लखनऊ- 24 सितंबर 2021, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव
मंडल ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया है कि वह शासन प्रशासन में व्याप्त भ्रष्टाचार को
रोकने के बजाये, हर तरह से किसानों को बरवाद करने पर आमादा है।
बटाईदार किसानों से धान और गेहूं की सरकारी खरीद न किये जाने का तुगलकी फैसला किसानों
की रही सही कमर भी तोड़ देगा।
राज्य सरकार राशन प्रणाली में धांधली रोकने और एमएसपी
खरीद में पारदर्शिता स्थापित करने में असफल रही है। अपनी इस असफलता का ठीकरा बटाईदार
किसानों पर फोड़ना चाहती है। इसीलिए उसने ऐसा फैसला लिया है।
भाकपा ने कहा कि आज तमाम
छोटी जोतों वाले किसान अपनी ज़मीनें बटायी या वार्षिक पट्टे पर देकर शहरों में नौकरियाँ
करने चले जाते हैं। कई अशक्त, बुजुर्ग और महिला किसान भी अपनी ज़मीनें बटाईदार किसानों
को देकर खेती करवाते हैं। अब सरकार के नए फैसले के अनुसार ये किसान सरकारी खरीद केन्द्रों
पर धान/ गेहूं नहीं बेच पाएंगे और उन्हें बाज़ारों में बेच कर भारी घाटा उठाएंगे। और
आगे से वे बटायी पर खेती कर नहीं पाएंगे तो हजारों किसानों की ज़मीनों पर खेती हो नहीं
पायेगी। और ज़मीनें खाली रहने पर किसान उसे बेचने को बाध्य होंगे। सरकार ऐसा ही चाहती
है।
भाकपा ने कहाकि पहले तीन काले क्रषी कानून व विद्युत
बिल 2020 लाकर सरकार ने किसानों की ज़मीनें कार्पोरेट्स के हवाले कराने का रास्ता खोल
दिया है। अभी तक एमएसपी की गारंटी वाला कानून तक नहीं बनाया। गन्ना मूल्य घोषित नहीं
किया, और अब एमएसपी पर उपज न खरीदने का रास्ता भी खोज लिया। निश्चय ही यह कदम घनघोर
किसान क्रषी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए घातक है। भाकपा इस पर कडा विरोध जताती
है, और इसको रद्द करने की मांग करती है।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश
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