हमारी पार्टी एवं अन्य वामपंथी पार्टियां इतिहास की सबसे बड़ी चुनौती का सामना कर रही हैं। पांच राज्यों के चुनाव 2013 में और लोकसभा चुनाव 2014 में आने वाले हैं। हमें आप सबके सहयोग से इन चुनावों में भाग लेना है।
गत चार वर्षों में कांग्रेस के नेतृत्व में चल रही केन्द्र की संप्रग-2 सरकार अपने तथाकथित आर्थिक सुधारों के एजेण्डे पर चल रही है। उसकी आर्थिक नवउदारवाद की इन नीतियों के परिणामस्वरूप मुद्रास्फीति, महंगाई, बेरोजगारी में भारी वृद्धि हुई है और रोजगार के अवसर कम हुये हैं। आम जनता और नौजवानों को इससे भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। जनता के जनवादी अधिकारों में कटौती हुई है और अनियंत्रित भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिला है। भ्रष्टाचार समाज में कैंसर की तरह फैल चुका है। सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों के नेता भ्रष्टाचार में लिप्त पाये गये हैं। केवल वामपंथी दल हैं जिन पर भ्रष्टाचार का आरोप आज तक नहीं लग पाया।
भाजपा शासित राज्यों में भी वही सब किया जा रहा है जोकि संप्रग द्वारा किया जा रहा है। दोनों में कोई अंतर नहीं। भाजपा भी आर्थिक नवउदारवाद के प्रति पूरी तरह समर्पित है। कर्नाटक की उनकी सरकार का भ्रष्टाचार जगजाहिर है। उनके दो-दो पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष भ्रष्टाचार के आरोपों में बेनकाब हो चुके हैं। मुख्य विपक्षी दल के तौर पर भाजपा संप्रग के खिलाफ दिखावटी लड़ाई करती है। राजग शासन संप्रग का विकल्प नहीं हो सकता। चेहरे और दल बदल जाने मात्र से स्थिति में कोई बदलाव आने वाला नहीं है।
उत्तर प्रदेश की सरकार ने भी प्रदेश की जनता को हर तरह निराश किया है। चारों ओर निराशा का माहौल बना है। लेकिन यहां भी मुख्य विपक्षी दल गाली-गलौज और बयानबाजी की राजनीति तक सीमित है।
जनता नाखुश और नाराज है। सभी तबके आवाज उठा रहे हैं। जमीन की रक्षा व बेरोजगारी और महंगाई के खिलाफ; पेट्रोल, गैस, डीजल, बिजली और पानी के दामों में बढ़ोतरी के खिलाफ, लैंगिक समानता और महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिये देश के कई हिस्सों में खुद-ब-खुद आन्दोलन खड़े हुये हैं। 20-21 फरवरी को देश के मेहनत करने वाले तबकों की दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल इन आन्दोलनों का एक ऊंचा शिखर थी।
भाकपा एवं वामपंथी दल इन संघर्षों में पूरी शिद्दत से जनता के साथ थे। भाकपा धर्मनिरपेक्षता की मजबूती के लिये संघर्ष कर रही है। लोकतंत्र की रक्षा के लिये लड़ रही है। दलित, आदिवासी और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और समानता के लिये लड़ रही है।
हम उनके लिये संसद और विधान सभाओं तथा सड़कों पर उतर कर लड़ते हैं। दरअसल भाकपा और वामपंथ को मजबूत बनाने से ये सभी लड़ाइयां और भी मजबूत बनेंगी।
सारे हालातों को लोग समझ रहे हैं, वे बदलाव चाहते हैं। वे वामपंथ को अपना सबसे भरोसेमंद साथी मानते हैं। अतएव वामपंथियों के साथ जनवादी ताकतें मिलकर कांग्रेस और भाजपा की नीतियों का विकल्प बन सकती हैं। हमारा प्रयास उसी ओर है।
भाकपा लोकसभा की लगभग 60 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। पांच राज्यों के आगामी विधान सभा चुनावों में भी कुछ सीटों पर लड़ेगी। हमें अपनी राजनैतिक एवं सांगठनिक गतिविधियों को भी चलाना है। जगजाहिर है कि हमारे क्रियाकलाप और चुनाव अभियान आप लोगों के सहयोग से ही चलते हैं। अतएव हमें आपकी सहायता की बेहद आवश्यकता है।
हम आप सभी से जो मौजूदा व्यवस्था को बदलना चाहते हैं, आर्थिक योगदान की पुरजोर अपील करते हैं। भाकपा ने पूरे देश से 15 करोड़ रूपये का चुनाव फंड/पार्टी फंड एकत्रित करने का निश्चय किया है। हम आपसे दिल खोल कर दान करने की अपील करते हैं।
जिलों-जिलों में हमारे साथी अथवा साथियों की टीमें धन संग्रह हेतु आप तक पहुंचेगी। आप उन्हें अवश्य ही अपना योगदान दें। यदि आप तक हमारे साथी किसी कारण नहीं पहुंच पाते तो हमारे राज्य कार्यालय को आर्थिक सहयोग की धनराशि अवश्य भेजें।
आप अपना सहयोग ”कम्युनिस्ट पार्टी आफ इंडिया, उत्तर प्रदेश स्टेट कौंसिल“ के नाम मल्टी सिटी चेक अथवा ड्राफ्ट से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश स्टेट कौंसिल, 22-कैसरबाग, लखनऊ - 226 001 के पते पर भेज सकते हैं अथवा आरटीजीएस/एनईएफटी के जरिेये हमारे निम्न खाते में अपने बैंक के माध्यम से भेज सकते हैं या फिर निम्न खाता संख्या तथा खातेदार का नाम लिखकर यूनियन बैंक आफ इंडिया की किसी भी शाखा पर जमा कर सकते हैं।
खाता संख्या: 353302010017252
खातेदार का नाम: कम्युनिस्ट पार्टी आफ इंडिया, उत्तर प्रदेश स्टेट कौंसिल
बैंक का नाम: यूनियन बैंक आफ इंडिया, क्लार्कस अवध शाखा, लखनऊ
आईएफएससी कोड : UBIN0535338 , बैंक शाखा का कोड: 535338 माईकर कोड सं. 226026006
सहयोग के लिए अग्रिम धन्यवाद के साथ,
निवेदक:
(डा. गिरीश)
राज्य सचिव
09412173664, 07379697069
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश राज्य कौंसिल
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