरवान्ति कर जाता है!
‘कामरेड’!
सिर्फ एक चुम्बन नहीं, एक मंच है
जो बोलने वाले और सुनने वाले दोनों को पवित्र कर देता है
एक मंत्र, जिसे छूते ही अलग-अलग देशों, नस्लों, रंगों और वर्गों के लोग
एक दूसरे के सहज सहोदर बन जाते हैं!
एक रहस्यमय मंत्र
जो इन्सान की आज़ादी, बराबरी और भाईचारे के लिए
कुरबान होने वाले लाखों शहीदों की समाधियों के दरवाजे
सबके लिए खोल देता है
और साधारण से साधारण व्यक्ति उनकी महानता से हाथ मिला सकता है!
‘कामरेड’!
दिलों को दिलों से मिलाने वाली एक कड़ी है,
शरीरों को शरीरों से जोड़ने वाली एक श्रंृखला है,
विषमता और भेदभाव के तपते हुए रेगिस्तान का एक मरूद्वीप है
जहां आकर जुल्म और अन्याय की आग में जलते हुए राहगीर
राहत की सांस लेते हैं,
एक दूसरे का हौसला बढ़ाते हैं।
(कवि के शीघ्र प्रकाश्य संकलन ‘प्रतिनिधि कविताएं’ में से)
- डा. रणजीत

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