भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का प्रकाशन पार्टी जीवन पाक्षिक वार्षिक मूल्य : 70 रुपये; त्रैवार्षिक : 200 रुपये; आजीवन 1200 रुपये पार्टी के सभी सदस्यों, शुभचिंतको से अनुरोध है कि पार्टी जीवन का सदस्य अवश्य बने संपादक: डॉक्टर गिरीश; कार्यकारी संपादक: प्रदीप तिवारी

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Communist Party of India, U.P. State Council

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बुधवार, 7 अगस्त 2013

ईमानदार एवं कर्मठ आई ए एस अधिकारी श्रीमती दुर्गाशक्ति नागपाल का अनैतिक एवं अवैध निलंबन निरस्त किया जाये


लखनऊ ७ अगस्त १३-भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी,लखनऊ के ज़िला मंत्री मो.खालिक के नेत्रित्व में एक प्रतिनिधिमंडल आज नगर मजिस्ट्रेट श्री सीता राम गुप्त जी से मिला और राज्यपाल को संबोधित एक ज्ञापन आई ए एस अधिकारी श्रीमती दुर्गा नागपाल का निलंबन समाप्त करने के सम्बन्ध में उनको सौंपा. नगर मजिस्ट्रेट महोदय द्वारा इसे जिलाधिकारी के माध्यम से राज्यपाल को उचित कार्रवाई हेतु भेजने का आश्वासन दिया गया.
     
प्रतिनिधिमंडल में मो खालिक के अतिरिक्त का. परमानंद दिवेदी,मो.अकरम,महेंद्र रावत,राजपाल यादव,विजय माथुर, शमशेर  बहादुर सिंह आदि सम्मिलित थे 

(मो खालिक)

 ज्ञापन : 
महामहिम राज्यपाल महोदय 
उत्तर प्रदेश,लखनऊ 
द्वारा 
जिलाधिकारी,लखनऊ 
विषय-ईमानदार एवं कर्मठ आई ए एस अधिकारी श्रीमती दुर्गाशक्ति नागपाल का अनैतिक एवं अवैध निलंबन निरस्त करने के संबंध में। 

आज दिनांक ७-८-२०१३ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी जिला काउन्सिल लखनऊ द्वारा राज्य पार्टी के पूर्व निर्धारित कार्यक्रम जो उ.प्र. के सभी जिलों में होना है उक्त कड़ी में लखनऊ भा.क.पा. आपको निम्नलिखित ज्ञापन प्रस्तुत करती है.
       उ.प्र.सरकार खनन माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने वाली कर्तव्य परायण महिला आई ए एस अधिकारी श्रीमती दुर्गाशक्ति नागपाल (उप जिला अधिकारी,गौतम बुद्ध नगर)का निलंबन करके यह साबित कर दिया है कि,यह सरकार खनन माफियाओं को प्रश्रय दे रही है और कर्मठ एवं ईमानदार अधिकारियों को प्रताड़ित कर उनका मनोबल गिरा रही है. अपने इस अनैतिक कृत पर अफ़सोस जताने के बजाये प्रदेश सरकार एक बड़े झूठ का सहारा ले रही है और निलंबन को मस्जिद और मुस्लिम समाज से जोड़ा जा रहा है;पूरी सरकार एक अधिकारी के खिलाफ अनैतिक युद्ध चला रही है और वोट की राजनीति कर रही है.
       यह  सरकार नाक  नीचे लखनऊ में हो रहे एक ही समुदाय के दंगों को रोकने के लिए तमाम दंगों से प्रभावित लोगों के ऊपर मुकदमा लगा रही है जिसकी जांच होनी चाहिए. पहला पत्थर मारने वाले की खोज करनी चाहिए जिससे दंगाइयों की पोल खुल जायेगी.
       भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी सरकार द्वारा निलंबन के इस कदम की निंदा करती है और मांग करती :
       १-यह कि कर्मठ और ईमानदार आई ए एस अधिकारी दुर्गाशक्ति नागपाल का निलंबन तत्काल ख़त्म किया जाए.
       २-यह कि समूचे उत्तर-प्रदेश में पर्यावरण को क्षति वाले अवैध खनन को रोका जाए.
       ३-यह कि खनन माफियाओं के विरिद्ध कड़ी करवाई की जाए और उनसे जुड़े सफ़ेद पोश नेताओं को भी जेल भेजा जाए.
       ४-यह कि कर्मठ और ईमानदार अधिकारियों का उत्पीडन बंद किया जाए. भ्रष्ट और नाकारा अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाए.
       ५-यह कि निलंबन की कार्यवाही को जायज ठहराने के लिए घटना का साम्प्रदायिक कदापि न किया जाये.
       ६-यह कि लखनऊ सहित प्रदेश के विभिन्न भागों में हो रहे दंगों की जांच कराके दोषियों को कड़ी सजा दी जाए.
आशा ही नहीं पूरा विशवास है कि आप उपयुक्त मांगों पर शीघ्र समुचित कार्यवाही करेंगे.
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दुर्गा की बहाली तथा कमल भारती की रिहाई हेतु भाकपा ने किया जिलों-जिलों में धरना-प्रदर्शन

लखनऊ 7 अगस्त। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रान्तीय आह्वान पर भाकपा कार्यकर्ताओं ने आज पूरे प्रदेश के जिला मुख्यालयों पर खनन माफियाओं की गिरफ्तारी, युवा महिला आईएएस दुर्गा शक्ति नागपाल की बहाली और उन्हें दी गई फर्जी चार्जशीट को तत्काल रद्द करने, फेस बुक पर अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति करने पर गिरफ्तार किये गये दलित लेखक कमल भारती की बिना शर्त रिहाई तथा दंगों पर रोक लगाने की मांगों को लेकर जुलूस निकाले, जिला कचेहरियों पर धरना दिया तथा राज्यपाल को सम्बोधित एक ज्ञापन जिलाधिकारियों को दिया।
राज्यपाल को सम्बोधित ज्ञापनों में कहा गया है कि खनन माफियाओं को राज्य सरकार द्वारा अनैतिक रूप से प्रोत्साहन दिया जा रहा है और इस हेतु मस्जिद की दीवाल गिराने का फर्जी बहाना बना कर एक ईमानदार, युवा महिला अधिकारी को गैर जिम्मेदाराना ढंग से निलम्बित कर दिया गया और उसे गलत आरोपों के आधार पर आरोपित कर दिया गया है। ज्ञापनों में कहा गया है कि फेस बुक पर अपनी अभिव्यक्ति पर तानाशाही पूर्ण रवैया अख्तियार करते हुए दलित लेखक कमल भारती को गिरफ्तार कर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बोल दिया गया है। इसके अलावा राजधानी लखनऊ सहित प्रदेश के कई हिस्सों में साम्प्रदायिक माहौल को खराब करने के प्रयास करने वालों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गयी और ऐसी कोई कार्यवाही न करने वाले किसी प्रशासनिक अधिकारी के खिलाफ कोई कार्यवाही भी नहीं की गयी है। लोकतंत्र के अन्दर इस तरह का बरताव करने की स्वतंत्रता किसी को भी नहीं दी जा सकती है। ज्ञापनों में यह भी कहा गया है सपा के मत्रियों द्वारा निलम्बित आईएएस अधिकारी दुर्गा नागपाल के परिवार के बारे में खुलासे की धमकी देना चरित्र हनन का अपराधिक प्रयास है, जिसकी निन्दा की जानी चाहिए।
भाकपा के राज्य मुख्यालय से आज यहां जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में दावा किया गया है कि प्रदेश के 63 जिलों में ये जुलूस तथा धरने आयोजित किये गये। जिन जिलों से सम्पर्क न हो सकने के कारण वहां आज विरोध प्रदर्शन आयोजित नहीं हो सके, वहां वे भविष्य में आयोजित किये जायेंगे।
भाकपा राज्य मुख्यालय से जारी प्रेस विज्ञप्ति में मुख्यमंत्री से मांग की गयी है कि वे मामले में बचपना दिखाना बन्द करें और गुण-अवगुण के आधार पर अपने गलत कदम को वापस ले लें।
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UP cops arrest dalit writer for Facebook post criticizing UP govt on Durga Nagpal issue--- Ashish Tripathi

LUCKNOW: Dalit thinker and writer Kanwal Bharti was on Tuesday arrested by the police in Rampur district for an alleged provocative post on Facebook criticizing Uttar Pradesh government and senior minister Azam Khan on the issue of suspension of IAS officer Durga Sakthi Nagpal.

Bharti was arrested on a complaint filed by an aide of Azam Khan but was later released on bail. The chief judicial magistrate did not find any merit in the charges levelled against him.

Bharti in his post pointed out, "An old madrassa was demolished in Rampur. The coordinator of the madrassa was arrested and put in jail for opposing the move. The Akhilesh government did not suspend any officer because Azam Khan rules the district, not Akhilesh."

Bharti was charged with instigating and hurting communal feelings. He was produced before the court of chief judicial magistrate who granted him bail saying that there is no merit in the case.

Bharti, when contacted, described his arrest as an assault on freedom of expression. He said that he was arrested at around 8 in the morning. "The police have confiscated my computer and books have been confiscated. A lot of my work is stored in the computer. The police have not mentioned the items in the FIR. I don't know whether I will get them back. Several writers and intellectuals are coming to meet me on Wednesday, then we will decide the future course of action," he said.

Regarding demolition of the madrassa, Bharti said that it is situated near Azam Khan's house and was demolished on July 23 during the month of Ramzan. He said that the coordinator of the madrassa was arrested for opposing the demolition. However, he added, no action was taken against any officer. He also said that there was no communal tension over the incident in the area. "I simply posted the entire episode on the Facebook to make people aware of the facts," he said.

Bharti had compared the demolition of the madrassa with that of the boundary wall of a mosque in Kadilpur village of Gautam Budh Nagar. Durga as sub-divisional magistrate (Sadar) of Gautam Budh Nagar district had allegedly got the wall demolished on July 27. Though the wall was being built on public land in violation of the Supreme Court order, the state government said that Durga was put under suspension because her action led to communal tension in the area.

However, Durga was on the hitlist of the mining mafia of the area as she had cracked whip on illegal sand mining.

SP leader and chairperson of UP agro Narendra Bhati, who enjoys status of a minister and is Lok Sabha candidate of Samajwadi Party from Gautam Budh Nagar, was caught on camera bragging about how he got Durga suspended in just 41 minutes.
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मंगलवार, 6 अगस्त 2013

घटता रोजगार बढ़ती बेरोजगारी

उत्तर प्रदेश में प्राथमिक शिक्षकों के 72,000 पदों के लिए 58,00,0000 आवेदन प्राप्त हुए तो पश्चिम बंगाल में 35,000 पदों के लिए 54,50,000 आवेदन प्राप्त हुए। एक पद के लिए उत्तर प्रदेश में 80 तो पश्चिम बंगाल में 156 उम्मीदवार का औसत है। ऐसी ही हालत पूरे देश में है। केवल इन दो राज्यों में जितने लोगों ने आवेदन किया है, उनकी संख्या सिंगापुर की कुल आबादी की दो गुना है। पता नहीं कितने पिताओं के दर्शन का दुर्भाग्य मुझे प्राप्त हुआ जो यह कहने के लिए आये थे कि वे खेत बेच कर अपने पुत्र या पुत्री की नौकरी के लिए कितने लाख देने को लालयित हैं। बाजार लगा हुआ है जहां खरीददार ज्यादा और माल (नौकरियां) कम हैं। काबिलियत कोई मायने नहीं रखती।
देश में शिक्षित बेरोजगार युवकों की तादाद तेजी से बढ़ रही है। सरकारी आंकड़ों का सन्देश यह है कि आप जितने शिक्षित होंगे, बेरोजगारी की संभावनायें उतनी ही ज्यादा प्रबल हो जायेंगी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के शहरी इलाकों में अशिक्षित बेरोजगार केवल 1.3 प्रतिशत और ग्रामीण इलाकों में केवल 1.1 प्रतिशत हैं। माध्यमिक स्तर की पढ़ाई करने वाले 4.4 प्रतिशत शहरों में बेरोजगार हैं तो गांवों में 5.4 प्रतिशत। शहरी इलाकों में स्नातक बेरोजगारों की संख्या 8.4 प्रतिशत है तो गांवों में 11 प्रतिशत जबकि परास्नातक बेरोजगारों की संख्या शहरों में 7.7 प्रतिशत है तो गांवों में 13.9 प्रतिशत।
हाल में रोजगार संबंधी समाधान सुझाने वाली एक कंपनी एस्पारिंग माइंड्स ने करीब 6000 स्नातकों पर कराये गये अध्ययन में यह पाया कि 53 प्रतिशत युवक ही किसी नौकरी के काबिल हैं क्योंकि बाकी की अंग्रेजी काफी कमजोर है। आजादी के इतने सालों बाद भी देश में नौकरी पाने के लिए अंग्रेजी भाषा का ज्ञान की आवश्यकता भी बहस का एक मुद्दा है।
बेरोजगारी बढ़ने के बावजूद युवाओं में कोई गुस्सा नहीं दिखाई देता। वे सड़कों पर रोजगार मांगते दिखाई नहीं देते तो सरकार उनकी तरफ सोचे भी तो क्यों?
कुछ साल पहले की बात है कि एक चिकित्सक महोदय एक सम्मेलन में इंग्लैंड गये थे। लौट कर उन्होंने अपने सभी मरीजों को यह बताना शुरू किया कि वहां पर चिकित्सा व्यवस्था किस तरह निःशुल्क है और कैसी बेहतर सुविधायें वहां पर मौजूद हैं। वे बताया करते थे कि अगर किसी वृद्ध की तबियत खराब होती है तो वह अपने पुत्र या पुत्री के बजाय अस्पताल को फोन करता है, अस्पताल से एम्बुलेंस आकर उसे ले जाती है, उसका डाक्टरी मुआइना होता है और वह अस्पताल से बिना कुछ भी खर्च किये हुये दवाओं के साथ वापस आ जाता है। इस व्यवस्था का कारण वह यह बताते थे कि इंग्लैंड में वयस्कों की संख्या ज्यादा है और जिस किसी भी पार्टी की सरकार होती है, वह इनसे इनके इस अधिकारों को छीनने की जुर्रत इसलिए नहीं कर सकता है कि सरकार बनाना और गिराना उनके हाथ में होता है। जरा सी बात होने पर यह लोग सड़कों पर आ जाते हैं। हो सकता है कि उनकी इन बातों में कुछ अतिश्योक्ति हो लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि वहां की जनता अपने चिकित्सा के अधिकारों के प्रति जागरूक थी और उसके लिए संघर्ष करना जानती थी।
हिन्दुस्तान की आबादी का आज एक बहुत बड़ा हिस्सा युवा है और उसका अधिसंख्यक हिस्सा बेरोजगार है। यह वह हिस्सा है जो अपनी पारिवारिक आर्थिक स्थिति में कारण टॉप-10 या टॉप-20 कालेजों में दाखिला नहीं पा सकता और न ही ऐसे कालेजों की फीस भर सकता है। इसलिए उसका अंग्रेजी का ज्ञान कमजोर होता है। लेकिन यह तबका अपनी ताकत को नहीं समझता। सरकारें बनाने और सरकारें गिराने की क्षमता रखते वाला यह नौजवान अपनी ताकत को नहीं जानता। अपनी काबिलियत पर नौकरी छीनने की बात न कर अपने पिता के खेत को बेचने के ख्वाब देखता है। ‘नौकरी दो या बेरोजगारी भत्ता दो’ या ‘एक पैर रेल में एक पैर जेल में’ जैसे नारे लगाते युवाओं के हुजूम सड़कों पर नहीं दिखाई देते। शिक्षित नौजवान देश में क्रान्ति कर सकते हैं। परन्तु उन्हें क्रान्ति की चेतना से लैस करने वाले संगठन भी आज कल खामोश है। यह खामोशी समझ में नहीं आती।
बकौल भगत सिंह ऐसे नौजवानों में अगर क्रान्ति की चेतना नहीं भरी जाती तो यह प्रतिक्रियावादियों के हाथ के औजार बन जाते हैं। आइये इस खामोशी पर कुछ बहस करते हैं और कोशिश करते हैं कि इस बहस से इन नौजवानों में व्याप्त श्मशान सी खामोशी को तोड़ा जाये।
- प्रदीप तिवारी
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Sand mining banned across India; UP, Centre spat over Durga Shakti Nagpal


 The national green tribunal (NGT) on Sunday banned mining or removal of sand from river beds across the country without an environmental clearance amid the uproar over suspension of an IAS officer who had cracked down on sand mafia in Uttar Pradesh. In its order, the Tribunal noted that the loss caused to the state exchequer due to illegal sand mining may run into lakhs of crores of rupees.

The order was given on a plea alleging that such activities were going on in UP with the "wilful connivance" of its state machinery.

Widening the ambit of the plea, a bench headed by NGT chairman Justice Swatanter Kumar said its order would be applicable across the nation as the petition raised substantial environmental issues.

Initially, the bench banned illegal sand mining on the beds and banks of rivers Yamuna, Ganga, Hindon, Chambal, Gomti, among others, but later modified its order saying the issue of illegally removing sand has nationwide implications. The bench said the clearance has to be obtained from the ministry of environment and forests (MoEF) or state environment impact assessment authority (SEIAA).

"We restrain any person, company, authority to carry out any mining activity or removal of sand, from river beds anywhere in the country without obtaining environmental clearance from MoEF/SEIAA and license from the competent authorities," the bench said while issuing notices to all respondents seeking their response by August 14. The tribunal also directed all the mining officers and police officers concerned of all the states to ensure compliance of its orders, on the plea filed by the National Green Tribunal Bar Association.

The petition alleged that those who have opposed such sand mining, including field level officers, like suspended SDM Durga Shakti Nagpal, have been victimized which is also apparent from various news reports.

Nagpal, the 28-year-old SDM of Gautam Budh Nagar who led the crackdown on sand mining mafia in her district, was suspended on July 27 ostensibly for ordering demolition of a wall of a under-construction mosque allegedly without following the due process. Nagpal, who belongs to the UP cadre, was chargesheeted yesterday.

Senior advocate Raj Panjwani assisted by advocate Ritwick Dutta, appearing for the association, contended that "rampant" illegal mining and transport of lakhs of tonnes of sand is being carried on every year and is causing a loss of lakhs of crores of rupees to the state exchequer.

UP, Centre spat over Durga Sakthi Nagpal

Meanwhile, a defiant Samajwadi Party (SP) appeared heading for a confrontation with the Centre over the IAS officer's suspension issue, asserting that UP government's decision is "correct and final" and went a step further taunting it to remove all IAS officers from the state.

Firing the first salvo, SP supremo Mulayam Singh Yadav said the decision to suspend IAS officer Durga Sakthi Nagpal, who hit the spotlight for cracking down on the sand mafia, is justified.

"It is correct. It is final," he told reporters outside Parliament with a firm "no" on being asked whether the suspension order would be revoked.

Amid the brewing hostility between the SP and the Centre over the suspension issue, Prime Minister Manmohan Singh said government is in touch with the state authorities on the issue and that laid down rules will be followed.

The unrelenting stand of the ruling SP government was also voiced in Lucknow by Chief Minister Akhjilesh Yadav who made it clear that officials who make "mistakes" will be punished.

"There might be many children (sitting here) who I can say would have received a beating from their teachers and parents when they had done something wrong ... the government is also run like this, whenever any official does something wrong he is punished", Akhilesh, who has justified the suspension of Nagpal, a 2010-batch officer, said at a function.

In Delhi, SP leader Ram Gopal Yadav struck a defiant note. "If the Centre wants to intervene, it can remove all the IAS officers from Uttar Pradesh. We will run the state with our own officers," he said.

Minister of state for personnel V Narayanasamy said that under the rules, the suspended officer has the right to appeal.

"She has not approached us so far. But if she sends her appeal to us, we will send its copy to the state government and seek its response. Then we will decide the future course of action. Normally, an officer approaches the state government ... We cannot act suo moto," he said.

Nagpal, the 28-year-old SDM of Gautam Budh Nagar, who led the crackdown on sand mining mafia in her district, was suspended on July 27 ostensibly for ordering demolition of a wall of a mosque under construction allegedly without following the due process. Nagpal, who belongs to the UP cadre, was charged on Sunday.
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सोमवार, 5 अगस्त 2013

खनन माफिया के खिलाफ कड़ी कार्यवाही और दुर्गा शक्ति के निलम्बन वापसी की मांग को लेकर भाकपा करेगी 7 अगस्त को जिला केन्द्रों पर प्रदर्शन

लखनऊ 5 अगस्त। समूचे उत्तर प्रदेश में पर्यावरण को बरबाद कर रहे अवैध खनन को रोके जाने, खनन माफियाओं के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही किये जाने, आईएएस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल का निलम्बन वापस लेने और उन्हें दी गई फर्जी चार्जशीट को तत्काल रद्द करने, निलम्बन की अवैध कार्यवाही को मस्जिद विवाद से जोड़कर राजनीतिक कार्ड न खेले जाने तथा प्रदेश में हो रहे दंगों की जांच कराके दंगाइयों के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही किये जाने की मांगों को लेकर अब भाकपा समूचे प्रदेश में सड़कों पर उतरने जा रही है।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा. गिरीश ने बताया कि उपर्युक्त मांगों को लेकर भाकपा 7 अगस्त को प्रदेश भर में जिला केन्द्रों पर धरने/प्रदर्शन आयोजित करेगी और महामहिम राज्यपाल को सम्बोधित ज्ञापन जिलाधिकारियों को सौंपे जायेंगे। लखनऊ में भाकपा 3 अगस्त को ही प्रदर्शन आयोजित कर चुकी है।
भाकपा राज्य सचिव ने राज्य सरकार पर आरोप जड़ा है कि इस छोटे से मामले पर अड़ियल रूख अपना रही है और वोट की राजनीति कर रही है। यदि अखिलेकश सरकार सख्त होने का सन्देश ही देना चाहती है तो दंगों और दंगाइयों से कड़ाई से निपटे और चरमरा चुकी प्रदेश की कानून व्यवस्था को पटरी पर लाये। आईएएस अधिकारी के खिलाफ सरकार के अतार्किक कदम ने भ्रष्टाचारी एवं माफियाओं के हौसले बढ़ाये हैं और वह जनता की दृष्टि में अपनी छवि धूमिल कर रही है।
भाकपा राज्य सचिव ने अपनी समस्त जिला इकाइयों का आह्वान किया कि वे 7 अगस्त को जिलों-जिलों में धरने/प्रदर्शन की कार्यवाही को अंजाम दें। उन्होंने जनता से भी अपील की कि वह न्याय के पक्ष में और अन्याय के खिलाफ अपनी आवाज बुलन्द करे।
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साहसी AISF नेत्री -अंशु कुमारी

Saturday

YES...........YES IT'S TRUE,,,,,,,.......!!!!!!!!!!!!!!!!!!1



हां, यह सच है। '"सच विचलित हो सकता है पर पराजित नहीं।'" यही वो वीसी हैं जो झूठा मुकदमा में मुझे फंसा कर छात्रों की आवाज दबाने की कोशिश की.... इन्होंने अटेम्प्ट टू मर्डर के साथ कई और धारा लगाकर एफआईआर करवाई... इतना ही नहीं... एक महीने के लिए कॉलेज कैंपस के साथ-साथ गर्ल्स हॉस्टल से भी निकालवा दिया... वो भी बिना किसी नोटिस के... रात में ही जरूरी सामानों को सीज कर दिया... इतना भी प्रारंभिक जांच नहीं की गई कि जिस घटना का मुझे आरोपी बनाया गया उस वक्त मैं छात्रसंघ की मीटिंग में थी... इसकी जानकारी डीन और एडमिन्स्ट्रेशन को अच्छी तरह से और लिखित रूप से थी... मीटिंग कक्ष से वीसी ऑफिस की दूरी को भी ध्यान में नहीं रखा गया.... एक महीने तक लगातार मर्डर की धमकी दी गई.... ऐसे वक्त में मुझपर कुछ लोगों का विश्वास था... वह थे यूनिवर्सिटी के छात्र... लेकिन पुरुषवादी मानसिकता के कुछ लोग अपने आदत से बाज नहीं आए... उन्हें जो कहना था कहा... नसीहत आने लगी कि लड़की को घर से बाहर क्रांति करने नहीं निकलना चाहिए... ऐसे ही कुछ अपने रिलेटिव भी शुरू हो गए... अब बताओ तुमसे कौन शादी करेगा???... पर मैं डरी नहीं। मुझे पता था मैं छात्रों के लिए लड़ रही हूं... उनकी परेशानियों को खत्म करवाने के लिए किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटूंगी... ऐसे वक्त में मुझे एक गाने के बोल अक्सर याद आ रहे थे... सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है... देखना hai जोर कितना बाजुए कातिल में है............
 
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शनिवार, 3 अगस्त 2013

दुर्गा शक्ति के निलंबन के विरोध में भाकपा ने किया विधानसभा मार्च


लखनऊ-३ अगस्त १३ : भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ताओं ने आज शाम महिला IAS अधिकारी श्रीमती दुर्गा शक्ति नागपाल के अवैध और अनैतिक निलंबन के खिलाफ पार्टी के कैसर बाग़ कार्यालय से विधानसभा तक मार्च किया.

मार्च से पहले उपस्थित कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए भाकपा के राज्य सचिव डॉ गिरीश ने कहा कि श्री अखिलेश यादव की राज्य सरकार खुले आम खनन माफियाओं को प्रश्रय दे रही है और उन्हीं को लाभ पहुंचाने को एक कर्तव्य परायण तथा ईमानदार युवा आई ए एस अधिकारी श्रीमती दुर्गा शक्ति नागपाल का अवैध निलंबन कर दिया. अब पूरी की पूरी सरकार इस अधिकारी के खिलाफ अधर्म-युद्ध छेड़े हुए है. प्रदेश में सच्चे और कर्तव्यनिष्ठ अफसरों को प्रताड़ित किया जा रहा है जबकि भ्रष्ट और निकम्मे  अफसरों को प्रश्रय दिया जा रहा है. सरकार की यह नीति जन विरोधी है और लोकतंत्र के लिए घातक है. भाकपा इसका कड़ा विरोध करती है और इसके खिलाफ लगातार आवाज़ उठाई जाती रहेगी.
      भाकपा के राज्य सह - सचिव कामरेड अरविन्द राज स्वरूप ने कहा कि निलंबन के अनैतिक कृत्य पर राजनीती की जा रही है और इसे मस्जिद और मुसलमानों से जोड़ा जा रहा है. तमाम रिपोर्टों से साफ़ है कि निलंबन का किसी मस्जिद से कोइ लेना-देना नहीं. यह सिर्फ और सिर्फ पर्यावरण को तहस-नहस कर अरबों-खरबों रूपये डकारने वाले खनन माफियाओं को अभयदान देने के लिए किया गया है.
      भाकपा जिला सचिव कामरेड मोहम्मद खालिक ने कहा कि लखनऊ सहित प्रदेश के लगभग हर इलाके में दंगे हो रहे हैं जिनमें तमाम निर्दोषों की जानमाल का नुक्सान हो रहा है. प्रदेश सरकार दंगों को रोकने के लिए कोइ कार्यवाही नहीं कर रही है . खनन माफिया ने वहां किसान पाले राम की हत्या कर दी यह भी सरकार  के माथे पर कलंक है.
      प्रदर्शन के बाद महामहिम राज्यपाल महोदय को संबोधित ज्ञापन उपस्थित अधिकारी को सौंपा गया. ज्ञापन में मांग की गयी है कि आई ए एस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल का निलंबन तत्काल रद्द किया जाए,समूचे प्रदेश में पर्यावरण को क्षति पहुंचाने वाले अवैध खनन को रोका जाए,खनन माफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्यवाही कर उन्हें जेल भेजा जाए,कर्मठ और ईमानदार अधिकारियों का उत्पीडन बंद किया जाए-भ्रष्ट और नाकारा अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाए,निलंबन की कार्यवाही पर राजनीती न की जाए और इसे मस्जिद अथवा अल्पसंखकों से न जोड़ा जाए तथा लखनऊ सहित प्रदेश के विभिन्न भागों में हो रहे दंगों को रोका जाए और उनकी जांच करके दोषियों को दण्डित किया जाए.
      इस मार्च में सर्व कामरेड प्रदीप तिवारी,फूल चंद यादव,मोहम्मद मुख्तार, ओ पी अवस्थी,परमानंद दिवेदी ,मोहम्मद अकरम,विजय माथुर,ए आई एस ऍफ़ के नेता-विनोद पाल,गौरव सिंह,सौरभ पण्डे,के अलावा महेंद्र रावत,राज पाल यादव,शमशेर बहादुर,चन्द्र शेखर,राम गोपाल शर्मा,परमानद,वी के सिंह  आदि शामिल रहे.

प्रदर्शंनकारी मार्ग में जो नारे लगा रहे थे उनमें प्रमुख थे-'अखिलेश यादव होश में आओ;दुर्गा शक्ति को बहाल करो -बहाल करो', 'मुख्यमंत्री होश में आओ,माफियाओं पर लगाम लगाओ',अखिलेश होश में आओ,दंगो पर रोक लगाओ','खनन माफियाओं के दम पर सरकार नहीं चलेगी,नहीं चलेगी','तख्त बदल दो -ताज बदल दो;बेईमानों का राज बदल दो'आदि-आदि।


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शुक्रवार, 2 अगस्त 2013

कर्मठ आइएस अधिकारी दुर्गाशक्ति के निलम्बन मामले में अपने ही बुने जाल में फंसते जा रहे हैं श्री अखिलेश यादव.

दल-दल में छलांग लगाने का एक ही मतलब है उसमें और भी फंसते जाना. ऐसा ही उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री के साथ हो रहा है. बेचारे अंडर ट्रेनी मुख्यमन्त्री एक कर्मठ अंडर ट्रेनी महिला आइएस को अब्बा,चाचा,मौसी के कहने पर निलम्बित तो कर बैठे पर अब मामला संभाले नहीं संभल रहा. जांचे-परखे मुस्लिम कार्ड को खेला तो चच्चा मियां ने यह कह कर हवा निकाल दी कि उन्हें इस अफसर को निलम्बित कराने में ४१ मिनट भी नहीं लगे. वैसे कादरपुर गाँव के निवासियों और नोइडा के जिलाधिकारी दोनों के कथन ने कि मस्जिद के नाम पर वहां कोई तनाव नहीं था मुख्यमन्त्री के दाबों को पहले ही झुठला दिया था. अखिलेश यादव समझ लें कि वे दिन कब के हवा हो चुके हैं जब उनको उज्ज्वल छवि वाला नौजवान राजनेता माना जाता था और उनके कतिपय कामों को परिवारवाद में फंसे एक नौसिखिये की बेबसी मान कर लोग नजरंदाज कर देते थे. लेकिन बाबूसिंह कुशवाहा जैसे दागी नेता को पार्टी में शामिल करने, एक से बड कर एक महाभ्रष्ट अफसरों को महिमामंडित करने और कई दागियों को मंत्रिमंडल में शामिल करने वाले अखिलेश निलम्बित अफसर पर जिस तरह अपने क्षुद्र राजनैतिक स्वार्थों के चलते सांप्रदायिकता भड़काने का आरोप जड़ रहे हैं उससे उनका असली चेहरा सामने आगया है. बात यहीं खत्म नहीं होजाती. वे आइएस एसोसिएशन तक को धमका रहे हैं. वे उसको याद दिला रहे हैं कि उन्होंने ही इस एसोसिएशन को जिन्दा किया था. सवाल उठता है कि क्या अब श्री अखिलेश इस अहसान की कीमत बसूलना चाहते हैं? यदि ऐसा है तो इससे घटिया और क्या होसकता है एक मुख्यमन्त्री के पार्ट पर. डॉ.गिरीश.
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बुधवार, 31 जुलाई 2013

अखिलेश सरकार पर माफिया गिरोह हावी

आज एक बात पर बेहद आश्चर्य हो रहा है.अपने एक साल से अधिक के शासन काल में मुख्यमंत्री,उ.प्र.श्री अखिलेश यादव ने एक से एक शातिर और कुख्यात अधिकारी को मलाईदार पदों पर स्थापित किया है और वे अपने कुक्र्त्यों के चलते बेनकाब हो गए तो उनको दिखाबे के तौर पर स्थानांतरित या बुझे मन से निलंबित कर तो दिया लेकिन शीघ्र से शीघ्र उन्हें पुनर्स्थापित कर दिया.भले ही इन बे-ईमानों के पक्ष में चुहिया भी न आई हो.लेकिन दुर्गाशक्ति नागपाल जिसके निलम्बन पर समूचा समाज उद्वेलित है,उसके निलम्बन को आज तक वापस न लेना उत्तर प्रदेश सरकार के माफिया प्रेम को उजागर कर देता है.अखिलेश के इस माफिया प्रेम की भारी कीमत उस परिवार को चुकानी पड़ गयी जिस परिवार के पुरुष सदस्य की हत्या आज नॉएडा में उस समय कर दी गयी जब वह अपने घर में था.उसका कसूर बस इतना था कि वह खनन मफियायों की शिकायत समय-समय पर अधिकारियों से करता रहा था.इसीको कहते हैं उज्जवल छवि का युवा नेता. डॉ.गिरीश
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सोमवार, 29 जुलाई 2013

ईमानदार और कर्मठ अधिकारी का निलम्बन निरस्त हो-भाकपा

लखनऊ - 29 जुलाई – भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने राज्य सरकार द्वारा एक ईमानदार और कर्मठ आई ए एस अधिकारी और गौतमबुध्द नगर की एस.डी.एम .सुश्री दुर्गाशक्ति नागपाल के निलम्बन को बेहद अनैतिक बताते हुये इसको तत्काल निरस्त करने की मांग की है. यहाँ जारी एक प्रेस बयान में पार्टी के राज्य सचिव डॉ.गिरीश ने कहा कि इस नौजवान महिला अधिकारी ने खनन माफिया के खिलाफ अभियान चला कर राज्य और जनता के हितों को तरजीह दी थी. लेकिन इन्हीं माफियायों के प्रभाव में आकर सरकार ने इस अधिकारी का निलंबन कर दिया. इस निलम्बन से जनता बेहद कुपित है और वह सरकार के इस फैसले को निरस्त देखना चाहती है. यह भी देखने में आया है कि इस बीच राज्य सरकार ने कई अच्छे अफसरों को प्रताड़ित किया है और रिश्वतखोर तथा भ्रष्ट अफसरों को महिमामंडित किया है. जनता इससे से भी खफा है. डॉ.गिरीश.
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रविवार, 28 जुलाई 2013

मोनाकाडा क्रांति की 60 वीं जयंती पर गोष्ठी



लखनऊ,28 जूलाई 2013 : आज अपरान्ह दो बजे 22-क़ैसर बाग में विश्व शांति एवं एकजुट्टता संगठनके तत्वावधान में एक गोष्ठी का आयोजन क्यूबा के मोनाकाडा में 26 जूलाई 1953 को घटित क्रांति की 60 वीं जयंती के उपलक्ष्य में किया गया। प्रारम्भ में कामरेड अरविंद राज स्वरूप ने इस क्रांति और बाद की गतिविधियों पर प्रकाश डाला।
अपने उदघाटन सम्बोधन में लखनऊ विश्वविद्यालय में राजनीति शास्त्र के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ रमेश दीक्षित नें बताया कि 26 जूलाई 1953 की क्रांति विफल तो हो गई थी किन्तु इसने जनता को शिक्षित करके उसके सहयोग से पुनः क्रांति की तैयारी का मार्ग प्रशस्त किया। 1956 और 1957 में भी क्रांति के छिट-पुट प्रयास हुये किन्तु सफलता 1 जनवरी 1959 को मिली जब फिडेल कास्तरो ने क्यूबा की सत्ता पर अधिकार कर लिया। 1961 में उन्होने खुद को मार्क्स वाद के प्रति समर्पित कर दिया और रूस के साथ मिल कर साम्राज्यवाद विरोधी संघर्ष में अपना सहयोग दिया।
डॉ वीरेंद्र यादव ने साहित्यकारों के क्रांति के प्रति योगदान को रेखांकित किया एवं उनके और अधिक सक्रिय होने की अपेक्षा की। शकील सिद्दीकी साहब ने याद दिलाया कि 1952 में भाकपा संसद में मुख्य विपक्षी दल था अब फिर वही गौरव प्राप्त करना चाहिए।
पूर्व पी सी एस अधिकारी पी सी तिवारी जी नें बताया कि क्यूबा की तरक्की का कारण वहाँ साक्षरता का होना है। उन्होने अपेक्षा की कि AIPSO  के माध्यम से जनता को जाग्रत करके क्रांति के लिए तैयार किया जाये। कामरेड आशा मिश्रा ने क्यूबा और फिडेल कास्तरो से प्रेरणा ग्रहण करने की आवश्यकता पर बल दिया।
जनवादी लेखक संघ के डॉ गिरीश चंद्र श्रीवास्तव ने साहित्यकारों का आव्हान किया कि वे जनोन्मुखी क्रान्ति से उत्प्रेरित साहित्य का सृजन करें तभी जनता को जाग्रत करके विश्व में शांति स्थापित की जा सकती है।  
डॉ गिरीश ने कहा कि 35 वर्ष पूर्व अलीगढ़ विश्वविद्यालय में जब उन्होने क्यूबा की क्रांति की 25 वीं वर्षगांठ मनाई थी तब युवाओं में क्रांति के प्रति झुकाव था आज की गोष्ठी में युवाओं की अनुपस्थिति उपभोकतावाद का दुष्परिणाम है। फिर भी उन्होने संतोष जताया कि युवतियों ने उपस्थित होकर इस कमी को दूर कर दिया है। उन्होने देश की वर्तमान परिस्थितियों को वांम- पंथ के अनुकूल बताया और क्यूबा आदि देशों की क्रांतियों से प्रेरणा लेकर आगे बढ्ने का आव्हान किया।
एप्सो के सेक्रेटरी जनरल आनंद तिवारी जी ने विद्वानों आगंतुकों का धन्यवाद ज्ञापन करते हुये सफलता की आशा प्रकट की। कामरेड कल्पना पांडे जिंनका इस गोष्ठी के आयोजन में सक्रिय योगदान रहा का भी यही विचार था कि स्थिति निराशाजनक नहीं है और हम अवश्य ही अपने उद्देश्य में सफल रहेंगे।
अंत में कामरेड अरविंद राज स्वरूप ने उत्तर प्रदेश में AIPSO     संगठन को पुनः सक्रिय करने की काना करते हुये ऐसे आयोजन आगे भी करते रहने का आश्वासन दिया।

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